महेंद्र सिंह धोनी ने छुपने के लिए वो जगह चुनी, जिस पर करोड़ों आँखें लगी हुई थीं! वो जीज़ज़ की इस बात को भूल गए कि "पहाड़ पर जो शहर बना है, वह छुप नहीं सकता!" ठीक उसी तरह, आप आईपीएल में भी छुप नहीं सकते। कम से कम धोनी होकर तो नहीं। अपने जीवन और क्रिकेट में हर क़दम सूझबूझ से उठाने वाले धोनी ने सोचा होगा, एक और आईपीएल खेलकर देखते हैं। यहाँ वे चूक गए। क्योंकि 20 ओवर विकेट कीपिंग करने के बाद उनके बूढ़े घुटनों के लिए आदर्श स्थिति यही रह गई है कि उन्हें बल्लेबाज़ी करने का मौक़ा ही न मिले, ऊपरी क्रम के बल्लेबाज़ ही काम पूरा कर दें। बल्लेबाज़ी का मौक़ा मिले भी तो ज़्यादा रनों या ओवरों के लिए नहीं। लेकिन अगर ऊपरी क्रम में विकेटों की झड़ी लग जाए और रनों का अम्बार सामने हो, तब क्या होगा- इसका अनुमान लगाने से वो चूक गए। खेल के सूत्र उनके हाथों से छूट गए हैं। यह स्थिति आज से नहीं है, पिछले कई वर्षों से यह दृश्य दिखाई दे रहा है। ऐसा मालूम होता है, जैसे धोनी के भीतर अब खेलने की इच्छा ही शेष नहीं रही। फिर वो क्यों खेल रहे हैं? उनके धुर-प्रशंसक समय को थाम लेना चाहते हैं। वे नश्वरता के विरुद्ध...
Democracy is in Danger!! लोकतंत्र खतरे में है !!! यह हमारे देश की विडम्बना है कि तमिलनाडु के रामेश्वरम की धनुषकोटि में एक नाव चलाने वाले का एक बेटा लोकतंत्र की बदौलत देश की नैया का खवैया बनता है, और उसी बेटे की पुण्यस्मृति में आयोजित कई कार्यक्रमों में अचानक से यह कहा जाने लगा कि लोकतंत्र खतरे में है। पहले उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश और अब भूतपूर्व उप राष्ट्रपति अचानक से चेते और एक असंवैधानिक कदम उठाते हुए सभी को बोलने लगे कि लोकतंत्र विफल हो चुका है , इस देश में लोकतंत्र की हत्या हो चुकी है और लोकतंत्र अपने जीवन की अंतिम श्वाँसों को बड़ी ही अधीरता से गिन रहा है। पाठकों इस घटना ने मुझे अंदर तक झकझोर दिया। यह घटना एक तमाचा थी मेरे जैसे उस प्रत्येक देशवासी के मुँह पर जो यह सोचता था कि भारत विश्व का सबसे बड़ा और शानदार लोकतंत्र है जो हर विभाग में दुनिया की महाशक्तियों को बड़ी टक्कर दे रहा है। उस तमाचे से हृदय में एक ऐसी पीड़ा ह...