चित्रलेखा – एक दार्शनिक कृति की समीक्षा लेखक: भगवती चरण वर्मा प्रस्तावना हिंदी साहित्य के इतिहास में *चित्रलेखा* एक ऐसी अनूठी रचना है जिसने पाठकों को न केवल प्रेम और सौंदर्य के मोह में बाँधा, बल्कि पाप और पुण्य की जटिल अवधारणाओं पर गहन चिंतन के लिए भी प्रेरित किया। भगवती चरण वर्मा का यह उपन्यास 1934 में प्रकाशित हुआ था और यह आज भी हिंदी गद्य की कालजयी कृतियों में गिना जाता है। इसमें दार्शनिक विमर्श, मनोवैज्ञानिक विश्लेषण और सामाजिक यथार्थ का ऐसा संलयन है जो हर युग में प्रासंगिक बना रहता है । मूल विषय और उद्देश्य *चित्रलेखा* का केंद्रीय प्रश्न है — "पाप क्या है?"। यह उपन्यास इस अनुत्तरित प्रश्न को जीवन, प्रेम और मानव प्रवृत्तियों के परिप्रेक्ष्य में व्याख्यायित करता है। कथा की बुनियाद एक बौद्धिक प्रयोग पर टिकी है जिसमें महात्मा रत्नांबर दो शिष्यों — श्वेतांक और विशालदेव — को संसार में यह देखने भेजते हैं कि मनुष्य अपने व्यवहार में पाप और पुण्य का भेद कैसे करता है। इस प्रयोग का परिणाम यह दर्शाता है कि मनुष्य की दृष्टि ही उसके कर्मों को पाप या पुण्य बनाती है। लेखक...
Gandhi Jayanti Special महात्मा गांधी के जीवन से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य जो शायद आप ना जानते हो Interesting facts about Gandhiji
Gandhi Jayanti Special महात्मा गांधी के जीवन से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य जो शायद आप ना जानते हो Interesting facts about Gandhiji
ब्रिटिश साम्राज्य से भारत के स्वतंत्रता की लड़ाई में गांधी जी ने अहिंसा का मार्ग अपनाया। वह आज भी अपने परिश्रम, दृढ़ता, एवं उत्साही प्रतिबद्धता के कारण याद किए जाते हैं। उन्हें आदर के साथ महात्मा, बापू एवं राष्ट्रपिता भी कहा जाता है।भारत के गुजरात के एक वैश्य परिवार में जन्मे Mohandas ने लंदन से वकालत की पढ़ाई पूरी की, और दक्षिण अफ्रीका में एक प्रवासी के रूप में अपनी वकालत की तैयारी शुरू की। उन्होंने वहां पर भारतीय समाज के लोगों के लिए समान नागरिक अधिकारों के लिए आंदोलन शुरू किया। वर्ष 1915 में वे भारत लौटे और अपना जीवन भारत के किसानों और मजदूरों के साथ हो रहे अन्याय एवं अत्याचारों से लड़ने में खपाने की तैयारी करने लगे। 5 साल बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता चुने गए और पूरे देश में उन्होंने भारत का राज "स्वराज" की मांग की।
गांधीजी के जीवन के 2 सबसे बड़े आंदोलन जिनमें पहला 1930 का दांडी का नमक सत्याग्रह जिसमें उन्होंने दांडी नामक जगह पर जाकर नमक कानून तोड़ा
एवं 1942 में अंग्रेजों को भारत छोड़ो का नारा देकर भारत छोड़ने पर विवश कर दिया। विभिन्न आंदोलनों के मुखिया होने के कारण गांधीजी की जेल उनका दूसरा घर बन गई थी। उनका सादगी पूर्ण भरा जीवन रहने और खाने में उनकी सादगी और कम से कम उपयोग समय का सदुपयोग एवं सत्य बोलने की कला उन्हें अपने समय के राजनेताओं से काफी आगे खड़ा करती है। उन्होंने जीवन भर चरखे से बना हुआ एक कपड़ा पहनने का निर्णय लिया और नियमित अवसर पर उपवास रखकर अपनी आध्यात्मिक एवं स्वदेशी मानसिकता का परिचय दिया। गांधी जी को पैदल चलने के लिए भी याद किया जाता है ऐसा माना जाता है कि उन्होंने अपने जीवन काल में पृथ्वी की लगभग 2 बार परिक्रमा पूरी कर ली थी।
गांधीजी का आजादी का सपना धार्मिक भावनाओं पर अधिक केंद्रित था लेकिन अंत समय में मुस्लिम राजनेताओं द्वारा एक अलग मुस्लिम राज्य मांगने की जिद पकड़ लेने के कारण भारत का विभाजन तय हो गया। जिसके परिणाम स्वरूप अंग्रेजी हुकूमत ने भारत को दो राष्ट्र थ्योरी के आधार पर हिंदू बहुल राष्ट्र को भारत एवं मुस्लिम बहुल राज्य को पाकिस्तान के रूप में अलग कर दिया। लाखों हिंदू, मुसलमान, और सिक्ख रातो रात अपनी मातृभूमि से अलग हो गए जिस कारण भीषण रक्तपात हुआ। बंगाल और पंजाब में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे आजादी की लड़ाई अब सांप्रदायिक लड़ाई बन चुकी थी। आजादी मिलने की खुशी होने के कारण भी गांधी उस रात नवाखली में दंगे शांत कराने में लगे हुए थे। बंटवारे के समय पाकिस्तान को दिए जा रहे विशेष व्यवहार से क्षुब्ध, बिरला मंदिर में गांधीजी की गोली मारकर हत्या कर दी गई।
