सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Waqt aur Samose

 .. जब समोसा 50 पैसे का लिया करता था तो ग़ज़ब स्वाद होता था... आज समोसा 10 रुपए का हो गया, पर उसमे से स्वाद चला गया... अब शायद समोसे में कभी वो स्वाद नही मिल पाएगा.. बाहर के किसी भोजन में अब पहले जैसा स्वाद नही, क़्वालिटी नही, शुद्धता नही.. दुकानों में बड़े परातों में तमाम खाने का सामान पड़ा रहता है, पर वो बेस्वाद होता है..  पहले कोई एकाध समोसे वाला फेमस होता था तो वो अपनी समोसे बनाने की गुप्त विधा को औऱ उन्नत बनाने का प्रयास करता था...  बड़े प्यार से समोसे खिलाता, औऱ कहता कि खाकर देखिए, ऐसे और कहीं न मिलेंगे !.. उसे अपने समोसों से प्यार होता.. वो समोसे नही, उसकी कलाकृति थे.. जिनकी प्रसंशा वो खाने वालों के मुंह से सुनना चाहता था,  औऱ इसीलिए वो समोसे दिल से बनाता था, मन लगाकर... समोसे बनाते समय ये न सोंचता कि शाम तक इससे इत्ते पैसे की बिक्री हो जाएगी... वो सोंचता कि आज कितने लोग ये समोसे खाकर वाह कर उठेंगे... इस प्रकार बनाने से उसमे स्नेह-मिश्रण होता था, इसीलिए समोसे स्वादिष्ट बनते थे... प्रेमपूर्वक बनाए और यूँ ही बनाकर सामने डाल दिये गए भोजन में फर्क पता चल जाता है, ...

8 Avatars pf Lord Ganesha: गणेश जी के प्रमुख अवतारों के बारे में नहीं जानते होंगे आप

8 Avatars of Lord Ganesha
भगवान गणेश जी ने आठ अवतार कब-कब और कौन-कौनसे से लिए आएये जानते है 8 Avatars of Lord Ganesha के बारे में  
 
आज गौरी पुत्र श्री गणेश जी के प्रमुख 8 अवतारो (8 Avatars of Lord Ganesha) के बारे में जनेगें ! अन्य सभी देवताओं के समान भगवान गणेश ने भी आसुरी शक्तियों के विनाश के लिए विभिन्न अवतार लिए !


श्री गणेश के इन अवतारों का वर्णन गणेश पुराण, मुद्गल पुराण, गणेश अंक आदि ग्रंथो में मिलता हैं ! सभी देवी-देवताओं में प्रथम पूज्य गौरी पुत्र गणेश जी के आठ प्रमुख अवतार हैं ! 
  1. वक्रतुण्ड, 
  2. एकदंत, 
  3. महोदर, 
  4. गजानन, 
  5. लम्बोदर, 
  6. विकट, 
  7. विघ्नराज 
  8. और धूम्रवर्ण !

इन अवतारों के दौरान जिन-जिन राक्षसों के साथ गणेश जी का युद्ध हुआ ! गणेश जी के हाथों राक्षसों के वध की बजाय उन्हें अपनी शरण में लेने का प्रसंग पुराणों में मिलता हैं ! जो सब देवताओं के वरदान से ही पैदा हुए थे ! जानिए 8 Avatars of Lord Ganesha के बारे में -:

 

