चम्बल का इतिहास क्या हैं? ये वो नदी है जो मध्य प्रदेश की मशहूर विंध्याचल पर्वतमाला से निकलकर युमना में मिलने तक अपने 1024 किलोमीटर लम्बे सफर में तीन राज्यों को जीवन देती है। महाभारत से रामायण तक हर महाकाव्य में दर्ज होने वाली चम्बल राजस्थान की सबसे लम्बी नदी है। श्रापित और दुनिया के सबसे खतरनाक बीहड़ के डाकुओं का घर माने जाने वाली चम्बल नदी मगरमच्छों और घड़ियालों का गढ़ भी मानी जाती है। तो आईये आज आपको लेकर चलते हैं चंबल नदी की सेर पर भारत की सबसे साफ़ और स्वच्छ नदियों में से एक चम्बल मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में महू छावनी के निकट स्थित विंध्य पर्वत श्रृंखला की जनापाव पहाड़ियों के भदकला जलप्रपात से निकलती है और इसे ही चम्बल नदी का उद्गम स्थान माना जाता है। चम्बल मध्य प्रदेश में अपने उद्गम स्थान से उत्तर तथा उत्तर-मध्य भाग में बहते हुए धार, उज्जैन, रतलाम, मन्दसौर, भिंड, मुरैना आदि जिलों से होकर राजस्थान में प्रवेश करती है। राजस्थान में चम्बल चित्तौड़गढ़ के चौरासीगढ से बहती हुई कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, करोली और धौलपुर जिलों से निकलती है। जिसके बाद ये राजस्थान के धौलपुर से दक्षिण की ओर
Russia-Ukraine Conflict |
- History of Russia- Ukraine Conflict बवाल की जड़ -
सबसे पहले और सबसे बड़ा भाग बना-
- रूस
- इस्टोनिया
- लातविया
- लिथुआनिया
- बेलारूस
- यूक्रेन
- माल्टोवा
- जॉर्जिया
- आर्मेनिया
- अज़रबैजान
- कजाकिस्तान
- उज़्बेकिस्तान
- तुर्कमेनिस्तान
- किर्गिस्तान
- और ताजिकिस्तान
अगर आप मैप को समझ पा रहे हैं तो आप देखेंगे कि छठे नंबर का जो देश है वह है यूक्रेन। और यूक्रेन भौगोलिक दृष्टि से रूस से टूटकर बनने वाला वह देश है जो आधा यूरोप में आता है और आधा एशिया में आता है। यूरोप में आने वाले सभी देशों को यूरोपीय संघ एवं नाटो की सदस्यता प्राप्त करने के योग्य होते हैं।
- NATO क्या है Role of NATO in Russia- Ukraine Conflict-
अब आप पूछेंगे कि नाटो क्या है तो NATO नाटो का मतलब है नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन जिससे नॉर्थ अटलांटिक गठबंधन भी कहते हैं यह अंतर राज्य सैन्य गठबंधन है जिसमें यूरोप की 27 देश आते हैं दो नॉर्थ अमेरिका के देश आते हैं और एक यूरेशियन देश भी आता है। यह गठबंधन इसलिए बनाया गया था कि 27 यूरोपीय देशों के साथ साथ बाकी के 3 देशों पर भी यदि कोई अन्य देश आक्रमण करता है, तो ऐसा माना जाएगा कि उसने उन सभी 30 देशों पर आक्रमण किया है। जिस कारण इन सभी छोटे देशों की सुरक्षा की चिंता काफी हद तक कम हो गई है। सुरक्षा के साथ-साथ इन सभी देशों ने अपने देशों में पाए जाने वाले प्राकृतिक संसाधनों का उपभोग करने के लिए भी एक संगठन बनाया हुआ है जिसके अंतर्गत यदि किसी संसाधन की किसी देश को आवश्यकता है तो वह उसे कम कीमत पर प्राप्त कर सकता है।
- अब थोड़ा यूक्रेन के बारे में भी जान लेते हैं Where is Ukraine-
यूक्रेन एक संप्रभु राज्य है जो 233000 वर्ग मील के क्षेत्र को कवर करता है। यूक्रेन USSR सोवियत संघ के घटक गणराज्य में से एक था, और 30 दिसंबर 1922 को सोवियत संघ में भर्ती कराया गया था। सोवियत यूक्रेन संयुक्त राष्ट्र का संस्थापक सदस्य भी था लेकिन ऑल यूनियन राज ने अन्य देशों से संबंधित मामलों में अपने कानूनी प्रतिनिधि के रूप में काम किया जो यूएसएसआर का हिस्सा नहीं थे। सोवियत संघ के विघटन के बाद यूक्रेन एसएसआर का नाम बदलकर यूक्रेन कर दिया गया और इसके नए संविधान को 28 जून 1996 को अनुमोदित किया गया।अपनी स्वतंत्रता के बाद यूक्रेन ने संयुक्त राष्ट्र में अपनी सीट बरकरार रखी और अपनी विदेशी संपत्ति हिस्सेदारी की वसूली की उम्मीद में रूसी संघ के खिलाफ विदेशी अदालतों में आरोपों को जारी रखा। जिसकी वजह से दोनों नए देशों रूस और यूक्रेन के बीच संबंधों में तनाव उत्पन्न हो गया।
