महेंद्र सिंह धोनी ने छुपने के लिए वो जगह चुनी, जिस पर करोड़ों आँखें लगी हुई थीं! वो जीज़ज़ की इस बात को भूल गए कि "पहाड़ पर जो शहर बना है, वह छुप नहीं सकता!" ठीक उसी तरह, आप आईपीएल में भी छुप नहीं सकते। कम से कम धोनी होकर तो नहीं। अपने जीवन और क्रिकेट में हर क़दम सूझबूझ से उठाने वाले धोनी ने सोचा होगा, एक और आईपीएल खेलकर देखते हैं। यहाँ वे चूक गए। क्योंकि 20 ओवर विकेट कीपिंग करने के बाद उनके बूढ़े घुटनों के लिए आदर्श स्थिति यही रह गई है कि उन्हें बल्लेबाज़ी करने का मौक़ा ही न मिले, ऊपरी क्रम के बल्लेबाज़ ही काम पूरा कर दें। बल्लेबाज़ी का मौक़ा मिले भी तो ज़्यादा रनों या ओवरों के लिए नहीं। लेकिन अगर ऊपरी क्रम में विकेटों की झड़ी लग जाए और रनों का अम्बार सामने हो, तब क्या होगा- इसका अनुमान लगाने से वो चूक गए। खेल के सूत्र उनके हाथों से छूट गए हैं। यह स्थिति आज से नहीं है, पिछले कई वर्षों से यह दृश्य दिखाई दे रहा है। ऐसा मालूम होता है, जैसे धोनी के भीतर अब खेलने की इच्छा ही शेष नहीं रही। फिर वो क्यों खेल रहे हैं? उनके धुर-प्रशंसक समय को थाम लेना चाहते हैं। वे नश्वरता के विरुद्ध...
मोहनदास करमचंद गांधी जिन्हे हम सभी महात्मा गांधी के नाम से भी जानते हैं। यह एक नाम भारतीय स्वंत्रता संग्राम एवं भारतीय राजनीति में एक पूरे युग को प्रदर्शित करता है। गांधीजी की अहिंसा, उनका अपनी बात मनवाने का निराला ढंग, एवं अंग्रेजों के साथ उनकी बातचीत करने का सकारात्मक तरीका उन्हें उनके साथ के अन्य राजनीतिक व्यक्तित्वो से कहीं आगे खड़ा करता है। गांधी जी का भारतीय राजनीति में इतना गहरा प्रभाव था की आम भारतीय जनमानस जो अंग्रेजों के अत्याचारों से त्रस्त हो चुका था, जहां साधारण मानसिकता के लोग हिंसा के बदले हिंसा को प्राथमिकता देते हैं। वही गांधी जी के कहने मात्र से अहिंसा के पथ पर चल रहे थे। गांधीजी के आंदोलनों ने एक राष्ट्र के रूप में भारत को सम्मिलित किया एवं तात्कालिक समाज को यह बता दिया कि क्रांति का उद्देश्य केवल रक्तपात करना नहीं होता। क्रांति चुपचाप विरोध करके भी की जा सकती है। ऐसे महान विचारों वाले, ऐसे महान आदर्शों वाले महात्मा गांधी को 30 जनवरी 1948 में हत्या करके मार डाला गया। लेकिन Gandhiji की हत्या करने के क्या कारण रहे होंगे? क्या गांधी जी की हत्या केवल इस उद्देश्य से...