1. वक्रतुंड अवतार

श्री गणेश जी के आठ प्रमुख अवतार में एक अवतार राक्षस मत्सरासुर का विनाश करने के लिए हुआ था ! राक्षस मत्सरासुर भगवान भोलेनाथ का परम भक्त था ! उसने भगवान भोलेनाथ की उपासना करके ऐसा वरदान पा लिया कि वह किसी भी योनि के प्राणी से डरेगा नहीं !
vakratund
Vakratund
वरदान पाने के बाद राक्षस मत्सरासुर ने देवगुरु शुक्राचार्य की आज्ञा से देवताओं को प्रताडि़त व डराना करना शुरू कर दिया ! उस राक्षस मत्सरासुर के दो पुत्र भी थे ! जिनके नाम सुंदरप्रिय और विषयप्रिय थे ! ये दोनों भी बहुत अत्याचारी थे ! उनके अत्याचार से दु:खी होकर सारे देवता शिव की शरण में पहुंच गए !
शिव ने उन्हें आश्वासन दिया कि वे गणेश का आह्वान करें ! और गणपति वक्रतुंड अवतार लेकर आएंगे ! देवताओं ने आराधना करने पर गणपति ने वक्रतुंड अवतार लिया ! वक्रतुंड भगवान ने मत्सरासुर के दोनों पुत्रों का संहार किया और मत्सरासुर को भी पराजित कर दिया ! वही मत्सरासुर कालांतर में गणपति का भक्त हो गया !

 2. एकदंत अवतार

 महर्षि च्यवन ने अपने तप के बल से मद की रचना की ! वह मद महर्षि च्यवन का पुत्र कहलाया ! मद ने अपने पिता महर्षि च्यवन की आज्ञा से दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य से शिक्षा-दीक्षा शुरू की ! शुक्राचार्य ने महर्षि च्यवन के पुत्र को हर तरह की विद्या में निपुण बनाया !
शिक्षा होने पर मद ने देवताओं का विरोध शुरू कर दिया ! सारे देवताओ को वह प्रताडि़त करने लगा ! च्यवन का पुत्र मद इतना शक्तिशाली हो चुका था कि उसने भगवान शंकर को भी पराजित कर दिया ! इस घोर संकट से परेशान होकर, सारे देवताओं ने मिलकर गौरीपुत्र श्री गणेशजी की आराधना शुरू की !
तब भगवान गणेश एकदंत अवतार में देवताओ के सामने प्रकट हुए ! एकदंत स्वरूप में उनकी चार भुजाएं , एकदंत , तथा बड़ा सा पेट और उनका सिर हाथी के स्वरूप में था ! गणेश के एकदंत स्वरूप में उनके हाथ में पाश, परशु और एक खिला हुआ कमल था !
Ekdant
Ekdant
एकदंत ने देवताओं को अभय वरदान दिया ! और मदासुर को युद्ध में पराजित किया !

3. महोदर अवतार 

जब भगवान शंकर के पुत्र कार्तिकेय ने दैत्य तारकासुर का वध कर दिया ! तो दैत्यो के गुरु शुक्राचार्य ने मोहासुर नाम के दैत्य को अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा-दीक्षा देकर देवताओं के विरुद लड़ने के लिए तैयार किया ! मोहासुर राक्षस से मुक्ति पाने के लिए देवताओं ने भगवान गणेश की आराधना करनी सुरू की !
तब भगवान गणेश ने महोदर अवतार के रूप में अवतार धारण किया ! गणेश जी के इस रूप में “महोदर” अवतार का उदर यानी उनका पेट बहुत बड़ा था ! वे मूषक पर सवार होकर मोहासुर के नगर में युद्ध करने पहुँचे ! दैत्य मोहासुर ने बिना युद्ध किये ही गणपति को अपना आराध्यय स्वीकार कर गणेश जी की शरण मे आ गया !
mahodar
महोदर

4. गजानन अवतार

एक समय जब कुबेर जी भगवान शिव पार्वती के दर्शनार्थ हेतु कैलाश पर्वत पर गए ! वहां पार्वती जी को देखकर कुबेर के मन में कामवासना कर लोभ उत्पन्न हुआ ! उसी लोभ से लोभासुर नामक दैत्य का जन्म हुआ ! वह देत्यों के गुरु शुक्राचार्य की शरण में गया !
उसने अपने गुरु शुक्राचार्य के आदेश पर भगवान शंकर की उपासना शुरू की ! भगवान शंकर लोभासुर की तपश्या से प्रशन्न हो गए ! और उन्होने लोभासुर को निर्भय होने का वरदान दिया ! वरदान पाने के बाद लोभासुर ने तीनो लोकों पर अपना अधिकार कर लिया ! लोभासुर के निर्भय वरदान से खुद शिव को भी अपना कैलाश त्यागना पड़ा !
तब देवतओं के गुरु बृहस्पति ने सारे देवताओं को गणेश जी की उपासना करने की सलाह दी !
gajanan
गजानन
देवताओं की उपासना से प्रसन्न होकर गणेश ने गजानन अवतार के रूप में दर्शन दिए ! और देवताओं को वरदान दिया कि मैं लोभसुर को पराजित करूंगा ! गणेश ने लोभसुर को युद्ध के लिए संदेश भेजा ! शुक्राचार्य की सलाह पर दैत्य लोभासुर ने बिना युद्ध किए ही अपनी पराजय स्वीकार कर ली !

