सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Book Review: Chitralekha by Bhagwati Charan Verma

 चित्रलेखा – एक दार्शनिक कृति की समीक्षा लेखक: भगवती चरण वर्मा   प्रस्तावना   हिंदी साहित्य के इतिहास में *चित्रलेखा* एक ऐसी अनूठी रचना है जिसने पाठकों को न केवल प्रेम और सौंदर्य के मोह में बाँधा, बल्कि पाप और पुण्य की जटिल अवधारणाओं पर गहन चिंतन के लिए भी प्रेरित किया। भगवती चरण वर्मा का यह उपन्यास 1934 में प्रकाशित हुआ था और यह आज भी हिंदी गद्य की कालजयी कृतियों में गिना जाता है। इसमें दार्शनिक विमर्श, मनोवैज्ञानिक विश्लेषण और सामाजिक यथार्थ का ऐसा संलयन है जो हर युग में प्रासंगिक बना रहता है । मूल विषय और उद्देश्य   *चित्रलेखा* का केंद्रीय प्रश्न है — "पाप क्या है?"। यह उपन्यास इस अनुत्तरित प्रश्न को जीवन, प्रेम और मानव प्रवृत्तियों के परिप्रेक्ष्य में व्याख्यायित करता है। कथा की बुनियाद एक बौद्धिक प्रयोग पर टिकी है जिसमें महात्मा रत्नांबर दो शिष्यों — श्वेतांक और विशालदेव — को संसार में यह देखने भेजते हैं कि मनुष्य अपने व्यवहार में पाप और पुण्य का भेद कैसे करता है। इस प्रयोग का परिणाम यह दर्शाता है कि मनुष्य की दृष्टि ही उसके कर्मों को पाप या पुण्य बनाती है। लेखक...

India's first Vertical Lift Sea Bridge| All about New Pamban Railway Bridge

India's first Vertical Lift Sea Bridge| All about New Pamban Railway Bridge

Pamban Bridge
Old Pumban Bridge

    पम्बन पुल तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्थित है जो सचमुच भारत का दक्षिणपूर्वी सिरे है। रामेश्वरम अपने आप में एक द्वीप है और यह इस सदी पुराने समुद्री पुल के माध्यम से भारत की मुख्य भूमि से जोड़ता है । यह पुल रामेश्वरम बस स्टैंड से 14.8 किमी दूर स्थित है। आप सरकारी बसों या निजी वाहनों से पुल तक पहुंच सकते हैं। आप रामेश्वरम जाने के लिए या तो रेल मार्ग या सड़क मार्ग ले सकते हैं जो इसके समानांतर चलता है।
    भारत देश का पहला वर्टीकल लिफ्ट रेलवे सी ब्रिज तमिलनाडु के रामेश्वरम में बन रहा है। जिसका नाम पम्बन रखा गया है। दोहरे ट्रैक वाला यह पुल एक इंजीनियरिंग चमत्कार है। इस पुल की लम्बाई 2.07 किमी है; जिसको आने वाले मार्च 2022 तक बना कर पूरा कर लिया जायेगा। यह पुल रामेश्वरम से धनुष्कोडी को जोड़ता है। यह पल पम्बन द्वीप को भारत की मुख्य भूमि से जोड़ेगा।  इसको पुराने पुल के स्थान के बदला जा रहा है। गैरतलब है कि पुराने पम्बन द्वीप को जोड़ने वाला पुल अंग्रेज़ों ने 1914 में बनवाया था।
Pamban Bridge
Rameshwaram and Dhanushkodi Location

    इस नए पुल कि विशेषता यह है कि इसको समुद्री जहाज़ों को रास्ता देने के लिए बीच से तोड़ कर ऊपर उठाया जा सकता है। भारत में यह इस तरह का पहला पुल होने की वजह से, तमिलनाडु को पर्यटन के क्षेत्र में बढ़ोतरी होने का अनुमान लगाया गया है। 
    इलेक्ट्रो मैकेनिकल नियंत्रण प्रणाली से संचालित होने वाला यह पुल 18 मीटर के 100 स्पैन और 63 मीटर लम्बे एक नेविगेशन स्पैन द्वारा नियंत्रित किया जायेगा। इस पुल को ट्रैन नियंत्रण प्रणाली द्वारा, निर्बाध रूप से कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए भी बनाया जा रहा है। पुराने पुल को 106 से भी अधिक वर्ष पूरे हो चुके हैं, जिस कारन इसका मेंटेनेंस का खर्कगा बहुत ज़्यादा बढ़ गया है।  इसी कारण नया ब्रिज बनाया जा रहा है।
New Pumban Bridge Normal Mode
New Pamban Bridge Normal Mode

