सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

India's Biggest Secret

 11th January, 1966:  The Prime Minister of India, Lal  Bahadur Shastri dies in Tashkent. 24th January, 1966:  India’s top nuclear scientist, Homi Jehangir Baba vanishes. Same month, same mystery. Lal Bahadur Shastri. Homi Jehangir Bhabha. One poisoned in a Soviet villa. One swallowed by French snow. And a nation… too scared to ask why? What if India’s greatest minds were not lost… …but eliminated? Let me lay out some facts. No filters.  No fiction. And then, you decide. You carry the question home. Because some truths don’t scream. They whisper. And they wait. The year of 1964. China tests its first nuclear bomb. The world watches. India trembles. But one man stands tall. Dr. Homi Bhabha. A Scientist.  A Visionary. And may be... a threat. To whom? That is the question. Late 1964. He walks into the Prime Minister’s office. Shastri listens. No filters.  No committees. Just two patriots. And a decision that could change India forever. The year of1965. Sh...

नोबेल पुरस्कार 2021|Nobel Prize 2021

नोबेल पुरस्कार 2021|Nobel Prize 2021

इस साल के नोबेल पुरस्कारों की घोषणा हो चुकी है। हर साल की तरह इस साल भी 6 क्षेत्रों में, नोबेल पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे। जिनमें चिकित्सा, भौतिक शास्त्र, रसायन, साहित्य, शांति, एवं अर्थशास्त्र शामिल हैं।

  • चिकित्सा का Nobel Prize 2021 

इस साल का चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार अमेरिका के David Julius और Ardem Patapautian को दिया गया है।
Nobel Prize Medicine
Source: Office Nobel Prize website

उनको यह पुरस्कार तापमान एवं दाब को शरीर के तंत्रिका तंत्र में पहुंचाने वाले परीक्षकों के क्रियाकलप के पर्यवेक्षण के लिए दिया गया है। [Discovery of the Receptors for Temperature & Touch]
पुरस्कार के स्वरूप उनको 10 मिलीयन स्वीडिश क्रोनर एक प्रशस्ति पत्र एवं एक स्वर्ण पदक दिया जाएगा। 

  • साहित्य का Nobel Prize 2021

वर्ष 2021 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार, अब्दुल रज्जाक गुरनाह  को दिया गया है। उन्हें यह पुरस्कार अपनी समस्त लिख न्यू में उपनिवेशवाद एवं शरणार्थियों की स्थिति को बहुत ही मार्मिक तरीके से प्रस्तुत करने के लिए दिया गया है। उनकी रचनाओं में अफ्रीका एवं यूरोप के सांस्कृतिक आदान-प्रदान का भी वर्णन मिलता है।
Gurnah Nobel
Source: Official Nobel Prize site

अब्दुल रजाक गुरनह का जन्म ब्रिटिश कॉलोनी तंजानिया में जंजीबार द्वीप पर हुआ था। उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा इंग्लैंड में ग्रहण की। उनके अब तक 10 उपन्यास एवं कई कहानियां प्रकाशित हो चुकी हैं। जिनमें से Paradise, Desertion और By the Sea उनकी प्रमुख कृतियां हैं। 
उन्हें Paradise के लिए Booker एवं Whitbread पुरस्कार के लिए नामांकित भी किया गया था।
गौरतलब हो कि साहित्य का पहला पुरस्कार फ्रेंच लेखक Sully Pradhomme को दिया गया था। साहित्य का पहला नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाली महिला स्वीडन की Selma Lagrelöf थी, जिन्हें 1909 में यह पुरस्कार दिया गया था।
साहित्य का नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले एकमात्र भारतीय गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर हैं।

  • भौतिकी का Nobel Prize 2021

इस साल का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार तीन वैज्ञानिकों को दिया गया है-  Syukuro Manave, Klaus Hasselmann और Giorgio Parisi. 
Physics Nobel 2021
Source: Official Website

