.. जब समोसा 50 पैसे का लिया करता था तो ग़ज़ब स्वाद होता था... आज समोसा 10 रुपए का हो गया, पर उसमे से स्वाद चला गया... अब शायद समोसे में कभी वो स्वाद नही मिल पाएगा.. बाहर के किसी भोजन में अब पहले जैसा स्वाद नही, क़्वालिटी नही, शुद्धता नही.. दुकानों में बड़े परातों में तमाम खाने का सामान पड़ा रहता है, पर वो बेस्वाद होता है.. पहले कोई एकाध समोसे वाला फेमस होता था तो वो अपनी समोसे बनाने की गुप्त विधा को औऱ उन्नत बनाने का प्रयास करता था... बड़े प्यार से समोसे खिलाता, औऱ कहता कि खाकर देखिए, ऐसे और कहीं न मिलेंगे !.. उसे अपने समोसों से प्यार होता.. वो समोसे नही, उसकी कलाकृति थे.. जिनकी प्रसंशा वो खाने वालों के मुंह से सुनना चाहता था, औऱ इसीलिए वो समोसे दिल से बनाता था, मन लगाकर... समोसे बनाते समय ये न सोंचता कि शाम तक इससे इत्ते पैसे की बिक्री हो जाएगी... वो सोंचता कि आज कितने लोग ये समोसे खाकर वाह कर उठेंगे... इस प्रकार बनाने से उसमे स्नेह-मिश्रण होता था, इसीलिए समोसे स्वादिष्ट बनते थे... प्रेमपूर्वक बनाए और यूँ ही बनाकर सामने डाल दिये गए भोजन में फर्क पता चल जाता है, ...
Why we celebrate Science day on 28th February |
वर्ष 1921 में भारत के वैज्ञानिक श्री चंद्रशेखर वेंकटरमन एक जहाज पर सवार हुए। लंदन से भारत आते समय उनके दिमाग में एक सवाल आया किस समुंदर का रंग असल में नीला क्यों होता है? वह यह बात भी मानने को तैयार नहीं थे कि आसमान का रंग भी नीला होता है। इसीलिए 1928 की मार्च में उन्होंने एक थ्योरी प्रकाशित की जिसे रमन स्कैटरिंग के नाम से जाना गया, मुझे आप और मैं आज रमन इफेक्ट Raman Effect के नाम से भी जानते हैं। रमन प्रभाव प्रकाश के तरंगदैर्ध्य के बदलने की कारण को बताता है।
आपने सूर्य के प्रकाश में एक संतरे को नारंगी रंग का देखा। यह नारंगी रंग का है, लेकिन क्यों? वैसे सूर्य का प्रकाश साथ अलग-अलग रंगों से मिलकर बना है और हर रंग की एक अलग तरंगदैर्ध्य है। आप सूर्य से निकलने वाले इन सात रंगों को इंद्रधनुष में भी देख सकते हैं। उसी तरह संतरा इस प्रकार के अणुओं से मिलकर बना होता है जो सूर्य की प्रकाश के साथ संक्रिया करते हैं। ज्यादा तो संतरे प्रकाश के बाकी सभी रंगों को सोख लेते हैं और नारंगी रंग को परावर्तित करते हैं। जिस कारण हमें संतरा नारंगी रंग का दिखाई देता है।
इसी तरह अलग-अलग तरह के पदार्थ अलग-अलग अनु से मिलकर बने होते हैं जो अलग-अलग रंगों को परावर्तित करते हैं जिस कारण हमें उनके अलग-अलग रंग देखने को भी मिलते हैं।
रमन प्रभाव का उपयोग रंगों का ज्ञान करने के अलावा spectroscopy के द्वारा स्ट्रक्चरल फिंगरप्रिंट को ज्ञात करने के लिए होता है। आसान भाषा में एक Molecule दूसरे से किस प्रकार अलग है यह पता करने के लिए रमन प्रभाव का उपयोग किया जाता है।
The Man who give India Science |
अपनी इस खोज के कारण चंद्रशेखर वेंकटरमन को भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था, जिसे पाने वाले वह पहले एशियाई और भारतीय थे। डॉक्टर चंद्रशेखर वेंकटरमन की इस उपलब्धि की याद में 28 फरवरी को उनके जन्मदिवस के अवसर पर राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है।
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