त्यागपत्र: एक अंतर्मुखी पीड़ा की कहानी जैनेंद्र कुमार का उपन्यास 'त्यागपत्र' भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह उपन्यास मृणाल की कहानी है, जो अपने पति प्रमोद के द्वारा त्याग दी जाती है। कहानी मृणाल के अंतर्मुखी पीड़ा, सामाजिक बंधनों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संघर्ष को दर्शाती है। जैनेंद्र कुमार की लेखन शैली सरल और गहरी है। उन्होंने मृणाल के मन की उलझनों और भावनात्मक जटिलताओं को बहुत ही संवेदनशील तरीके से चित्रित किया है। कहानी में सामाजिक रूढ़ियों और व्यक्तिगत इच्छाओं के बीच का द्वंद्व स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। मृणाल का त्यागपत्र केवल एक शारीरिक त्यागपत्र नहीं है, बल्कि यह उसके आंतरिक संघर्ष और मुक्ति की खोज का प्रतीक है। उपन्यास में प्रमोद का चरित्र भी जटिल है। वह एक ऐसे व्यक्ति के रूप में दिखाया गया है जो सामाजिक दबावों और अपनी कमजोरियों के कारण मृणाल को त्याग देता है। यह उपन्यास उस समय के समाज में महिलाओं की स्थिति और उनके संघर्षों पर प्रकाश डालता है। 'त्यागपत्र' एक ऐसा उपन्यास है जो पाठक को सोचने पर मजबूर करता है। यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता, सामाजि...
हाल ही में भारत सरकार ने भारतीय सैन्य दलों में शामिल होने के लिए की जाने वाली भर्ती में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। लेकिन उनके इस कदम से देश का युवा खुश नहीं है। जिस कारण युवाओं ने इस देश को दंगों से भर दिया है, देश की संपत्ति को जलाया जा रहा है, एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में भी भारी गिरावट आ रही है। What's wrong with Agnipath Scheme दरअसल पिछले हफ्ते भारत सरकार ने भारतीय सैन्य दलों में शामिल होने के लिए युवाओं को एक नई सुविधा प्रदान की। जिसकी वजह से युवा प्रदर्शन पर उतारू हो गए। सरकार ने सेना में शामिल होने की इस स्कीम को Agnipath नाम दिया तथा इस स्कीम से सेनाओं में शामिल होने वाले जवानों को अग्निवीर Agniveer कहा। आइए जानते हैं कि Agnipath Scheme के बारे में जिसकी वजह से देश में दंगे भड़क रहे हैं। आखिर क्या है अग्निपथ स्कीम What is Agnipath Scheme? कोई भी भारतीय व्यक्ति भारतीय सेना में दो तरह से सेवाएं दे सकता है। एक परमानेंट कमिशन और दूसरा शॉर्ट सर्विस कमिशन। परमानेंट कमिशन में लगने वाले जवानों को अभी तक उनके निर्धारित रेजीमेंट में निर्धारित आयु तक नौकरी करने ...