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Book Review: Chitralekha by Bhagwati Charan Verma

 चित्रलेखा – एक दार्शनिक कृति की समीक्षा लेखक: भगवती चरण वर्मा   प्रस्तावना   हिंदी साहित्य के इतिहास में *चित्रलेखा* एक ऐसी अनूठी रचना है जिसने पाठकों को न केवल प्रेम और सौंदर्य के मोह में बाँधा, बल्कि पाप और पुण्य की जटिल अवधारणाओं पर गहन चिंतन के लिए भी प्रेरित किया। भगवती चरण वर्मा का यह उपन्यास 1934 में प्रकाशित हुआ था और यह आज भी हिंदी गद्य की कालजयी कृतियों में गिना जाता है। इसमें दार्शनिक विमर्श, मनोवैज्ञानिक विश्लेषण और सामाजिक यथार्थ का ऐसा संलयन है जो हर युग में प्रासंगिक बना रहता है । मूल विषय और उद्देश्य   *चित्रलेखा* का केंद्रीय प्रश्न है — "पाप क्या है?"। यह उपन्यास इस अनुत्तरित प्रश्न को जीवन, प्रेम और मानव प्रवृत्तियों के परिप्रेक्ष्य में व्याख्यायित करता है। कथा की बुनियाद एक बौद्धिक प्रयोग पर टिकी है जिसमें महात्मा रत्नांबर दो शिष्यों — श्वेतांक और विशालदेव — को संसार में यह देखने भेजते हैं कि मनुष्य अपने व्यवहार में पाप और पुण्य का भेद कैसे करता है। इस प्रयोग का परिणाम यह दर्शाता है कि मनुष्य की दृष्टि ही उसके कर्मों को पाप या पुण्य बनाती है। लेखक...

Harry Potter, Hagrid and Father's Day, a blogpost by Abiiinabu

     जो लोग हैरी पॉटर को जानते हैं, उनके लिए एक सवाल है और जो लोग हैरी पॉटर को नहीं जानते तो या तो वो 90 के दशक से पहले पैदा हुए हैं या वो इस दुनिया के नहीं हैं। तो वो लोग पहले किताब पढ़ लें, या अगर ये कठिन काम लग रहा हो तो काम से काम मूवीज तो देख ही लें, नहीं तो शायद मामला ऊपर से चला जाये और मैं ये कतई नहीं चाहता कि पूरी रामायण ख़तम होने के बाद आप मुझसे पूछने कि सीता किसका बाप था ( खीं खीं खीं)।  हाँ तो बात ये हैं कि जे के रोलिंग कि लिखी हैरी पॉटर की  सात किताबों के बाद एक और किताब आई थी जिसका नाम था cursed child।  उसमे एक बात पता चली कि हैरी पॉटर ने हॉगवर्ड्स की लड़ाई के बाद जेनी से शादी कर ली थी और उसके तीन बच्चे हुए।  यहाँ तक सब ठीक है, लेकिन नाम मुझे ऐसे लगे जैसे हैरी पॉटर पता नहीं क्यों ये भूल गया कि उसकी लाइफ में कई लोगों के बीच कुछ ऐसे भी लोग थे जो उसपर भरोसा करते थे। बच्चों के नाम रखे गए थे जेम्स सेरियस पॉटर, एल्बस सेवेरस पॉटर और लूना लिली पॉटर।  शायद इन लोगों का हैरी कि जिंदगी पर व्यापक प्रभाव था।  जेम्स, हैरी के पापा थे जिनको हैरी ने कभी देखा नहीं, सेरियस जेम्स के दोस्त थे और हैरी के गॉडफादर थे जो उसको बचाते बचाते चल बसे, एल्बस हॉगवर्ड्स के प्रिंसिपल थे और सेवेरस उसके माँ के प्रेमी थे जो पूरी ज़िन्दगी हैरी को दुश्मनी दिखा कर उसी को बचाते रहे।  लूना लवगुड हैरी कि दोस्त थी और उसको साथ देती थी तब जब हर्माइनी और रॉन भी नहीं देते थे, लिली हैरी कि माँ का नाम था जो उससे कभी मिल ही नहीं पाई। लेकिन इन सबके बीच एक हैग्रिड भी था जो हैरी को उसकी मौसी की कैद से छुड़ा कर लाया था और हैरी को शुरुआती दिनों में भरोसा दिखता रहा। 

     शायद ये आपको अजीब न लगे लेकिन हैरी को जब सभी पनौती मानते थे तब एक हैग्रिड ही थे जिसने उसपर सबसे पहले भरोसा दिखाया था, ऐसा हैरी ने भी माना है। हैग्रिड ने ही हैरी को एक पिता ही तरह सुविधा दी की वो भी अपनी जीवन में आगे बढे।  एक हैरी ने अपने एक भी बच्चे का नाम हैग्रिड के नाम पर नहीं रखा।  शायद वो ये भूल गया की जिन लोगों को आज वो इतना मानता है वो उसको हैग्रिड की वजह से ही मिले हैं।  अगर उस रात हैरी को लेने हैग्रिड नहीं जाते तो शायद हैरी कभी हॉगवर्ड्स नहीं जा पाता और उन लोगो से नहीं मिल पता जिनको वो आज इतना मानता है। 