Syukuru Manabe ने 1960 के दशक में यह बताया कि कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन की वजह से ग्लोबल वार्मिंग बढ़ती है, एवं इसका डेमो करके भी दिखाया था उन्होंने अपने शोध एवं प्रयोगों से यह सिद्ध किया कि कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन आधा कर देने पर वातावरण का तापमान 2.28 डिग्री ठंडा हो जाता है एवं कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन 2 गुना बड देने पर वातावरण का तापमान 2.36 डिग्री सेंटीग्रेड बढ़ जाता है।
Klaus Hasselmann ने लगभग एक दशक बाद एक ऐसा मॉडल तैयार किया जो मानव जाति के Climate में दखल की वजह से होने वाले परिणामों को प्रस्तुत करता है।
Giorgio Parisi ने एक जटिल भौतिकी एवं गणितीय मॉडल तैयार किया जिसकी वजह से ऊपर के शोधकर्ताओं द्वारा दी गई शोधों पर और प्रयोग किए जा सके।
उपरोक्त तीनों वैज्ञानिकों को Climate Change के लिए Solid Scientific Foundation तैयार करने के लिए भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है।
विदित हो कि अल्फ्रेड नोबेल ने अपनी वसीयत में सबसे पहले भौतिक शास्त्र के नोबेल पुरस्कार का ही वर्णन किया है।
भारत में CV Raman भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले वैज्ञानिक थे।

  • रसायन शास्त्र का Nobel Prize 2021

वर्ष 2021 का रसायन शास्त्र का नोबेल पुरस्कार Benzamin List और David W.C. MacMillan को संयुक्त रूप से दिया गया है. 
ChemistryNobel2021
Source: Official Website

सन 2000 से पहले सब यही मानते थे ही केवल दो प्रकार के ही उत्प्रेरक होते हैं- metals or enzymes. लेकिन वर्ष 2000 में इन दोनों वैज्ञानिकों ने अलग अलग तरीके से यह सिद्ध करके दिखाया कि एक तीसरी तरह का उत्प्रेरक (Catalyst) भी Develop किया जा सकता है एवं उन्होंने यह Develop करके भी दिखाया जिसका नाम उन्होंने Asymmetric Organocatalyst रखा. 
यह तीसरी तरीके का catalyst छोटे कार्बनिक अणुओं से मिलकर बनाया जा सकता है जो सस्ता और विषैला भी नहीं है। उनकी यह खोज से फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री में भारी बदलाव आने की पूरी उम्मीद है।

  • शांति का Nobel Prize 2021

वर्ष 2021 का शांति का नोबेल पुरस्कार Maria Ressa Dmitry और Andreyvich Muratov को संयुक्त रूप से प्रदान किया गया है। उन दोनों को यह पुरस्कार जर्नलिज्म के माध्यम से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं लोकतांत्रिक संगठन को मजबूती देने के उनके प्रयासों के लिए दिया जा रहा है।
Nobelpeace2021
Source: Official Website

Maria Ressa फिलीपींस की एक जानी-मानी पत्रकार हैं जिन्होंने फिलीपींस में पत्रकारिता स्वतंत्र खतरे में होने के बावजूद लोकतांत्रिक संगठन को मजबूती देने के लिए कड़े प्रयास किए हैं वर्तमान समय में वे न्यूज़ संगठन Rapper की CEO है।
Maria Ressa को ही वर्ष 2021 का Unesco Guillerno Cano World Press Freedom Prize Award भी दिया गया है.
Maria Ressa ने दक्षिण पूर्व एशिया में आतंकवाद के बढ़ते खतरे को बहुत पहले ही भांप लिया था और उन्होंने इसे अपनी पुस्तकों में भी लिखा है उनकी प्रमुख पुस्तकें हैं-


