सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Book Review: Chitralekha by Bhagwati Charan Verma

 चित्रलेखा – एक दार्शनिक कृति की समीक्षा लेखक: भगवती चरण वर्मा   प्रस्तावना   हिंदी साहित्य के इतिहास में *चित्रलेखा* एक ऐसी अनूठी रचना है जिसने पाठकों को न केवल प्रेम और सौंदर्य के मोह में बाँधा, बल्कि पाप और पुण्य की जटिल अवधारणाओं पर गहन चिंतन के लिए भी प्रेरित किया। भगवती चरण वर्मा का यह उपन्यास 1934 में प्रकाशित हुआ था और यह आज भी हिंदी गद्य की कालजयी कृतियों में गिना जाता है। इसमें दार्शनिक विमर्श, मनोवैज्ञानिक विश्लेषण और सामाजिक यथार्थ का ऐसा संलयन है जो हर युग में प्रासंगिक बना रहता है । मूल विषय और उद्देश्य   *चित्रलेखा* का केंद्रीय प्रश्न है — "पाप क्या है?"। यह उपन्यास इस अनुत्तरित प्रश्न को जीवन, प्रेम और मानव प्रवृत्तियों के परिप्रेक्ष्य में व्याख्यायित करता है। कथा की बुनियाद एक बौद्धिक प्रयोग पर टिकी है जिसमें महात्मा रत्नांबर दो शिष्यों — श्वेतांक और विशालदेव — को संसार में यह देखने भेजते हैं कि मनुष्य अपने व्यवहार में पाप और पुण्य का भेद कैसे करता है। इस प्रयोग का परिणाम यह दर्शाता है कि मनुष्य की दृष्टि ही उसके कर्मों को पाप या पुण्य बनाती है। लेखक...

हाइफा युद्ध ! क्या है भारत इजराइल की दोस्ती का ऐतिहासिक राज़ ? Battle of Haifa, A blogpost by Abiiinabu

हाइफा युद्ध !  क्या है भारत इजराइल की दोस्ती का ऐतिहासिक राज़ ? Battle of Haifa

हाल ही में 23 सितंबर को Haifa के युद्ध गई 103 वीं सालगिरह मनाई गई हैं। इस युद्ध का Indiaऔर Israel के अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर बहुत ही गहरा प्रभाव है। जिसने इजरायल को एक यहूदी राष्ट्र बनाने में मदद की थी, और इसी युद्ध के कारण भारत और इजरायल के संबंध इतने गहरे और गहरे होते जा रहे हैं। इतिहास की किताबों में खोलकर देखें तो भारत और इजराइल कई वर्षों से एक दूसरे के परम मित्र बनें रहे हैं। इन संबंधों की इतनी सर गर्मी की वजह हाइफा का युद्ध भी है। जो आज से 103 साल पहले इजराइल के हाइफा शहर में लड़ा गया था। आखिर इस युद्ध की वजह क्या थी? और इसमें भारत का क्या संबंध है? इसी विषय पर आज की चर्चा शुरू करते हैं।    

    वर्ष 1918 मैं तात्कालिक Ottomon Empire का एक राज्य फ़िलिस्तीन हुआ करता था।इस फिलिस्तीनी राज्य में समुद्र के किनारे एक शहर था, जिसका नाम था हाइफ़ा । इसी Haifa शहर को ऑटोमन साम्राज्य से आजादी दिलाने के लिए ब्रिटिश इंडियन आर्मी ने प्रथम विश्वयुद्ध में शत्रुपक्ष के विरुद्ध युद्ध किया था। शत्रु पक्ष जिसमें ऑटोमन साम्राज्य की थल सेना जर्मन सेना और एस्ट्रो हंगेरियन आर्मी सम्मिलित रूप से हाइफा शहर की रक्षा कर रही थी, से युद्ध करते हुए ब्रिटिश भारतीय सेना ने 400 सालों की गुलामी से हाइफा शहर को मुक्त कराया।हाइफा की इस लड़ाई को इतिहास का अंतिम गौरवपूर्ण घुड़सवार युद्ध भी कहा जाता है। “The Last Great Cavalry Campaign in History”.

  • कैवेलरी क्या होती है?

