सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Book Review: Chitralekha by Bhagwati Charan Verma

 चित्रलेखा – एक दार्शनिक कृति की समीक्षा लेखक: भगवती चरण वर्मा   प्रस्तावना   हिंदी साहित्य के इतिहास में *चित्रलेखा* एक ऐसी अनूठी रचना है जिसने पाठकों को न केवल प्रेम और सौंदर्य के मोह में बाँधा, बल्कि पाप और पुण्य की जटिल अवधारणाओं पर गहन चिंतन के लिए भी प्रेरित किया। भगवती चरण वर्मा का यह उपन्यास 1934 में प्रकाशित हुआ था और यह आज भी हिंदी गद्य की कालजयी कृतियों में गिना जाता है। इसमें दार्शनिक विमर्श, मनोवैज्ञानिक विश्लेषण और सामाजिक यथार्थ का ऐसा संलयन है जो हर युग में प्रासंगिक बना रहता है । मूल विषय और उद्देश्य   *चित्रलेखा* का केंद्रीय प्रश्न है — "पाप क्या है?"। यह उपन्यास इस अनुत्तरित प्रश्न को जीवन, प्रेम और मानव प्रवृत्तियों के परिप्रेक्ष्य में व्याख्यायित करता है। कथा की बुनियाद एक बौद्धिक प्रयोग पर टिकी है जिसमें महात्मा रत्नांबर दो शिष्यों — श्वेतांक और विशालदेव — को संसार में यह देखने भेजते हैं कि मनुष्य अपने व्यवहार में पाप और पुण्य का भेद कैसे करता है। इस प्रयोग का परिणाम यह दर्शाता है कि मनुष्य की दृष्टि ही उसके कर्मों को पाप या पुण्य बनाती है। लेखक...

All About Nobel Awards in Hindi| Nobel Prize History in Hindi| Nobel Prize 2021 in Hindi

All About Nobel Awards in Hindi| Nobel Prize History in Hindi| Nobel Prize 2021 in Hindi

नोबेल पुरस्कार आधुनिक दुनिया में विषय विशेष पर दिया जाने वाला सबसे बड़ा सम्मान एवं पुरस्कार है। यह पुरस्कार स्वीडिश वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की याद में दिया जाता है। जिनका जन्म 21 अक्टूबर 1835 को हुआ था एवं मृत्यु 10 दिसंबर 1896 को हुई थी। उनकी पुण्यतिथि पर उनको सम्मान देते हुए 10 दिसंबर को ही नोबेल पुरस्कारों का वितरण किया जाता है।
Alfred Nobel
Alfred Nobel

अलफ्रेड नोबेल स्वीडन के प्रख्यात वैज्ञानिक थे। उन्होंने अपने जीवन काल में 355 पेटेंट अपने नाम कराए। जिसमें डायनामाइट भी शामिल था। डायनामाइट उस समय सबसे महत्वपूर्ण खोजों में से एक था। क्योंकि डायनामाइट से पहले सारे विस्फोटक पदार्थ तरल होते थे। जिन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना, अत्यंत कठिन एवं साथ ही साथ बेहद हानिकारक भी होता था।
Dynamite
Dynamite

डायनामाइट की बिक्री करके सर अल्फ्रेड नोबेल ने तकरीबन 265 बिलियन अमेरिकी डॉलर की संपत्ति नोबेल फाउंडेशन में दान की थी।
Norwegian Parliament
Norwegian Parliament
नोबेल फाउंडेशन को बनाने की बात उन्होंने अपनी वसीयत में ही लिख दी थी। जिसमें यह लिखा था कि दुनिया भर के विभिन्न वैज्ञानिक एवं महान हस्तियों को उनकी मूल राशि के ब्याज से प्राप्त धनराशि प्रदान की जाए।

  • किस क्षेत्र में दिया जाता है नोबेल पुरस्कार

वर्तमान समय में नोबेल पुरस्कार शांति, साहित्य, भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र, चिकित्सा शास्त्र, एवं अर्थशास्त्र में विश्व का सर्वोच्च पुरस्कार है।
उनकी वसीयत को ध्यान में रखते हुए 29 जून 1900 को उनकी मृत्यु के चौथे साल नोबेल फाउंडेशन की स्थापना की गई। जिसने अगले साल से ही 1901 में अल्फ्रेड नोबेल की याद में, नोबेल पुरस्कार वितरण करना शुरू कर दिया। पहली बार नोबेल पुरस्कारों का आयोजन स्टॉकहोम एवं ओस्लो से किया गया था।

