त्यागपत्र: एक अंतर्मुखी पीड़ा की कहानी जैनेंद्र कुमार का उपन्यास 'त्यागपत्र' भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह उपन्यास मृणाल की कहानी है, जो अपने पति प्रमोद के द्वारा त्याग दी जाती है। कहानी मृणाल के अंतर्मुखी पीड़ा, सामाजिक बंधनों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संघर्ष को दर्शाती है। जैनेंद्र कुमार की लेखन शैली सरल और गहरी है। उन्होंने मृणाल के मन की उलझनों और भावनात्मक जटिलताओं को बहुत ही संवेदनशील तरीके से चित्रित किया है। कहानी में सामाजिक रूढ़ियों और व्यक्तिगत इच्छाओं के बीच का द्वंद्व स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। मृणाल का त्यागपत्र केवल एक शारीरिक त्यागपत्र नहीं है, बल्कि यह उसके आंतरिक संघर्ष और मुक्ति की खोज का प्रतीक है। उपन्यास में प्रमोद का चरित्र भी जटिल है। वह एक ऐसे व्यक्ति के रूप में दिखाया गया है जो सामाजिक दबावों और अपनी कमजोरियों के कारण मृणाल को त्याग देता है। यह उपन्यास उस समय के समाज में महिलाओं की स्थिति और उनके संघर्षों पर प्रकाश डालता है। 'त्यागपत्र' एक ऐसा उपन्यास है जो पाठक को सोचने पर मजबूर करता है। यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता, सामाजि...
Democracy is in Danger!! लोकतंत्र खतरे में है !!! यह हमारे देश की विडम्बना है कि तमिलनाडु के रामेश्वरम की धनुषकोटि में एक नाव चलाने वाले का एक बेटा लोकतंत्र की बदौलत देश की नैया का खवैया बनता है, और उसी बेटे की पुण्यस्मृति में आयोजित कई कार्यक्रमों में अचानक से यह कहा जाने लगा कि लोकतंत्र खतरे में है। पहले उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश और अब भूतपूर्व उप राष्ट्रपति अचानक से चेते और एक असंवैधानिक कदम उठाते हुए सभी को बोलने लगे कि लोकतंत्र विफल हो चुका है , इस देश में लोकतंत्र की हत्या हो चुकी है और लोकतंत्र अपने जीवन की अंतिम श्वाँसों को बड़ी ही अधीरता से गिन रहा है। पाठकों इस घटना ने मुझे अंदर तक झकझोर दिया। यह घटना एक तमाचा थी मेरे जैसे उस प्रत्येक देशवासी के मुँह पर जो यह सोचता था कि भारत विश्व का सबसे बड़ा और शानदार लोकतंत्र है जो हर विभाग में दुनिया की महाशक्तियों को बड़ी टक्कर दे रहा है। उस तमाचे से हृदय में एक ऐसी पीड़ा ह...