चम्बल का इतिहास क्या हैं? ये वो नदी है जो मध्य प्रदेश की मशहूर विंध्याचल पर्वतमाला से निकलकर युमना में मिलने तक अपने 1024 किलोमीटर लम्बे सफर में तीन राज्यों को जीवन देती है। महाभारत से रामायण तक हर महाकाव्य में दर्ज होने वाली चम्बल राजस्थान की सबसे लम्बी नदी है। श्रापित और दुनिया के सबसे खतरनाक बीहड़ के डाकुओं का घर माने जाने वाली चम्बल नदी मगरमच्छों और घड़ियालों का गढ़ भी मानी जाती है। तो आईये आज आपको लेकर चलते हैं चंबल नदी की सेर पर भारत की सबसे साफ़ और स्वच्छ नदियों में से एक चम्बल मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में महू छावनी के निकट स्थित विंध्य पर्वत श्रृंखला की जनापाव पहाड़ियों के भदकला जलप्रपात से निकलती है और इसे ही चम्बल नदी का उद्गम स्थान माना जाता है। चम्बल मध्य प्रदेश में अपने उद्गम स्थान से उत्तर तथा उत्तर-मध्य भाग में बहते हुए धार, उज्जैन, रतलाम, मन्दसौर, भिंड, मुरैना आदि जिलों से होकर राजस्थान में प्रवेश करती है। राजस्थान में चम्बल चित्तौड़गढ़ के चौरासीगढ से बहती हुई कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, करोली और धौलपुर जिलों से निकलती है। जिसके बाद ये राजस्थान के धौलपुर से दक्षिण की ओर
Fake Feminism के शिकार दुनिया भर के पुरुष क्यों हो रहे हैं Reality Of Women Empowerment Fake Feminism
Reality of Women Empowerment |
दिल्ली निवासी सर्वजीत सिंह 23 अगस्त, 2015 की शाम को तिलक नगर, दिल्ली में अपनी बाइक पर जा रहे थे।
कुछ ही मिनटों के बाद, उनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई।
एक लड़की जसलीन, जिसे ट्रैफिक नियमों की कोई समझ नहीं थी। उसने मीडिया को बताया, "जब मैंने रेड सिग्नल पर इशारा किया और सर्वजीत को रुकने के लिए कहा, तो उसने अश्लील टिप्पणी की।"
जबकि ये एक झूठ साबित हुआ।। वास्तव में, सर्वजीत ने उसे बताया था कि उसे बाईं ओर मुड़ना है, इसलिए वह आगे बढ़ रहा था।
सर्वजीत के जवाब से जसलीन का बड़ा अहंकार आहत हुआ। उसने अपना फोन निकाला और सर्वजीत की कुछ तस्वीरें क्लिक कीं। फिर उसने फेसबुक पर सर्वजीत की एक तस्वीर पोस्ट की और अश्लील टिप्पणी करने का आरोप लगाया।
इस पोस्ट के एक घंटे के भीतर लोगों ने सर्वजीत की पहचान ढूंढी और उसे "हवशी" और "राक्षस" घोषित किया। मीडिया ने सर्वजीत का क्रूर परीक्षण किया, बिना पुष्टि किए कि क्या जसलीन सच बोल रही थी या नहीं।
सर्वजीत हर न्यूज़ चैनल पर था। यह ऐसा था जैसे एक बकरी को मारने के लिए तैयार किया जा रहा था। और जो लोग इस बकरे को तैयार कर रहे थे वे स्वघोषित "पशु अधिकार कार्यकर्ता" थे।
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर जसलीन की तारीफ की, जसलीन से मुलाकात कर उसे बधाई दी। यह सब बिना किसी पुष्टि के किया गया था कि क्या जसलीन सच बोल रही थी या नहीं!