  • क्या-क्या मिलता है Nobel Award में

नोबेल पुरस्कार में 18 कैरेट का स्वर्ण पदक 10 मिलियन स्वीडिश क्रोनर तकरीबन (73.5 भारतीय रुपए) एवं एक प्रशस्ति पत्र दिया जाता है।
Nobel Prize
The Nobel Gold Medel

  • किसके द्वारा दिया जाता है Nobel Award

Nobel Committee
The Norwegian Nobel Committee

नोबेल पुरस्कार स्वीडन की एक कमेटी द्वारा निर्धारित किया जाता है जिसके अंतर्गत वह भौतिकी, रसायन, चिकित्सा, अर्थशास्त्र, एवं साहित्य के क्षेत्र में अग्रणी उम्मीदवारों का चयन करते हैं। केवल शांति का नोबेल पुरस्कार नॉर्वे के ओस्लो में दिया जाता है। नॉर्वेजियन नोबेल समिति यह तय करती है कि पुरस्कार किसे मिलेगा। एवं नॉर्वे की संसद नॉर्वेजियन नोबेल समिति का चयन करती है।

  • Fascinating Facts about Nobel Awards

  • सन 1901 से 2020 तक 597 नोबेल पुरस्कार दिए गए हैं जिनमें से 923 व्यक्ति हैं एवं 27 संगठन है।
  • शांति का पहला नोबेल पुरस्कार 1901 में हेनरी ड्यूनेट को रेड क्रॉस की स्थापना एवं फ्रेंच पीस सोसाइटी की स्थापना करने वाले फ्रेडरिक पैसी को दिया गया था।
  • भौतिकी का नोबेल पुरस्कार 1916, 1931, 1934, 1940, 1941, एवं 1942 में नहीं दिया गया था।
  • रसायन शास्त्र का नोबेल पुरस्कार 1916, 1917, 1919, 1924, 1933, 1940, 1941, एवं 1942 में नहीं दिया गया है।
  • इसी प्रकार चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार 1915, 1916, 1917, 1918, 1921, 1925, 1940, 1941, एवं 1942 में नहीं दिया गया था।
  • साहित्य का नोबेल पुरस्कार 1914, 1918, 1935, 1940, 1941, 1942, एवं 1943 में नहीं दिया गया था।
  • सबसे अधिक बार स्थगित होने वाला पुरस्कार शांति का नोबेल पुरस्कार है जिसे 1914, 1915, 1916, 1918, 1923, 1924, 1928, 1932, 1939, 1940, 1941, 1942, 1943, 1948, 1955, 1956, 1966, 1967, एवं 1972 में नहीं दिया गया था। ऐसा माना जाता है कि 1948 का शांति का नोबेल पुरस्कार महात्मा गांधी को दिया जाना था लेकिन पुरस्कारों की घोषणा से पहले ही उनकी हत्या कर दी गई जिसकी वजह से उस साल का नोबेल पुरस्कार किसी को नहीं दिया गया।
  • John B Goodinf 97 वर्ष की आयु में रसायन शास्त्र में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले सबसे अधिक आयु के व्यक्ति बने थे। 
  • मलाला यूसुफजई को मात्र 17 वर्ष में शांति का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था।
  • अन्य क्षेत्रों में सबसे कम उम्र में पुरस्कार प्राप्त करने वालों में लॉरेंस ब्रैग 1915 भौतिकी, 25 वर्ष, नादिया मुराद 25 वर्ष 2018, शांति फ्रेडरिक जूलियट रसायन शास्त्र 35 वर्ष 1935, फ्रेडरिक Banting चिकित्सा शास्त्र 32 वर्ष 1923, एवं साहित्य में रोडिया ड्रिपिंग को 41 वर्ष की आयु में 1907, शामिल है।
  • Marie Qurie नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाली पहली महिला थी. साथ ही पहली ऐसी हस्ती भी थी जिन्हें दो बार नोबेल पुरस्कार दिया गया. 1903 में भौतिक शास्त्र में उनके योगदान के लिए एवं 1911 में रसायन शास्त्र में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए।
  • Jean Paul Sarte & Le Duc Tho ने पुरस्कार लेने से मना कर दिया था। 
  • Richard Kuh, Adolf Butenad, Gerhard Domgak को Adolf Hitler ने एवं Boris Pastrnak को तात्कालिक USSR सरकार ने नोबेल पुरस्कार ना लेने के लिए बाध्य किया था।
  • कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्हें नोबेल पुरस्कार कब मिला जब वह जेल में बंद थे इनमें से Karl Von Oshietzki, Aung San Suu Kyi और Liu Xiaobo प्रमुख थे।
  • जहां लोगों को एक बार नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने में पूरा जीवन लग जाता है वहीं कुछ महान विभूतियां ऐसी भी हुई हैं जिन्हें अपने जीवन में एक से अधिक बार नोबेल पुरस्कार भी मिला है. J. bardeen, Marie Curie, L. Pauling, F. Sanger, ICRC, UNHCR एवं Red Cross शामिल हैं।



