सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

MSD The Disaster

 महेंद्र सिंह धोनी ने छुपने के लिए वो जगह चुनी, जिस पर करोड़ों आँखें लगी हुई थीं! वो जीज़ज़ की इस बात को भूल गए कि "पहाड़ पर जो शहर बना है, वह छुप नहीं सकता!" ठीक उसी तरह, आप आईपीएल में भी छुप नहीं सकते। कम से कम धोनी होकर तो नहीं। अपने जीवन और क्रिकेट में हर क़दम सूझबूझ से उठाने वाले धोनी ने सोचा होगा, एक और आईपीएल खेलकर देखते हैं। यहाँ वे चूक गए। क्योंकि 20 ओवर विकेट कीपिंग करने के बाद उनके बूढ़े घुटनों के लिए आदर्श स्थिति यही रह गई है कि उन्हें बल्लेबाज़ी करने का मौक़ा ही न मिले, ऊपरी क्रम के बल्लेबाज़ ही काम पूरा कर दें। बल्लेबाज़ी का मौक़ा मिले भी तो ज़्यादा रनों या ओवरों के लिए नहीं। लेकिन अगर ऊपरी क्रम में विकेटों की झड़ी लग जाए और रनों का अम्बार सामने हो, तब क्या होगा- इसका अनुमान लगाने से वो चूक गए। खेल के सूत्र उनके हाथों से छूट गए हैं। यह स्थिति आज से नहीं है, पिछले कई वर्षों से यह दृश्य दिखाई दे रहा है। ऐसा मालूम होता है, जैसे धोनी के भीतर अब खेलने की इच्छा ही शेष नहीं रही। फिर वो क्यों खेल रहे हैं? उनके धुर-प्रशंसक समय को थाम लेना चाहते हैं। वे नश्वरता के विरुद्ध...

How to face problems in life ब्रह्मभोज | A problem facing blog by Abiiinabu

How to face problems in life, ब्रह्मभोज 

    एक बार ब्रह्मा जी ने अपने सभी बच्चों को खाने के लिए बुलाया। नियत समय पर जब सभी लोग खाने के लिए पहुंचे तो ब्रह्मा जी ने खाने के लिए एक शर्त रख दी। "अगर तुम लोग खाते समय अपनी कोहनी न मोड़ो तो तुम खाना खा सकते हो " ब्रह्मा जी ने कहा.  खाने के लिए शर्त देख कर सभी लोग विचार करने लगे कि इस समस्या का कैसे समाधान किया जाए।  सबने अलग अलग तरीके अपनाये।

कुछ लोगों ने अपने सर मोड़े और खाने को चाटने लगे जिससे वो खाने का सेवन करने लगे। और शास्त्र बताते हैं की वो पशु बने। 

कुछ लोग ब्रह्मा जी के इस व्यवहार से रुष्ट हो गए, वो असुर बने। 

कुछ लोगों जो जब Problem का Solution समझ न आया तो वो जितना खाना समेट सकते थे उसको समेट के वहां से भाग गए, शास्त्र बताते हैं ऐसे लोग राक्षस बने। 

लेकिन कुछ लोग थे जिन्होंने हार नहीं मानी समस्या का समाधान ढूंढ़ने के प्रयास में वो लोग एक दूसरे के सामने वाले को अपने हाथ से खाना खिलाने लगे, कुछ ही देर में उन सब लोगों ने खाना खा लिया और शास्त्र बताते हैं वो लोग देव कहलाये। 

वो लोग देव कहलाये क्यूंकि उन्होंने समस्या के समाधान ढूंढ़ने के चक्कर में केवल अपना स्वार्थ नहीं देखा।  उन्होंने खुद खाना खाने से पहले सामने वाले को खिलाया और उससे भी ज़रूरी बात ये कि अपना खाना खिलाया।  

आज के समय में भी ऐसी ही एक समस्या हम सबके सामने आ खड़ी हुई है।  जिसके समाधान के लिए कुछ लोग केवल अपने सर नीचे करके हार चुके हैं।  वो न तो स्वयं का भला कर रहे न दूसरों का होने दे रहे।  मेरी नज़र में जो लोग नियमों का पालन नहीं कर रहे वो इस श्रेणी में आ रहे हैं।

