त्यागपत्र: एक अंतर्मुखी पीड़ा की कहानी जैनेंद्र कुमार का उपन्यास 'त्यागपत्र' भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह उपन्यास मृणाल की कहानी है, जो अपने पति प्रमोद के द्वारा त्याग दी जाती है। कहानी मृणाल के अंतर्मुखी पीड़ा, सामाजिक बंधनों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संघर्ष को दर्शाती है। जैनेंद्र कुमार की लेखन शैली सरल और गहरी है। उन्होंने मृणाल के मन की उलझनों और भावनात्मक जटिलताओं को बहुत ही संवेदनशील तरीके से चित्रित किया है। कहानी में सामाजिक रूढ़ियों और व्यक्तिगत इच्छाओं के बीच का द्वंद्व स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। मृणाल का त्यागपत्र केवल एक शारीरिक त्यागपत्र नहीं है, बल्कि यह उसके आंतरिक संघर्ष और मुक्ति की खोज का प्रतीक है। उपन्यास में प्रमोद का चरित्र भी जटिल है। वह एक ऐसे व्यक्ति के रूप में दिखाया गया है जो सामाजिक दबावों और अपनी कमजोरियों के कारण मृणाल को त्याग देता है। यह उपन्यास उस समय के समाज में महिलाओं की स्थिति और उनके संघर्षों पर प्रकाश डालता है। 'त्यागपत्र' एक ऐसा उपन्यास है जो पाठक को सोचने पर मजबूर करता है। यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता, सामाजि...
लज्जा: एक समीक्षा तसलीमा नसरीन का उपन्यास 'लज्जा' 1993 में प्रकाशित हुआ था और इसने तुरंत ही विवादों का बवंडर खड़ा कर दिया था। बांग्लादेश की पृष्ठभूमि पर आधारित यह उपन्यास, एक हिंदू परिवार के जीवन के माध्यम से, सांप्रदायिक हिंसा, धार्मिक कट्टरता, और अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के गंभीर मुद्दों को उठाता है। यह समीक्षा 'लज्जा' के साहित्यिक, सामाजिक, और राजनीतिक पहलुओं का विश्लेषण करने का प्रयास है। कथावस्तु: उपन्यास की कहानी दत्ता परिवार के इर्द-गिर्द घूमती है, जो ढाका में रहता है। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद बांग्लादेश में फैली सांप्रदायिक हिंसा के दौरान, यह परिवार अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करता है। सुरंजन, किरणमयी, और उनके बच्चे, अपनी जान बचाने के लिए भागने को मजबूर हो जाते हैं। उपन्यास इस दौरान उनके द्वारा झेली गई पीड़ा, भय, और अनिश्चितता का मार्मिक चित्रण करता है। साहित्यिक पहलू: नसरीन की लेखन शैली सीधी और स्पष्ट है। वे बिना किसी लाग-लपेट के, हिंसा और उत्पीड़न के दृश्यों को चित्रित करती हैं, जो पाठक को झकझोर कर रख देता है। उपन्यास की भाषा सरल है, जो इसे व्यापक दर्शकों...