जानिए क्या हैं बीटिंग रिट्रीट समारोह What is Beating the Retreat Ceremony, All about Beating The Retreat
Beating the Retreat भारतीय गणतंत्र की वो ऐतिहासिक परंपरा है जिसके मध्य में भारतीय सेनाओं का शौर्य ही नहीं बल्कि उनका संगीतमय अंदाज भी दिखाई देता है। यह भारतीय सेनाओं थल सेना, नौसेना, वायुसेना एवं भारतीय सुरक्षा बालों का वो अनूठा संगम है जिसमे संगीत की मधुर धुनों पर भारतीय सुरक्षा पहरेदार विजयघोष करते हैं।

बीटिंग द रिट्रीट के साथ ही भारतीय गणतंत्र का आलिशान समारोह समाप्त होता है। जैसा की आप सब जानते ही हैं की भारतीय गणतंत्र का उत्सव 26 जनवरी से शुरू होता है लेकिन इसका समापन 29 जनवरी को बीटिंग द रिट्रीट की सैन्य परेड के साथ समाप्त होता है। वर्ष 1950 से देश में यह परंपरा लगातार चली आ रही है जिसको बहुत ही दुर्लभ मौकों पर रद्द किया गया है। यह सेना की अपनी बैरक में वापसी का प्रतीक है। इसमें सभी सेनाओं के बैंड अपने अपने अंदाज में बाकि सेनाओं के साथ मार्च करते हैं और सेना के सर्वोच्च सेनापति यानि की भारत के राष्ट्रपति को सलामी देते हैं। बीटिंग द रिट्रीट में भारतीय और पश्चिमी धुनों का मिला जुला संगीत बजाया जाता है। वर्ष 2019 में ऐतिहासिक रूप से 25 भारतीय धुनें बजाई गईं जिसके साथ पश्चिमी धुन Abide with me भी बजाई गई थी, और अंत में सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा की लोकप्रिय धुन के साथ इसका समापन किया गया।
Beating the Retreat भारतीय सैन्य बलों के मिलिट्री बैंड्स और पाइप्स एंड ड्रम्स बैंड हिस्सा लेते हैं। तीनों सेनाओं के अलावा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल भी इसमें हिस्सा लेते हैं। बीटिंग द रिट्रीट की ओजस्वी धुनों में आपको वीरता के स्वर, देशभक्ति की तरंगे और भारतीय शक्ति की गूँज एक साथ सुनाई देती है। आखिर हो भी क्यों न , बीटिंग द रिट्रीट भारतीय सेनाओं का विजयघोष जो है।
- कुछ इस प्रकार होता है आयोजन :-
यह आयोजन तीन सेनाओं के एक साथ मिलकर सामूहिक बैंड वादन से आरंभ होता है जो लोकप्रिय मार्चिंग धुनें बजाते हैं। ड्रमर भी एकल प्रदर्शन करते हैं। ड्रमर्स द्वारा एबाइडिड विद मी बजाई जाती है और ट्युबुलर घंटियों द्वारा चाइम्स बजाई जाती हैं, जो काफ़ी दूरी पर रखी होती हैं और इससे एक मनमोहक दृश्य बनता है।
बाद रिट्रीट का बिगुल वादन होता है, जब बैंड मास्टर राष्ट्रपति के समीप जाते हैं और बैंड वापिस ले जाने की अनुमति मांगते हैं। तब सूचित किया जाता है कि समापन समारोह पूरा हो गया है। बैंड मार्च वापस जाते समय लोकप्रिय धुन सारे जहाँ से अच्छा बजाते हैं। ठीक शाम 6 बजे बगलर्स रिट्रीट की धुन बजाते हैं और राष्ट्रीय ध्वज को उतार लिया जाता हैं तथा राष्ट्रगान गाया जाता है और इस प्रकार गणतंत्र दिवस के आयोजन का औपचारिक समापन होता हैं।
- बीटिंग द रिट्रीट का इतिहास :-
दिलों में जोश भरने वाली बीटिंग द रिट्रीट का इतिहास भी कम गौरवमई नहीं है। बीटिंग द रिट्रीट 16वीं शताब्दी के ब्रिटैन की सैन्य परम्परा है जिसका मूल नाम वाच सेटिंग था। 16वीं सदी में ब्रिटैन में सैनिकों का हौसला बढ़ने के लिए शाम के समय 1 गोली चला कर बीटिंग द रिट्रीट की शुआत की जाती थी। वहाँ से शुरू हुई परंपरा आज भारत की सैन्य शक्तियों का अलग अंदाज बन चूका है।