कुछ लोग केवल समस्या का समाधान बताने के लिए सरकार को दोष दे रहे हैं , उनके पास कोई समाधान है भी नहीं लेकिन उनको बस शिकायत करने से मतलब है।  सरकार ने ऐसा नहीं किया, सरकार ने वैसा नहीं किया।  इनसे जब पूछा जाये कि आप बता दो कि कैसे किया जाए तो ये लोग बगलें झाँकने लगते हैं।  कुछ पत्रकार, कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी और कुछ ज्ञानी महापुरुष मुझे इस श्रेणी के लगते हैं।  

कुछ लोगों को जितना समेट के देश छोड़ के भाग मिला वो भाग लिए (You know whom I am talking about)  वो कौन हैं उपरोक्त प्रसंग से आप अनुमान लगा सकते  हैं। 


     वहीँ कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस समय में समस्या का समाधान का ढूंढ़ने के लिए अपने पास उपलब्ध सामग्री से स्वयं से पहले दूसरों का भला कर रहे हैं।  सही मायनो में वही लोग देवता की भूमिका निभा रहे हैं।

आपके जीवन में भी कुछ Problems आती ही होंगी, आप किस प्रकार से उसका सामना करते हो वो तरीका आपको बताता है कि आप क्या हो। 

        आप पशुओं, जानवरों की तरह सबसे बेखबर केवल अपनी दुनिया में मस्त रह सकते हो।  आप असुरों की तरह समस्या को ही दोष दे सकते हो; और उससे मुँह मोड़ सकते हो। समस्या आने पर आप अपना सब कुछ समेट कर भाग सकते हो, राक्षसों की तरह। लेकिन ये याद रहे कि कबूतर के आँख बंद कर लेने से बिल्ली उसको छोड़ नहीं देती। या फिर आप समस्या का समाधान सोचते हुए जो आपके पास है उससे अपने से नीचे वालो की असहायों कि सहायता कर सकते हैं।  यह सब आप पर निर्भर करता है कि आप क्या बनना चाहते हो या आपने क्या बनने कि क्षमता है। 

        दुनिया की पहली अरबपति लेखिका जे के रोलिंग ने अपनी समस्यों के साथ एक किताब लिखी।  उसी किताब में एक किदार है प्रोफेसर एल्बस  डम्बल्डोर। जब भी हैरी को जीवन से जुडी कोई समस्या आती है तब चचा डम्बल्डोर अपना ज्ञान सुनाते हैं।  ऐसे ही एक बार वो कहते हैं कि "हमारी क्षमताएं ये निर्धारित नहीं करती कि हम क्या बनेंगे, बल्कि हमारे फैसले बताते हैं कि हम जीवन में कैसे बनेंगे।"





-Abiiinabu

    आशा करता हूँ  की आपको हमारा आज का यह ब्लॉग पसंद आया होगाआप इसे शेयर कर सकते हैं और यदि इससे जुडी कोई भी बात आपकी समझ में  आई हो अथवा कोई प्रश्न हो तो हमको कमेंट में लिखना  भूलें।




Disclaimer :- This article is written only for educational and informative purpose. There is no intension to hurt anyone's feelings. This article is the original property of Abiiinabu. All data and knowledge are refered by various books and facts. Pictures that I used are not mine, credit for those goes to their respected owners. 


Follow the Author :-

instagram :-  www.instagram.com/abiiinabu
twitter :- www.twitter.com/aabhinavno1

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

If you have any doubt please let me know.