    100 सालों तक भारत का सबसे लम्बा सी ब्रिज था- पम्बन ब्रिज 2011 में बांद्रा-वर्ली सी लिंक ने इसको रिप्लेस कर दिया। अधिक गति से ट्रैन चलाई जाए, इसका भी ध्यान नया ब्रिज बनाने में रखा जा रहा है। नया पुल पुराने पुल से 3 मीटर अधिक ऊंचा बनाया जा रहा है। जिसको बाद में 22 मीटर तक ऊंचा किया जा सकता है। इस पूरे प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत लगभग 250 करोड़ आंकी गई है।
New Pumban Bridge Lifted Mode
New Pamban Bridge Lifted Mode

  • Interesting Facts About Pamban Bridge

  1. पम्बन पुल का निर्माण 1911 में शुरू हुआ था और इसे 24 फरवरी, 1914 को खोला गया था। 2007 में पम्बन पुल पर रेल लाइन को मीटर गेज से ब्रॉडगेज में बदल दिया गया।
  2. पुल का मध्य हिस्सा जर्मन इंजीनियर शेर्जर द्वारा डिजाइन किया गया था। यह हिस्सा है, 114 वीं अवधि है, पुल के साथ मिडवे, Scherzer अवधि कहा जाता है और यह नौका आंदोलन की अनुमति के लिए खुल जाता है । औसतन हर महीने पुल के नीचे से 10 से 15 नावें और छोटे जहाज गुजरते हैं। पुल के खुलने पर एक नौका के नीचे से गुजरना देखने को मिलता है।
  3. यह पुल 1964 में एक बड़े चक्रवात से बच गया था जो संपन्न बंदरगाह शहर धनुषकोडी को Hit कर रहा था ।
  4. पम्बन ब्रिज एक कैंटिलीवर पुल है, यानी, इसमें ऐसी संरचनाएं हैं जिसके कारण यह एक ओर सहारा लेकर हवा में खुल सकता है.
  5.  1964 में चक्रवात के कारण एक दुखद रेल दुर्घटना हुई, जिसके बाद भारतीय रेलवे ने डक्ट के रास्ते पम्बन में हवा के वेग की जांच के लिए उपकरण स्थापित किए । हवा की गति 58kmph से अधिक होने पर पुल पर ट्रेनों की आवाजाही रोक दी जाती है।

टिप्पणियाँ

Best From the Author

The Story of Yashaswi Jaiswal

जिस 21 वर्षीय यशस्वी जयसवाल ने ताबड़तोड़ 98* रन बनाकर कोलकाता को IPL से बाहर कर दिया, उनका बचपन आंसुओं और संघर्षों से भरा था। यशस्‍वी जयसवाल मूलरूप से उत्‍तर प्रदेश के भदोही के रहने वाले हैं। वह IPL 2023 के 12 मुकाबलों में 575 रन बना चुके हैं और ऑरेंज कैप कब्जाने से सिर्फ 2 रन दूर हैं। यशस्वी का परिवार काफी गरीब था। पिता छोटी सी दुकान चलाते थे। ऐसे में अपने सपनों को पूरा करने के लिए सिर्फ 10 साल की उम्र में यशस्वी मुंबई चले आए। मुंबई में यशस्वी के पास रहने की जगह नहीं थी। यहां उनके चाचा का घर तो था, लेकिन इतना बड़ा नहीं कि यशस्वी यहां रह पाते। परेशानी में घिरे यशस्वी को एक डेयरी पर काम के साथ रहने की जगह भी मिल गई। नन्हे यशस्वी के सपनों को मानो पंख लग गए। पर कुछ महीनों बाद ही उनका सामान उठाकर फेंक दिया गया। यशस्वी ने इस बारे में खुद बताया कि मैं कल्बादेवी डेयरी में काम करता था। पूरा दिन क्रिकेट खेलने के बाद मैं थक जाता था और थोड़ी देर के लिए सो जाता था। एक दिन उन्होंने मुझे ये कहकर वहां से निकाल दिया कि मैं सिर्फ सोता हूं और काम में उनकी कोई मदद नहीं करता। नौकरी तो गई ही, रहने का ठिकान...

क्या Netaji Subhash Chandra Bose के बारे में ये सब जानते हो आप?

 क्या Netaji Subhash Chandra Bose के बारे में ये सब जानते हो आप?  सिर्फ ये पढ़ लो सब पता लग जायेगा  सामान्य परिचय:-                                         "जिस देश में गर तुम पैदा हुए उस देश के गर तुम भक्त नहीं                                         तो माँ का न तुमने दूध पिया और पिता का तुमने रक्त नहीं"                                                                                      कुछ इसी विचारधारा को अपने जीवन में पल पल सिद्ध करने वाले , परम...

