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Book Review: Chitralekha by Bhagwati Charan Verma

 चित्रलेखा – एक दार्शनिक कृति की समीक्षा लेखक: भगवती चरण वर्मा   प्रस्तावना   हिंदी साहित्य के इतिहास में *चित्रलेखा* एक ऐसी अनूठी रचना है जिसने पाठकों को न केवल प्रेम और सौंदर्य के मोह में बाँधा, बल्कि पाप और पुण्य की जटिल अवधारणाओं पर गहन चिंतन के लिए भी प्रेरित किया। भगवती चरण वर्मा का यह उपन्यास 1934 में प्रकाशित हुआ था और यह आज भी हिंदी गद्य की कालजयी कृतियों में गिना जाता है। इसमें दार्शनिक विमर्श, मनोवैज्ञानिक विश्लेषण और सामाजिक यथार्थ का ऐसा संलयन है जो हर युग में प्रासंगिक बना रहता है । मूल विषय और उद्देश्य   *चित्रलेखा* का केंद्रीय प्रश्न है — "पाप क्या है?"। यह उपन्यास इस अनुत्तरित प्रश्न को जीवन, प्रेम और मानव प्रवृत्तियों के परिप्रेक्ष्य में व्याख्यायित करता है। कथा की बुनियाद एक बौद्धिक प्रयोग पर टिकी है जिसमें महात्मा रत्नांबर दो शिष्यों — श्वेतांक और विशालदेव — को संसार में यह देखने भेजते हैं कि मनुष्य अपने व्यवहार में पाप और पुण्य का भेद कैसे करता है। इस प्रयोग का परिणाम यह दर्शाता है कि मनुष्य की दृष्टि ही उसके कर्मों को पाप या पुण्य बनाती है। लेखक...

Vajra in Buddism

 The Dorje (Vajra) is one of the most important ritual objects in Buddhism. It symbolizes indestructibility, power, and the thunderbolt of enlightenment. The term Dorje (རྡོ་རྗེ་, rdo rje) in budhisam corresponds to Vajra in Sanskrit, meaning "diamond" or "thunderbolt."


1. Symbolism of the Dorje


Indestructibility: The Dorje represents the unbreakable nature of enlightenment and the power of wisdom.


Thunderbolt: It symbolizes sudden realization, cutting through ignorance like a flash of lightning.


Union of Wisdom and Compassion: It is often paired with a bell (Drilbu) in rituals, where the Dorje represents skillful means (compassion) and the bell represents wisdom.


2. Structure of the Dorje


It typically has a central sphere with two sets of prongs extending outward.


The prongs can be five-pronged or nine-pronged, symbolizing different aspects of Buddhist teachings.


The central sphere represents the fundamental truth of emptiness (Shunyata).


3. Ritual Uses in Tibetan Buddhism


Meditation & Blessings: Lamas and monks hold the Dorje in ceremonies to invoke spiritual power.


Tantric Practices: It is essential in Vajrayana Buddhism for visualization and mantra recitation.


Exorcisms & Purifications: Used in rituals to dispel negative energies.


Paired with Bell (Drilbu): The Dorje is held in the right hand and the bell in the left, symbolizing the union of masculine (method) and feminine (wisdom) principles.


4. Historical and Mythological Significance


In Buddhist cosmology, the Dorje is linked to Indra, the Hindu god of thunder, who wielded a Vajra as a weapon.


It was later adopted in Buddhism as a symbol of indestructible wisdom.


Guru Padmasambhava, the great Buddhist master who brought Vajrayana Buddhism to Tibet, is often depicted holding a Dorje.


5. Types of Dorje


Single Dorje: Symbolizes single-pointed awareness.


Double Dorje (Visvavajra): Represents stability and the unshakable foundation of enlightenment.


Five-Pronged Dorje: Represents the Five Buddha Families and the transformation of the five negative emotions into wisdom.


The Dorje is an essential object in Buddhist rituals and symbolizes the profound teachings of the Vajrayana path. Let me know if you want details about a specific aspect of it!

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