5. लंबोदर अवतार

 जब समुद्रमंथन के समय भगवान विष्णु ने मोहिनी रूपधारण किया तो भगवान शंकर उन पर मोहित हो गए ! उसी समय भगवान शंकर का शुक्र स्खलित हुआ, उस शुक्र से एक काले रंग के दैत्य की उत्पत्ति हुई ! उस दैत्य का नाम था क्रोधासुर !
दैत्य क्रोधासुर ने सूर्य की तपश्या करके उनसे ब्रह्मांड पर विजय पाने का वरदान पा लिया ! क्रोधासुर के ब्रह्मांड पर विजय पाने के वरदान के कारण सारे देवता उससे भयभीत हो गए ! वो ब्रह्मांड की सारी शक्तीयो से युद्ध करने के लिए निकल पड़ा !
तब भगवान गणेश ने अपना विराट लंबोदर अवतार का रूप धारण कर क्रोधासुर को रोक लिया ! क्रोधासुर को समझाया और उसे ये आभास दिलाया कि वो संसार में कभी भी ब्रह्मांड पर विजय नहीं पा सकता ! क्रोधासुर ने अपना ब्रह्मांड पर विजयी अभियान रोककर हमेशा के लिए पाताल लोक में चला गया !
लम्बोदर
लम्बोदर

6. विकट अवतार (8 Avatars of Lord Ganesha)

एक बार दानव जलंधर के विनाश के लिए भगवान विष्णु ने उसकी पत्नी वृंदा का सतीत्व भंग किया ! सतीत्व भंग होने के बाद उससे एक पुत्र उत्पन्न हुआ ! वह दैत्य कामासुर के नाम से जाना जाने लगा ! कामासुर भगवान शिव की आराधना में लीन हो गया !
दैत्य कामासुर की भक्ति से प्रसन्न होकर शिव ने वरदान मांगने को कहा ! उसने भगवान शिव से त्रिलोक विजय का वरदान मांग लिया ! इसके बाद दैत्य कामासुर अन्य दैत्यों की तरह ही देवताओं पर अत्याचार करने शुरू कर दिए .
तब सारे देवताओं ने मिलकर भगवान गणेश का ध्यान किया ! तब भगवान गणेश ने 8 Avatars of Lord Ganesha विकट अवतार रूप का लिया !

 विकट रूप में भगवान गणेश जी मोर पर विराजित होकर देवताओं के सामने प्रगट हुए ! उन्होंने देवताओं को अभय वरदान देकर कामासुर को पराजित किया ! 

 

7. विघ्नराज अवतार 
एक बार पार्वती जी अपनी सखियों के साथ ब्रहमण कर रही थी ! अपनी सखियों से बातचीत के दौरान एकाएक वो जोर से हंस पड़ीं ! पार्वती जी की हंसी से एक विशाल पुरुष की उत्पत्ति हुई। माता पार्वती ने उसका नाम “मम” रख दिया !

उत्पत्त पुरुष माता पार्वती की आज्ञा से वन में तप के लिए चला गया ! वहीं उस उत्पत्त पुरुष “मम” की मुलाकात शम्बरासुर नाम के दैत्य से हुई ! दैत्य शम्बरासुर ने उसे कई आसुरी विद्धयाये सीखाई !

