सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Book Review: Chitralekha by Bhagwati Charan Verma

 चित्रलेखा – एक दार्शनिक कृति की समीक्षा लेखक: भगवती चरण वर्मा   प्रस्तावना   हिंदी साहित्य के इतिहास में *चित्रलेखा* एक ऐसी अनूठी रचना है जिसने पाठकों को न केवल प्रेम और सौंदर्य के मोह में बाँधा, बल्कि पाप और पुण्य की जटिल अवधारणाओं पर गहन चिंतन के लिए भी प्रेरित किया। भगवती चरण वर्मा का यह उपन्यास 1934 में प्रकाशित हुआ था और यह आज भी हिंदी गद्य की कालजयी कृतियों में गिना जाता है। इसमें दार्शनिक विमर्श, मनोवैज्ञानिक विश्लेषण और सामाजिक यथार्थ का ऐसा संलयन है जो हर युग में प्रासंगिक बना रहता है । मूल विषय और उद्देश्य   *चित्रलेखा* का केंद्रीय प्रश्न है — "पाप क्या है?"। यह उपन्यास इस अनुत्तरित प्रश्न को जीवन, प्रेम और मानव प्रवृत्तियों के परिप्रेक्ष्य में व्याख्यायित करता है। कथा की बुनियाद एक बौद्धिक प्रयोग पर टिकी है जिसमें महात्मा रत्नांबर दो शिष्यों — श्वेतांक और विशालदेव — को संसार में यह देखने भेजते हैं कि मनुष्य अपने व्यवहार में पाप और पुण्य का भेद कैसे करता है। इस प्रयोग का परिणाम यह दर्शाता है कि मनुष्य की दृष्टि ही उसके कर्मों को पाप या पुण्य बनाती है। लेखक...

नकलऊ के नवाब वाजिद अली शाह


लखनऊ के आख़िरी नवाब साब वाजिद अली शाह पर अनेक पोस्टें लिखी है। जानेआलम से मज़ेदार किरदार इतिहास में ढूँढे ना मिलता। परले दर्जे के नाज़ुकनर्मा औरतबाज़ आदमी रहे थे नवाब साब। हद से जियादा मोटे और अत्यधिक पान तंबाकू खाने से नवाब के सब दांत सड़ गए थे- लेकिन कबाब खाने की उल्फ़त ख़त्म ना हुई थी। इसके चलते नवाब के भक्षण हेतु गलौती कबाब बनाये गये जिन्हें वो सीधे सीधे निगल ले- दांत से चबाने की ज़रूरत ही ना पड़ें।


नवाब वाजिद अली शाह को दो शौक़ सरचढ़े थे- पहला औरतबाज़ी का और दूसरा शायरी करने का। इन दोनों शौक़ों को नवाब साब ने कैसे मिक्स किया- उसकी एक मिसाल देखें हज़रतऐआला।


नवाब ने नई नई रिसाले और नई पलटने बनाई- रिसालों के नाम रखे: बाँका, तिरछा, घनघोर। जवान हसीन शोख़ औरतों की दो पलटन बनाई जिनके नाम रखे अख़्तरी और नादरी।


इन जनाना पलटनों की परेड और उनका अभ्यास नवाब साब ख़ुद अपनी देख रेख में करवाते थे। इन औरतों को पलटन की कमांड देने हेतु नवाब ने ख़ास फ़ारसी शब्दों का गठन किया मसलन इन औरतों को सीधे चलने हेतु कहते- रास्त रौ। पीछे घूमने के लिए कहते- पस बया। लेफ्ट घूमने के लिए कहते- दस्तरचप बग़रीद। 


नवाब साब के ज़नाने में काम करती वाली हुस्नबानो का कहना था- हरम में भी नवाब साब इन्ही शब्दों का इस्तेमाल करते थे।


ख़ैर- नवाब की ये पलटन तब भाग गई जब अंग्रेजों ने हमला किया। नवाब साब ना भाग पाये। कारण- नवाब साब को जूता पहनाने वाली कनीज़ गोरे लंगूरों को देख पहले ही नौ दो ग्यारह हो ली थी। और नवाब साब ख़ुद से जूते कैसे पहनते।


लिहाज़ा नवाब साब को अंग्रेज गिरफ़्तार कर कलकत्ता ले गये!


गिरफ़्तार करने के बाद अंग्रेज अफ़सर नवाब साब से बोला- “पस बया”!

