सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Book Review: Chitralekha by Bhagwati Charan Verma

 चित्रलेखा – एक दार्शनिक कृति की समीक्षा लेखक: भगवती चरण वर्मा   प्रस्तावना   हिंदी साहित्य के इतिहास में *चित्रलेखा* एक ऐसी अनूठी रचना है जिसने पाठकों को न केवल प्रेम और सौंदर्य के मोह में बाँधा, बल्कि पाप और पुण्य की जटिल अवधारणाओं पर गहन चिंतन के लिए भी प्रेरित किया। भगवती चरण वर्मा का यह उपन्यास 1934 में प्रकाशित हुआ था और यह आज भी हिंदी गद्य की कालजयी कृतियों में गिना जाता है। इसमें दार्शनिक विमर्श, मनोवैज्ञानिक विश्लेषण और सामाजिक यथार्थ का ऐसा संलयन है जो हर युग में प्रासंगिक बना रहता है । मूल विषय और उद्देश्य   *चित्रलेखा* का केंद्रीय प्रश्न है — "पाप क्या है?"। यह उपन्यास इस अनुत्तरित प्रश्न को जीवन, प्रेम और मानव प्रवृत्तियों के परिप्रेक्ष्य में व्याख्यायित करता है। कथा की बुनियाद एक बौद्धिक प्रयोग पर टिकी है जिसमें महात्मा रत्नांबर दो शिष्यों — श्वेतांक और विशालदेव — को संसार में यह देखने भेजते हैं कि मनुष्य अपने व्यवहार में पाप और पुण्य का भेद कैसे करता है। इस प्रयोग का परिणाम यह दर्शाता है कि मनुष्य की दृष्टि ही उसके कर्मों को पाप या पुण्य बनाती है। लेखक...

एक तरफा प्यार

एक तरफ़ा प्यार दुनिया का सबसे खूबसूरत एहसास है, ऐसा मेरा मानना नहीं है। लेकिन उन आशिक़ों को क्या कहें, जो ख़ुद को एक तरफ़ा आशिक़ माने फिरते हैं। जिन्हें ना कभी अपना प्यार मिला ना उन्होंने किसी से भी, किसी भी तरह के favor की अपेक्षा की। उनके हिसाब से एहसास भी उनकेे, जज़्बात भी उनके, रूठना भी अपने आप से, मनाना भी अपने आप से, वफ़ा भी अपने आप से और बेवफ़ाई भी अपने आप से। आप सोच रहे होंगे शायद ये आशिक़ पागल है अपने एक तरफ़ा प्यार में अँधे। लेकिन ऐसा नहीं है। इनके लिए एक सुखद अनुभूति है एक तरफ़ा प्यार। 

एक तरफ़ा प्यार में उम्मीद तो किसी से नहीं होती नही है। बस दिल बहलाने का कमाल का ज़रिया होता है, और वो है फेसबुक की डीपी। झट से सेव, देखी और हाईड कर दी। फिर कमाल है फेसबुक वाले भी,अगर फ्रेंड ना भी हों तो भी डीपी देखने का सुनहरा अवसर देते हैं। फ़िर एक सुखद अनुभूति और उसके साथ होने का एहसास, चाहे झूठा ही सही। पर एहसास तो एहसास ही होता है। अगर डीपी ना भी हो तो नज़रें सिर्फ टाइमलाइन पर, उम्मीद में कि कुछ तो नया अपडेट होगा आज। अगर लॉक हो टाइमलाइन, माशाल्लाह फिर रब से दुआऐं कि बस एक बार अनलॉक कर दे, ताकि हम भी दीदार कर सके अपनी मल्लिका-ए-हुस्न के। अगर ये सब तरक़ीबें काम न करें, तो सिर्फ उसे पहली बार फिजिकली देखने की समृति, जो दिमाग से दिल में उतर चुकी होती है। बस उसे देख के जीते है। हिम्मत तो होती नहीं है इनमें कि फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दें। बस, इतने में ही अपनी सारी दुनिया ये आशिक अपने आप में बसा लेते है।