नेपोटिज्म की प्रोडक्ट सोनाक्षी सिन्हा ने भी जसलीन का समर्थन किया। (बाद में माफी भी मांगी)
सर्वजीत ने अपने फेसबुक अकाउंट पर कहानी का अपना पक्ष बताते हुए पोस्ट किया, लेकिन लोगों को फर्क नहीं पड़ा। उन्हें भारतीय दंड संहिता के तहत धारा 354 ए और 509 के तहत गिरफ्तार किया गया।
सर्वजीत को उनकी नौकरी से निकाल दिया गया । हर बार उन्हें शहर छोड़ने से पहले थाने बुलाया जाता था। उनके पिता को उनकी गिरफ्तारी के कुछ महीनों के भीतर दिल का दौरा पड़ा।
कोई भी अपनी बेटी की शादी एक "राक्षस" से नहीं करना चाहता था।
ट्रैफिक सिग्नल पर सर्वजीत और जसलीन को देखने वाले लोग सर्वजीत का समर्थन कर रहे थे और कह रहे थे कि जसलीन झूठ बोल रही थी। पुलिस को सर्वजीत के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला। एक गवाह ने दावा किया कि जसलीन यातायात को नियंत्रित कर रही थी और वही थी जिसने सर्वजीत के साथ दुर्व्यवहार किया था।
जसलीन 3 साल तक 13 अदालतों में सुनवाई के लिए नहीं आई। उसके माता-पिता ने कहा कि वह कनाडा में पढ़ रही थी। गलत आरोप लगाए जाने के चार साल बाद सर्वजीत को अदालत ने बरी कर दिया।
अगर जसलीन लड़का होती, तो शायद इस देश का कानून हर कोशिश करके उसे भारत लाता और सजा देता। इस देश के कानून ने बुरी महिलाओं की बुरी शक्ति को दोगुना कर दिया है। जिस तरह से बुरे मर्दों के कारण अच्छे मर्द तड़पते हैं, उसी तरह गलत महिलाओं की वजह से लोग महिलाओं पर भी जल्दी यकीन नहीं करेंगे।
बाबा भारती की कहानी बार बार याद आती है
28 नवंबर 2014 को सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें दो बहनों ने चलती बस में तीन लड़कों की पिटाई कर दी थी। बहनों ने बताया कि तीनों लड़के उनके साथ छेड़छाड़ कर रहे थे, जिसके बाद उनके साथ मारपीट की। लड़कों को गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन बाद में उन्हें जमानत मिल गई। सोशल मीडिया पर लड़कियों की खूब तारीफ हुई थी। मामला अदालत तक पहुंचा, और 2 साल की जांच के बाद, तीनों पुरुषों को दोषी नहीं पाया गया। चश्मदीदों ने साफ किया कि यह सिर्फ बस में सीट को लेकर झगड़ा था। सभी आरोप बेबुनियाद थे।
Zomoto Delivery Case |
गुरुग्राम के एक 17 वर्षीय लड़के ने सोशल मीडिया पर एक लड़की द्वारा बलात्कार का फ़र्ज़ी आरोप लगाए जाने के बाद आत्महत्या कर ली। लड़का अपार्टमेंट की इमारत से कूद गया।
बताया जाता है कि एक लड़की द्वारा इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए छेड़छाड़ का आरोप लगाए जाने के बाद किशोरी ने यह कदम उठाया है। उसने पोस्ट किया कि लड़के ने 2 साल पहले उस पर हमला किया था, और अब वह इसे गुप्त रखने से थक गई है।
माता-पिता ने शिकायत दर्ज कराने से इनकार कर दिया। इसलिए पुलिस ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 174 के तहत आत्महत्या की जांच शुरू की। मानव का वकील उस सच्चाई को उजागर करना चाहता है जिसकी वजह से एक मासूम लड़के को अपनी जिंदगी खत्म करनी पड़ती है।
आप लोग शायद Boys Locker Room Case को भूल गए होंगे, हां दिल्ली का वही सनसनीखेज मामला जिसमे स्कूल में पढ़ने वाले लडको का एक ग्रुप आपस में यह गुफ्तगू करता है कि किस प्रकार साथ पढ़ने वाली एक लड़की का सामूहिक बलात्कार किया जा सकता है। इस केस से हड़कंप मच गया था। लड़कों के संस्कारों पर उंगलियां उठीं, लड़कियों को बचाने वाली आवाजें भी उठीं, लड़के गिरफ्तार भी लिए गए, लेकिन एक दिन अचानक पता चलता है की जिस लड़के ने यह सब लिखा था, वो तो एक लड़की थी। उसने लड़के के नाम से फेक अकाउंट बना कर यह सारा कांड रचा। क्यों? सवाल उठता है, जवाब मिलता है, सिर्फ स्कूल में पॉपुलर होने के लिए। अब इसके आगे अगर मैं कुछ भी कहता हूं तो शायद यह मेरी लेखनी का अपमान हो जायेगा। लेकिन एक सवाल पूछना जरूर चाहूंगा, कि उस लड़की के साथ क्या हुआ, उसकी इस हरकत ने सौ से अधिक लड़कों का भविष्य अधर में लटका दिया था, उसका क्या?
