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Book Review: Chitralekha by Bhagwati Charan Verma

 चित्रलेखा – एक दार्शनिक कृति की समीक्षा लेखक: भगवती चरण वर्मा   प्रस्तावना   हिंदी साहित्य के इतिहास में *चित्रलेखा* एक ऐसी अनूठी रचना है जिसने पाठकों को न केवल प्रेम और सौंदर्य के मोह में बाँधा, बल्कि पाप और पुण्य की जटिल अवधारणाओं पर गहन चिंतन के लिए भी प्रेरित किया। भगवती चरण वर्मा का यह उपन्यास 1934 में प्रकाशित हुआ था और यह आज भी हिंदी गद्य की कालजयी कृतियों में गिना जाता है। इसमें दार्शनिक विमर्श, मनोवैज्ञानिक विश्लेषण और सामाजिक यथार्थ का ऐसा संलयन है जो हर युग में प्रासंगिक बना रहता है । मूल विषय और उद्देश्य   *चित्रलेखा* का केंद्रीय प्रश्न है — "पाप क्या है?"। यह उपन्यास इस अनुत्तरित प्रश्न को जीवन, प्रेम और मानव प्रवृत्तियों के परिप्रेक्ष्य में व्याख्यायित करता है। कथा की बुनियाद एक बौद्धिक प्रयोग पर टिकी है जिसमें महात्मा रत्नांबर दो शिष्यों — श्वेतांक और विशालदेव — को संसार में यह देखने भेजते हैं कि मनुष्य अपने व्यवहार में पाप और पुण्य का भेद कैसे करता है। इस प्रयोग का परिणाम यह दर्शाता है कि मनुष्य की दृष्टि ही उसके कर्मों को पाप या पुण्य बनाती है। लेखक...

The Real issue with Tissue Papers| टिशू पेपर इस्तेमाल करने में सबसे बड़ी दिक्कत क्या आने वाली है?

The Real issue with Tissue Papers| टिशू पेपर इस्तेमाल करने में सबसे बड़ी दिक्कत क्या आने वाली है?

क्या आप जानते हैं कि दुनिया में रोज़ कम से कम 27000 पेड़ काटे जाते हैं। यानी की एक साल में 1 करोड़ पेड़ काट दिए जाते हैं। लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि पेड़ों से सबसे ज्यादा क्या प्राप्त किया जाता है? अगर आप लकड़ी, फल या दवाइयों की बात कर रहे हैं तो शायद आप गलत हैं। जितने भी पेड़ काटे जाते हैं उन का 75% हिस्सा पेपर बनाने में इस्तेमाल होता है। यानी कि साल में अगर एक करोड़ पेड़ काटे जाते हैं तो 75 लाख पेड़ों से सिर्फ कागज बनाया जाता है। और कागजों के मामले में भी सबसे ज्यादा टिशू पेपर बनाया जाता है। क्या आप Tissue Paper का इस्तेमाल करते हैं?

वैसे तो शुरुआत में केवल मृत पेड़ों से ही कागज बनाया जाता था। लेकिन इंसान के लालच और अंधा पैसा इकट्ठा करने की लोलुपता ने हरे पेड़ों को भी काटने पर मजबूर कर दिया। एक शोध के मुताबिक, दुनिया में जितने हरे पेड़ काटे जाते हैं, यदि उसी रफ्तार से पेड़ कटते रहे तो दुनिया के सारे पेड़ आने वाले 100 सालों से पहले ही खत्म हो जाएंगे। और उसके बाद दुनिया का अंजाम बहुत ही भयावह हो जाएगा। पेड़ों के खत्म होने पर जो परिणाम आएंगे उनकी चर्चा हम आगे फिर कभी करेंगे लेकिन अभी हम अपने टॉपिक पर वापस आते हैं।
Issue with Tissue Paper
The Real issue with Tissue


जब आप शॉपिंग करने जाते हैं तो टिशू पेपर तो जरूर लेते होंगे। टिशू पेपर को लेते समय आप उस में क्या देखते हैं? उसका रंग शायद नहीं, उसका आकार शायद नहीं, लेकिन हर कोई Tissue Paper को मुलायम इस्तेमाल करना चाहता है। इसलिए दुनिया की 98% आबादी टिशू पेपर लेते समय मुलायम टिशू पेपर को प्राथमिकता देती है। शायद ही कोई रीसायकल पेपर से बने हार्ड टिशू को इस्तेमाल करना चाहता होगा। लेकिन इससे दिक्कत ये है कि मुलायम Tissue Paper को बनाने के लिए हरे और ताज़ा पेड़ों का इस्तेमाल किया जाता है। और रिसाइकल्ड पेपर से बने टिशू इस्तेमाल करने में कठोर लगते हैं। लेकिन वो इतने भी कठोर नहीं होते कि उनका इस्तेमाल न किया जा सके। 