2 अक्टूबर को गांधी जी का जन्मदिन होता है। यह दिन भारत में राष्ट्रीय पर्व के रूप में आयोजित किया जाता है। गांधी के चले जाने के इतने वर्ष बाद भी यह दिन अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
आज हम महात्मा गांधी के जीवन से जुड़े कुछ ऐसे रहस्यों को आपके सामने लेकर आएंगे जिन्हें आप शायद ही कभी जानते होंगे।
- Gandhiji का धूम्रपान एवं मांस के साथ प्रयोग
गांधी जी ने अपने जीवन में सिगरेट का भी सेवन किया था। उन्होंने अपने बड़े भाई के साथ सिगरेट शुरू की थी। लेकिन कुछ समय बाद ही उन्हें उसका स्वाद अच्छा नहीं लगा और उन्होंने सिगरेट छोड़ दी। इसी प्रकार एक मुस्लिम दोस्त के कहने पर उन्होंने मांस भी खाया था, क्योंकि उनका मानना था कि अंग्रेज भारत पर इसीलिए राज कर सकते हैं क्योंकि वह मांस खाते हैं। उन्होंने यह सब बातें सत्य पर मेरे प्रयोग नामक अपनी आत्मकथा में लिखी हैं।
- गांधी: एक असफल वकील
शायद बहुत कम लोग यह बात मानने को तैयार होंगे कि इतना महान राजनेता वकालत के मामले में एकदम फिसड्डी था| वह वकालत की अपनी तैयारी अधिक समय तक चालू ना रख सके, क्योंकि उन्हें विटनेस के साथ बहस करना और उससे सवाल पूछना रुचिकर नहीं लगता था| कहा तो यह भी जाता है कि गांधीजी अदालत में अपना भाषण देते समय उनके हाथ पैर कांपने लगते थे।
- गांधी: ब्रिटिश आर्मी का सैनिक
दक्षिण अफ्रीका के अपने शुरुआती दिनों में गांधी ने ब्रिटिश आर्मी में अपनी सेवाएं दी थी। प्रथम विश्व युद्ध के समय भी भारतीय नौजवानों को ब्रिटिश आर्मी की तरफ से लड़ने के लिए प्रेरित करने वाले महात्मा गांधी ही थे। अंग्रेज जनरल ने उन्हें नंगा फकीर, एवं भर्ती करने वाले सार्जेंट की उपाधि दी थी।
- नोबेल पुरस्कार से वंचित
महात्मा गांधी एक शांतिप्रिय इंसान थे। लेकिन यह बहुत विचित्र बात है, कि उन्हें कभी शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित नहीं किया गया। हालांकि उन्हें पांच बार 1937, 1938, 1939, 1947, और 1948 के लिए नामांकित जरूर किया गया था। नॉर्वे के सांसद ने उनके नाम का प्रस्ताव दिया था। 1948 में उन्हें शांति के नोबेल पुरस्कार के लिए चुन लिया गया है, ऐसा सुनने में आ रहा था। लेकिन अंतिम घोषणा से 2 दिन पहले ही गांधी जी की हत्या कर दी गई। जिस कारण नोबेल कमेटी में उस वर्ष शांति का नोबेल पुरस्कार स्थगित कर दिया। प्रोफेसर जैकब मुलर जो नोबेल कमेटी के सलाहकार थे 1937 में कहा था महात्मा गांधी निश्चित रूप से एक संत हैं परंतु वे राजनीतिक भी हैं, इसीलिए हम उन्हें नोबेल पुरस्कार नहीं दे सकते। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि गांधी की देशभक्ति केवल भारतीयों के लिए थी अफ्रीका में भी केवल भारतीय मूल के लोगों की रक्षा के लिए ही उन्होंने आंदोलन किए।
1947 की नोबेल सलाहकार कमेटी में जेम्स अरूप सीप ने गांधी के लिए कई नकारात्मक बातें कहीं जिसमें से मुख यह है कि गांधी के रहते भारत आजाद तो हुआ लेकिन उसक बंटवारा भी हो गया जिससे गांधी की छवि धूमिल हो गई।
हालांकि दलाई लामा के समय नोबेल कमेटी ने माना कि महात्मा गांधी को शांति का नोबेल पुरस्कार ना देना उनकी बहुत बड़ी गलती थी। क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट को सेना में होने के बावजूद और स्पेन के खिलाफ युद्ध लड़ने के बावजूद भी शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया तो गांधी को तो ही दे देना चाहिए था।