अभी हाल ही में नोएडा में एक मेम साहब ने अपनी गाड़ी इलेक्ट्रिक रिक्शा चला रहे एक व्यक्ति के साथ लड़ा दी। अपनी गलती मानने की जगह पर वह अपनी कार से उतरी और रिक्शा चालक के थप्पड़ बरसाने लगी 10 सेकंड में 37 थप्पड़ उन्होंने जड़ दिए। रिक्शा चालक लाख कहता रहा कि मैंने कुछ नहीं किया है टक्कर आप ने मारी है तो मेम साहब का कहना था कि "लेडीस लोग का गलती भी कहीं होता है क्या?" सिर्फ यह स्टेटमेंट सिर्फ यह सोच भारत ही नहीं दुनिया भर के पुरुषों के साथ हो रहे अन्याय का समर्थन कर देती है। सवाल यह है कि अगर रिक्शा चालक पलट के एक थप्पड़ भी उन्हें मार देता तो क्या यह समाज यह बात स्वीकार कर पाता कि गलती रिक्शा चालक कि नहीं मैडम की है।
ऐसा नहीं है कि यह घटना है केवल भारत में होती हैं और केवल भारत के पुरुषों के साथ ही अन्याय हो रहा है। यदि आप गूगल करेंगे तो आप पाएंगे कि दुनिया के सबसे अमीर महिला कौन है?
जवाब आपको मैकेंजी स्कॉट के नाम से मिल जाएगा। कौन है यह महिला यदि इसकी पड़ताल की जाए तो आप पाएंगे कि यह महिला दुनिया के सबसे अमीर आदमी जैफ बेजॉस की पत्नी रह चुकी है। 35 बिलियन यूएस डॉलर में तलाक का समझौता हुआ। कुछ समय के लिए मैकेंजी दुनिया की सबसे अमीर महिला बन चुकी थी। लेकिन यदि यह पूछा जाए कि उनकी इनकम का सबसे बड़ा स्रोत क्या है तो जवाब मिलेगा "तलाक". वैकेंसी स्कॉट ने अपने दम पर क्या किया था जो इतने बड़े संपत्ति की मालकिन हो गई। घरेलू हिंसा के आरोप जैफ बेजॉस ने लगाए थे मैकेंजी ने नहीं।
यह अकेला मामला नहीं है इससे पहले भी दुनिया के बड़े-बड़े अरबपति अपनी धर्म पत्नी के साथ तलाक लेने की भारी कीमत चुका चुके हैं। मुझे याद है मैं जब से बड़ा हुआ हूं, मैंने होश संभाला मैं सुनता आया था कि दुनिया के सबसे अमीर आदमी बिल गेट्स है। जब बिल गेट्स और मिलिंडा गेट्स का तलाक हुआ तो मिलिंडा गेट्स ने कितनी संपत्ति की मांग की? लगभग 2 बिलियन यूएस डॉलर की!!! इस संपत्ति को प्राप्त करने के लिए मिलिंडा गेट्स ने क्या तरीका अपनाया था जवाब है "तलाक"।
हाल ही में हॉलीवुड अभिनेता जॉनी डेप जॉनी डेप और उनकी अभिनेत्री पत्नी अंबर हार्ड का हाई प्रोफाइल मामला भी सामने आया। अंबर के अनुसार जॉनी उनको मारते थे, उनके साथ घरेलू हिंसा करते थे। अपने साथ होने वाले अन्याय के खिलाफ जॉनी ने जब आवाज उठाई तो एम्बर हार्ड ने एक वीडियो में कहा "जाओ जॉनी दुनिया को बताओ कि तुम्हारी बीवी तो मैं मारती है मैं भी देखना चाहूंगी तुम्हारी इस बात पर कौन भरोसा करता है।" यह सिर्फ एक स्टेटमेंट नहीं है बल्कि यह वह विषैली सोच है जो दुनिया भर में होने वाले पुरुषों के साथ अन्याय को सिरे से खारिज कर देती है। ऐसे मामले सुनने के बाद ही यह एहसास होने लगता है कि पुरुषों को भी अब पुरुष आयोग की आवश्यकता है। चाहे भारत हो या दुनिया का कोई भी देश अन्याय पुरुषों के साथ भी हो सकता है। हां मैं यह मानता हूं कि लड़कियों के साथ भी अन्याय होते हैं लेकिन सिर्फ लड़कियों के साथ ही अन्याय होते हैं और हर बार सिर्फ लड़के ही दोषी होते हैं यह सत्य नहीं है। मामले अनगिनत हैं यदि मैं सब का जिक्र करने बैठूंगा तो लेख बहुत लंबा हो जाएगा। मैं आप पर छोड़ता हूं कि क्या पुरुषों के साथ होने वाले इस अन्याय को आप साधारण मानते हैं या उस महिला को भी पुरुषों के साथ मिलने वाली सजा का समर्थन करते हैं।
महिलाएं प्रेम की बात करती हैं। उनको प्रेम का आवरण पहन कर पुरुषों को चारित्रिक प्रमाण पत्र देना कुछ ज्यादा ही पसंद हैं। स्त्री विचारधारा के अनुसार पुरुष की मोहब्बत सिर्फ उसका दैहिक आकर्षण ही होता है ! उसके हृदय में प्रेम वासना से होकर ही गुजरता है, एक पुरुष सिर्फ और सिर्फ हवस के लिए ही प्रेम के नाम पर छलावा करता है।
इसमें दोष किसका है, प्रेम में होते हुए स्त्री क्या करती है अपने प्रेमी के लिए ??
