सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

History of Chambal

 चम्बल का इतिहास क्या हैं? ये वो नदी है जो मध्य प्रदेश की मशहूर विंध्याचल पर्वतमाला से निकलकर युमना में मिलने तक अपने 1024 किलोमीटर लम्बे सफर में तीन राज्यों को जीवन देती है। महाभारत से रामायण तक हर महाकाव्य में दर्ज होने वाली चम्बल राजस्थान की सबसे लम्बी नदी है। श्रापित और दुनिया के सबसे खतरनाक बीहड़ के डाकुओं का घर माने जाने वाली चम्बल नदी मगरमच्छों और घड़ियालों का गढ़ भी मानी जाती है। तो आईये आज आपको लेकर चलते हैं चंबल नदी की सेर पर भारत की सबसे साफ़ और स्वच्छ नदियों में से एक चम्बल मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में महू छावनी के निकट स्थित विंध्य पर्वत श्रृंखला की जनापाव पहाड़ियों के भदकला जलप्रपात से निकलती है और इसे ही चम्बल नदी का उद्गम स्थान माना जाता है। चम्बल मध्य प्रदेश में अपने उद्गम स्थान से उत्तर तथा उत्तर-मध्य भाग में बहते हुए धार, उज्जैन, रतलाम, मन्दसौर, भिंड, मुरैना आदि जिलों से होकर राजस्थान में प्रवेश करती है। राजस्थान में चम्बल चित्तौड़गढ़ के चौरासीगढ से बहती हुई कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, करोली और धौलपुर जिलों से निकलती है। जिसके बाद ये राजस्थान के धौलपुर से दक्षिण की ओर

आखिर Indian Students MBBS करने यूक्रेन ही क्यों जाते हैं? Why Ukraine is the prominent choice of Indian Medical Students| #Russiakraineconflict

पिछले 5 दिनों से चली आ रही रूस यूक्रेन युद्ध की बड़ी घटनाओं में भारत के लिए सबसे बुरी खबर यह है कि यूक्रेन की सरकार अब भारतीय छात्रों को यूक्रेन से निकलने के लिए प्रताड़ित कर रही है। यूक्रेन के लिए यह बहुत शर्म की बात है कि जस देश से सबसे ज्यादा विद्यार्थी उनके यहां पढ़ने आते हैं उन्हीं विद्यार्थियों को प्रताड़ित किया जा रहा है लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर भारतीय छात्र यूक्रेन में ही अपनी मेडिकल की पढ़ाई क्यों करना चाहते हैं?

Why Indian goes Ukraine
Why Indian Medical Students go Ukraine

यूक्रेन की सरकार के दस्तावेजों की माने तो यूक्रेन में तकरीबन 23% विद्यार्थी भारत के हैं। जो एक छोटे देश के लिए बहुत बड़ा आंकड़ा है। और इन 23% विद्यार्थियों में सबसे ज्यादा विद्यार्थी मेडिकल के क्षेत्र के हैं। आखिर ऐसा क्यों क्यों भारतीय मेडिकल के छात्र यूक्रेन को अपनी पहली पसंद बनाते हैं भारत को नहीं आज के इस ब्लॉग में हम आपको इन्हीं कारणों के बारे में बताएंगे

  • Low Fee:-
    यूक्रेन में 6 साल के मेडिकल कोर्स की पढ़ाई का तकरीबन खर्चा लगभग 17 लाख रुपए आता है। वहीं भारत में यही खर्चा 70 लाख से 1 करोड़ भी आ जाता है। भारत में मेडिकल की पढ़ाई का खर्चा अत्यधिक होने के कारण भारत के विद्यार्थी यूक्रेन से MBBS करना अधिक उचित समझते हैं। इससे उनके और उनके परिवार को आर्थिक मदद ही मिलती है। गौरतलब है कि भारत में MBBS के लिए एक साल की फीस लगभग 7 से 10 लाख रुपए आती है वहीं यूक्रेन में यही फीस 3 लाख से 4 लाख के बीच ही होती है।