Dmitriy Andreyvich Muratov रूस के प्रमुख समाचार पत्र Navaya Gazada के Editor- In- Chief है। उन्होंने अपने अखबार के माध्यम से रूस में अभिव्यक्ति की आजादी को बढ़ाया है।
रूस में उनका खबर सरकार विरोधी माना जाता है जिस कारण उनके कई सहयोगियों को हत्या करके मार ही डाला गया। वर्तमान समय में इसे रूस का एकमात्र स्वतंत्र अखबार बोला जाता है।  इनके अखबारों में आपको पुतिन सरकार द्वारा रूस में किए जा रहे अत्याचार एवं घोटालों के बारे में विस्तृत जानकारी मिल सकती है। 

  • अर्थशास्त्र का Nobel Prize 2021

वर्ष 2021 का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार अमेरिका में रह रहे David Card, Joshua Angist एवं Guido Imbens को दिया जा रहा है।

उनको यह पुरस्कार उनके Natural Experiments को अर्थशास्त्र की मूल एवं गुड समस्याओं को समझाने के लिए दिया जा रहा है.
इन तीनों वैज्ञानिकों ने मिलकर कुछ जटिल प्रश्नों के उत्तर खोजें एवं बाकी प्रश्नों के उत्तर खोजने के लिए एक शोध पत्र भी प्रस्तुत किया। 
Economic
Source: Official Website

प्रवासियों के कारण किसी देश में रोजगार की दर किस प्रकार प्रभावित हो रही है?
क्या अधिक पढ़ाई करने से किसी व्यक्ति की भविष्य की आमदनी प्रभावित होती है?
इस प्रकार के कुछ प्रश्न ऐसे हैं जिनका उत्तर देना कठिन है क्योंकि इन सभी प्रश्नों के उत्तर तुलनात्मक रूप से अध्ययन करने के बाद ही दिए जा सकते हैं। नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने यह दिखाया कि Natural Experiments का प्रयोग करके इन प्रश्नों के उत्तर खोजे जा सकते हैं। साथ ही साथ उन्होंने यह भी बताया कि अन्य सभी परिस्थितियों का अध्ययन करने के साथ उस एक परिस्थिति का भी अध्ययन आवश्यक है, जिसकी वजह से कोई भी इंसान अलग तरह का व्यवहार करता है। 







आशा करते हैं कि आपको हमारा आज का यह ब्लॉग पसंद आया होगा अगर आपको यह जानकारी रोचक एवं महत्वपूर्ण लगे तो आप इसको शेयर करना ना भूले।
धन्यवाद🙏

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

If you have any doubt please let me know.

Best From the Author

The Story of Yashaswi Jaiswal

जिस 21 वर्षीय यशस्वी जयसवाल ने ताबड़तोड़ 98* रन बनाकर कोलकाता को IPL से बाहर कर दिया, उनका बचपन आंसुओं और संघर्षों से भरा था। यशस्‍वी जयसवाल मूलरूप से उत्‍तर प्रदेश के भदोही के रहने वाले हैं। वह IPL 2023 के 12 मुकाबलों में 575 रन बना चुके हैं और ऑरेंज कैप कब्जाने से सिर्फ 2 रन दूर हैं। यशस्वी का परिवार काफी गरीब था। पिता छोटी सी दुकान चलाते थे। ऐसे में अपने सपनों को पूरा करने के लिए सिर्फ 10 साल की उम्र में यशस्वी मुंबई चले आए। मुंबई में यशस्वी के पास रहने की जगह नहीं थी। यहां उनके चाचा का घर तो था, लेकिन इतना बड़ा नहीं कि यशस्वी यहां रह पाते। परेशानी में घिरे यशस्वी को एक डेयरी पर काम के साथ रहने की जगह भी मिल गई। नन्हे यशस्वी के सपनों को मानो पंख लग गए। पर कुछ महीनों बाद ही उनका सामान उठाकर फेंक दिया गया। यशस्वी ने इस बारे में खुद बताया कि मैं कल्बादेवी डेयरी में काम करता था। पूरा दिन क्रिकेट खेलने के बाद मैं थक जाता था और थोड़ी देर के लिए सो जाता था। एक दिन उन्होंने मुझे ये कहकर वहां से निकाल दिया कि मैं सिर्फ सोता हूं और काम में उनकी कोई मदद नहीं करता। नौकरी तो गई ही, रहने का ठिकान...

