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India's Biggest Secret

 11th January, 1966:  The Prime Minister of India, Lal  Bahadur Shastri dies in Tashkent. 24th January, 1966:  India’s top nuclear scientist, Homi Jehangir Baba vanishes. Same month, same mystery. Lal Bahadur Shastri. Homi Jehangir Bhabha. One poisoned in a Soviet villa. One swallowed by French snow. And a nation… too scared to ask why? What if India’s greatest minds were not lost… …but eliminated? Let me lay out some facts. No filters.  No fiction. And then, you decide. You carry the question home. Because some truths don’t scream. They whisper. And they wait. The year of 1964. China tests its first nuclear bomb. The world watches. India trembles. But one man stands tall. Dr. Homi Bhabha. A Scientist.  A Visionary. And may be... a threat. To whom? That is the question. Late 1964. He walks into the Prime Minister’s office. Shastri listens. No filters.  No committees. Just two patriots. And a decision that could change India forever. The year of1965. Sh...

The Real issue with Tissue Papers| टिशू पेपर इस्तेमाल करने में सबसे बड़ी दिक्कत क्या आने वाली है?

The Real issue with Tissue Papers| टिशू पेपर इस्तेमाल करने में सबसे बड़ी दिक्कत क्या आने वाली है?

क्या आप जानते हैं कि दुनिया में रोज़ कम से कम 27000 पेड़ काटे जाते हैं। यानी की एक साल में 1 करोड़ पेड़ काट दिए जाते हैं। लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि पेड़ों से सबसे ज्यादा क्या प्राप्त किया जाता है? अगर आप लकड़ी, फल या दवाइयों की बात कर रहे हैं तो शायद आप गलत हैं। जितने भी पेड़ काटे जाते हैं उन का 75% हिस्सा पेपर बनाने में इस्तेमाल होता है। यानी कि साल में अगर एक करोड़ पेड़ काटे जाते हैं तो 75 लाख पेड़ों से सिर्फ कागज बनाया जाता है। और कागजों के मामले में भी सबसे ज्यादा टिशू पेपर बनाया जाता है। क्या आप Tissue Paper का इस्तेमाल करते हैं?

वैसे तो शुरुआत में केवल मृत पेड़ों से ही कागज बनाया जाता था। लेकिन इंसान के लालच और अंधा पैसा इकट्ठा करने की लोलुपता ने हरे पेड़ों को भी काटने पर मजबूर कर दिया। एक शोध के मुताबिक, दुनिया में जितने हरे पेड़ काटे जाते हैं, यदि उसी रफ्तार से पेड़ कटते रहे तो दुनिया के सारे पेड़ आने वाले 100 सालों से पहले ही खत्म हो जाएंगे। और उसके बाद दुनिया का अंजाम बहुत ही भयावह हो जाएगा। पेड़ों के खत्म होने पर जो परिणाम आएंगे उनकी चर्चा हम आगे फिर कभी करेंगे लेकिन अभी हम अपने टॉपिक पर वापस आते हैं।
Issue with Tissue Paper
The Real issue with Tissue


जब आप शॉपिंग करने जाते हैं तो टिशू पेपर तो जरूर लेते होंगे। टिशू पेपर को लेते समय आप उस में क्या देखते हैं? उसका रंग शायद नहीं, उसका आकार शायद नहीं, लेकिन हर कोई Tissue Paper को मुलायम इस्तेमाल करना चाहता है। इसलिए दुनिया की 98% आबादी टिशू पेपर लेते समय मुलायम टिशू पेपर को प्राथमिकता देती है। शायद ही कोई रीसायकल पेपर से बने हार्ड टिशू को इस्तेमाल करना चाहता होगा। लेकिन इससे दिक्कत ये है कि मुलायम Tissue Paper को बनाने के लिए हरे और ताज़ा पेड़ों का इस्तेमाल किया जाता है। और रिसाइकल्ड पेपर से बने टिशू इस्तेमाल करने में कठोर लगते हैं। लेकिन वो इतने भी कठोर नहीं होते कि उनका इस्तेमाल न किया जा सके। 

यदि आप और हम इसी तरह से टिशू पेपर का इस्तेमाल करते रहे तो बहुत जल्द दुनिया के सारे पेड़ खत्म हो जाएंगे और इसके परिणाम बहुत ही खौफनाक होंगे।
ऊपर अब तक मैंने जो भी बात की वह एक समस्या है अब यदि मैं उसका समाधान दिए बिना चला गया तो आपका इतना पढ़ना शायद व्यर्थ चला जाएगा। इसीलिए अपने नीचे आपको कुछ ऐसे उपाय बताने जा रहा हूं जिसका इस्तेमाल करके आप टिशू पेपर का उपयोग कम से कम कर सकते हैं-

  • टॉवेल का इस्तेमाल करें Use Towel

आप अपने घर में कौन जगहों पर 1-2 टॉवल जरूर रख दें; जहां पर आप टिशू पेपर का सबसे अधिक इस्तेमाल करते हैं। वाश बेसिन, मुंह धोने की जगह, किचन के किनारे, एवं अपने कॉस्मेटिक वाली जगहों पर। इससे यह होगा कि आप टिशू पेपर को निकालने से पहले टॉवल को उपयोग करने लगेंगे जो कि अधिक किफायती, अधिक पर्यावरण संतुलन कर्ता, और साइकिल आसानी से हो जाने वाला तत्व है।

  • रुमाल का इस्तेमाल करें Use Handkerchief

जब भी आप घर से निकले तो अपनी जेब में एक रुमाल अवश्य डालें। महिलाएं अपने पर्स में टिशू पेपर की जगह रुमाल का इस्तेमाल करना शुरू कर सकती हैं।यदि आप अपने जेब और पर्स में मोबाइल रख सकते हैं तो इससे वजन में कहीं गुना ज्यादा हल्का रुमाल भी रख सकते हैं।  इसे टिशू पेपर की बचत होगी और आपका चेहरा भी अधिक समय तक प्रदूषण से बचा रहेगा।

  • अपने हाथों को बार-बार धोएं Wash your hands properly

आप शायद आप यह सोच रहे होंगे कि यदि हम अपने हाथों को बार-बार धोएंगे तो क्या इससे पानी बर्बाद नहीं होगा। लेकिन जवाब है नहीं क्या आप जानते हैं कि एक टिशू पेपर का रोल बनाने की विधि 37 गैलन से अधिक पानी खर्च हो जाता है और पेड़ों की कटाई होती है सो अलग। इसीलिए अपनी आदत में बार-बार पानी से हाथ धोना रखें जिसकी वजह से आप रुमाल और टॉवल का अधिक उपयोग कर सकेंगे।

इन सबके बावजूद यदि आपको टिशू पेपर का इस्तेमाल करना ही है तो टिशू पेपर का इस्तेमाल करने की कोशिश केवल तब ही करें जब आपके पास कोई अन्य विकल्प उपलब्ध नहीं हो। आपका एक कदम आने वाली पीढ़ी को बहुत बड़ी त्रासदा से बचा सकता है।

अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो तो कृपया इसे शेयर कीजिए और यह जानकारी अपने बच्चों को अवश्य दीजिए क्योंकि अगर वह अभी से इसकी आदत डालेंगे तभी आगे जाकर वह एक अच्छे जागरूक नागरिक बन सकेंगे।

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