टिप्पणियाँ

Best From the Author

The Story of Yashaswi Jaiswal

जिस 21 वर्षीय यशस्वी जयसवाल ने ताबड़तोड़ 98* रन बनाकर कोलकाता को IPL से बाहर कर दिया, उनका बचपन आंसुओं और संघर्षों से भरा था। यशस्‍वी जयसवाल मूलरूप से उत्‍तर प्रदेश के भदोही के रहने वाले हैं। वह IPL 2023 के 12 मुकाबलों में 575 रन बना चुके हैं और ऑरेंज कैप कब्जाने से सिर्फ 2 रन दूर हैं। यशस्वी का परिवार काफी गरीब था। पिता छोटी सी दुकान चलाते थे। ऐसे में अपने सपनों को पूरा करने के लिए सिर्फ 10 साल की उम्र में यशस्वी मुंबई चले आए। मुंबई में यशस्वी के पास रहने की जगह नहीं थी। यहां उनके चाचा का घर तो था, लेकिन इतना बड़ा नहीं कि यशस्वी यहां रह पाते। परेशानी में घिरे यशस्वी को एक डेयरी पर काम के साथ रहने की जगह भी मिल गई। नन्हे यशस्वी के सपनों को मानो पंख लग गए। पर कुछ महीनों बाद ही उनका सामान उठाकर फेंक दिया गया। यशस्वी ने इस बारे में खुद बताया कि मैं कल्बादेवी डेयरी में काम करता था। पूरा दिन क्रिकेट खेलने के बाद मैं थक जाता था और थोड़ी देर के लिए सो जाता था। एक दिन उन्होंने मुझे ये कहकर वहां से निकाल दिया कि मैं सिर्फ सोता हूं और काम में उनकी कोई मदद नहीं करता। नौकरी तो गई ही, रहने का ठिकान...

Book Review: Chitralekha by Bhagwati Charan Verma

 चित्रलेखा – एक दार्शनिक कृति की समीक्षा लेखक: भगवती चरण वर्मा   प्रस्तावना   हिंदी साहित्य के इतिहास में *चित्रलेखा* एक ऐसी अनूठी रचना है जिसने पाठकों को न केवल प्रेम और सौंदर्य के मोह में बाँधा, बल्कि पाप और पुण्य की जटिल अवधारणाओं पर गहन चिंतन के लिए भी प्रेरित किया। भगवती चरण वर्मा का यह उपन्यास 1934 में प्रकाशित हुआ था और यह आज भी हिंदी गद्य की कालजयी कृतियों में गिना जाता है। इसमें दार्शनिक विमर्श, मनोवैज्ञानिक विश्लेषण और सामाजिक यथार्थ का ऐसा संलयन है जो हर युग में प्रासंगिक बना रहता है । मूल विषय और उद्देश्य   *चित्रलेखा* का केंद्रीय प्रश्न है — "पाप क्या है?"। यह उपन्यास इस अनुत्तरित प्रश्न को जीवन, प्रेम और मानव प्रवृत्तियों के परिप्रेक्ष्य में व्याख्यायित करता है। कथा की बुनियाद एक बौद्धिक प्रयोग पर टिकी है जिसमें महात्मा रत्नांबर दो शिष्यों — श्वेतांक और विशालदेव — को संसार में यह देखने भेजते हैं कि मनुष्य अपने व्यवहार में पाप और पुण्य का भेद कैसे करता है। इस प्रयोग का परिणाम यह दर्शाता है कि मनुष्य की दृष्टि ही उसके कर्मों को पाप या पुण्य बनाती है। लेखक...

The Protocol

 क्या आप जानते हैं भारत में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति राज्यपाल से भी ज्यादा प्रोटोकॉल जजों को हासिल है  केंद्र सरकार या राज्य सरकार इन्हें सस्पेंड या बर्खास्त नहीं कर सकती  उनके घर पुलिस सीबीआई ईडी बगैर चीफ जस्टिस के इजाजत के नहीं जा सकती  यह कितने भी भ्रष्ट हो इनकी निगरानी नहीं की जा सकती उनके फोन या तमाम गजट को सर्वेलेंस पर नहीं रखा जा सकता इसीलिए भारत का हर एक जज खुलकर भ्रष्टाचार करता है घर में नोटों की बोरे भर भरकर  रखता है  और कभी पकड़ में नहीं आता  जस्टिस वर्मा भी पकड  में नहीं आते अगर उनके घर पर आग नहीं लगी होती और एक ईमानदार फायर कर्मचारी ने वीडियो नहीं बनाया होता  सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत क्लीन चिट दे दिया की अफवाह फैलाई जा रही है  दिल्ली हाईकोर्ट ने तुरंत क्लीन चिट दे दिया कि अफवाह  फैलाई जा रही है  टीवी चैनलों पर वी के मनन अभिषेक मनु सिंघवी जैसे बड़े-बड़े वकील कह रहे थे आग तो जनरेटर में लगी थी अंदर कोई गया ही नहीं था तो नोट मिलने का सवाल कैसे उठाता  तरह-तरह की थ्योरी दी जा रही थी  मगर यह लोग भूल गए की आग बुझ...