काग के भाग बड़े सजनी

  पितृपक्ष में रसखान रोते हुए मिले। सजनी ने पूछा -‘क्यों रोते हो हे कवि!’ कवि ने कहा:‘ सजनी पितृ पक्ष लग गया है। एक बेसहारा चैनल ने पितृ पक्ष में कौवे की सराहना करते हुए एक पद की पंक्ति गलत सलत उठायी है कि कागा के भाग बड़े, कृश्न के हाथ से रोटी ले गया।’ सजनी ने हंसकर कहा-‘ यह तो तुम्हारी ही कविता का अंश है। जरा तोड़मरोड़कर प्रस्तुत किया है बस। तुम्हें खुश होना चाहिए । तुम तो रो रहे हो।’ कवि ने एक हिचकी लेकर कहा-‘ रोने की ही बात है ,हे सजनी! तोड़मोड़कर पेश करते तो उतनी बुरी बात नहीं है। कहते हैं यह कविता सूरदास ने लिखी है। एक कवि को अपनी कविता दूसरे के नाम से लगी देखकर रोना नहीं आएगा ? इन दिनों बाबरी-रामभूमि की संवेदनशीलता चल रही है। तो क्या जानबूझकर रसखान को खान मानकर वल्लभी सूरदास का नाम लगा दिया है। मनसे की तर्ज पर..?’ खिलखिलाकर हंस पड़ी सजनी-‘ भारतीय राजनीति की मार मध्यकाल तक चली गई कविराज ?’ फिर उसने अपने आंचल से कवि रसखान की आंखों से आंसू पोंछे और ढांढस बंधाने लगी।  दृष्य में अंतरंगता को बढ़ते देख मैं एक शरीफ आदमी की तरह आगे बढ़ गया। मेरे साथ रसखान का कौवा भी कांव कांव करता चला आ...

Waqt aur Samose

 .. जब समोसा 50 पैसे का लिया करता था तो ग़ज़ब स्वाद होता था... आज समोसा 10 रुपए का हो गया, पर उसमे से स्वाद चला गया... अब शायद समोसे में कभी वो स्वाद नही मिल पाएगा.. बाहर के किसी भोजन में अब पहले जैसा स्वाद नही, क़्वालिटी नही, शुद्धता नही.. दुकानों में बड़े परातों में तमाम खाने का सामान पड़ा रहता है, पर वो बेस्वाद होता है..  पहले कोई एकाध समोसे वाला फेमस होता था तो वो अपनी समोसे बनाने की गुप्त विधा को औऱ उन्नत बनाने का प्रयास करता था...  बड़े प्यार से समोसे खिलाता, औऱ कहता कि खाकर देखिए, ऐसे और कहीं न मिलेंगे !.. उसे अपने समोसों से प्यार होता.. वो समोसे नही, उसकी कलाकृति थे.. जिनकी प्रसंशा वो खाने वालों के मुंह से सुनना चाहता था,  औऱ इसीलिए वो समोसे दिल से बनाता था, मन लगाकर... समोसे बनाते समय ये न सोंचता कि शाम तक इससे इत्ते पैसे की बिक्री हो जाएगी... वो सोंचता कि आज कितने लोग ये समोसे खाकर वाह कर उठेंगे... इस प्रकार बनाने से उसमे स्नेह-मिश्रण होता था, इसीलिए समोसे स्वादिष्ट बनते थे... प्रेमपूर्वक बनाए और यूँ ही बनाकर सामने डाल दिये गए भोजन में फर्क पता चल जाता है, ...