  • No Entrance Exam :-

भारत के मेडिकल कॉलेजेस में प्रवेश पाने के लिए विद्यार्थियों को जहां NEET की परीक्षा पास करना अनिवार्य है, वहीं यूक्रेन में ऐसा कुछ भी नही है। यूक्रेन में विद्यार्थी बिना प्रवेश परीक्षा के ही मेडिकल कॉलेजेस में प्रवेश पा सकते हैं। वहीं भारतीय कॉलेजेस के आरक्षण और फीस का अंतर भारतीय विद्यार्थियों के लिए यूक्रेन एक बेहतर विकल्प उपलब्ध करवाता है।

  • Language:-

भारत में मेडिकल की पढ़ाई English Language में ही हो सकती है, वहीं यूक्रेन में विद्यार्थियों को अपनी सुविधा के अनुसार भाषा चुनने का अवसर मिलता है। विद्यार्थी English, Ukrainian aur Russian में से किसी भी भाषा में पढ़ाई कर सकता है। भारतीय विद्यार्थियों को जब भारत में रह कर इंग्लिश में ही पढ़ाई करनी है तो वो यूक्रेन में रहकर कम खर्चे में वो इंग्लिश में पढ़ाई करने को अधिक तवज्जो देता है।

  • यूक्रेन अपने विद्यार्थियों को अलग-अलग छात्रवृत्ति भी प्रदान करता है। विदेशी छात्र भी आसानी से स्कॉलरशिप प्राप्त कर सकते हैं, जिसकी वजह से यूक्रेन एक बेहतर विकल्प साबित होता है।
  • यूक्रेन से डॉक्टर की पढ़ाई करने के बाद यूरोप के किसी भी देश की नागरिकता मिलने में आसानी होती है, और स्वयं यूक्रेन ही अपने देश की नागरिकता देने को प्राथमिकता देता है। जिस कारण यूक्रेन भारतीय विद्यार्थी अधिक जाते हैं।
  • यूक्रेन में पढ़ाई करने आने वाले छात्रों को यूक्रेन सरकार 50% तक यात्रा किराया में छूट देती है।

  • यूक्रेन में पढ़ाई का माहौल यात्रा का टिकट और रहने के लिए स्थान तीनों ही बहुत सस्ते हैं इसीलिए छात्रों को भारत के बजाय यूक्रेन में पढ़ाई करना अधिक पसंद है।

टिप्पणियाँ

Best From the Author

The Story of Yashaswi Jaiswal

जिस 21 वर्षीय यशस्वी जयसवाल ने ताबड़तोड़ 98* रन बनाकर कोलकाता को IPL से बाहर कर दिया, उनका बचपन आंसुओं और संघर्षों से भरा था। यशस्‍वी जयसवाल मूलरूप से उत्‍तर प्रदेश के भदोही के रहने वाले हैं। वह IPL 2023 के 12 मुकाबलों में 575 रन बना चुके हैं और ऑरेंज कैप कब्जाने से सिर्फ 2 रन दूर हैं। यशस्वी का परिवार काफी गरीब था। पिता छोटी सी दुकान चलाते थे। ऐसे में अपने सपनों को पूरा करने के लिए सिर्फ 10 साल की उम्र में यशस्वी मुंबई चले आए। मुंबई में यशस्वी के पास रहने की जगह नहीं थी। यहां उनके चाचा का घर तो था, लेकिन इतना बड़ा नहीं कि यशस्वी यहां रह पाते। परेशानी में घिरे यशस्वी को एक डेयरी पर काम के साथ रहने की जगह भी मिल गई। नन्हे यशस्वी के सपनों को मानो पंख लग गए। पर कुछ महीनों बाद ही उनका सामान उठाकर फेंक दिया गया। यशस्वी ने इस बारे में खुद बताया कि मैं कल्बादेवी डेयरी में काम करता था। पूरा दिन क्रिकेट खेलने के बाद मैं थक जाता था और थोड़ी देर के लिए सो जाता था। एक दिन उन्होंने मुझे ये कहकर वहां से निकाल दिया कि मैं सिर्फ सोता हूं और काम में उनकी कोई मदद नहीं करता। नौकरी तो गई ही, रहने का ठिकान