क्या भाव होते है उसके??
क्या वो उसके लिए कविता लिखती है??
क्या वो उसके लिए बिन कहे गुलाब का फूल लेकर जाती है ??? क्या लड़की अपने पेसो से मूवी का टिकट बुक करवाती है ??
क्या गिटार बजाकर अपने प्रेमी के लिए कोई गाना जाती है ??
क्या प्रेमी के बर्थडे पर सरप्राइज़ पार्टी अरेंज करती है??
क्या वो प्रेमी की पसंदीदा रंग का शर्ट उसे बिना कहे गिफ्ट करती है ??
नहीं ना
सच्ची भावनाओं (हां वही फीलिंग्स) वाली मोहब्बत तो स्त्री खुद ही नहीं करती लेकिन उसे चाहिए एक ऐसी मोहब्बत जिसमे भावनाये हो हवस ना नाम ही ना हो किसी भी प्रकार से उसके प्रेम में कामुकता होना ही नहीं चाहिए !
सिर्फ चेहरे पर मेकअप पोत कर खूबसूरत बन कर प्रेमी को रिझाना ही मोहब्बत न होती, बाह्य आवरण से रिझाओगी तब आकर्षण दैहिक ही होगा ना !
हाँ लेकिन लड़कियों की डिमांड बहुत होती है-
किसी को पैसे वाला चाहिए, किसी को हेंडसम, किसी को संस्कारी पूजापाठ वाला चाहिए किसी को रंगबाज !
और सबसे फेमस डायलॉग लड़का बस दिल का अच्छा होना चाइये !
आखिर क्या प्रस्ताव देती है एक लड़की प्रेम में जो भावनात्मक हो ऐसा एक भी उदाहरण नहीं होगा लेकिन फेमिनिस्म की दुनिया में इस सच को कहना ही एक बेवकूफी है !
लड़की इस बात को किसी न किसी तरह से झुठला ही देगी। औरत को अपनी हवस मोहब्बत और मर्द की मोहब्बत भी हवस ही लगती है।
और सच्चाई यह है कि....
लड़के जब कमाना शुरू कर देते हैं। वे बचाना भी शुरू करते हैं। और जब उनको लगता है कि अब वो घर, गाड़ी और एक अतिरिक्त व्यक्ति की तमाम आवश्यकताएं पूरी कर सकने के योग्य हैं, वे अपने पैरों पर खड़े हो चुके हैं, वे परिवार बसाने के लिए शादी कर लेते हैं।
लेकिन जब लड़कियों को लगता है कि अब वे घर, गाड़ी और अतिरिक्त व्यक्ति की आवश्यकताएं पूरी सकने के योग्य हो गई हैं उनका व्यवहार उनसे कहलवाता है "मुझे परिवार की क्या आवश्यकता है? मैं खुद के पैरों पर खड़ी हो चुकी हूं।"
हमारे समाज में लड़का कितना भी पढ़ा लिखा हो, वह एक अनपढ़ लड़की से शादी कर लेगा, लेकिन इसके उलट एक औसत पढ़ी लिखी लड़की भी एक अनपढ़ लड़के से विवाह नहीं करेगी।
कोई विचार है तो कमेंटबॉक्स में हर बार की तरह स्वागत है।
ये कुछ ऐसी घटनाएं हैं जो दिखाती हैं कि कैसे महिलाओं ने किसी व्यक्ति को बदनाम करने के लिए विक्टिम कार्ड का इस्तेमाल किया। किसी को बदनाम करना महिला सशक्तिकरण नहीं है। विक्टिम कार्ड खेलने वाली महिलाओं पर आपके क्या विचार हैं? हमें नीचे टिप्पणी अनुभाग में बताएं।
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