        हम लोग भी अपनी अपनी जिंदगी ने हैरी की तरह हैं, जो लोग हमको आगे बढ़ने के रस्ते बताते हैं जिनपर चढ़ कर हम आगे ऊँचाइयों पर बढ़ते हैं जिनकी वजह से आज के हमारे सम्बन्ध और व्यवहार फल फूल रहे हैं उनकी बुनियाद को ही भूल जा रहे हैं।  इंसान कुछ भी शुरू करे कोई भी काम उसको सबसे पहले सिर्फ हौसला चाहिए होता है और जिस हौसले की वजह से उसका काम बढ़ चलता है, वो उसी को भूल जाता है।  एक बार एक लाइन पढ़ी थी कहीं कि "यदि आपने किसी का सच्चे दिल से अच्छा किया हो और बदले में उसी इंसान में आपका बुरा न किया और निश्चित तौर पर आपके अच्छा करने में कोई न कोई कमी रह गई होगी"। हमारे पिता भी उन्ही चुनिंदा लोगों में से होते हैं जो हमेशा आपको दुनिया की अच्छाई  ही दिखाएंगे। हैग्रिड का हैरी और हर्माइनी को समझाना, उनको वही कम्फर्ट जोन देना एक पिता के स्नेह के लक्षण हैं।  भले ही आज हैरी पॉटर दुनिया की सबसे बड़ी किताब ब्रांड है लेकिन ये बेसिक समझ न देना उसकी सबसे बड़ी कमी है।  

         शायद उस दिन हैग्रिड कि जगह हैरी लो लेने कोई और जाता लेकिन हैरी के साथ जितना लगाव हैग्रिड ने निभाया उतना शायद कोई और नहीं पाता।  हैग्रिड ने हैरी का साथ तब दिए जब उसके पास कोई भी नहीं था, जेनी भी नहीं।  शायद हैरी को याद रखना चाहिए था कि बुरे वक़्त में जो साथ देता है वही सच्चा दोस्त है और जो बुरे वक़्त को बदल देता है वही पिता होता है।  हमारे जीवन में पिता का रोले शायद हमको पता भी न हो, लेकिन उनके प्रयासों के बिना हमारे जीवन कि कल्पना भी दुष्कर है। हम कुछ भी काम शुरू करें पिता कभी ये नहीं चाहते कि उसमे व्यवधान पड़े।  कभी वो स्नेप की तरह हमको बुरा बनकर हमारा ही भला करते रहेंगे, कभी अपनी चिंता न करते हुए हमारे लिए अपनी शौक छोड़ देंगे सेरियस की तरह और जब हमारे पास कोई नहीं होगा तब हैग्रिड की तरह हमको हिम्मत देंगे।


हिम्मत देना और समस्या का हल ढूंढने में मदद करना मुझे तो सबसे महत्वपूर्ण लगता है।  आपको क्या लगता है, कमेंट में बताइयेगा ज़रूर।  वैसे हैरी पॉटर न ही बने हम तो अच्छा है, क्यूंकि हैग्रिड यदि अपना फायदा देखता तो उसको उस लकड़ी के जीने के नीचे बनी छोटी सी अलमारी में से कभी निकलता ही नही। 


पितृ दिवस की हार्दिक शुभकामनायें आप सभी को, शायद आप लोग सहमत हों या न हो, यदि सहमत हैं तो धन्यवाद और यदि सहमत नही है तो कमेंट बॉक्स खुला ही है।

-Abiiinabu


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The Story of Yashaswi Jaiswal

जिस 21 वर्षीय यशस्वी जयसवाल ने ताबड़तोड़ 98* रन बनाकर कोलकाता को IPL से बाहर कर दिया, उनका बचपन आंसुओं और संघर्षों से भरा था। यशस्‍वी जयसवाल मूलरूप से उत्‍तर प्रदेश के भदोही के रहने वाले हैं। वह IPL 2023 के 12 मुकाबलों में 575 रन बना चुके हैं और ऑरेंज कैप कब्जाने से सिर्फ 2 रन दूर हैं। यशस्वी का परिवार काफी गरीब था। पिता छोटी सी दुकान चलाते थे। ऐसे में अपने सपनों को पूरा करने के लिए सिर्फ 10 साल की उम्र में यशस्वी मुंबई चले आए। मुंबई में यशस्वी के पास रहने की जगह नहीं थी। यहां उनके चाचा का घर तो था, लेकिन इतना बड़ा नहीं कि यशस्वी यहां रह पाते। परेशानी में घिरे यशस्वी को एक डेयरी पर काम के साथ रहने की जगह भी मिल गई। नन्हे यशस्वी के सपनों को मानो पंख लग गए। पर कुछ महीनों बाद ही उनका सामान उठाकर फेंक दिया गया। यशस्वी ने इस बारे में खुद बताया कि मैं कल्बादेवी डेयरी में काम करता था। पूरा दिन क्रिकेट खेलने के बाद मैं थक जाता था और थोड़ी देर के लिए सो जाता था। एक दिन उन्होंने मुझे ये कहकर वहां से निकाल दिया कि मैं सिर्फ सोता हूं और काम में उनकी कोई मदद नहीं करता। नौकरी तो गई ही, रहने का ठिकान...

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