आशा करते हैं आपको यह ब्लॉग पसंद आया होगा अगर आपको यह ब्लॉग अच्छा लगा तो कृपया इसे शेयर कीजिए एवं कमेंट बॉक्स में अपने विचारों को लिखना ना भूलिए.
धन्यवाद🙏

टिप्पणियाँ

Best From the Author

The Story of Yashaswi Jaiswal

जिस 21 वर्षीय यशस्वी जयसवाल ने ताबड़तोड़ 98* रन बनाकर कोलकाता को IPL से बाहर कर दिया, उनका बचपन आंसुओं और संघर्षों से भरा था। यशस्‍वी जयसवाल मूलरूप से उत्‍तर प्रदेश के भदोही के रहने वाले हैं। वह IPL 2023 के 12 मुकाबलों में 575 रन बना चुके हैं और ऑरेंज कैप कब्जाने से सिर्फ 2 रन दूर हैं। यशस्वी का परिवार काफी गरीब था। पिता छोटी सी दुकान चलाते थे। ऐसे में अपने सपनों को पूरा करने के लिए सिर्फ 10 साल की उम्र में यशस्वी मुंबई चले आए। मुंबई में यशस्वी के पास रहने की जगह नहीं थी। यहां उनके चाचा का घर तो था, लेकिन इतना बड़ा नहीं कि यशस्वी यहां रह पाते। परेशानी में घिरे यशस्वी को एक डेयरी पर काम के साथ रहने की जगह भी मिल गई। नन्हे यशस्वी के सपनों को मानो पंख लग गए। पर कुछ महीनों बाद ही उनका सामान उठाकर फेंक दिया गया। यशस्वी ने इस बारे में खुद बताया कि मैं कल्बादेवी डेयरी में काम करता था। पूरा दिन क्रिकेट खेलने के बाद मैं थक जाता था और थोड़ी देर के लिए सो जाता था। एक दिन उन्होंने मुझे ये कहकर वहां से निकाल दिया कि मैं सिर्फ सोता हूं और काम में उनकी कोई मदद नहीं करता। नौकरी तो गई ही, रहने का ठिकान...

The Big Bang Theory| बिग बैंग सिद्धांत

बिग बैंग थ्योरी पृथ्वी पर जीवन की शुरुवात समझने के लिए बहुत महत्वपूर्ण कॉन्सेप्ट है । इस क्षेत्र में भारतीय और वैश्विक वैज्ञानिक दोनों ही काफी शोध चल रहे हैं, ताकि पता चल सके कि ब्रह्मांड की शुरुआत अरबों साल पहले कैसे हुई थी। इस आर्टिकल में आप ब्रीफ में बिग बैंग थ्योरी के बारे में पढ़ेंगे। The Big Bang Theory बिग बैंग थ्योरी क्या है? What is Big Bang Theory ? बिग बैंग थ्योरी ब्रह्मांड का एक खगोल भौतिकी मॉडल है जिसे मानवीय इंद्रियों द्वारा देखा जा सकता है। सिद्धांत अपने आधुनिक दिन के विकास के लिए अपनी प्रारंभिक संरचनाओं से ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में विवरण देता है। बिग बैंग सिद्धांत बताता है कि कैसे ब्रह्मांड ने घटनाओं, विकिरण, प्रकाश तत्वों की एक बहुतायत, और बड़े पैमाने पर संरचनाओं की एक विस्तृत विवरण की पेशकश करके अत्यंत उच्च घनत्व और उच्च तापमान की प्रारंभिक स्थिति से विस्तार किया। What does The Big Bang Theory Tell? बिग बैंग थ्योरी क्या बताता है? बिग बैंग थ्योरी में कहा गया है कि ब्रह्मांड को पर्याप्त रूप से ठंडा करने के लिए कणों के गठन की अनुमति है कि बाद में विस्तार के ...

