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Book Review: Chitralekha by Bhagwati Charan Verma

 चित्रलेखा – एक दार्शनिक कृति की समीक्षा लेखक: भगवती चरण वर्मा   प्रस्तावना   हिंदी साहित्य के इतिहास में *चित्रलेखा* एक ऐसी अनूठी रचना है जिसने पाठकों को न केवल प्रेम और सौंदर्य के मोह में बाँधा, बल्कि पाप और पुण्य की जटिल अवधारणाओं पर गहन चिंतन के लिए भी प्रेरित किया। भगवती चरण वर्मा का यह उपन्यास 1934 में प्रकाशित हुआ था और यह आज भी हिंदी गद्य की कालजयी कृतियों में गिना जाता है। इसमें दार्शनिक विमर्श, मनोवैज्ञानिक विश्लेषण और सामाजिक यथार्थ का ऐसा संलयन है जो हर युग में प्रासंगिक बना रहता है । मूल विषय और उद्देश्य   *चित्रलेखा* का केंद्रीय प्रश्न है — "पाप क्या है?"। यह उपन्यास इस अनुत्तरित प्रश्न को जीवन, प्रेम और मानव प्रवृत्तियों के परिप्रेक्ष्य में व्याख्यायित करता है। कथा की बुनियाद एक बौद्धिक प्रयोग पर टिकी है जिसमें महात्मा रत्नांबर दो शिष्यों — श्वेतांक और विशालदेव — को संसार में यह देखने भेजते हैं कि मनुष्य अपने व्यवहार में पाप और पुण्य का भेद कैसे करता है। इस प्रयोग का परिणाम यह दर्शाता है कि मनुष्य की दृष्टि ही उसके कर्मों को पाप या पुण्य बनाती है। लेखक...

Australia पर India की विजय मात्र एक Test Match में जीत नहीं है

जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मार जाता है

उपरोक्त पंक्तियों का टिम पैन से कोई लेना देना नहीं है
एवम्
Never mess with an Indian

इस पंक्ति का ऋषभ पंत से कुछ लेना देना नहीं है

लेना देना तो रिकी पॉन्टिंग साहेब का है, जिन्होंने और जिनके चेलों ने एक अकेले से नहीं पूरी टीम से भसड़ लेली, फिर क्या होना था. 

                        फिर इतिहास रचा गया, ऐसा इतिहास जिसमे underdog समझी जाने वाली टीम जिसके आधे खिलाड़ी डेब्यू कर रहे थे, और इसी के साथ कह के लूंगा वाला गाना भारतीय चेंज रूम में बजा कर, ऑस्ट्रेलिया को आज दूसरी बार ये दिखला दिया कि भारतीय रणबांकुरे आखिर क्यों इतने ऐतिहासिक हैं।
    
                         पिछली बार जब पहली पारी में अच्छा प्रदर्शन ना कर पाने के एवज में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने भीख के रूप में फॉलोऑन दिया, तो उनके लिए ये महज और अधिक अपमान देने का या यूं कहें कि ये जतलाने का कि तुम चाहे कुछ भी कर लो, तुम हमसे बेहतर हो नहीं सकते, देने का एक संकेत मात्र था। लेकिन तात्कालिक भारतीय टीम के दो रणबांकुरे ऐसे थे, जिन्होंने शायद उसको अपने अस्तित्व अपनी मातृभूमि की अस्मिता और ना जाने क्या क्या खो जाने के भाव से देखा और उसके बाद वांगीपुरापु वेंकट साई लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ ने ऐसा खूंटा गाड़ा, जैसे क्रिकेट के ब्रह्मांड का एकमात्र सूर्य आज वही बनेगा। जब प्रयासों में सत्यता, मन में विश्वास और आंखों में आक्रोश हो तब समूचा विश्व तुम्हारे सामने नतमस्तक होना स्वीकार कर लेता है।

                         उस दिन भी वही हुआ, दोनों ने दोहरे शतक ठोंक दिए और आसमान में सूर्य के अस्त होते होते क्रिकेट के मैदान पर एक और सूर्य उदय हो चुका था। एक ऐसा सूर्य जिसकी प्रभा से ऑस्ट्रेलियाई टीम ही नहीं, समूचा क्रिकेट स्तब्ध रह गया। ऑस्ट्रेलिया के फेंके हुए रोटी के टुकड़े से भारतीय रणबांकुरों ने एक ऐसा किला बनाया, ऐसा वृहद रण क्षेत्र बनाया जिसमे ऑस्ट्रेलियाई 171 रनों से पटक खा गए। फ़ॉलो ऑन लेकर जीत दर्ज करने का यह आज तक का सबसे बड़ा अन्तर है। 
                        ठीक ऐसा ही आज देखने को मिला पहले टेस्ट में ऐतिहासिक रूप से मात्र 36 रनों पर ढेर हो जाने वाली भारतीय टीम ने उसके बाद ऐसा कौशल दिखलाया जिसको देख कर स्वयं ओसनियाई दर्शक मंत्र मुग्ध हो गए। यह सीरीज इस लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे ये भी सिद्ध हो गया कि भारतीय टीम केवल एक खिलाड़ी पर निर्भर नहीं है। पहले टेस्ट के बाद ऐसा युद्ध छिड़ा जो मैदान के अंदर और बाहर दोनों जगह चालू था।

                         लेकिन भारतीय वीरों ने युद्ध में गिरना, खीझना, संभालना और साथ देकर अंत ने जीतना सब कुछ एक साथ बिल्कुल वैसे है किया, जिसको देख कर किताबों में लिखी, पढ़ी एक एक कहानी स्वयं चीख चीख कर ये देखने लगी कि देखो, तू पूछता थी ना कि इतिहास कैसे बनता ले देख के आज इतिहास ऐसे बनाया जाता है। यह एक ऐसा युद्ध था, जिसकी अंतिम लड़ाई एक ऐसे अजेय किले के अंदर थी जिसमे विपक्षी के जाने के पैरों के निशान तो थे, लेकिन लौटने के रास्तों पर केवल लिथड़ने, रगड़ खाने और घसीटने के ही चिन्ह प्रदर्शित हो रहे थे।
                    
                     भारतीय टीम किले में घुसी भी, युद्ध के दोनों पहलू, शारीरिक और मानसिक जीते भी और छाती चौड़ी कर के, माथा ऊंचा कर के, कंधे फैला कर और मुस्कान होंठों पर लिए वापिस बाहर भी निकली। लड़ने की जो जुगुप्सा, जीतने की को ललक, सम्मान पाने की को भूख आज भारतीय टीम में दिखी वो ऐतिहासिक थी। ऐसा प्रदर्शन देख स्वयं ऑस्नियाई पवन भारतीय वीरों का पसीना पोंछने पर स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रही होगी।

टिप्पणियाँ

  1. बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ ।

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  2. बहुत ही उच्च कोटि का विवरण👌👌

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