Australia पर India की विजय मात्र एक Test Match में जीत नहीं है

जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मार जाता है उपरोक्त पंक्तियों का टिम पैन से कोई लेना देना नहीं है एवम् Never mess with an Indian इस पंक्ति का ऋषभ पंत से कुछ लेना देना नहीं है लेना देना तो रिकी पॉन्टिंग साहेब का है, जिन्होंने और जिनके चेलों ने एक अकेले से नहीं पूरी टीम से भसड़ लेली, फिर क्या होना था.                                फिर इतिहास रचा गया, ऐसा इतिहास जिसमे underdog समझी जाने वाली टीम जिसके आधे खिलाड़ी डेब्यू कर रहे थे, और इसी के साथ कह के लूंगा वाला गाना भारतीय चेंज रूम में बजा कर, ऑस्ट्रेलिया को आज दूसरी बार ये दिखला दिया कि भारतीय रणबांकुरे आखिर क्यों इतने ऐतिहासिक हैं।                                      पिछली बार जब पहली पारी में अच्छा प्रदर्शन ना कर पाने के एवज में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने भीख के रूप में फॉलोऑन दिया, तो उनके लिए ये महज और अधिक अपमान देने का या यूं कहे...

The Big Bang Theory| बिग बैंग सिद्धांत

बिग बैंग थ्योरी पृथ्वी पर जीवन की शुरुवात समझने के लिए बहुत महत्वपूर्ण कॉन्सेप्ट है । इस क्षेत्र में भारतीय और वैश्विक वैज्ञानिक दोनों ही काफी शोध चल रहे हैं, ताकि पता चल सके कि ब्रह्मांड की शुरुआत अरबों साल पहले कैसे हुई थी। इस आर्टिकल में आप ब्रीफ में बिग बैंग थ्योरी के बारे में पढ़ेंगे। The Big Bang Theory बिग बैंग थ्योरी क्या है? What is Big Bang Theory ? बिग बैंग थ्योरी ब्रह्मांड का एक खगोल भौतिकी मॉडल है जिसे मानवीय इंद्रियों द्वारा देखा जा सकता है। सिद्धांत अपने आधुनिक दिन के विकास के लिए अपनी प्रारंभिक संरचनाओं से ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में विवरण देता है। बिग बैंग सिद्धांत बताता है कि कैसे ब्रह्मांड ने घटनाओं, विकिरण, प्रकाश तत्वों की एक बहुतायत, और बड़े पैमाने पर संरचनाओं की एक विस्तृत विवरण की पेशकश करके अत्यंत उच्च घनत्व और उच्च तापमान की प्रारंभिक स्थिति से विस्तार किया। What does The Big Bang Theory Tell? बिग बैंग थ्योरी क्या बताता है? बिग बैंग थ्योरी में कहा गया है कि ब्रह्मांड को पर्याप्त रूप से ठंडा करने के लिए कणों के गठन की अनुमति है कि बाद में विस्तार के ...

The Bloodiest Revolution in India's Freedom Movement that you haven't heard of!!!

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में आंदोलन का नाम एक ऐसे बदलाव के रूप में दर्ज है, जो आगे चलकर सामाजिक क्रांति का प्रतीक बन गया। पंजाब से शुरू हुए इस आंदोलन की नींव शालीन व्यक्ति के मालिक सतगुरु राम सिंह नामधारी ने रखी, जो एक धर्मगुरु, आंदोलन के नेतृत्वकर्ता और महिलाओं का उत्थान करने वाले शख्स के रूप में जाने जाते हैं। अपने बहुमुखी व्यक्तित्व के कारण ही वह ब्रिटिश शासन के खिलाफ बड़ा आंदोलन खड़ा करने में समाज की स्थापना की और महिलाओं, खासकर बालिकाओं के रक्षक बनकर उभरे। उन्होंने नारी उद्धार, अंतर्जातीय विवाह व सामूहिक विवाह के साथ- साथ गौरक्षा के लिए जीवन समर्पित कर दिया। नामधारी सिखों की कुर्बानी स्वतंत्रता संग्रम के इतिहास में कूका आंदोलन के नाम से दर्ज है, जिसकी कमान सतगुरु राम सिंह के हाथों में थी 12 अप्रैल, 1857 को लुधियाना के करीब भैणी साहिब में सफेद रंग का स्वतंत्रता का ध्वज फहराकर कूका आंदोलन की शुरुआत हुई। खास बात यह थी कि सतगुरु राम सिंह के अनुयायी सिमरन में लीन रहते हुए आंदोलन को आगे बढ़ाते थे। अंग्रेजों के खिलाफ हुंकार (कूक) करने के कारण उन्हें कूका के नाम से जाना जाने...