चम्बल का इतिहास क्या हैं? ये वो नदी है जो मध्य प्रदेश की मशहूर विंध्याचल पर्वतमाला से निकलकर युमना में मिलने तक अपने 1024 किलोमीटर लम्बे सफर में तीन राज्यों को जीवन देती है। महाभारत से रामायण तक हर महाकाव्य में दर्ज होने वाली चम्बल राजस्थान की सबसे लम्बी नदी है। श्रापित और दुनिया के सबसे खतरनाक बीहड़ के डाकुओं का घर माने जाने वाली चम्बल नदी मगरमच्छों और घड़ियालों का गढ़ भी मानी जाती है। तो आईये आज आपको लेकर चलते हैं चंबल नदी की सेर पर भारत की सबसे साफ़ और स्वच्छ नदियों में से एक चम्बल मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में महू छावनी के निकट स्थित विंध्य पर्वत श्रृंखला की जनापाव पहाड़ियों के भदकला जलप्रपात से निकलती है और इसे ही चम्बल नदी का उद्गम स्थान माना जाता है। चम्बल मध्य प्रदेश में अपने उद्गम स्थान से उत्तर तथा उत्तर-मध्य भाग में बहते हुए धार, उज्जैन, रतलाम, मन्दसौर, भिंड, मुरैना आदि जिलों से होकर राजस्थान में प्रवेश करती है। राजस्थान में चम्बल चित्तौड़गढ़ के चौरासीगढ से बहती हुई कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, करोली और धौलपुर जिलों से निकलती है। जिसके बाद ये राजस्थान के धौलपुर से दक्षिण की ओर
जब आपके अंदर काबिलियत हो तो समय आपका स्वयं इंतजार करता है, इतिहास रचवाने के लिए
बात उन दिनों की है, भारतीय क्रिकेट टीम 2003 का वर्ल्डकप फाइनल ऑस्ट्रेलिया से हार रही थी। अकेला पोंटिंग भारी पड़ रहा था, और अंततः पोंटिंग की वजह से ऑस्ट्रेलिया ने भारत को हरा कर विश्व कप जीत लिया। भारतीय टीम के बड़े बड़े धुरंधर सौरव गांगुली, युवराज सिंह, सचिन तेंदुलकर, जाहिर खान, मोहम्मद कैफ उस दिन ऐसे बेबस थे जैसे वो दिन बस रिकी पॉन्टिंग के लिए ही बना हो। उन्ही दिनों खड़गपुर रेलवे क्वार्टर में अपने दोस्तों के साथ टीवी पर मैच देख रहा था। सचिन के आउट होने ही वो उठा और चाय बनाने चल दिया। इधर पतीली में चाय उबल रही थी और उधर उसके दिमाग में अपने खेल को आगे बढ़ाने की कोशिशें उबल रही थी। गैस को बढ़ा कर उसने उबलने की गति कुछ और बढ़ाई ही थी कि दोस्तों की खुसुर पुसुर से उसके दिमाग में उबाल बढ़ने लगे। "ई युवरजवा और कैफवा तो अपने महिया के साथ ही खेलत बा ना। पता नहि अपने महिया का नंबर कब लागेल।" वो चुप चाप सुन कर मुस्कुराता रहा और चाय बना कर लाता रहा। ठीक चार साल बाद जब वो आउट हुआ तो भारतीय दर्शकों ने उसके पोस्टर जलाए, उसके घर पर पथराव किया और तो और उसके परिजनों के साथ अभद्रता की। लेकिन वो डरा नहीं, वो डरा नही उन लोगों से। क्योंकि वो जनता था कि थी लोग एक दिन उसका साथ देने वाले हैं। उसके ठीक चार साल बाद जब उसने पोंटिंग को आउट करने के लिए विकेट के पीछे से विकल्प सुझाया तो स्वयं पोंटिंग हतप्रभ रह गए और बाद में जब उसने छक्का लगा कर विश्व कप उठाया, तो सचिन तेंदुलकर की आंखों से आंसू बह निकले। युवराज जो जिंदगी और मौत से लड़ रहे थे, उनको जीने की नई वजह मिल गई। ज़हीर खान विराट कोहली से गले मिल रहे थे। और मोहम्मद कैफ इलाहाबाद के अपने घर में शायद रो रहे थे। रातों रात वो लड़का भारतीय जनता का वो मसीहा बन गया जिसके आगे उस स्तर का कोई भी खिलाड़ी नहीं टिक सका। क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर ने उस दिन उसको धन्यवाद ज्ञापित किया।
