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Tyagpatra by Jainendra Book Review

 त्यागपत्र: एक अंतर्मुखी पीड़ा की कहानी जैनेंद्र कुमार का उपन्यास 'त्यागपत्र' भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह उपन्यास मृणाल की कहानी है, जो अपने पति प्रमोद के द्वारा त्याग दी जाती है। कहानी मृणाल के अंतर्मुखी पीड़ा, सामाजिक बंधनों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संघर्ष को दर्शाती है। जैनेंद्र कुमार की लेखन शैली सरल और गहरी है। उन्होंने मृणाल के मन की उलझनों और भावनात्मक जटिलताओं को बहुत ही संवेदनशील तरीके से चित्रित किया है। कहानी में सामाजिक रूढ़ियों और व्यक्तिगत इच्छाओं के बीच का द्वंद्व स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। मृणाल का त्यागपत्र केवल एक शारीरिक त्यागपत्र नहीं है, बल्कि यह उसके आंतरिक संघर्ष और मुक्ति की खोज का प्रतीक है। उपन्यास में प्रमोद का चरित्र भी जटिल है। वह एक ऐसे व्यक्ति के रूप में दिखाया गया है जो सामाजिक दबावों और अपनी कमजोरियों के कारण मृणाल को त्याग देता है। यह उपन्यास उस समय के समाज में महिलाओं की स्थिति और उनके संघर्षों पर प्रकाश डालता है। 'त्यागपत्र' एक ऐसा उपन्यास है जो पाठक को सोचने पर मजबूर करता है। यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता, सामाजि...

Promise of marriage, Tinder and rape: How the law may be punishing innocent men and patronising women शादी, टिंडर और बलात्कार का वादा: कानून कैसे निर्दोष पुरुषों को दंडित कर सकता है और महिलाओं को संरक्षण दे सकता है

वयस्कों की सहमति से उनके भावी विवाह के बीच यौन संबंधों की वैधता को जोड़ने से युवा भारतीयों की बढ़ती यौन स्वतंत्रता के मद्देनजर इसकी उपयोगिता समाप्त हो सकती है। भविष्य में शादी के वादे पर अपनी इच्छा से यौन संबंध बनाने वाली महिला की स्थिति को समझने में विफलता ने बलात्कार पर कानून का घोर दुरूपयोग किया है। How the law may be punishing innocent men and patronising women दो बहुत प्यार करने वाले कॉलेज के साथी, अलग-अलग जातियों से संबंधित, अक्सर अपने परिवारों को अपनी शादी के लिए राजी करने की आसन्न चुनौती पर चर्चा करते थे। हालांकि, उनके आपसी स्नेह की शक्ति से प्रेरित होकर, उनका भावनात्मक और शारीरिक संबंध बना रहा। अंततः लड़के के दूर होने पर, उसके परिवार के विरोध के दबाव में, लड़की ने अपने कई वर्षों के प्रेमी के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज करने के लिए पुलिस से संपर्क किया। देश भर के पुलिस स्टेशनों को हर साल महिलाओं से ऐसे हजारों आवेदन प्राप्त होते हैं जिनमें "बलात्कार" का आरोप लगाया जाता है जब लिव-इन-रिलेशनशिप सहित दीर्घकालिक संबंध समाप्त हो जाते हैं या जब महिला के यौन संबंध के बाद प्रा...

क्रिसमस सप्ताह का काला भारतीय इतिहास Christmas Guru Gobind Singh

21 दिसंबर से 27 दिसंबर का समय गुरु परिवार और उनके सहयोगियों के बलिदान को याद करने का समय है… पुराने बुजुर्ग बताते हैं कि- पहले पंजाब में 21 दिसंबर से लेकर 27 दिसम्बर तक का समय “शोक सप्ताह” के रूप में मनाया जाता था. इस पूरे सप्ताह कोई खुशियाँ नहीं मनाता था. सादा भोजन करते थे, जमीन पर सोते थे और गुरु परिवार के बलिदान को याद करते थे. ऐसा इसलिए किया जाता था कि – वे लोग गुरु गोविन्द सिंह , उनके परिवार और उसके साथियों के संघर्ष को समझ सकें.  21 दिसंबर को गुरु गोबिंद सिंह को आनंदपुर साहब किला छोड़ना पडा था. उनकी माँ (माता गुजरी) और छोटे साहबजादे उनसे बिछड़ गए थे 22 दिसंबर को बड़े साहबजादे (बाबा अजीत सिंह और बाबा जुझार सिंह) बलिदान हो गए थे. गुरु गोविन्द सिंह स्वयं घायल हो गए थे. उनके अनेकों साथी भी बलिदान हो गए थे. 23 दिसंबर को गुरु गोविन्द सिंह की माता और छोटे साहबजादे गिरफ्तार कर लिए गए थे. उनको इस्लाम कबूलने को कहा गया और इस्लाम कबूल न करने पर तीन दिन तक भूखा प्यासा रखा गया और 26 दिसंबर को जिन्दा दीवार में चुनवा दिया गया. ये द्रश्य देखकर माता गुजरी ने भी प्राण त्याग दिए. मुगलों का जुल्म इ...

Argentina won Fifa World Cup 2022!!

यह पोस्ट लिखने के लिए मैंने समय लिया है जानबूझकर। क्रिकेट प्रेमी हूं तो शायद आपको उसी से संबंधित कुछ दिख जाए। अभी कुछ समय से अर्जेंटीना की जीत पर खुश होने वाले बरसती मेंढकों से बचने के लिए मैंने समय लिया है। सोशल मीडिया की घातक और विषैली ट्रॉलिंग से बचने के लिए मैंने समय लिया है। रातों रात मेसी और रोनाल्डो के छप्पर फाड़ फैन्स से बचने के लिए मैंने समय लिया है। ये स्वयं शायद मेसी और रोनाल्डो को भी नहीं पता होगा कि उनके इतने फैन्स भारत जैसे क्रिकेट को धर्म मानने वाले देश में भी हो सकते हैं। मैं फुटबाल की बुराई नहीं कर रहा, मैं क्रिकेट की बढ़ाई नहीं कर रहा, लेकिन पिछले कुछ दिनों से चली आ रही बनावटी बाढ़ में बहने से बचने के लिए मैंने समय लिया है। ये फैन्स जो कुकुरमुत्ते की तरह रातों रात सोशल मीडिया पर उग आए हैं, जिन्हे शायद लियोनेल मेसी और क्रिस्टियानो रोनाल्डो के बीच के नाम जिन्हे मैं आम तौर पर पूरे नाम की कैटेगरी में डालता हूं, भी नहीं पता होंगे, जो स्वयं को पियरलुइगी कॉलिना समझ बैठे हैं, इनके बचकाने और व्यर्थ के ऊटपटांग सवालों और उनकी विवेचना से बचने के लिए मैंने समय लिया है। अब आखिर प्र...