शम्बरासुर ने “मम” को भगवान गणेश की तपस्या करने को कहा ! मम ने भगवान गणेश को अपनी तपस्या से प्रसन्न कर ब्रह्मांड का राज करने का वरदान मांग लिया ! भगवान गणेश ने मम को मांगा हुवा वरदान दे दिया !

फिर दैत्य शम्बरासुर ने उसका विवाह अपनी पुत्री मोहिनी के साथ कर दिया !
 


आगे चल कर मम ममासुर के नाम से विख्यात हुवा ! दैत्यो के गुरु शुक्राचार्य ने मम के तप के बारे में जानकारी मिली ! तो मम को दैत्यराज के पद पर विभूषित कर दिया ! वरदान मिलने के कारण ममासुर ने भी दैत्यो की तरह अत्याचार करने शुरू कर दिए !

और उसने सारे देवताओं को बंदी बनाकर अपने कारागार में डाल दिया ! तब देवताओं ने गणेश की उपासना की ! भगवान गणेश ने लिया ! और उन्होंने विघ्नराज अवतार के रूप में ममासुर का मान मर्दन करके देवताओं को ममासुर के बंदी गृह से छुड़वाया।

 

8. धूम्रवर्ण अवतार (8 Avatars of Lord Ganesha)
 

एक समय भगवान ब्रह्माजी ने सूर्य भगवान को कर्म राज्य का स्वामी बना दिया ! राजा बनते ही सूर्य भगवान को घमंड हो गया ! सूर्य भगवान को एक बार अचानक छींक आ गई और उस छींक से एक दैत्य की उत्पत्ति हुई ! उस छींक से उत्पन्न उस दैत्य उसका नाम अहम पड़ा !

वो दैत्यो के गुरु शुक्राचार्य के पास गया और उन्हें अपना गुरु बना लिया ! अब उस अहम नाम के दैत्य का नाम गुरु शुक्राचार्य ने अहंतासुर में बदल दिया ! कालांतर में अहंतासुर ने खुद का अपना एक निजी राज्य बसा लिया !

और भगवान गणेश की तपस्या करने लगा ! तपस्या से प्रसन्न करके भगवान गणेश से वरदान प्राप्त कर लिए ! उसने भी वरदान पाने के बाद देवताओ पर बहुत अत्याचार और अनाचार किया !

उस के बढ़ते और से दु:खी होकर देवताओ ने गणेशजी की आराधना की !
 

देवताओ की आराधना सुनकर गणेशजी ने धूम्रवर्ण अवतार के रूप लिया ! इस अवतार मे उनका वर्ण धुंए जैसा था ! वे बहुत ही विकराल स्वरूप में थे ! उनके एक हाथ में भीषण पाश था ! जिसमें से बहुत ही भयंकर ज्वालाएं निकल रही थीं ! गणेशजी के इस धूम्रवर्ण अवतार ने अहंतासुर का पराभाव किया ! गौरी पुत्र श्री गणेश जी ने उसे युद्ध में हराकर उसे अपनी भक्ति प्रदान की !

 

आप सभी को गणेश चतुर्थी की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं ! भगवान गणेशजी आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करें ! एवं आपके एवं आपके परिवार वालों को दीर्घायु प्रदान करें ! और अन धन का भंडार हमेशा आपके यहां भरे रहे !

 

गौरी पुत्र श्री गणेश जी के आठ प्रमुख अवतार की जानकारी आपको कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताना !

टिप्पणियाँ

Best From the Author

The Vinod Kambli Strory

 कल रात से सचिन और कांबली के अपने गुरु रमाकांत आचरेकर के श्रद्धांजलि समारोह में मिलने के वीडियो वायरल हैं जहां सचिन का स्वैग और कांबली की बेबसी साफ दिख रही थी। मन में कई बातें आईं और अभी फुरसत में लिख रहा कल की बात को आगे बढ़ाता हूं। जहां तक मुझे याद है , कांबली और सचिन पहली बार खबरों में तब आए थे जब दोनों ने कोई स्कूल क्रिकेट पार्टनरशिप 664 रनों की थी और उसमें कांबली के रन सचिन से ज्यादा थे। सचिन को रणजी और इंटरनेशनल में पहले मौका मिला। सचिन ने भुनाया। पर मौका कांबली को भी मिला बहुत कम लोगों को याद होगा कि रणजी में कांबली का पहला शॉट ही बाउंड्री था। 1991 -92 में कांबली को वनडे में डेब्यू का मौका मिला और ठीक ठाक प्रदर्शन करके कांबली ने अपनी जगह टीम में बनाए रखी। 1992 विश्वकप टीम में भी ये थे और शायद 5 मैच खेले थे और 30 रन भी टोटल नहीं थे 92 विश्वकप का मुझे याद है कि अजहर और शास्त्री वगैरा कह रहे थे कि कांबली बहुत चुलबुला और पार्टी पसंद आदमी है। तड़क भड़क पसंद है। कई तस्वीरें मुझे कांबली की मस्ती करती याद हैं जो मीडिया में दिखी थीं। वहीं सचिन शांत रहते दिखाई देते थे। फर्क यहीं से दि...

EX PM Manmohan Singh's Demise

  मनमोहन सिंह जी का भारत के प्रधानमंत्री पद तक पहुँचना एक बड़ी और महत्वपूर्ण घटना थी क्योंकि वे भारत विभाजन के बाद पाकिस्तान से विस्थापित हुए परिवार से थे। एक विस्थापित परिवार के व्यक्ति का प्रधानमंत्री पद तक पहुँचना भारतीय लोकतंत्र की मजबूती का प्रमाण है।      सिंह साहब का जन्म वर्तमान पाकिस्तान के चकवाल जिले में हुआ था। आजादी के बाद हुए विभाजन के बाद पाकिस्तान से लुट पिट कर भारत की ओर भागते लगभग डेढ़ करोड़ पीड़ित हिंदुओं सिक्खों का हिस्सा थे वे। तब उनकी आयु लगभग 16 साल की रही होगी। उन्होंने उन्नीसवीं सदी में हुई सबसे बड़ी बर्बरता को अपनी आंखों से देखा और भोगा था।      पाकिस्तानी जनता ने उधर के अल्पसंख्यकों के साथ कैसा व्यवहार किया था, यह बताने की कोई विशेष आवश्यक्ता नहीं। उस खूनी इतिहास के रङ्ग से हजारों किताबों के पन्ने लाल हैं। इतिहास का सामान्य विद्यार्थी भी उस अत्याचार को याद कर के सिहर उठता है।      मैंने कई बार सोचा है, जिस आतंक से भयभीत हो कर सिंह साहब के परिवार को अपनी मिट्टी छोड़ कर भागना पड़ा, उसी आतंक के साये में जी रहे शेष ...

The Story of Yashaswi Jaiswal

जिस 21 वर्षीय यशस्वी जयसवाल ने ताबड़तोड़ 98* रन बनाकर कोलकाता को IPL से बाहर कर दिया, उनका बचपन आंसुओं और संघर्षों से भरा था। यशस्‍वी जयसवाल मूलरूप से उत्‍तर प्रदेश के भदोही के रहने वाले हैं। वह IPL 2023 के 12 मुकाबलों में 575 रन बना चुके हैं और ऑरेंज कैप कब्जाने से सिर्फ 2 रन दूर हैं। यशस्वी का परिवार काफी गरीब था। पिता छोटी सी दुकान चलाते थे। ऐसे में अपने सपनों को पूरा करने के लिए सिर्फ 10 साल की उम्र में यशस्वी मुंबई चले आए। मुंबई में यशस्वी के पास रहने की जगह नहीं थी। यहां उनके चाचा का घर तो था, लेकिन इतना बड़ा नहीं कि यशस्वी यहां रह पाते। परेशानी में घिरे यशस्वी को एक डेयरी पर काम के साथ रहने की जगह भी मिल गई। नन्हे यशस्वी के सपनों को मानो पंख लग गए। पर कुछ महीनों बाद ही उनका सामान उठाकर फेंक दिया गया। यशस्वी ने इस बारे में खुद बताया कि मैं कल्बादेवी डेयरी में काम करता था। पूरा दिन क्रिकेट खेलने के बाद मैं थक जाता था और थोड़ी देर के लिए सो जाता था। एक दिन उन्होंने मुझे ये कहकर वहां से निकाल दिया कि मैं सिर्फ सोता हूं और काम में उनकी कोई मदद नहीं करता। नौकरी तो गई ही, रहने का ठिकान...