The Bloodiest Revolution in India's Freedom Movement that you haven't heard of!!!

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में आंदोलन का नाम एक ऐसे बदलाव के रूप में दर्ज है, जो आगे चलकर सामाजिक क्रांति का प्रतीक बन गया। पंजाब से शुरू हुए इस आंदोलन की नींव शालीन व्यक्ति के मालिक सतगुरु राम सिंह नामधारी ने रखी, जो एक धर्मगुरु, आंदोलन के नेतृत्वकर्ता और महिलाओं का उत्थान करने वाले शख्स के रूप में जाने जाते हैं। अपने बहुमुखी व्यक्तित्व के कारण ही वह ब्रिटिश शासन के खिलाफ बड़ा आंदोलन खड़ा करने में समाज की स्थापना की और महिलाओं, खासकर बालिकाओं के रक्षक बनकर उभरे। उन्होंने नारी उद्धार, अंतर्जातीय विवाह व सामूहिक विवाह के साथ- साथ गौरक्षा के लिए जीवन समर्पित कर दिया। नामधारी सिखों की कुर्बानी स्वतंत्रता संग्रम के इतिहास में कूका आंदोलन के नाम से दर्ज है, जिसकी कमान सतगुरु राम सिंह के हाथों में थी 12 अप्रैल, 1857 को लुधियाना के करीब भैणी साहिब में सफेद रंग का स्वतंत्रता का ध्वज फहराकर कूका आंदोलन की शुरुआत हुई। खास बात यह थी कि सतगुरु राम सिंह के अनुयायी सिमरन में लीन रहते हुए आंदोलन को आगे बढ़ाते थे। अंग्रेजों के खिलाफ हुंकार (कूक) करने के कारण उन्हें कूका के नाम से जाना जाने...

Who are Gandharvas?

  Gandharvas were a strong powerful race. Their strength would be at its nadir after sunset. Earlier, when Pandu’s sons were in disguise, after Duryodhan had tried to char them to death, they had a close encounter with Gandharva king Angaraparna in the forest. After days of walking tirelessly they reached the holy river Ganga with Arjun in the lead to show the way. King Angaraparna was sporting in the river waters with his wives. Gandharvas were considered to be stronger than men having strong attachment for wealth and material things. The king was enraged at seeing strangers in the vicinity of his kingdom. He roared at them. He felt that the Ganges and the neighbouring forest Angaraparna was his private abode and no one dare set foot on its soil after sunset. Arjun was angry. How could anyone express ownership on the rivers and the forests! Only the weak submitted to power. This argument angered Angaraparna. He challenged the Pandav to a duel. Arjuna used the Agni weapon given to ...

Kohli VS Sontas

 विराट भाई, गियर बदल लो! सैम कोंस्टस वाले मामले पर स्टार स्पोर्ट्स जिस तरह सुबह से कोहली को डिफेंड कर रहा था, उसे देखकर मुझे तरस आ रहा है। दिनभर इस बात की चर्चा करने का क्या तुक बनता है कि ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने कोहली का मज़ाक क्यों बनाया? 10-20 साल पहले के उदाहरण देकर ये बात establish करने का क्या सेंस है कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी भी तो ऐसा करते थे? अरे भाई, ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी ऐसा करते थे, तो क्या इस बात के लिए दुनिया उनकी इज्ज़त करती थी? नहीं, बिल्कुल नहीं। ऑस्ट्रेलियन प्लेयर्स की इसी रवैए की वजह से उनके खिलाड़ी पूरी दुनिया में बदनाम भी थे। रही बात ऑस्ट्रेलियन मीडिया की कोहली को लेकर हार्श होने की, तो भाई, ऑस्ट्रेलियन मीडिया क्या अपने खिलाड़ियों को लेकर हार्श नहीं होता? जिस तरह पर्थ में पहला टेस्ट हारने पर ऑस्ट्रेलिया के टीवी और प्रिंट मीडिया ने अपनी टीम की खिंचाई की, आप वैसी आलोचना की भारत में कल्पना भी नहीं कर सकते। चर्चा तो इस बात पर होनी चाहिए थी कि 36 साल के विराट कोहली को क्या ज़रूरत पड़ी थी कि वो 19 साल के यंग प्लेयर के साथ इस तरह फिज़िकल हो जाएं। वो भी उस खिलाड़ी के स...