Best From the Author

The Story of Yashaswi Jaiswal

जिस 21 वर्षीय यशस्वी जयसवाल ने ताबड़तोड़ 98* रन बनाकर कोलकाता को IPL से बाहर कर दिया, उनका बचपन आंसुओं और संघर्षों से भरा था। यशस्‍वी जयसवाल मूलरूप से उत्‍तर प्रदेश के भदोही के रहने वाले हैं। वह IPL 2023 के 12 मुकाबलों में 575 रन बना चुके हैं और ऑरेंज कैप कब्जाने से सिर्फ 2 रन दूर हैं। यशस्वी का परिवार काफी गरीब था। पिता छोटी सी दुकान चलाते थे। ऐसे में अपने सपनों को पूरा करने के लिए सिर्फ 10 साल की उम्र में यशस्वी मुंबई चले आए। मुंबई में यशस्वी के पास रहने की जगह नहीं थी। यहां उनके चाचा का घर तो था, लेकिन इतना बड़ा नहीं कि यशस्वी यहां रह पाते। परेशानी में घिरे यशस्वी को एक डेयरी पर काम के साथ रहने की जगह भी मिल गई। नन्हे यशस्वी के सपनों को मानो पंख लग गए। पर कुछ महीनों बाद ही उनका सामान उठाकर फेंक दिया गया। यशस्वी ने इस बारे में खुद बताया कि मैं कल्बादेवी डेयरी में काम करता था। पूरा दिन क्रिकेट खेलने के बाद मैं थक जाता था और थोड़ी देर के लिए सो जाता था। एक दिन उन्होंने मुझे ये कहकर वहां से निकाल दिया कि मैं सिर्फ सोता हूं और काम में उनकी कोई मदद नहीं करता। नौकरी तो गई ही, रहने का ठिकान...

The Justice Verma Incident

 हास्य व्यंग्य : वाह रे न्याय....!! फायर ब्रिगेड के ऑफिस में हड़कंप मच गया। आग लगने की सूचना जो मिली थी उन्हें। आग भी कहां लगी ? दिल्ली हाईकोर्ट के माननीय न्यायाधीश “फलाने वर्मा” के सरकारी बंगले में..! घटना की सूचना मिलने पर फायर ब्रिगेड कर्मचारियों के हाथ पांव फूल गए । "माई लॉर्ड" के बंगले में आग ! हे भगवान ! अब क्या होगा ? एक मिनट की भी अगर देर हो गई तो माई लॉर्ड सूली पर टांग देंगे ! वैसे भी माई लॉर्ड का गुस्सा सरकार और सरकारी कर्मचारियों पर ही उतरता है। बाकी के आगे तो ये माई लॉर्ड एक रुपए की हैसियत भी नहीं रखते हैं जिसे प्रशांत भूषण जैसे वकील भरी कोर्ट में उछालते रहते हैं।  बेचारे फायर ब्रिगेड के कर्मचारी एक साथ कई सारी फायर ब्रिगेड लेकर दौड़ पड़े और आनन फानन में आग बुझाने लग गए। अचानक एक फायर ऑफिसर की नजर सामने रखे नोटों के बंडलों पर पड़ी। वह एक दम से ठिठक गया। उसके हाथ जहां के तहां रुक गए..!! नोट अभी जले नहीं थे..!! लेकिन दमकल के पानी से खराब हो सकते थे.. इसलिए उसने फायर ब्रिगेड से पानी छोड़ना बंद कर दिया और दौड़ा दौड़ा अपने बॉस के पास गया...  "बॉस...!    म...

कहानी AIR INDIA के TATA से TATA तक के सफर की| A blogpost by Abiiinabu

कहानी AIR INDIA के TATA से TATA तक के सफर की... अभी हाल ही में भारत सरकार ने Air India को 60 हजार करोड़ के कर्ज़ से छुटकारा पाने के लिए नीलाम कर दिया। जिसे Tata Sons ने 18000 करोड़ की कीमत देकर खरीद लिया जिसके बाद रतन टाटा के एक इंस्टाग्राम पोस्ट की बहुत चर्चा हो रही है। जिसमें उन्होंने यह कहा है कि Airline का टाटा में फिर से स्वागत है।  कहानी AirIndia की... Air India Air Line, मूलतः टाटा की एयरलाइन थी। जिसे भारत सरकार ने राष्ट्रीयकृत करके इसको अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया था। एयर इंडिया का वापस टाटा ग्रुप में जाना टाटा परिवार के लिए एक भावुक लम्हा है। आज हम आपको एयर इंडिया के टाटा से वापस टाटा के तक के सफर को सुनाएंगे।  क्या आप जानते हैं J.R.D. Tata भारत के पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्हें फ्लाइंग सर्टिफिकेट यानी कि हवाई जहाज उड़ाने की क्षमता का सर्टिफिकेट प्रदान किया गया था। जब J R.D. Tata मात्र 25 साल के थे, तब उन्होंने यह प्राप्त कर लिया था, और उसके बाद वह पहले ऐसे व्यक्ति बने जो भारत की प्लेन को विदेशों तक ले गए। उन्होंने ही टाटा एवियशन सर्विसेज की स्थापना करके, भार...