कैवेलरी का अर्थ होता है - घुड़सवार सैनिक। एक घुड़सवार सैनिक का, सबसे मुख्य हथियार 12-15 फिट लम्बा भाला होता है। जिसे Lance भी कहते हैं। इसलिए कैवेलरी  को प्रायः Lancers भी कहा जाता है।

      प्रथम विश्व में अंग्रेजों की तरफ से भारतीय सेना के कई सैनिकों ने हिस्सा लिया। हाइफा के युद्ध में भाग लेने वाले सैनिकों में

15th इम्पीरियल सर्विस की कैवेलरी ब्रिगेड में, 5th कैवेलरी डिवीज़न और डेजर्ट माउंटेड कॉर्प्स के साथ हिस्सा लिया था। 

15th इम्पीरियल सर्विस की कैवेलरी ब्रिगेड तीन भारतीय प्रिंसली स्टेट-

जोधपुर, हैदराबाद और मैसूर की संयुक्त थल सेना से मिलकर बनी थी। 


  • हाइफा शहर इतना महत्वपूर्ण क्यों है? 

    HAIFA शहर इस्राइल का एक पोर्ट सिटी है, जो की समुद्र के किनारे बसा है। जिसकी वजह से यह सेनाओं के यातायात एवं रसद व खाद्य पदार्थों की आवाजाही बड़ी सरलता से कर सकता है। इसी वजह से इसकी अहमियत इतनी अधिक बढ़ जाती है। 


मानचित्र के माध्यम से आप इसकी सामरिक स्थिती को समझ सकते हैं-


  • हाइफा के युद्ध का परिणाम? 

    हाइफा का युद्ध 23 सितम्बर 1918 को लड़ा गया था। जिसमें भारतीय सेना की जीत हुई।

और हाइफा 400 साल से अधिक ऑटोमन साम्राज्य की गुलामी से आजाद हुआ।

इस युद्ध में भारतीय सेना ने मात्र 1 घंटे के अंदर अंदर ऑटोमन साम्राज्य की सेना को धूल चटा दी।

लेकिन जहाँ जंग होती है,वहाँ शहादत भी होती है। इस युद्ध के परिणामस्वरूप

आठ भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए एवं 34 गंभीर रूप से घायल हो गए। ब्रिटिश इम्पेरिअल सेना की

जोधपुर सेना (जिसे जोधपुर लैंसर्स भी कहा जाता है) के सेनापति मेजर दलपत सिंह शेखावत शहीद हो गए। जिन्हें उनकी शहादत के बाद इंडियन ऑर्डर ऑफ मेरि यानी आईओएम से सम्मानित किया गया। 


    हाइफा के युद्ध की याद में ब्रिटिश सरकार ने Leonard Jennings की अगुवाई में तीन मूर्ति स्मारक, तीन मूर्ति चौक एवं तीन मूर्ति भवन बनवाए। ब्रिटिश सरकार में ब्रिटिश आर्मी का जर्नल यही रहता था। तीन मूर्ति भवन में ही रहता था।


आजादी के बाद,तीन मूर्ति भवन।भारत के प्रथम प्रधानमंत्री।पंडित जवाहर लाल नेहरू का आधिकारिक निवास स्थान बना।17 साल के उनके प्रधानमंत्री कार्यकाल के बाद।उन जब उनकी मृत्यु हो गयी।तब उस घर को म्यूजियम में बदल दिया गया।तीन मूर्ति भवन।एवं तीन मूर्ति चौक। ब्रिटिश इंडियन आर्मी के लैंसर्स के संघटकों को प्रदर्शित करता है।जो जोधपुर, हैदराबाद और मैसूर से संबंधित थे। Israel ने हाइफा में हाइफन युद्ध की याद में भारतीय सेना को समर्पित एक स्मारक बनवाया है।


हाइफा के युद्ध में भाग लेने वाली।15 कैवेलरी बाद में भारतीय सेना की 61 वीं कैवेलरी से प्रतिस्थापित कर दी गयी। जो अपना राइजिंग दिवस।23 सितम्बर को हाइफा युद्ध की विजय के उपलक्ष्य में मनाता है।


  • हाइफा के युद्ध का प्रभाव? 

हाइफा के युद्ध के बाद ब्रिटिश सरकार द्वारा Jews को उनके अलग राष्ट्र को दिया गया वादा पूरा होता दिखाई पड़ा।

भारत इजरायल के संबंधों पर सकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिला।

1999 Indo-pak war, Kargil Warमें इजरायल ने भारत को अत्याधुनिक तकनीक उपलब्ध करवाकर अपना पक्ष भारत की ओर मोड़ दिया।

इजरायल में भारत को दूसरा घर मानते हैं।

इजरायली सेना में अनिवार्य सैन्य सेवा के कुछ सालों बाद इजरायली छुट्टी पर भारत ही आते हैं।

 



आपको हमारा आज का पोस्ट कैसा लगा? अगर पसंद आया तो शेयर कीजिये।


धन्यवाद !!!




टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

If you have any doubt please let me know.

Best From the Author

Book Review: Chitralekha by Bhagwati Charan Verma

 चित्रलेखा – एक दार्शनिक कृति की समीक्षा लेखक: भगवती चरण वर्मा   प्रस्तावना   हिंदी साहित्य के इतिहास में *चित्रलेखा* एक ऐसी अनूठी रचना है जिसने पाठकों को न केवल प्रेम और सौंदर्य के मोह में बाँधा, बल्कि पाप और पुण्य की जटिल अवधारणाओं पर गहन चिंतन के लिए भी प्रेरित किया। भगवती चरण वर्मा का यह उपन्यास 1934 में प्रकाशित हुआ था और यह आज भी हिंदी गद्य की कालजयी कृतियों में गिना जाता है। इसमें दार्शनिक विमर्श, मनोवैज्ञानिक विश्लेषण और सामाजिक यथार्थ का ऐसा संलयन है जो हर युग में प्रासंगिक बना रहता है । मूल विषय और उद्देश्य   *चित्रलेखा* का केंद्रीय प्रश्न है — "पाप क्या है?"। यह उपन्यास इस अनुत्तरित प्रश्न को जीवन, प्रेम और मानव प्रवृत्तियों के परिप्रेक्ष्य में व्याख्यायित करता है। कथा की बुनियाद एक बौद्धिक प्रयोग पर टिकी है जिसमें महात्मा रत्नांबर दो शिष्यों — श्वेतांक और विशालदेव — को संसार में यह देखने भेजते हैं कि मनुष्य अपने व्यवहार में पाप और पुण्य का भेद कैसे करता है। इस प्रयोग का परिणाम यह दर्शाता है कि मनुष्य की दृष्टि ही उसके कर्मों को पाप या पुण्य बनाती है। लेखक...

The Story of Yashaswi Jaiswal

जिस 21 वर्षीय यशस्वी जयसवाल ने ताबड़तोड़ 98* रन बनाकर कोलकाता को IPL से बाहर कर दिया, उनका बचपन आंसुओं और संघर्षों से भरा था। यशस्‍वी जयसवाल मूलरूप से उत्‍तर प्रदेश के भदोही के रहने वाले हैं। वह IPL 2023 के 12 मुकाबलों में 575 रन बना चुके हैं और ऑरेंज कैप कब्जाने से सिर्फ 2 रन दूर हैं। यशस्वी का परिवार काफी गरीब था। पिता छोटी सी दुकान चलाते थे। ऐसे में अपने सपनों को पूरा करने के लिए सिर्फ 10 साल की उम्र में यशस्वी मुंबई चले आए। मुंबई में यशस्वी के पास रहने की जगह नहीं थी। यहां उनके चाचा का घर तो था, लेकिन इतना बड़ा नहीं कि यशस्वी यहां रह पाते। परेशानी में घिरे यशस्वी को एक डेयरी पर काम के साथ रहने की जगह भी मिल गई। नन्हे यशस्वी के सपनों को मानो पंख लग गए। पर कुछ महीनों बाद ही उनका सामान उठाकर फेंक दिया गया। यशस्वी ने इस बारे में खुद बताया कि मैं कल्बादेवी डेयरी में काम करता था। पूरा दिन क्रिकेट खेलने के बाद मैं थक जाता था और थोड़ी देर के लिए सो जाता था। एक दिन उन्होंने मुझे ये कहकर वहां से निकाल दिया कि मैं सिर्फ सोता हूं और काम में उनकी कोई मदद नहीं करता। नौकरी तो गई ही, रहने का ठिकान...

