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Book Review: Chitralekha by Bhagwati Charan Verma

 चित्रलेखा – एक दार्शनिक कृति की समीक्षा लेखक: भगवती चरण वर्मा   प्रस्तावना   हिंदी साहित्य के इतिहास में *चित्रलेखा* एक ऐसी अनूठी रचना है जिसने पाठकों को न केवल प्रेम और सौंदर्य के मोह में बाँधा, बल्कि पाप और पुण्य की जटिल अवधारणाओं पर गहन चिंतन के लिए भी प्रेरित किया। भगवती चरण वर्मा का यह उपन्यास 1934 में प्रकाशित हुआ था और यह आज भी हिंदी गद्य की कालजयी कृतियों में गिना जाता है। इसमें दार्शनिक विमर्श, मनोवैज्ञानिक विश्लेषण और सामाजिक यथार्थ का ऐसा संलयन है जो हर युग में प्रासंगिक बना रहता है । मूल विषय और उद्देश्य   *चित्रलेखा* का केंद्रीय प्रश्न है — "पाप क्या है?"। यह उपन्यास इस अनुत्तरित प्रश्न को जीवन, प्रेम और मानव प्रवृत्तियों के परिप्रेक्ष्य में व्याख्यायित करता है। कथा की बुनियाद एक बौद्धिक प्रयोग पर टिकी है जिसमें महात्मा रत्नांबर दो शिष्यों — श्वेतांक और विशालदेव — को संसार में यह देखने भेजते हैं कि मनुष्य अपने व्यवहार में पाप और पुण्य का भेद कैसे करता है। इस प्रयोग का परिणाम यह दर्शाता है कि मनुष्य की दृष्टि ही उसके कर्मों को पाप या पुण्य बनाती है। लेखक...

Proud History or Stupid Future?

 


द्वितीय विश्व युद्ध ब्रिटन और मित्र देशों को जितवाने में ब्रिटन के तत्कालीन प्रधान मंत्री विंस्टन चर्चिल की अहम भूमिका थी।युद्ध के बाद हुए चुनाव में उन्हे हार का सामना करना पड़ा।उस दौरान अमरीका दौरे पर गए चर्चिल से मीडिया ने सवाल किए तो उन्होंने सीधे कहा था की मेरा देश ,मेरे देश या मेरी समस्याओं को लेकर मैं मेरे देश में मेरे देश के लोग और व्यवस्था के साथ बात करूंगा।ये सब में आप लोग अपनी टांग न अड़ाए!


हिंदवी स्वराज बनाने का सपना लेकर जब छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपनी कहानी शुरू की तब सागरी सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए उन्होंने नेवी निर्माण का निर्णय लिया।चार सौ फिरंगी उस काम के लिए बुलाए गए ।उन्हे ढेर सारी दौलत और सरदारों वाली ट्रीटमेंट देकर काम शुरू करवाया गया।महाराज ने उन की सहायता के किए अपने खुद के चुने दो हजार लोग दिए थे।एक दिन गोवा से एक धर्मगुरु आता है और रातों रात वो चार सौ लोग काम आधे में छोड़ कर चले गए।जब राजे को पता था तो वो बोले की ये सब होगा इस का मुझे अंदाजा था इसलिए उन की सहायता हेतु मैने मेरे हजारों लोकल लोग रखे थे जो उन का काम सीख रहे थे !अब बचा काम मेरे लोग करेंगे।फिरंगी लोग देश धरम को लेकर जागृत है।ये नेवी कल जाकर हमारे शासन के खिलाफ लड़ेगी ये उन्हे बताने वाला एक इंसान आने की देरी थी और वो चले गए !


ये दो उदाहरण बताने का कष्ट मै इसलिए उठा रहा हू की जहा अपने ही लोगों का भविष्य उजाड़ने के लिए हम किसी भी हद तक गिर रहे है वहा वो लोग अपनी पहचान को लेकर कितने जागृत है !अलग अलग चर्च को मानने वाले यूरोपियन गोरे पूरे पूरे अंदर से एक है ।लेकिन सत्तर साल पहले तक भारत का हिस्सा रहे भारत पाकिस्तान और बांग्लादेश के लोग एक न हो सके !कभी आप ने देखा है अपने बाहरी देश की किसी भी संस्था ने किया इंडेक्स,सर्वे या किसी भी चीज को लेकर किसी भी यूरोपियन या अमरीकन देश ने अपने सरकार या व्यवस्था को कोसा है ?ये कीड़ा सिर्फ हमारे अंदर है ! यूरोप के दो देशों में चार जगहों पर गोरे बनाम अवैध इस्लामिक घुसपेठियो के बीच झड़पे हुई तो यूरोप इस्लामिक उपखंड बन जायेगा ये आप सोच रहे है तो आप सपने में जी रहे है ! अमरीका या चीन को पाकिस्तान या बांग्लादेश पर आक्रमण करने की जरूरत ही नही पड़ती।बस पैसा और वेपंस दो और वहा के उन के अपने ही देश का विनाश खुद के हाथो से कर देते है।भारत में भी ऐसे लोग की आबादी कुछ कम नही है !


हम या हमारा देश महान थे।हमारी संस्कृति महान थी।हमारा सायंस और सभ्यता महान थी।हमारा सबकुछ महान था और कोई हमारे आसपास भी नही था ! लेकिन था शब्द पर आप ध्यान देना।आज की तारीख में हम क्या है ? क्या आज की तारीख में हम इन सब मामले में श्रेष्ठ है ?जवाब है नही, ना, नो!! हाथ के मोबाइल से लेकर दवाई,शिक्षा से लेकर घर बनाने वाला सीमेंट,गाड़ियों से लेकर पेट्रोल और पेन से लेकर साबुन तक सब विदेशी इजात ही हम इस्तेमाल कर रहे है।पिछले पांच सौ सालों में दुनिया हम से आगे निकली और हम पिछले डेढ़ सौ साल में ही पांच सौ साल पीछे चले गए है ये वास्तव अपना कर हमे हमारा भविष्य सुनिश्चित करना पड़ेगा।


हिंदुस्थान और हिंदुत्व के मापदंड हमारी आप की पीढ़ी को नए सिरे से बनाने होंगे और वो अब से पैदा होने वाले हर एक बालक बालिका की नसों तक पहुंचाने पड़ेंगे।अब किसी न किसी महापुरुष और युगपुरुष का कहा या लिखा मानने वाले लोग शायद नाराज हो जाए लेकिन आज की तारीख में हमारे सारे महा पुरुष या विचारक लोग आउट डेटेड है ये सत्य हमे मानना पड़ेगा।जैसे श्री शिवाजी महाराज ने अपने स्वराज और विचार की नीव रखी ।वैसे ही हमे हमारे राष्ट्रीयत्व की नीव नए सिरे से रख कर उस पर दुनिया क्या सोचती है ये देखे बिना अमल करना पड़ेगा।


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