चम्बल का इतिहास क्या हैं? ये वो नदी है जो मध्य प्रदेश की मशहूर विंध्याचल पर्वतमाला से निकलकर युमना में मिलने तक अपने 1024 किलोमीटर लम्बे सफर में तीन राज्यों को जीवन देती है। महाभारत से रामायण तक हर महाकाव्य में दर्ज होने वाली चम्बल राजस्थान की सबसे लम्बी नदी है। श्रापित और दुनिया के सबसे खतरनाक बीहड़ के डाकुओं का घर माने जाने वाली चम्बल नदी मगरमच्छों और घड़ियालों का गढ़ भी मानी जाती है। तो आईये आज आपको लेकर चलते हैं चंबल नदी की सेर पर भारत की सबसे साफ़ और स्वच्छ नदियों में से एक चम्बल मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में महू छावनी के निकट स्थित विंध्य पर्वत श्रृंखला की जनापाव पहाड़ियों के भदकला जलप्रपात से निकलती है और इसे ही चम्बल नदी का उद्गम स्थान माना जाता है। चम्बल मध्य प्रदेश में अपने उद्गम स्थान से उत्तर तथा उत्तर-मध्य भाग में बहते हुए धार, उज्जैन, रतलाम, मन्दसौर, भिंड, मुरैना आदि जिलों से होकर राजस्थान में प्रवेश करती है। राजस्थान में चम्बल चित्तौड़गढ़ के चौरासीगढ से बहती हुई कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, करोली और धौलपुर जिलों से निकलती है। जिसके बाद ये राजस्थान के धौलपुर से दक्षिण की ओर
मोहनदास करमचंद गांधी जिन्हे हम सभी महात्मा गांधी के नाम से भी जानते हैं। यह एक नाम भारतीय स्वंत्रता संग्राम एवं भारतीय राजनीति में एक पूरे युग को प्रदर्शित करता है। गांधीजी की अहिंसा, उनका अपनी बात मनवाने का निराला ढंग, एवं अंग्रेजों के साथ उनकी बातचीत करने का सकारात्मक तरीका उन्हें उनके साथ के अन्य राजनीतिक व्यक्तित्वो से कहीं आगे खड़ा करता है। गांधी जी का भारतीय राजनीति में इतना गहरा प्रभाव था की आम भारतीय जनमानस जो अंग्रेजों के अत्याचारों से त्रस्त हो चुका था, जहां साधारण मानसिकता के लोग हिंसा के बदले हिंसा को प्राथमिकता देते हैं। वही गांधी जी के कहने मात्र से अहिंसा के पथ पर चल रहे थे। गांधीजी के आंदोलनों ने एक राष्ट्र के रूप में भारत को सम्मिलित किया एवं तात्कालिक समाज को यह बता दिया कि क्रांति का उद्देश्य केवल रक्तपात करना नहीं होता। क्रांति चुपचाप विरोध करके भी की जा सकती है। ऐसे महान विचारों वाले, ऐसे महान आदर्शों वाले महात्मा गांधी को 30 जनवरी 1948 में हत्या करके मार डाला गया। लेकिन Gandhiji की हत्या करने के क्या कारण रहे होंगे? क्या गांधी जी की हत्या केवल इस उद्देश्य से