चित्रलेखा – एक दार्शनिक कृति की समीक्षा लेखक: भगवती चरण वर्मा प्रस्तावना हिंदी साहित्य के इतिहास में *चित्रलेखा* एक ऐसी अनूठी रचना है जिसने पाठकों को न केवल प्रेम और सौंदर्य के मोह में बाँधा, बल्कि पाप और पुण्य की जटिल अवधारणाओं पर गहन चिंतन के लिए भी प्रेरित किया। भगवती चरण वर्मा का यह उपन्यास 1934 में प्रकाशित हुआ था और यह आज भी हिंदी गद्य की कालजयी कृतियों में गिना जाता है। इसमें दार्शनिक विमर्श, मनोवैज्ञानिक विश्लेषण और सामाजिक यथार्थ का ऐसा संलयन है जो हर युग में प्रासंगिक बना रहता है । मूल विषय और उद्देश्य *चित्रलेखा* का केंद्रीय प्रश्न है — "पाप क्या है?"। यह उपन्यास इस अनुत्तरित प्रश्न को जीवन, प्रेम और मानव प्रवृत्तियों के परिप्रेक्ष्य में व्याख्यायित करता है। कथा की बुनियाद एक बौद्धिक प्रयोग पर टिकी है जिसमें महात्मा रत्नांबर दो शिष्यों — श्वेतांक और विशालदेव — को संसार में यह देखने भेजते हैं कि मनुष्य अपने व्यवहार में पाप और पुण्य का भेद कैसे करता है। इस प्रयोग का परिणाम यह दर्शाता है कि मनुष्य की दृष्टि ही उसके कर्मों को पाप या पुण्य बनाती है। लेखक...
Canada returns Indian Heritage after 100 Years| माता अन्नपूर्णा देवी की प्रतिमा की घर वापसी
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा माता अन्नपूर्णा देवी की 100 साल पुराना मूर्ति जिसे चुराकर कनाडा ले जाएगा था, वापस उत्तर प्रदेश सरकार को दे दिया जाएगा।Mata Annpurna 100 year Old Sclupture |
प्राचीन मूर्ति को एक भव्य समारोह द्वारा वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित किया जाएगा।
साथी साथ भारत सरकार के संस्कृति एवं पर्यटन मंत्रालय प्रमुख श्री जी किशन रेड्डी ने यह भी कहा है कि भारत की उन सभी मूर्तियों को वापस ले लिया जाएगा जो औपनिवेशिक काल में यहां से गैरकानूनी तरीके से चुराई गई थी। 1975 से 2021 तक 55 मूर्तियां वापस भारत लाई जा चुकी है जिनमें से 42 साल 2014 से 2021 के बीच ही लाई गई हैं।
वर्तमान समय में 157 मूर्तियां एवं चित्र विदेशों में पहचान लिए गए हैं जिन्हे भारत से गैरकानूनी तरीके से ले जाया गया था। भारत सरकार अपनी विरासत को वापस पाने के लिए सिंगापुर, ऑस्ट्रेलि,या स्विट्ज़रलैंड और बेल्जियम जैसे देशों से वार्तालाप कर रही है और अकेले अमेरिका से ही 100 से अधिक मूर्तियां वापस लाने का प्रयास कर रही है।
- माता अन्नपूर्णा देवी की वापसी
हाल ही में श्री जी किशन रेडी द्वारा एक टूट किया गया है जिसमें उन्होंने बताया कि मां अन्नपूर्णा देवी जी घर वापसी हुई है और उन्हें उन उनके निर्धारित स्थान पर जो काशी विश्वनाथ मंदिर है, में स्थापित कर दिया जाएगा।
मूर्ति कनाडा से नई दिल्ली और नई दिल्ली से अयोध्या होते हुए बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर में पहुंचाई जाएगी।
- कैसे चोरी हुई थी माता अन्नपूर्णा देवी की प्रतिमा
1913 में Norman Mackenzie जो कनाडा का एक वकील था. वह भारत आया था और घूमते घूमते वह काशी विश्वनाथ मंदिर में पहुंचा। काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित देवी अन्नपूर्णा की प्रतिमा को देखकर वह मंत्रमुग्ध हो गया और यह बोलने लगा कि यह मूर्ति उसके घर में होती तो वह सौभाग्यशाली होता। उसकी बात वहां एक चोर ने सुन ली और चोर ने मैकेंजी को ऑफर दिया।
ऑफर के तहत चोर को मंदिर से मूर्ति चुराकर मैकेंजी को सौंपनी थी, और बदले में उसे कुछ पैसे मिलते।
इस तरह यह मूर्ति भारत से कनाडा चली गई।
- मूर्ति कैसे वापस आई
बीते वर्षों में मकान जी न्यूज़ में काम करने वाली दवा मेरा नाम की एक प्रवासी भारतीय महिला ने इस मूर्ति को देखा। दिव्या मेरा समय ही एक मूर्तिकार हैं जब उन्होंने इस मूर्ति को देखा तो उन्हें यह आभास हुआ कि निश्चित तौर को यह मूर्ति भारत से चुरा कर लाए गई है और जब उन्होंने इसके बारे में अध्यन किया तो उनका शक सच साबित हुआ। उन्होंने Mackenzie म्यूजियम के साथ-साथ भारत सरकार और कनाडा की सरकार को यह मूर्ति वापस देने के लिए प्रेरित किया इस प्रकार एक अप्रवासी भारतीय के द्वारा यह मूर्ति फिर से अपने घर वापस लौट आई है।
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