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MSD The Disaster

 महेंद्र सिंह धोनी ने छुपने के लिए वो जगह चुनी, जिस पर करोड़ों आँखें लगी हुई थीं! वो जीज़ज़ की इस बात को भूल गए कि "पहाड़ पर जो शहर बना है, वह छुप नहीं सकता!" ठीक उसी तरह, आप आईपीएल में भी छुप नहीं सकते। कम से कम धोनी होकर तो नहीं। अपने जीवन और क्रिकेट में हर क़दम सूझबूझ से उठाने वाले धोनी ने सोचा होगा, एक और आईपीएल खेलकर देखते हैं। यहाँ वे चूक गए। क्योंकि 20 ओवर विकेट कीपिंग करने के बाद उनके बूढ़े घुटनों के लिए आदर्श स्थिति यही रह गई है कि उन्हें बल्लेबाज़ी करने का मौक़ा ही न मिले, ऊपरी क्रम के बल्लेबाज़ ही काम पूरा कर दें। बल्लेबाज़ी का मौक़ा मिले भी तो ज़्यादा रनों या ओवरों के लिए नहीं। लेकिन अगर ऊपरी क्रम में विकेटों की झड़ी लग जाए और रनों का अम्बार सामने हो, तब क्या होगा- इसका अनुमान लगाने से वो चूक गए। खेल के सूत्र उनके हाथों से छूट गए हैं। यह स्थिति आज से नहीं है, पिछले कई वर्षों से यह दृश्य दिखाई दे रहा है। ऐसा मालूम होता है, जैसे धोनी के भीतर अब खेलने की इच्छा ही शेष नहीं रही। फिर वो क्यों खेल रहे हैं? उनके धुर-प्रशंसक समय को थाम लेना चाहते हैं। वे नश्वरता के विरुद्ध...

Bageshwar Baba Controversy


नालंदा! तात्कालिक विश्व का सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय! कहते हैं, संसार में तब जितना भी ज्ञान था, वहाँ सबकी शिक्षा दीक्षा होती थी। सारी दुनिया से लोग आते थे ज्ञान लेने... बौद्धिकता का स्तर वह कि बड़े बड़े विद्वान वहाँ द्वारपालों से पराजित हो जाते थे। पचास हजार के आसपास छात्र और दो हजार के आसपास गुरुजन! सन 1199 में मात्र दो हजार सैनिकों के साथ एक लुटेरा घुसा और दिन भर में ही सबको मार काट कर निकल गया। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शिक्षक और उनके बीस हजार छात्र मात्र दो सौ लुटेरों से भी नहीं जूझ सके। छह महीने तक नालंदा के पुस्तकालय की पुस्तकें जलती रहीं।
     कुस्तुन्तुनिया! अपने युग के सबसे भव्य नगरों में एक, बौद्धिकों, वैज्ञानिकों, दार्शनिकों की भूमि! क्या नहीं था वहाँ, भव्य पुस्तकालय, मठ, चर्च महल... हर दृष्टि से श्रेष्ठ लोग निवास करते थे। 1455 में एक इक्कीस वर्ष का युवक घुसा और कुस्तुन्तुनिया की प्रतिष्ठा मिट्टी में मिल गयी। सबकुछ तहस नहस हो गया। बड़े बड़े विचारक उन लुटेरों के पैरों में गिर कर गिड़गिड़ाते रहे, और वह हँस हँस कर उनकी गर्दन उड़ाता रहा। कुस्तुन्तुनिया का पतन हो गया।
     हम्पी! दक्षिण भारत के सबसे यशश्वी साम्राज्य विजयनगर की राजधानी। वैसा वैभवशाली नगर क्या ही होगा कोई। बिट्ठल मन्दिर के खंडहर तक की दशा यह कि अलग अलग स्तम्भों पर बजाने से अलग अलग वाद्ययंत्रों के स्वर निकलते। अंदाजा लगाइए विज्ञान का, कलात्मकता का... पर 1565 में चार बर्बर पड़ोसी राज्य मिल कर आक्रमण किये। युद्ध में इधर के भी कुछ सेनानायक मिल गए उनसे। दक्षिण भारत की सर्वश्रेष्ठ सेना पराजित हुई और बर्बरों ने भारत के उस सबसे सुंदर नगर को फूँक दिया। कई महीनों तक उस नगर को लूटा गया, और समूची कलात्मकता को तहस नहस कर दिया गया। तनिक सोचिये, लूट कर तो उन्हें धन का लाभ होता था, पर तोड़ने से क्या मिलता था? कुछ नहीं! बस उनका मन हुआ तो तोड़ दिया।
     इतिहास छोड़िये! दिल्ली वाले डॉ नारंग! उच्च शिक्षित, सभ्य, सम्पन्न व्यक्ति। कुछ उदण्ड लड़कों का दिमाग खराब हुआ तो दस मिनट में पीट पीट कर मार दिया। डॉक्टर साहब का ज्ञान, बौद्धिकता, तर्क सब धरे रह गए और...
     दोस्त! सुनने में तनिक बुरा लगेगा, पर इतिहास पढिये या वर्तमान, बौद्धिकता सदैव बर्बरों असभ्यों के आगे भयभीत हो कर पेशाब कर देती है। तार्किक होना, बैद्धिक होना, वैज्ञानिक होना बहुत बड़ी बात है, पर यह भी सही है कि असभ्यता सदैव तर्कों का बलात्कार कर देती है।
     तार्किक होना बहुत अच्छी बात है, पर यदि अपने कालखंड की असभ्यता से जूझने की योजना नहीं आपके पास तो आपके सारे तर्क व्यर्थ हैं। आप से बेहतर है वह व्यक्ति, जो तार्किक भले न हो, पर अपने समय की ज्वलंत समस्याओं से जूझ रहा है और सफल भी हो रहा है।
       बागेश्वर धाम वाले शास्त्री जी देवता नहीं हैं, सामान्य मनुष्य ही हैं। उनमें कुछ मानवीय कमजोरियां भी हो सकती हैं। सम्भव है कि बौद्धिक तर्कों की कसौटी पर वे खरे न भी उतरें। फिर भी, वे अपने हिस्से की लड़ाई लड़ रहे हैं। और यही बात उन्हें बड़ा बनाती है। वे किससे लड़ रहे हैं, यह बताने की आवश्यकता नहीं है न? 