18 जून 1690 में ब्रिटिश राजा जेम्स द्वितीय ने युद्ध से वापिस आने वाली टुकड़ियों को ड्रम बजाने का आदेश दिया था। तभी से ब्रिटैन में बीटिंग द रिट्रीट की परंपरा शुरू हो गई। जब युद्धः के बाद सैन्य टुकड़ियां वापिस अपनी बैरकों में लौटने की तयारी करती थी तो युद्ध के तनाव को कम करने के लिए मिलिट्री बैंड बजाये जाते थे। और ये परंपरा आज भी कायम है। जिसे बीटिंग द रिट्रीट कहा जाता है।
भारत में बीटिंग द रिट्रीट का इतिहास भारतीय गणतंत्र जितना ही पुराना है। भारत में इस समारोह की शुआत वर्ष 1950 से हुई जब भारतीय सेना के Major Roberts ने अपना खुद का बैंड तैयार किया था। जिसमे मिलिट्री बैंड्स, पाइप्स और ड्रम्स के साथ आर्मी की रेजिमेंट्स के अलावा नौसेना और वायुसेना के बैंड्स भी शामिल थे।
हर वर्ष 4 दिनों तक चलने वाले भारतीय गणतंत्र दिवस समारोह का समापन बीटिंग द रिट्रीट से ही होता है। इस समारोह में तीनो सेनाओं के रेजिमेंटल सेंटर और बटालियन हिस्सा लेती हैं। तीनो सेनाओं के बैंड्स मिलकर लोकप्रिय मार्चिंग धुनें बजाते है।
इस सेरेमनी की शुरुआत तीनों सेनाओं के बैंड्स के मार्च के साथ होती है और इस दौरान वह 'कर्नल बोगे मार्च', 'संस ऑफ द ब्रेव' और 'कदम-कदम बढ़ाए जा' जैसी धुनों को बजाते हैं। सेरेमनी के दौरान इंडियन आर्मी का बैंड पारंपरिक स्कॉटिश धुनों और भारतीय धुनों जैसे 'गुरखा ब्रिगेड,' नीर की 'सागर सम्राट' और 'चांदनी' जैसी धुनों को बजाती है। आखिर में आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के बैंड्स एकसाथ परफॉर्म करते हैं।
इसी तरह की सेरेमनी को वर्ष 1982 में देश में संपन्न हुए एशियन गेम्स के दौरान परफॉर्म किया गया था। इंडियन आर्मी के रिटायर्ड म्यूजिक डायरेक्टर स्वर्गीय हैराल्ड जोसेफ, इंडियन नेवी के जेरोमा रॉड्रिग्स और इंडियन एयरफोर्स के एमएस नीर को इस सेरेमनी का श्रेय दिया जाता है।
भारत जमे बीटिंग द रिट्रीट का आयोजन राष्ट्रपति भवन के उत्तर और दक्षिण ब्लॉक्स के बीच रायसीना हिल्स से ऐतिहासिक विजय चौक तक होता है। जिसमे भारतीय राष्ट्रपति मुख्य अतिथि होते है। रायसीना हिल्स में यह आयोजन वर्ष में सिर्फ एक बार ही होता है।
भारत और पाकिस्तान के अमृतसर स्थित वाघा बॉर्डर पर इस सेरेमनी की शुरुआत वर्ष 1959 में की गई थी। सेरेमनी को रोजाना सूरज ढलने से कुछ घंटे पहले परफॉर्म किया जाता है।अट्टारी बॉर्डर पर होने वाली इस सेरेमनी में बीएसएफ और पाकिस्तान रेंजर्स के जवान हिस्सा लेते हैं।
वर्ष 1950 में भारत के गणतंत्र बनने के बाद बीटिंग द रिट्रीट कार्यक्रम को अब तक दो बार रद्द करना पड़ा है, 27 जनवरी 2009 को वेंकटरमन का लंबी बीमारी के बाद आर्मी रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में निधन हो जाने के कारण बीटिंग द रिट्रीट कार्यक्रम रद्द कर दिया गया। इससे पहले 26 जनवरी 2001 को गुजरात में आए भूकंप के कारण बीटिंग द रिट्रीट कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया था।
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