- पुतिन की चिंता Russia's Side in Russia Ukraine Conflict-
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को लगता है कि यदि यूक्रेन नाटो का सदस्य बन गया तो नाटो के सदस्य देशों जैसे अमेरिका जो कि रूस का धुर विरोधी है, उसके साथ यूक्रेन की सीमा बहुत अधिक पास आ जाएगी जो निकट भविष्य में युद्ध की स्थिति में रूस के लिए चिंता का विषय होगा। इसीलिए रूस नहीं चाहता कि यूक्रेन नाटो का सदस्य बने। नाटो का सदस्य बनने के साथ ही यूक्रेन के पास अपने प्राकृतिक संसाधनों को अन्य देशों को बेचने की अतिरिक्त क्षमता भी मिल जाएगी। जोकि रूस जैसे देशों को जो प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करने के साथ-साथ सस्ती दरों पर अपने पड़ोसी राज्यों से प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध करते हैं, दिक्कत हो जाएगी। इसीलिए रूस ने सन 2014 में यूक्रेन के हिस्से क्रीमिया पर अपना आधिपत्य कर लिया और उसे अपने हिस्से में मिला लिया। जिसके बाद रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने के साथ-साथ G-8 के देशों ने उसे अपने संगठन से निकाल भी दिया था। लेकिन रूस कहां मानने वाला है। इसीलिए अब जब यूक्रेन ने स्वयं को फिर से नाटो का सदस्य बनाने की पेशकश की तो रूस भड़क गया। उसने नाटो के सदस्यों और विशेषकर अमेरिका को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि यूक्रेन नाटो का सदस्य बना तो यह उनके लिए अच्छा नहीं होगा। और इस बार आक्रमक कार्यवाही करने के उद्देश्य से रूस ने पिछले हफ्ते ही यूक्रेन में रूस के समर्थकों को एक अलग देश बना दिया।
- Importance of Ukraine, Why Putin wants Ukraine-
यूक्रेन, यूरोप में रूस के बाद क्षेत्रफल की दृष्टि से दूसरा सबसे बड़ा देश है। जिसके पास अकेले काला सागर ब्लैक सी में 4 बड़े बंदरगाह हैं, इसके साथ साथ यूक्रेन नाटो के चार सदस्य देशों के साथ अपनी सीमा साझा करता है। रूस चाहता है कि नाटो की सेनाएं यूक्रेन कभी न पहुंचे जिस कारण यूक्रेन, रूस और पश्चिमी देशों के बीच एक बफर स्टेट बन कर रहे।
- Effect of War on Ukraine-
अगर युद्ध होता है, तो रूस के आगे यूक्रेन टिक ही भी पाएगा और रूस बड़ी आसानी से यूक्रेन को अपने में मिला लेगा। लेकिन उसके बाद उत्पन्न होने वाली समस्याएं दुनिया की मुश्किलें बढ़ा देंगी।
यूक्रेन यूरोप में मक्का और गेंहू का बड़ा निर्यातक है, यदि यूक्रेन अनाज का निर्यात नहीं करेगा तो यूरोपीय देशों की स्थिति खराब हो सकती है।
अभी यूक्रेन से आने वाली प्राकृतिक गैस तुर्की, और भूमध्यीय देशों को सस्ती पड़ती है, यदि इन संसाधनों पर रूस का अधिपत्य हो गया, तो प्राकृतिक गैस की कीमतें बढ़ सकती हैं।
- Demands of Russia to avoid War-
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने साफ कहा है कि यदि नाटो के देश उनकी तीन शर्तें मान लें तो युद्ध टाला जा सकता है.
- क्रीमिया, जिसे रूस ने 2014 में यूक्रेन से ही कब्जा किया था, को रूस का हिस्सा माना जाए।
- यूक्रेन कभी भी नाटो का हिस्सा नहीं बनेगा।
- और
- पश्चिमी देश अपनी सेना और हथियार यूक्रेन भेजना बंद करें।
Badiya लिखे हो sir
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