और हाँ, अगर उनका घर हमारे घर से कुछ नज़दीक हो तो फिर तो सोने पर सुहागा। रोज़ सुबह की पहली किरण के साथ नैन-मटक्का और वो भी डरपोकों की तरह। इधर से माँ की गालियाँ सुन रहे हैं और उधर मुँह के सामने क़िताब और आँखों में सिर्फ उसका दीदार करने की हसरत कि कैसे वो दिख जाये और हमारे नैनों को ठंडक मिल जाये। इन नैनों को ठंडक देने में कभी-कभी गुड़ का गोबर भी हो जाता है। क्योंकि दो काम तो एक साथ हो नहीं सकते। एक समय पर या तो देख सकते हैं या फिर अपना काम कर सकते हैं। और हिम्मत तो भाई इस मामले में भी नहीं होती बात करने की, क्योंकि लोग क्या सोचेंगे,अपने शरीफ़ होने का टैग और पिताजी की इज़्ज़त, मान मर्यादा, इन सब का ध्यान तो रखना पड़ता है। लेकिन हाँ, कभी वो बालकनी से दिखे तो क्रिकेट खेलते हुए जानबूझ कर उसकी बालकनी की ओर ज़ोरदार छक्के मारना, ताकि हम भी उसकी नज़रों में सचिन तेंदुलकर बन सकें और वो खुद बात करने आये हमसे। लेकिन ये तरकीब भी काम नही आती आजकल।

कभी-कभी तो मुझे इनमें कोई केमिकल लोचा लगता है। कोई क्यूँ इतना प्यार कर सकता है जब उसके आने की उम्मीद ही न हो। इंसान तो जहाँ प्यार दिखे वहीं और भागता है। लेकिन इन्हें पता नही कौन सा अमृत-रस मिलता है इतना प्यार करने में, पता नही अपने आप को ही लॉयलिटी दिखाते रहते है और ट्रस्ट भी।मिलना कुछ नही है फिर सब नौटंकी क्यूँ? फिर एक दिन मैं भी मिला उस आशिक़ से और यूँ ही पूछ लिया क्या बला है ये एक-तरफ़ा आशिक़ी और जवाब मिलता है "तुम क्या जानो एक तरफ़ा प्यार?  प्यार में पाना ही थोड़े ना होता है सब कुछ। कभी-कभी खो कर भी आप प्यार को अमर कर देना होता है।"

"हट ! साला तुम भी कैसी बात करते हो। ऐसे भी कोई प्यार होता है क्या? प्यार में कोई उम्मीद ना हो मिलने की फिर फ़ायदा क्या इस प्यार का? भाड़ में जाये ऐसा प्यार। हम तो ऐसे ही अच्छे और तुम भी छोड़ो ये पागलपन!"  मज़ाकिया अंदाज़ में मैंने भी उसे छेड़ा। 

"तुम नही समझोगे।" मुस्कुराता हुआ वो वहाँ से चला गया पर मेरी समझ से शायद परे ही था सब कुछ।

नोट- एक तरफ़ा प्यार भी तब तक अच्छा लगता है, जब तक इसे अपने आप तक सीमित रखा गया हो। लेकिन किसी को परेशान करके या मजबूर करना प्यार नही कहलाता।
-abiiinabu

