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काग के भाग बड़े सजनी

  पितृपक्ष में रसखान रोते हुए मिले। सजनी ने पूछा -‘क्यों रोते हो हे कवि!’ कवि ने कहा:‘ सजनी पितृ पक्ष लग गया है। एक बेसहारा चैनल ने पितृ पक्ष में कौवे की सराहना करते हुए एक पद की पंक्ति गलत सलत उठायी है कि कागा के भाग बड़े, कृश्न के हाथ से रोटी ले गया।’ सजनी ने हंसकर कहा-‘ यह तो तुम्हारी ही कविता का अंश है। जरा तोड़मरोड़कर प्रस्तुत किया है बस। तुम्हें खुश होना चाहिए । तुम तो रो रहे हो।’ कवि ने एक हिचकी लेकर कहा-‘ रोने की ही बात है ,हे सजनी! तोड़मोड़कर पेश करते तो उतनी बुरी बात नहीं है। कहते हैं यह कविता सूरदास ने लिखी है। एक कवि को अपनी कविता दूसरे के नाम से लगी देखकर रोना नहीं आएगा ? इन दिनों बाबरी-रामभूमि की संवेदनशीलता चल रही है। तो क्या जानबूझकर रसखान को खान मानकर वल्लभी सूरदास का नाम लगा दिया है। मनसे की तर्ज पर..?’ खिलखिलाकर हंस पड़ी सजनी-‘ भारतीय राजनीति की मार मध्यकाल तक चली गई कविराज ?’ फिर उसने अपने आंचल से कवि रसखान की आंखों से आंसू पोंछे और ढांढस बंधाने लगी।  दृष्य में अंतरंगता को बढ़ते देख मैं एक शरीफ आदमी की तरह आगे बढ़ गया। मेरे साथ रसखान का कौवा भी कांव कांव करता चला आ...

National Science Day| Sir C V RAMAN उस शख्श की दास्ताँ जिसने भारत को नया विज्ञान ही दे डाला

National Science Day| Why we celebrate Science day on 28th February
Why we celebrate Science day on 28th February

इस देश में शायद बहुत कम लोग ही ऐसे होंगे जो फरवरी को वैलेंटाइन डे के अलावा किसी और कारण से भी जानते होंगे। मुझ जैसे लोगों को यह दिन काफी पसंद है। क्योंकि इस दिन भारत अपना राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि 28 फरवरी को ही भारतीय विज्ञान दिवस क्यों मनाया जाता है?
वर्ष 1921 में भारत के वैज्ञानिक श्री चंद्रशेखर वेंकटरमन एक जहाज पर सवार हुए। लंदन से भारत आते समय उनके दिमाग में एक सवाल आया किस समुंदर का रंग असल में नीला क्यों होता है? वह यह बात भी मानने को तैयार नहीं थे कि आसमान का रंग भी नीला होता है। इसीलिए 1928 की मार्च में उन्होंने एक थ्योरी प्रकाशित की जिसे रमन स्कैटरिंग के नाम से जाना गया, मुझे आप और मैं आज रमन इफेक्ट  Raman Effect के नाम से भी जानते हैं। रमन प्रभाव प्रकाश के तरंगदैर्ध्य के बदलने की कारण को बताता है।
आपने सूर्य के प्रकाश में एक संतरे को नारंगी रंग का देखा। यह नारंगी रंग का है, लेकिन क्यों? वैसे सूर्य का प्रकाश साथ अलग-अलग रंगों से मिलकर बना है और हर रंग की एक अलग तरंगदैर्ध्य है। आप सूर्य से निकलने वाले इन सात रंगों को इंद्रधनुष में भी देख सकते हैं। उसी तरह संतरा इस प्रकार के अणुओं से मिलकर बना होता है जो सूर्य की प्रकाश के साथ संक्रिया करते हैं। ज्यादा तो संतरे प्रकाश के बाकी सभी रंगों को सोख लेते हैं और नारंगी रंग को परावर्तित करते हैं। जिस कारण हमें संतरा नारंगी रंग का दिखाई देता है।
इसी तरह अलग-अलग तरह के पदार्थ अलग-अलग अनु से मिलकर बने होते हैं जो अलग-अलग रंगों को परावर्तित करते हैं जिस कारण हमें उनके अलग-अलग रंग देखने को भी मिलते हैं। 
रमन प्रभाव का उपयोग रंगों का ज्ञान करने के अलावा spectroscopy के द्वारा स्ट्रक्चरल फिंगरप्रिंट को ज्ञात करने के लिए होता है। आसान भाषा में एक Molecule दूसरे से किस प्रकार अलग है यह पता करने के लिए रमन प्रभाव का उपयोग किया जाता है।
C V raman
The Man who give India Science
अपनी इस खोज के कारण चंद्रशेखर वेंकटरमन को भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था, जिसे पाने वाले वह पहले एशियाई और भारतीय थे। डॉक्टर चंद्रशेखर वेंकटरमन की इस उपलब्धि की याद में 28 फरवरी को उनके जन्मदिवस के अवसर पर राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। 

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काग के भाग बड़े सजनी

  पितृपक्ष में रसखान रोते हुए मिले। सजनी ने पूछा -‘क्यों रोते हो हे कवि!’ कवि ने कहा:‘ सजनी पितृ पक्ष लग गया है। एक बेसहारा चैनल ने पितृ पक्ष में कौवे की सराहना करते हुए एक पद की पंक्ति गलत सलत उठायी है कि कागा के भाग बड़े, कृश्न के हाथ से रोटी ले गया।’ सजनी ने हंसकर कहा-‘ यह तो तुम्हारी ही कविता का अंश है। जरा तोड़मरोड़कर प्रस्तुत किया है बस। तुम्हें खुश होना चाहिए । तुम तो रो रहे हो।’ कवि ने एक हिचकी लेकर कहा-‘ रोने की ही बात है ,हे सजनी! तोड़मोड़कर पेश करते तो उतनी बुरी बात नहीं है। कहते हैं यह कविता सूरदास ने लिखी है। एक कवि को अपनी कविता दूसरे के नाम से लगी देखकर रोना नहीं आएगा ? इन दिनों बाबरी-रामभूमि की संवेदनशीलता चल रही है। तो क्या जानबूझकर रसखान को खान मानकर वल्लभी सूरदास का नाम लगा दिया है। मनसे की तर्ज पर..?’ खिलखिलाकर हंस पड़ी सजनी-‘ भारतीय राजनीति की मार मध्यकाल तक चली गई कविराज ?’ फिर उसने अपने आंचल से कवि रसखान की आंखों से आंसू पोंछे और ढांढस बंधाने लगी।  दृष्य में अंतरंगता को बढ़ते देख मैं एक शरीफ आदमी की तरह आगे बढ़ गया। मेरे साथ रसखान का कौवा भी कांव कांव करता चला आ...

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