- टाइम पर्सन ऑफ द ईयर
Mahatma Gandhi को प्रतिष्ठित Time Magazine ने 1930 में अपने कवर पर शामिल किया था। वह टाइम मैगजीन के कवर पर आने वाले पहले भारतीय थे। और साथ ही साथ टाइम मैगजीन, उन्हें पर्सन ऑफ द सेंचुरी की लिस्ट में दूसरे नंबर पर रखा था।
- ब्रिटेन द्वारा जारी डाक टिकट
महात्मा गांधी का प्रभाव इतना गहरा था की उनके 100वें जन्मदिन पर ब्रिटेन ने उनको सम्मानित करते हुए उनके नाम से एक डाक टिकट चलाया था। जबकि गांधी अपने पूरे जीवन में अंग्रेजों को भारत से भगाने में लगे रहे।
- गांधी का चरखा सबसे महंगा
नवंबर 2013 में Mahatma Gandhi द्वारा प्रयोग में लाया गया चरखा 110000 पाउंड में बिका था। यह चरखा उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में गिरफ्तार होने के बाद पुणे की येरवडा जेल में इस्तेमाल किया था।
- सत्य के साथ गांधी के प्रयोग
महात्मा गांधी ने अपनी आत्मकथा गुजराती में लिखी जिसका अनुवाद उनके पीए ने अंग्रेजी में translate My Experiments with Truth किया उनकी आत्मकथा का शीर्षक सत्य के साथ मेरे प्रयोग है जिसे और पर हार्पर कॉलिंस पब्लिशर द्वारा बीसवीं सदी की 100 सबसे अधिक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक किताबों में चुना गया था।
- महात्मा गांधी : एक विश्वव्यापी राजनेता
भारत में 53 बड़े सड़क एवं भारत के बाहर 48 सड़कों के नाम गांधीजी के नाम पर रखे गए हैं।
- शुक्रवार का इत्तेफाक
महात्मा गांधी के साथ शुक्रवार का बड़ा खेल रहा है। उनका जन्म शुक्रवार के दिन ही हुआ था; भारत को आजादी शुक्रवार के दिन ही मिली थी, और उनकी हत्या भी शुक्रवार के दिन ही हुई।
- गांधी: एक विख्यात लेखक
अपने जीवन के 40 साल संघर्ष में बताने के बावजूद गांधी जी ने लगभग एक करोड़ शब्द लिखे हैं यानी तकरीबन 700 शब्द प्रति दिन। उन्होंने कई राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपनी लेखनी चलाई है जैसे बाल विवाह, मद्यपान निषेध, छुआछूत, सफाई और राष्ट्र निर्माण। उन्होंने कई अंग्रेजी, हिंदी और गुजराती अखबारों के लिए संपादक का कार्य भी किया। दक्षिण अफ्रीका में अपने प्रवास के दौरान उन्होंने हरिजन, इंडियन ओपिनियन और यंग इंडिया जैसे समाचार पत्रों का संपादन किया।
- आस्तिक गांधी
महात्मा गांधी परम आस्तिक थे। सनातन धर्म के वैष्णव संप्रदाय में उनकी अटूट श्रद्धा थी। वह राम का नाम लेकर अपने भाई को दूर भगाते थे। उनका पसंदीदा भजन वैष्णव जन को तेने कहिए आज भी सुना जाता है।
- वर्ण व्यवस्था के कट्टर समर्थक
महात्मा गांधी सनातन धर्म की वर्ण व्यवस्था के कट्टर समर्थक थे। भीमराव अंबेडकर के साथ उनके रिश्ते हमेशा संदेह के घेरे में देखे जाते हैं। एक बार उन्होंने कहा था, जिस प्रकार न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम शाश्वत है उसी प्रकार वर्ण व्यवस्था भी शाश्वत है।
- गांधीजी और सरला देवी चौधरानी
अपने जीवन के मध्य वर्षों में वे बंगाली राष्ट्रवादी चित्रकार एवं कवि रविंद्र नाथ टैगोर की भतीजी के संपर्क में आए एवं उनके मन में उनके लिए कोमल भावनाएं भी जागृत हो उठी। अपने एक मित्र को लिखी चिट्ठी में उन्होंने सरला देवी चौधरी को अपनी आध्यात्मिक पत्नी तक घोषित कर दिया था।
आशा करते हैं आपको हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो कृपया इसे शेयर कीजिए। गांधीजी के तीन बंदर याद है ना बुरा मत देखो, बुरा मत कहो, बुरा मत सुनो लेकिन आज के समय में चौथा बंदर जोड़ लेने की भी जरूरत है वह है बुरा मत करो।
धन्यवाद🙏





interesting and knowledgeable information bhai🥰 keep this good work continue 👏👏
जवाब देंहटाएंHappy b'day Gandhi ji
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