यदि आप और हम इसी तरह से टिशू पेपर का इस्तेमाल करते रहे तो बहुत जल्द दुनिया के सारे पेड़ खत्म हो जाएंगे और इसके परिणाम बहुत ही खौफनाक होंगे।
ऊपर अब तक मैंने जो भी बात की वह एक समस्या है अब यदि मैं उसका समाधान दिए बिना चला गया तो आपका इतना पढ़ना शायद व्यर्थ चला जाएगा। इसीलिए अपने नीचे आपको कुछ ऐसे उपाय बताने जा रहा हूं जिसका इस्तेमाल करके आप टिशू पेपर का उपयोग कम से कम कर सकते हैं-

  • टॉवेल का इस्तेमाल करें Use Towel

आप अपने घर में कौन जगहों पर 1-2 टॉवल जरूर रख दें; जहां पर आप टिशू पेपर का सबसे अधिक इस्तेमाल करते हैं। वाश बेसिन, मुंह धोने की जगह, किचन के किनारे, एवं अपने कॉस्मेटिक वाली जगहों पर। इससे यह होगा कि आप टिशू पेपर को निकालने से पहले टॉवल को उपयोग करने लगेंगे जो कि अधिक किफायती, अधिक पर्यावरण संतुलन कर्ता, और साइकिल आसानी से हो जाने वाला तत्व है।

  • रुमाल का इस्तेमाल करें Use Handkerchief

जब भी आप घर से निकले तो अपनी जेब में एक रुमाल अवश्य डालें। महिलाएं अपने पर्स में टिशू पेपर की जगह रुमाल का इस्तेमाल करना शुरू कर सकती हैं।यदि आप अपने जेब और पर्स में मोबाइल रख सकते हैं तो इससे वजन में कहीं गुना ज्यादा हल्का रुमाल भी रख सकते हैं।  इसे टिशू पेपर की बचत होगी और आपका चेहरा भी अधिक समय तक प्रदूषण से बचा रहेगा।

  • अपने हाथों को बार-बार धोएं Wash your hands properly

आप शायद आप यह सोच रहे होंगे कि यदि हम अपने हाथों को बार-बार धोएंगे तो क्या इससे पानी बर्बाद नहीं होगा। लेकिन जवाब है नहीं क्या आप जानते हैं कि एक टिशू पेपर का रोल बनाने की विधि 37 गैलन से अधिक पानी खर्च हो जाता है और पेड़ों की कटाई होती है सो अलग। इसीलिए अपनी आदत में बार-बार पानी से हाथ धोना रखें जिसकी वजह से आप रुमाल और टॉवल का अधिक उपयोग कर सकेंगे।

इन सबके बावजूद यदि आपको टिशू पेपर का इस्तेमाल करना ही है तो टिशू पेपर का इस्तेमाल करने की कोशिश केवल तब ही करें जब आपके पास कोई अन्य विकल्प उपलब्ध नहीं हो। आपका एक कदम आने वाली पीढ़ी को बहुत बड़ी त्रासदा से बचा सकता है।

अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो तो कृपया इसे शेयर कीजिए और यह जानकारी अपने बच्चों को अवश्य दीजिए क्योंकि अगर वह अभी से इसकी आदत डालेंगे तभी आगे जाकर वह एक अच्छे जागरूक नागरिक बन सकेंगे।

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The Story of Yashaswi Jaiswal

जिस 21 वर्षीय यशस्वी जयसवाल ने ताबड़तोड़ 98* रन बनाकर कोलकाता को IPL से बाहर कर दिया, उनका बचपन आंसुओं और संघर्षों से भरा था। यशस्‍वी जयसवाल मूलरूप से उत्‍तर प्रदेश के भदोही के रहने वाले हैं। वह IPL 2023 के 12 मुकाबलों में 575 रन बना चुके हैं और ऑरेंज कैप कब्जाने से सिर्फ 2 रन दूर हैं। यशस्वी का परिवार काफी गरीब था। पिता छोटी सी दुकान चलाते थे। ऐसे में अपने सपनों को पूरा करने के लिए सिर्फ 10 साल की उम्र में यशस्वी मुंबई चले आए। मुंबई में यशस्वी के पास रहने की जगह नहीं थी। यहां उनके चाचा का घर तो था, लेकिन इतना बड़ा नहीं कि यशस्वी यहां रह पाते। परेशानी में घिरे यशस्वी को एक डेयरी पर काम के साथ रहने की जगह भी मिल गई। नन्हे यशस्वी के सपनों को मानो पंख लग गए। पर कुछ महीनों बाद ही उनका सामान उठाकर फेंक दिया गया। यशस्वी ने इस बारे में खुद बताया कि मैं कल्बादेवी डेयरी में काम करता था। पूरा दिन क्रिकेट खेलने के बाद मैं थक जाता था और थोड़ी देर के लिए सो जाता था। एक दिन उन्होंने मुझे ये कहकर वहां से निकाल दिया कि मैं सिर्फ सोता हूं और काम में उनकी कोई मदद नहीं करता। नौकरी तो गई ही, रहने का ठिकान...

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