बहुत से लोगों की जिज्ञासा रहती है कि यह डीप स्टेट क्या होता है ?
और सच में कोई डीप स्टेट होता है कि नहीं
अभी अमेरिका की नई सरकार जो यूएस एड से पैसे लेने वाले संस्थानों और लोगों के नाम का खुलासा कर रही है यही आपको डीप स्टेट को समझने में बहुत आसानी हो जाएगी
इसके अलावा रॉकफ़ेलर फाउंडेशन, फोर्ड फाउंडेशन जॉर्ज सोरेस का ओपन सोर्स फाउंडेशन और अमेरिकी सरकार का यूएस एड असल में यही डीप स्टेट होता है
मतलब यह की आप स्टेट को अंदर तक हिलाने के लिए बहुत लंबे समय की प्लानिंग करिए
अभी पता चला कि पूरी दुनिया में जो पत्रकारों यानी मीडिया की स्वतंत्रता का रैंकिंग जारी करने वाली एक निजी संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बाउंड्री या पूरे विश्व में हंगर इंडेक्स जारी करने वाली आयरलैंड की एक क्रिश्चियन मिशनरी संस्था वॉल्ट हंगर स्ट्राइक इन सबको यूएस एंड और रॉकफेलर फाउंडेशन से बहुत मोटा पैसा मिला है
और बदले में इन लोगों ने क्या किया की तीसरी दुनिया के डेमोक्रेटिक देश जैसे भारत ब्राजील वियतनाम में भुखमरी को सोमालिया बांग्लादेश और इथोपिया से भी खराब रैंकिंग दिया और तमाम देशों में जहां कोई निजी मीडिया नहीं है यानी ब्रुनेई अफगानिस्तान और सऊदी अरब जैसे देशों से भी इन देशों में मीडिया की स्वतंत्रता को एकदम खराब रैंकिंग दिया
यह हमेशा उन देशो को टारगेट करते हैं जहां जनसंख्या ज्यादा हो जहां लोगों के पास परचेसिंग पावर हो ताकि वहां स्थिरता खड़ा करके उत्तल-पुथल करके हथियारों से लेकर तमाम चीजों की डिमांड और सप्लाई मेंटेन किया जाए खूब हथियार बेचे जाएं इन देशों में उद्योग धंधे ना लगे और इन देशों को मोटा माल बेचकर पैसा कमाया जाए यही इनका सबसे बड़ा उद्देश्य होता है और इन लोगों ने वैक्सीनेशन को भी एक बहुत बड़े पैसा कमाने की मशीन बना दिया है
और यकीन मानिए अगर भारत चीन और रूस यह तीन देश कोविड वैक्सीन नहीं बनाए होते तो आज ब्रिटेन और अमेरिका की फाइजर और मोर्डना जैसी कंपनियां जॉनसन एंड जॉनसन जैसी कंपनियां अरबो खरबो डॉलर कमा गई होती
उसे दौर में आपने देखा होगा कि अरविंद केजरीवाल ममता बनर्जी राहुल गांधी अखिलेश यादव यह सब बार-बार सरकार पर दबाव डाल रहे थे कि सरकार जॉनसन एंड जॉनसन और फाइजर की वैक्सीन को भारत में बिकने की इजाजत दे हम इन कंपनियों से वैक्सीन खरीदना चाहते हैं हमको इन कंपनियों से डायरेक्ट डील करने की इजाजत दे
मतलब आप समझ जाइए की डीप स्टेट अपने बिजनेस अपने स्वार्थ के लिए किस तरह से नेताओं को खरीद लेता है
अब जब भी कोई रैंकिंग जारी होती है तमाम तरह के विपक्षी दल से लेकर BBC वांशिगटन पोस्ट और दुनिया भर के लोग लहंगा उठा कर छाती कुटकर डांस करने लगते हैं कि भारत हंगर इंडेक्स में एकदम खराब पोजीशन पर है भारत प्रेस स्वतंत्रता में एकदम खराब पोजीशन पर है
लेकिन कभी यह नहीं बताते कि यह इंडेक्स जारी कौन किया इसका पैमाना क्या है ?
और अगर भारत में प्रेस स्वतंत्रता एकदम खराब है तो ब्रुनेई अफगानिस्तान सऊदी अरब जैसे देशों में प्रेस स्वतंत्रता और चीन जैसे देश जहां कोई भी निजी मीडिया नहीं है वहां की प्रेस स्वतंत्रता भारत से बेहतर कैसे हैं ?
यह लोग अपना दिमाग नहीं लगाते और यहां पर डीप स्टेट अपना काम कर लेता है
यानी एक नॉरेटिव बना देता है कि मोदी तानाशाह है मोदी खराब शासन है अब ऐसे ही कई सिलेब्रिटीज हालांकि अभी सिर्फ सोनम कपूर के नाम के खुलासा हुआ है वह बीच-बीच में मोदी के खिलाफ भारत सरकार के खिलाफ हिंदू धर्म के खिलाफ कुछ ट्वीट करके निकल जाती हैं और पूरे दुनिया की मीडिया उनके ट्वीट पर चर्चा करती है और फिर एक नॉरेटिव बना दिया जाता है कि भारत के मंदिरों में बलात्कार होते हैं
लेकिन कोई यह नहीं सोचता कि इनको पैसे देकर यह ट्वीट करवाए गए हैं
किसान आंदोलन के समय ग्रेटा थनवर्ग रिहाना और मियां खलीफा जैसे लोगों ने जो ट्वीट किया और फिर गलती से ग्रेटा थनबर्ग ने उसे टूलकिट को ट्वीट कर दिया तब यह पता चल गया कि कौन-कौन से सेलिब्रिटी को कब और क्या-क्या ट्वीट करना है वह सब अमेरिका से दिया जा रहा था और सबको पैसे दिए गए
हालांकि केवल रिहाना नहीं ईमानदारी से स्वीकार किया कि मैं भारत में किसान आंदोलन के समय ट्वीट किया तीन ट्वीट के ढाई करोड डॉलर दो संस्थाओं से लिए थे उसमें से एक ओपन सोर्स फाउंडेशन था और दूसरा यूएस एड था अ
भी फेज वाइज धीरे-धीरे तमाम नाम के खुलासे होते जा रहे हैं
इसीलिए मैं कहता हूं कि यह जो तमाम तरह के इंडेक्स जारी किए जाते हैं तो उन्हें देखिए और फाड़ कर फेंक दीजिए यह सब डीप स्टेट की कारगुजारी होती है
और जब पहली बार ट्रंप सत्ता में आए थे तब भी उन्होंने खुलासा किया था कि भारत के तमिलनाडु के न्यूक्लियर प्लांट जो रूस के सहयोग से लगने वाला था वह ना लगे उसके लिए अमेरिका की यूएस एड ने भारत के चर्च सहित 12 संस्थाओं को 30 करोड डॉलर दिए थे।
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