अब जरा पीछे चलते हैं, पिछली सदी में, एक महार जाति का लड़का, जिसे पढ़ने का शौक लगा। लेकिन तात्कालिक परिस्थितियों ने उसका हर कदम कांटों के साथ स्वागत किया। स्कूल पढ़ने गया तो नीची जाति का होने की वजह से साथ बैठने नहीं दिया गया। यहां तक की पानी पीने के लिए अलग से मटका साथ लाने को कहा गया। अपने भाई के साथ बैलगाड़ी पर जाने का सोचा तो बैलगाड़ी वाले ने दोगुना किराया भी लिया और चढ़ने भी नहीं दिया। स्कूल में पढ़ाने गया तो विद्यार्थी भी उसका बायकॉट करने लगे। लेकिन वो डरा नही, वो रुका नही, जानते हैं क्यों, क्योंकि वो जानता था कि यही लोग एक दिन उसका साथ देंगे, यही लोग उसको मंच देंगे, और यही लोग उसके बोलने का इंतजार करेंगे।
आजादी के संग्राम में पटेल, नेहरू, गांधी, तिलक, आजाद, बोस, सब धुरंधर लगे हुए थे। देश आजाद भी हो ही चुका था जैसे विश्वकप के फाइनल में पहुंच गया हो। भारत की तात्कालिक सामाजिक व्यस्था पोंटिंग की तरह धुआंधार खेल खेल रही थी। तभी उसने इसको ठीक करने का पर्दे के पीछे से जो विकल्प सुझाया, उसने पूरे समाज को हतप्रभ कर दिया। दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान बना दिया। जो कष्ट उसने झेले उन कष्टों को ताक पर रख कर, एक समाज प्रधान देश को संविधान प्रधान देश बना दिया। आज उसी महापुरुष की जन्म जयंती है। इन दोनो घटनाओं से मुझे एक ही सीख मिली, अगर जिंदगी तुमसे कुछ ज्यादा ही कड़ा रुख अख्तियार कर रही है तो हो सकता है वो तुम्हे तैयार कर रही हो कोई इतिहास रचाने के लिए।
वो KGF की लाइन है ना कि "आप रातों रात इतिहास नहीं रच सकते, और ना ही आप इतिहास रचने के मकसद से इतिहास रच सकते हैं। उसके लिए आपको तपना होता है। लेकिन आप प्लानिंग करके भी इतिहास नहीं रच सकते आपको उसके लिए तैयार रहना पड़ता है।" सचिन, युवराज, कैफ और जहीर अपने अपने शिखर पर थे, लेकिन उन्हें परफेक्ट बनने के लिए धोनी के आने का इंतजार करना पड़ा। बिल्कुल उसी तरह जैसे पटेल, नेहरू, गांधी और बोस अपने अपने शिखर पर थे लेकिन मुल्क बनाने के लिए उन्हें अंबेडकर का इंतजार करना पड़ा। अगर आप कहीं जाने के लिए लेट हो रहे हैं, तो प्रवाह के साथ बहिए क्या पता किस्मत ने आपको इतिहास रचाने के लिए सही समय के लिए संभाल के रखा हो।
-Abiiinabu
भई वाह sir kya लिखते हो आप
जवाब देंहटाएंShukriya ji
हटाएंWaaah Bhai 🙏🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंDhanyawaad ji
हटाएं👌♥️
जवाब देंहटाएंthanks
हटाएं👌👌👌 khatarnak
जवाब देंहटाएं👌👍
जवाब देंहटाएंBhai kya baat hai super
जवाब देंहटाएंThank you bhai!!!
हटाएंबढ़िया
जवाब देंहटाएंThank you very much
हटाएं👏👏
जवाब देंहटाएंThank you
हटाएंWag
जवाब देंहटाएंThank you
हटाएंWah....👌👌
जवाब देंहटाएंThank you
हटाएंSplendid����
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