The reality of Indexes & Rankings

  बहुत से लोगों की जिज्ञासा रहती है कि यह डीप स्टेट क्या होता है ?  और सच में कोई डीप स्टेट होता है कि नहीं  अभी अमेरिका की नई सरकार जो यूएस एड से पैसे लेने वाले संस्थानों और लोगों के नाम का खुलासा कर रही है यही आपको डीप स्टेट को समझने में बहुत आसानी हो जाएगी  इसके अलावा रॉकफ़ेलर फाउंडेशन, फोर्ड फाउंडेशन जॉर्ज सोरेस का ओपन सोर्स फाउंडेशन और अमेरिकी सरकार का यूएस एड असल में यही डीप स्टेट होता है  मतलब यह की आप स्टेट को अंदर तक हिलाने के लिए बहुत लंबे समय की प्लानिंग करिए  अभी पता चला कि पूरी दुनिया में जो पत्रकारों यानी मीडिया की स्वतंत्रता का रैंकिंग जारी करने वाली एक निजी संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बाउंड्री या पूरे विश्व में हंगर इंडेक्स जारी करने वाली आयरलैंड की  एक क्रिश्चियन मिशनरी संस्था वॉल्ट हंगर स्ट्राइक इन सबको यूएस एंड और रॉकफेलर फाउंडेशन से बहुत मोटा पैसा मिला है  और बदले में इन लोगों ने क्या किया की तीसरी दुनिया के डेमोक्रेटिक देश जैसे भारत ब्राजील वियतनाम में भुखमरी को सोमालिया बांग्लादेश और इथोपिया से भी खराब रैंकिंग दिया और तमाम देशों...

Kohli VS Sontas

 विराट भाई, गियर बदल लो! सैम कोंस्टस वाले मामले पर स्टार स्पोर्ट्स जिस तरह सुबह से कोहली को डिफेंड कर रहा था, उसे देखकर मुझे तरस आ रहा है। दिनभर इस बात की चर्चा करने का क्या तुक बनता है कि ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने कोहली का मज़ाक क्यों बनाया? 10-20 साल पहले के उदाहरण देकर ये बात establish करने का क्या सेंस है कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी भी तो ऐसा करते थे? अरे भाई, ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी ऐसा करते थे, तो क्या इस बात के लिए दुनिया उनकी इज्ज़त करती थी? नहीं, बिल्कुल नहीं। ऑस्ट्रेलियन प्लेयर्स की इसी रवैए की वजह से उनके खिलाड़ी पूरी दुनिया में बदनाम भी थे। रही बात ऑस्ट्रेलियन मीडिया की कोहली को लेकर हार्श होने की, तो भाई, ऑस्ट्रेलियन मीडिया क्या अपने खिलाड़ियों को लेकर हार्श नहीं होता? जिस तरह पर्थ में पहला टेस्ट हारने पर ऑस्ट्रेलिया के टीवी और प्रिंट मीडिया ने अपनी टीम की खिंचाई की, आप वैसी आलोचना की भारत में कल्पना भी नहीं कर सकते। चर्चा तो इस बात पर होनी चाहिए थी कि 36 साल के विराट कोहली को क्या ज़रूरत पड़ी थी कि वो 19 साल के यंग प्लेयर के साथ इस तरह फिज़िकल हो जाएं। वो भी उस खिलाड़ी के स...

आखिर Indian Students MBBS करने यूक्रेन ही क्यों जाते हैं? Why Ukraine is the prominent choice of Indian Medical Students| #Russiakraineconflict

पिछले 5 दिनों से चली आ रही रूस यूक्रेन युद्ध की बड़ी घटनाओं में भारत के लिए सबसे बुरी खबर यह है कि यूक्रेन की सरकार अब भारतीय छात्रों को यूक्रेन से निकलने के लिए प्रताड़ित कर रही है। यूक्रेन के लिए यह बहुत शर्म की बात है कि जस देश से सबसे ज्यादा विद्यार्थी उनके यहां पढ़ने आते हैं उन्हीं विद्यार्थियों को प्रताड़ित किया जा रहा है लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर भारतीय छात्र यूक्रेन में ही अपनी मेडिकल की पढ़ाई क्यों करना चाहते हैं? Why Indian Medical Students go Ukraine यूक्रेन की सरकार के दस्तावेजों की माने तो यूक्रेन में तकरीबन 23% विद्यार्थी भारत के हैं। जो एक छोटे देश के लिए बहुत बड़ा आंकड़ा है। और इन 23% विद्यार्थियों में सबसे ज्यादा विद्यार्थी मेडिकल के क्षेत्र के हैं। आखिर ऐसा क्यों क्यों भारतीय मेडिकल के छात्र यूक्रेन को अपनी पहली पसंद बनाते हैं भारत को नहीं आज के इस ब्लॉग में हम आपको इन्हीं कारणों के बारे में बताएंगे Low Fee:-      यूक्रेन में 6 साल के मेडिकल कोर्स की पढ़ाई का तकरीबन खर्चा लगभग 17 लाख रुपए आता है। वहीं भारत में यही खर्चा 70 लाख से 1 करोड़ भी आ जाता ह...