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Book Review: Chitralekha by Bhagwati Charan Verma

 चित्रलेखा – एक दार्शनिक कृति की समीक्षा लेखक: भगवती चरण वर्मा   प्रस्तावना   हिंदी साहित्य के इतिहास में *चित्रलेखा* एक ऐसी अनूठी रचना है जिसने पाठकों को न केवल प्रेम और सौंदर्य के मोह में बाँधा, बल्कि पाप और पुण्य की जटिल अवधारणाओं पर गहन चिंतन के लिए भी प्रेरित किया। भगवती चरण वर्मा का यह उपन्यास 1934 में प्रकाशित हुआ था और यह आज भी हिंदी गद्य की कालजयी कृतियों में गिना जाता है। इसमें दार्शनिक विमर्श, मनोवैज्ञानिक विश्लेषण और सामाजिक यथार्थ का ऐसा संलयन है जो हर युग में प्रासंगिक बना रहता है । मूल विषय और उद्देश्य   *चित्रलेखा* का केंद्रीय प्रश्न है — "पाप क्या है?"। यह उपन्यास इस अनुत्तरित प्रश्न को जीवन, प्रेम और मानव प्रवृत्तियों के परिप्रेक्ष्य में व्याख्यायित करता है। कथा की बुनियाद एक बौद्धिक प्रयोग पर टिकी है जिसमें महात्मा रत्नांबर दो शिष्यों — श्वेतांक और विशालदेव — को संसार में यह देखने भेजते हैं कि मनुष्य अपने व्यवहार में पाप और पुण्य का भेद कैसे करता है। इस प्रयोग का परिणाम यह दर्शाता है कि मनुष्य की दृष्टि ही उसके कर्मों को पाप या पुण्य बनाती है। लेखक...

Goa Puchtach

 GOA पूछताछ क्या है ?


गोवा पूछताछ 1560 - 1820 तक गोवा में लागू की गई थी। इसका मतलब लगभग 260 साल। यहाँ गोवा पूछताछ की मुख्य झलकियाँ हैं।


1. गोवा में संस्कृत, मराठी, कोकणी भाषा साहित्य और हिन्दू धर्म ग्रन्थ का दहन किया जा रहा था!


2. हिन्दू परिवारों में जब किसी बच्चे की माँ या पिता मर जाते थे तो बच्चों को चर्च और पादरी ले जाते थे और ईसाई धर्म में परिवर्तित कर देते थे। कभी कभी चर्च के लोग उनके परिवार की सम्पत्ति भी जब्त कर लेते थे!


3. गाँव के सभी अधिकारी ईसाई होने चाहिए थे, हिन्दू गाँव के लोग अधिकारी होने लायक नहीं थे!


4. हिन्दुओं को ग्राम सभाओं में निर्णय लेने का अधिकार नहीं था! निर्णय लेने का अधिकार केवल ईसाइयों को था, केवल ईसाई धर्म में उनके लिये था!


5. कोर्ट में हिन्दुओं के दिए सबूत वैध नहीं थे, गवाही देने का अधिकार केवल ईसाइयों को था, उनके दिए सबूत वैध होते थे!


6. जहाँ जहाँ हिन्दू मंदिर थे, उन्हें तुरंत तोड़ दिया जाना चाहिए था! मंदिर तोड़ कर उस जगह चर्च बनाते थे!


7. हिन्दुओं के लिए हिन्दू मूर्तियाँ रखना बहुत बड़ा अपराध था! हिन्दू अगर अपने घरों में मूर्तियाँ रखें तो उनकी सारी संपत्ति और पैसा चर्च वाले छीन लेते थे। हिन्दू अपने त्यौहार और अच्छे कार्यों को न मनाये!


8. सभी गोवा को कोकणी, अपनी मातृभाषा नहीं बोलना चाहिए, सभी को केवल पुर्तगाली ही बोलना चाहिए!


9. फ्रांसिस जेवियर ने हिंदुओं को सम्बोधित करते हुए कहा "हिन्दू एक जाति है जो अशुद्ध है। वे काले और बदसूरत होते हैं। हिन्दू जिन मूर्तियों को पूजते हैं वो शैतान हैं। वे मूर्तियां तेल और गंदे गंध की तरह है"।


10. अगर पुर्तगालियों के कहे अनुसार ईसाई धर्म नहीं अपनाते तो हिंदुओं पर तरह तरह के अत्याचार करते। इनमें खासकर हिन्दू को जिंदा रहते जलाया जा रहा था। जीते जी चमड़ी झुकाई धमनियों में तेज वस्तुओं से घाव मारना। कीलों का छुरा घोंपना और हिन्दुओं को रस्सियों से मारना और उनकी जीभ काट देना। जले लोहे के छए से आँखो की रोशनी खो रही थी। जिन हिन्दुओं ने अपना धर्म नहीं बदला उनके पैर और हाथ तोड़ रहे थे।


11. घरों में भगवान की मूर्ति रखने पर हिन्दुओं को होगी दस साल तक की जेल।


12. हिन्दू के घर तुलसी का पौधा होना गुनाह है। कोठी पहनना और धोती पहनना भी अपराध है। इनको भी जेल की सजा है!


13. पादरी विसारी एंटोनियो डी नोराहा ने गोवा पूछताछ के हिस्से के रूप में एक नया कानून पेश किया। हिन्दू मंदिर उस कानून के अनुसार बन्द होना चाहिए। नये मंदिर नहीं बनने चाहिए। पुराने मंदिरों की मरम्मत नहीं करनी चाहिए। इसी तरह हिन्दू मंदिरों में सोना और पैसा चर्च के कब्जे में आना चाहिए!


14. इसी पादरी ने 1620 में कानून बनाया था कि हिन्दू शादी करना अपराध है, ईसाई धर्म में परिवर्तित हो जाए तो शादी करें या आजीवन अविवाहित रहे। इनकी योजना है कि धर्म परिवर्तन न करने वाले हिन्दू बिना बच्चों के विलुप्त हो जायेंगे।


15. इस गोवा इंक्विजीशन एक्ट में लगभग 300 वर्षों से ऊपर बताये गये अत्याचार हिन्दुओं पर होते रहे हैं।


इस क्रूर कानून के कारण हजारों हिन्दुओं ने जबरन ईसाई धर्म अपनाया। हजारों हिन्दुओं को जिंदा जला कर फांसी दी गयी और कई लोगों ने अपना घर और संपत्ति खो दी थी। हजारों हिन्दू मंदिर तोड़े गए!


16. और कुछ हिन्दू इन ईसाई धर्म कट्टरपंथीयों द्वारा की गई हिंसा बर्दाश्त नहीं कर पाते थे, गोवा छोड़कर भगवान की मूर्ति को गर्भ में लेकर दूसरी जगह चले जाते!


अगर हम गोवा में अब देखें, तो उन चर्चो की नींव हिन्दू कब्रों पर है, कई चर्च जो मंदिरों को ध्वस्त कर बनाए गए हैं!

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