सचिन के 28, 90 प्लस स्कोर हैं। जिसमे एक बार ये नोट आउट गये बाक़ी 27 बार आउट हो गये। जिसमे से साल 2007 में ये 7 बार 90 प्लस स्कोर पर आउट हुए या यूँ कहिए नर्वस 90s का शिकार हुए।
इसके बावजूद इनके तीनों फ़ॉर्मेट में कुल 100 शतक हैं। और जब जब इन्होंने शतक लगाया तो 33% मैचों में इंडिया की हार हुई है
वहीं सहवाग, विराट, धोनी, शिखर धवन के कुल 11, 90 प्लस स्कोर हैं लेकिन सहवाग विराट और धोनी को कभी कोई नर्वस नाइंटीज़ का शिकार नहीं बोल सकता क्योंकि कोहली या धोनी हमेशा 70 प्लस के बाद स्ट्राइक रेट तेज कर देते हैं 90 से 100 आने के लिए कभी इनलोगो ने ज़्यादा डॉट बॉल्स नहीं खेली हैं जबकि सचिन इन दस रनों के लिए 30 चालीस बाल आराम से पी जाते थे😂
इस बारे में वीरेंद्र सहवाग का कहना था कि जो काम आप दो तीन बॉल्स में कर सकते हो उसके लिए इतनी देर तक प्रेशर में क्यों जीना।
बहरहाल सचिन के शतकों का योगदान भारत की जीत में मात्र 67% मैचों में ही रहा है जबकि विराट कोहली का शतकों का योगदान 87% मैच जीत में हैं। सचिन ने अपने शतकों के चक्कर में जो तीस तीस चालीस चालीस बॉल्स ख़राब की हैं उसकी वजह से कई मैच इंडिया हारा भी है और कई में हारने के कागार पर आया भी है।
बहरहाल, 28 बार नर्वस नाइंटीज़ का शिकार होने का मतलब है आप में दबाव झेलने की छमता ही नहीं है। हमने तो विराट कोहली को हमेशा प्रेशर वाले
मैच में अच्छा करते हुए देखा है। इसलिए मैं तो यही कहूँगा कि सचिन इतने ग्रेट प्लेयर नहीं रहे जितना विराट है।
कुछ लोग बोलेंगे की इन्हें कई बार स्टीव बकनर ने ग़लत आउट दिया क्योंकि तब DRS नहीं था। लेकिन तब DRS नहीं था और इन्हें अंपायर ने आउट होते हुए भी नोट आउट दिया होगा तो DRS का इन्हें फ़ायदा भी तो मिला होगा 😂
कुछ लोग बोलेंगे कि इन्होंने अख़्तर जैसे बोलर्स को फ़ेस किया तो भिया उनको सहवाग ने भी फ़ेस किया धोनी ने भी लेकिन खूब रन बनाये और आज के बॉलर बोल्ट स्टार्क एंडरसन कुछ कम नहीं है।
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