Bageshwar Baba Controversy

नालंदा! तात्कालिक विश्व का सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय! कहते हैं, संसार में तब जितना भी ज्ञान था, वहाँ सबकी शिक्षा दीक्षा होती थी। सारी दुनिया से लोग आते थे ज्ञान लेने... बौद्धिकता का स्तर वह कि बड़े बड़े विद्वान वहाँ द्वारपालों से पराजित हो जाते थे। पचास हजार के आसपास छात्र और दो हजार के आसपास गुरुजन! सन 1199 में मात्र दो हजार सैनिकों के साथ एक लुटेरा घुसा और दिन भर में ही सबको मार काट कर निकल गया। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शिक्षक और उनके बीस हजार छात्र मात्र दो सौ लुटेरों से भी नहीं जूझ सके। छह महीने तक नालंदा के पुस्तकालय की पुस्तकें जलती रहीं।      कुस्तुन्तुनिया! अपने युग के सबसे भव्य नगरों में एक, बौद्धिकों, वैज्ञानिकों, दार्शनिकों की भूमि! क्या नहीं था वहाँ, भव्य पुस्तकालय, मठ, चर्च महल... हर दृष्टि से श्रेष्ठ लोग निवास करते थे। 1455 में एक इक्कीस वर्ष का युवक घुसा और कुस्तुन्तुनिया की प्रतिष्ठा मिट्टी में मिल गयी। सबकुछ तहस नहस हो गया। बड़े बड़े विचारक उन लुटेरों के पैरों में गिर कर गिड़गिड़ाते रहे, और वह हँस हँस कर उनकी गर्दन उड़ाता रहा। कुस्तुन्तुनिया का पतन हो ग...

Gandhi Jayanti Special महात्मा गांधी के जीवन से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य जो शायद आप ना जानते हो Interesting facts about Gandhiji

Gandhi Jayanti Special  महात्मा गांधी के जीवन से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य जो शायद आप ना जानते हो Interesting facts about Gandhiji      ब्रिटिश साम्राज्य से भारत के स्वतंत्रता की लड़ाई में गांधी जी ने अहिंसा का मार्ग अपनाया। वह आज भी अपने परिश्रम, दृढ़ता, एवं उत्साही प्रतिबद्धता के कारण याद किए जाते हैं। उन्हें आदर के साथ महात्मा, बापू एवं राष्ट्रपिता भी कहा जाता है।  भारत के गुजरात के एक वैश्य परिवार में जन्मे Mohandas ने लंदन से वकालत की पढ़ाई पूरी की, और दक्षिण अफ्रीका में एक प्रवासी के रूप में अपनी वकालत की तैयारी शुरू की। उन्होंने वहां पर भारतीय समाज के लोगों के लिए समान नागरिक अधिकारों के लिए आंदोलन शुरू किया। वर्ष 1915 में वे भारत लौटे और अपना जीवन भारत के किसानों और मजदूरों के साथ हो रहे अन्याय एवं अत्याचारों से लड़ने में खपाने की तैयारी करने लगे। 5 साल बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता चुने गए और पूरे देश में उन्होंने भारत का राज "स्वराज" की मांग की। गांधीजी के जीवन के 2 सबसे बड़े आंदोलन जिनमें पहला 1930 का दांडी का नमक सत्याग्रह जिसमें उन्होंने दांडी नाम...