चम्बल का इतिहास क्या हैं? ये वो नदी है जो मध्य प्रदेश की मशहूर विंध्याचल पर्वतमाला से निकलकर युमना में मिलने तक अपने 1024 किलोमीटर लम्बे सफर में तीन राज्यों को जीवन देती है। महाभारत से रामायण तक हर महाकाव्य में दर्ज होने वाली चम्बल राजस्थान की सबसे लम्बी नदी है। श्रापित और दुनिया के सबसे खतरनाक बीहड़ के डाकुओं का घर माने जाने वाली चम्बल नदी मगरमच्छों और घड़ियालों का गढ़ भी मानी जाती है। तो आईये आज आपको लेकर चलते हैं चंबल नदी की सेर पर भारत की सबसे साफ़ और स्वच्छ नदियों में से एक चम्बल मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में महू छावनी के निकट स्थित विंध्य पर्वत श्रृंखला की जनापाव पहाड़ियों के भदकला जलप्रपात से निकलती है और इसे ही चम्बल नदी का उद्गम स्थान माना जाता है। चम्बल मध्य प्रदेश में अपने उद्गम स्थान से उत्तर तथा उत्तर-मध्य भाग में बहते हुए धार, उज्जैन, रतलाम, मन्दसौर, भिंड, मुरैना आदि जिलों से होकर राजस्थान में प्रवेश करती है। राजस्थान में चम्बल चित्तौड़गढ़ के चौरासीगढ से बहती हुई कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, करोली और धौलपुर जिलों से निकलती है। जिसके बाद ये राजस्थान के धौलपुर से दक्षिण की ओर
जयपुर मेट्रो, भारत का छठा मेट्रो सिटी है। जयपुर से पहले भारत में कोलकाता दिल्ली मुंबई बेंगलुरु और गुरुग्राम में ही मेट्रो सेवा उपलब्ध थी। जैसा कि सबको पता ही है कि जयपुर भारत का सबसे ज्यादा घूमा जाने वाला शहर है। जिसे गुलाबी शहर के नाम से भी जाना जाता है। इसी कारण जयपुर को पिंक लाइन स्टेशन के नाम से भी जाना जाता है। जयपुर की मेट्रो दो कारणों से बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है- 1. देश की पहली थ्री एलिवेटेड लाइन 2. और दूसरा इसको बनाने में आने वाला खर्चा क्या आपको पता था कि जयपुर मेट्रो को बनाने के लिए 3150 करोड रुपए का बजट पास हुआ था। यह दोनों खूबियां होने के बाद भी जयपुर मेट्रो बुरी तरह से फेल हो गई। जयपुर मेट्रो बनाने का सबसे बड़ा कारण यह था कि जयपुर शहर में पर्यटकों की भीड़ दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी, औद्योगिकरण हो रहा था और जनसंख्या भी बढ़ रही थी। जिसका असर वहां की ट्रांसपोर्ट लाइन पर जोरो से पड़ रहा था। यातायात को संभालने के लिए और उद्योगों एवं पर्यटकों को आपस में उलझने से बचाने के लिए जयपुर में मेट्रो सेवा का प्रस्ताव लाया गया। साल 2010 में जयपुर मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने जयपुर में मेट