Superstar Rajni

 सुपरस्टार कर्नाटक के लोअर मिडल क्लास मराठी परिवार का काला बिलकुल आम कद काठी वाला लड़का सुपर स्टार बना इस का श्रेय निर्देशक बाल चंदर को जाता है।इस बस कंडक्टर में उन्हे कुछ स्पार्क दिखा। उस के बाद उन्होंने शिवाजी राव गायकवाड को एक्टिंग सीखने को कहा और कहे मुताबिक शिवाजीराव ने एक्टिंग सीखी। उस समय दक्षिण में शिवाजी गणेशन नाम के विख्यात स्टार थे। उन के नाम के साथ तुलना न हो इसलिए शिवाजीराव का फिल्मी नामकरण रजनी किया गया।किसी को भी नही लगा होगा की ये शिवाजी उस महान स्टार शिवाजी को रिप्लेस करेगा ! रजनी सर ने अपनी शुरुआत सेकंड लीड और खलनायक के तौर पर की।रजनी,कमला हासन और श्रीदेवी लगभग एकसाथ मेन स्ट्रीम सिनेमा में आए और तीनो अपनी अपनी जगह छा गए।स्क्रीन प्ले राइटिंग में ज्यादा रुचि रखने वाले कमला हासन ने वही पर ज्यादा ध्यान दिया और एक्सपेरिमेंटल मास फिल्मे की।रजनीकांत को पता था साउथ के लोगो को क्या देखना।साउथ के लोग जब थियेटर आते है तब वो दो ढाई घंटे सामने पर्दे पर जो हीरो दिख रहा उस में खुद को इमेजिन करते है ।रजनी जनता के दिलो में छा गए क्युकी वो उन के जैसे दिखते है और काम सुपर हीरो वाले करते

पद्म पुरस्कार 2021| पदम पुरस्कार का इतिहास All about Padam Awards

पद्म पुरस्कार 2021| पदम पुरस्कार का इतिहास All about PADAM AWARDS | 2021 पदम पुरस्कार भारत सरकार द्वारा हर वर्ष गणतंत्र दिवस यानी कि 26 जनवरी की पूर्व संध्या पर दिए जाते हैं। यह पुरस्कार भारत में तीन श्रेणियों में दिया जाता है पदम विभूषण, पदम भूषण और पद्मश्री । यह पुरस्कार देश में व्यक्ति विशेष द्वारा किए गए असाधारण और विशिष्ट सेवा उच्च क्रम की सेवा और प्रतिष्ठित सेवा में अतुलनीय योगदान देने के लिए दिया जाता है। Padam Awards किसके द्वारा दिया जाता है पदम पुरस्कार? पदम पुरस्कार हर साल पदम पुरस्कार समिति द्वारा की गई सिफारिश के आधार पर प्रदान किए जाते हैं। यह समिति हर साल प्रधानमंत्री द्वारा तैयार की जाती है। कोई भी व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को पदम पुरस्कार के लिए नामांकित कर सकता है साथ ही साथ वह खुद के लिए भी नामांकन दाखिल कर सकता है। पदम पुरस्कारों   का इतिहास पदम पुरस्कार जो 1954 में स्थापित किए गए थे, हर साल दिए जाते हैं। विशेष अवसरों जैसे 1978, 1979 और 1993 से 1997 को छोड़ दिया जाए तो पदम पुरस्कार लगभग हर साल प्रदान किए गए हैं। आजादी के बाद भारत सरकार ने समाज में उत्कृष्ट सेवा प