टिप्पणियाँ

Best From the Author

The Story of Yashaswi Jaiswal

जिस 21 वर्षीय यशस्वी जयसवाल ने ताबड़तोड़ 98* रन बनाकर कोलकाता को IPL से बाहर कर दिया, उनका बचपन आंसुओं और संघर्षों से भरा था। यशस्‍वी जयसवाल मूलरूप से उत्‍तर प्रदेश के भदोही के रहने वाले हैं। वह IPL 2023 के 12 मुकाबलों में 575 रन बना चुके हैं और ऑरेंज कैप कब्जाने से सिर्फ 2 रन दूर हैं। यशस्वी का परिवार काफी गरीब था। पिता छोटी सी दुकान चलाते थे। ऐसे में अपने सपनों को पूरा करने के लिए सिर्फ 10 साल की उम्र में यशस्वी मुंबई चले आए। मुंबई में यशस्वी के पास रहने की जगह नहीं थी। यहां उनके चाचा का घर तो था, लेकिन इतना बड़ा नहीं कि यशस्वी यहां रह पाते। परेशानी में घिरे यशस्वी को एक डेयरी पर काम के साथ रहने की जगह भी मिल गई। नन्हे यशस्वी के सपनों को मानो पंख लग गए। पर कुछ महीनों बाद ही उनका सामान उठाकर फेंक दिया गया। यशस्वी ने इस बारे में खुद बताया कि मैं कल्बादेवी डेयरी में काम करता था। पूरा दिन क्रिकेट खेलने के बाद मैं थक जाता था और थोड़ी देर के लिए सो जाता था। एक दिन उन्होंने मुझे ये कहकर वहां से निकाल दिया कि मैं सिर्फ सोता हूं और काम में उनकी कोई मदद नहीं करता। नौकरी तो गई ही, रहने का ठिकान...

Gandhi Jayanti Special महात्मा गांधी के जीवन से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य जो शायद आप ना जानते हो Interesting facts about Gandhiji

Gandhi Jayanti Special  महात्मा गांधी के जीवन से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य जो शायद आप ना जानते हो Interesting facts about Gandhiji      ब्रिटिश साम्राज्य से भारत के स्वतंत्रता की लड़ाई में गांधी जी ने अहिंसा का मार्ग अपनाया। वह आज भी अपने परिश्रम, दृढ़ता, एवं उत्साही प्रतिबद्धता के कारण याद किए जाते हैं। उन्हें आदर के साथ महात्मा, बापू एवं राष्ट्रपिता भी कहा जाता है।  भारत के गुजरात के एक वैश्य परिवार में जन्मे Mohandas ने लंदन से वकालत की पढ़ाई पूरी की, और दक्षिण अफ्रीका में एक प्रवासी के रूप में अपनी वकालत की तैयारी शुरू की। उन्होंने वहां पर भारतीय समाज के लोगों के लिए समान नागरिक अधिकारों के लिए आंदोलन शुरू किया। वर्ष 1915 में वे भारत लौटे और अपना जीवन भारत के किसानों और मजदूरों के साथ हो रहे अन्याय एवं अत्याचारों से लड़ने में खपाने की तैयारी करने लगे। 5 साल बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता चुने गए और पूरे देश में उन्होंने भारत का राज "स्वराज" की मांग की। गांधीजी के जीवन के 2 सबसे बड़े आंदोलन जिनमें पहला 1930 का दांडी का नमक सत्याग्रह जिसमें उन्होंने दांडी नाम...

राष्ट्रीय मतदाता दिवस NATIONAL VOTER'S DAY : जागरूकता केवल नाम की या सच में जागरूक हो रहे मतदाता

राष्ट्रीय मतदाता दिवस, NATIONAL VOTER'S DAY      25 जनवरी, भारत निर्वाचन आयोग (ECI) का स्थापना दिवस है। इस आयोग की स्थापना 1950 में की गई थी। इस दिन की शुरुआत पहली बार 2011, जी हां उसी साल की गई थी, जिस साल भारत ने धोनी के छक्के की बदौलत क्रिकेट विश्व कप जीत लिया था। क्यों की गई इस दिन की शुरुआत:-                                            भारतीय युवाओं को मतदान के प्रति चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके, इसलिए 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई। भारतीय मतदाताओं की विशेषता:-                                             भारत में युवाओं को मतदान के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से ही मतदाता पात्रता की आयु 21 वर्ष से घटा कर 18 वर्ष की गई थी। क्यूंकि भारत में युवाओं की संख्या बहुत अधिक है और इसकी पुष्टि ...