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Waqt aur Samose

 .. जब समोसा 50 पैसे का लिया करता था तो ग़ज़ब स्वाद होता था... आज समोसा 10 रुपए का हो गया, पर उसमे से स्वाद चला गया... अब शायद समोसे में कभी वो स्वाद नही मिल पाएगा.. बाहर के किसी भोजन में अब पहले जैसा स्वाद नही, क़्वालिटी नही, शुद्धता नही.. दुकानों में बड़े परातों में तमाम खाने का सामान पड़ा रहता है, पर वो बेस्वाद होता है..  पहले कोई एकाध समोसे वाला फेमस होता था तो वो अपनी समोसे बनाने की गुप्त विधा को औऱ उन्नत बनाने का प्रयास करता था...  बड़े प्यार से समोसे खिलाता, औऱ कहता कि खाकर देखिए, ऐसे और कहीं न मिलेंगे !.. उसे अपने समोसों से प्यार होता.. वो समोसे नही, उसकी कलाकृति थे.. जिनकी प्रसंशा वो खाने वालों के मुंह से सुनना चाहता था,  औऱ इसीलिए वो समोसे दिल से बनाता था, मन लगाकर... समोसे बनाते समय ये न सोंचता कि शाम तक इससे इत्ते पैसे की बिक्री हो जाएगी... वो सोंचता कि आज कितने लोग ये समोसे खाकर वाह कर उठेंगे... इस प्रकार बनाने से उसमे स्नेह-मिश्रण होता था, इसीलिए समोसे स्वादिष्ट बनते थे... प्रेमपूर्वक बनाए और यूँ ही बनाकर सामने डाल दिये गए भोजन में फर्क पता चल जाता है, ...

The Legacy of Zinedine Zidane



 जिनेदिन ज़िदान ( हॉट हेडेड लेजेंड)


फ्रांस का महान फुटबॉलर जीदान किसी पहचान का मोहताज नही है। जिदान की जर्नी रंगीन नही थी ! दर असल उस के जर्नी की शुरुआत के बारे में बात भी नही होती।बढ़िया प्लेयर हैं लेकिन उल्टी खोपड़ी का है ! अचानक से गुस्सा हो जाता है यही जिदान के बारे में धारणा थी ।फ्रांस में वो लोकप्रिय था लेकिन फ्रांस के अंदर के फुटबॉल विश्व में आज किसी को रुचि नहीं है।आज से तीस साल पहले का सवाल नहीं आता!!नब्बे के दशक में इटली में सिरी ए लीग में मिलान नाम की दो विख्यात कुख्यात टीम का वर्चस्व था।एक जुवे के तौर पर युवेंटीस टीम जिदान को 1996 में साइन करती है ।पिछले दस साल से बस आलोचना की शिकार बनी इस टीम को जिदान लगातार दो बार सिरी ए टाइटल दिलाता है ! 1997 में बलून डोर की रेस में तीसरे स्थान पर आता है तो दुनिया की नजर में ये लड़का आ जाता है! अगले ही साल 1998 में जिदान फ्रांस की टीम को वर्ल्ड कप दिलाता है और बलून डोर भी दिलवाता है।2000 में फ्रांस को यूरो भी जितवा देता है।फिर लिजेंड्री फुटबॉल क्लब रियाल मैड्रिड जिदान को रिकॉर्ड ब्रेकिंग प्राइस में साइन करती है।2002 में जिदान उन्हे चैंपियंस लीग जितवा देता है।इसी साल वाले फीफा वर्ल्ड कप की शुरुआत में उसे इंजरी हो जाती है और उस के बिना वर्ल्ड फुटबॉल पर उस समय राज करने वाली फ्रांस टीम कुछ नही कर पाती ! 2006 में जिदान घोषणा करता है की इस साल के फीफा वर्ल्ड कप के बाद वो फुटबॉल से सन्यास लेगा ! उस वर्ल्ड कप में सब को बस जिदान दिखता है ! फाइनल मैच में इटालियन डिफेंडर मैटराजी के छाती में अपना सर मार कर रेड कार्ड लेकर वर्ल्ड कप को दुखी नजरो से देखते हुए मैदान से बाहर जाने वाला जिदान भला किसे याद नही है !बाद में वो फ्रांस और रियाल मैड्रिड टीम के मैनेजमेंट में अच्छा काम करता है।


आजकल के लडको का फुटबॉल में करियर जल्दी नजर में आ जाता है।1996 से लेकर 2006 तक ही जिदान का करियर रहा ।इस के बीच उस ने फुटबॉल की दुनिया जीत ली।लंबा और दुबला पतला जिदान का शरीर ना पावर जेनरेट करने लायक था न ही ड्रिबल करने लायक! लेकिन पता नही कैसे इस बंदे की बॉल कंट्रोल लाजवाब थी।फुटबॉल की विख्यात स्किल रूलेट पर उस की महारथ थी। जिदान की ड्रिबलिंग तो विरोधी टीम के प्लेयर भी देख कर दंग रह जाते थे ।मैने जीवन में जितनी भी फुटबॉल देखी है, जिदान जैसी बॉल या गेम कंट्रोल किसी और की नही देखी।ये बंदा पूरी गेम की पेस कंट्रोल करता था । जीदान जब चौबीस साल का था तब भी वैसे ही दिखता था और जब पचास का हुआ तब भी सेम ही दिखता था !! 


दस साल में जिदान ने फ्रांस की टीम को दो बार फीफा फाइनल में पहुंचाया।एक बार फीफा जितवाया।यूरो जितवाया।गोल्डन बूट,बलून डोर सब हासिल किया। एंगर मतलब गुस्से पर नियंत्रण होता तो जिदान के पास आज और दो बलून डोर और एक फीफा वर्ल्ड कप होता ये बात सभी फुटबॉल फैंस जानते है।इस के बावजूद हम जिनेदिन जिदान को ऑल टाइम टॉप टेन में रखते है और मैं तो बकायदा टॉप फाइव में रखती हु ! आप को जलवा देखना है तो 2002 चैंपियंस लीग फाइनल,1998 फीफा फाइनल या फिर 2006 की फीफा क्वार्टर फाइनल मुकाबला देखिए।दुनिया की ऑल टाइम गोट ब्राजील टीम को एक अकेला फ्रेंच टकला बंदा कैसे खून के आंसू रुला दिया है आप अपनी आंखो से देख लेना!!


#ZinedineZidane

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