सोशल मीडिया पर फैलाया जा रहा है कि बागेश्वर धाम के संत महाराज श्री धीरेंद्र शास्त्री जी नागपुर से कथा छोड़कर भाग गए।
आईए उसका सच बताता हूं साथ ही झूठ फैलाने वाली विशेष ब्रिगेड से कुछ सवाल

1. FIR होने के बाद भागे महाराज श्री धीरेंद्र शास्त्री जी?

Ans: नहीं! अभी तक कोई FIR नहीं हुई है, जबरन चैलेंज देने वाले श्याम मानव ने FIR करने की मौखिक गुजारिश करते हुए सिर्फ मीडिया में बयानबाजी तक हो हल्ला किया है।

2. श्याम मानव का चैलेंज?

Ans:
धीरेंद्र शास्त्री जी 7 दिनों तक नागपुर में रहे, 2 दिन दरबार भी लगाया तब कहां थे श्याम मानव ??
तब मीडिया के सामने आकर क्यों नहीं कहा कि हमने चैलेंज दिया है? ये क्यों नहीं बता रहे कि चैलेंज किसके माध्यम से कैसे दिए हैं? लिखित दिए हैं या मौखिक दिए हैं? नागपुर से जाने ल बाद ही चैलेंज की बात क्यों? वो भी खास वर्ग के प्रोपोगेंडाबाजों के माध्यम से?

3. कोर्ट क्यों नहीं जाते श्याम मानव?

Ans:
श्याम मानव का कोई बड़ा कंसर्न है तो कोर्ट क्यों नहीं जाते? बेवजह झूठी लोकप्रियता के लिए मीडिया में बयानबाजी कर क्या दिखाना चाहते हैं।

4. क्या कभी बागेश्वर धाम ने कहा कि वो चमत्कार करते हैं?

Ans:
जी नहीं उन्होंने ऐसा कभी नहीं कहा, जिनकी भक्ति और श्रद्धा है, वो लोग जाते हैं, जिन्हें नहीं जाना उन्हें कोई जबरन नहीं बुलाता।

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The Story of Yashaswi Jaiswal

जिस 21 वर्षीय यशस्वी जयसवाल ने ताबड़तोड़ 98* रन बनाकर कोलकाता को IPL से बाहर कर दिया, उनका बचपन आंसुओं और संघर्षों से भरा था। यशस्‍वी जयसवाल मूलरूप से उत्‍तर प्रदेश के भदोही के रहने वाले हैं। वह IPL 2023 के 12 मुकाबलों में 575 रन बना चुके हैं और ऑरेंज कैप कब्जाने से सिर्फ 2 रन दूर हैं। यशस्वी का परिवार काफी गरीब था। पिता छोटी सी दुकान चलाते थे। ऐसे में अपने सपनों को पूरा करने के लिए सिर्फ 10 साल की उम्र में यशस्वी मुंबई चले आए। मुंबई में यशस्वी के पास रहने की जगह नहीं थी। यहां उनके चाचा का घर तो था, लेकिन इतना बड़ा नहीं कि यशस्वी यहां रह पाते। परेशानी में घिरे यशस्वी को एक डेयरी पर काम के साथ रहने की जगह भी मिल गई। नन्हे यशस्वी के सपनों को मानो पंख लग गए। पर कुछ महीनों बाद ही उनका सामान उठाकर फेंक दिया गया। यशस्वी ने इस बारे में खुद बताया कि मैं कल्बादेवी डेयरी में काम करता था। पूरा दिन क्रिकेट खेलने के बाद मैं थक जाता था और थोड़ी देर के लिए सो जाता था। एक दिन उन्होंने मुझे ये कहकर वहां से निकाल दिया कि मैं सिर्फ सोता हूं और काम में उनकी कोई मदद नहीं करता। नौकरी तो गई ही, रहने का ठिकान...

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