हिंदी साहित्य कहाँ से शुरू करें?

  हिंदी साहित्य कहाँ से शुरू करें?   यह प्रश्न कोई भी कर सकता है, बशर्ते वह हिंदी भाषा और उसके साहित्य में दिलचस्पी रखता हो; लेकिन प्राय: यह प्रश्न किशोरों और नवयुवकों की तरफ़ से ही आता है। यहाँ इस प्रश्न का उत्तर कुछ क़दर देने की कोशिश की गई है कि जब भी कोई पूछे :   हिंदी साहित्य कहाँ से शुरू करें?   आप कह सकें :   हिंदी साहित्य यहाँ से शुरू करें : 1. देवकीनंदन खत्री कृत ‘चंद्रकांता’ 2. प्रेमचंद की समग्र कहानियाँ 3. भगवतीचरण वर्मा का उपन्यास ‘चित्रलेखा’ 4. जैनेंद्र कुमार का उपन्यास ‘त्यागपत्र’ 5. हरिवंश राय ‘बच्चन’ का काव्य ‘मधुशाला’ 6. राहुल सांकृत्यायन कृत ‘वोल्गा से गंगा’ 7. विश्वनाथ मुखर्जी कृत ‘बना रहे बनारस’ 8. यशपाल का उपन्यास ‘दिव्या’ 9. अज्ञेय कृत ‘शेखर एक जीवनी’ और ‘नदी के द्वीप’ 10. धर्मवीर भारती कृत ‘गुनाहों का देवता’ 11. रामधारी सिंह दिनकर का काव्य ‘रश्मिरथी’ 12. पांडेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ की आत्मकथा ‘अपनी ख़बर’ 13. राजकमल चौधरी का उपन्यास ‘मछली मरी हुई’ 14. निर्मल वर्मा का संपूर्ण साहित्य 15. हरिशंकर परसाई का संपूर्ण साहित्य 16. शिवप्रसाद मिश्र ‘र...

Controversy over Indian Cricket Team's Aggressive Behaviour

 ऑस्ट्रेलिया में चल रही टेस्ट सीरीज में भारतीय खिलाड़ियों के आक्रामक व्यवहार को लेकर बहुत चर्चा हो रही है। ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को धक्का देना, उनपर व्यंग्य करना, उन्हें ट्रोल करना... पहली नजर में यह बुरा तो लगता ही है। अपने यहाँ के लोग भी भारतीय खिलाड़ियों की असभ्यता की आलोचना कर रहे हैं।     मुझे लगता है जिन लोगों ने नब्बे के दशक तक ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों का व्यवहार देखा हो, उन्हें भारतीय खिलाड़ियों का व्यवहार बुरा नहीं लगेगा। सौरभ गांगुली के कप्तान बनने से पहले भारतीय खिलाड़ियों के साथ कैसा व्यवहार होता रहा है, वह हमें खूब याद है।      एक बार वेस्टइंडीज के गैरी सोबर्स(या शायद विवियन रिचर्ड्स) ने कहा था- "हम भारत में खेलने कहाँ आते हैं, हम तो केवल इसलिए आते हैं कि यहाँ की लड़कियां सुन्दर हैं।" आप समझ रहे हैं यह कितना अपमानजनक बयान है? भारतीय खिलाड़ियों ने लम्बे समय तक ऐसा तिरस्कार और अपमानजनक बर्ताव झेला है।      क्रिकेट इतिहास में सर्वाधिक अभद्रता ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों ने दिखाई है, और सबसे अधिक भारतीय खिलाड़ियों के विरुद्ध... खिलाड़...