पितृपक्ष में रसखान रोते हुए मिले। सजनी ने पूछा -‘क्यों रोते हो हे कवि!’ कवि ने कहा:‘ सजनी पितृ पक्ष लग गया है। एक बेसहारा चैनल ने पितृ पक्ष में कौवे की सराहना करते हुए एक पद की पंक्ति गलत सलत उठायी है कि कागा के भाग बड़े, कृश्न के हाथ से रोटी ले गया।’ सजनी ने हंसकर कहा-‘ यह तो तुम्हारी ही कविता का अंश है। जरा तोड़मरोड़कर प्रस्तुत किया है बस। तुम्हें खुश होना चाहिए । तुम तो रो रहे हो।’ कवि ने एक हिचकी लेकर कहा-‘ रोने की ही बात है ,हे सजनी! तोड़मोड़कर पेश करते तो उतनी बुरी बात नहीं है। कहते हैं यह कविता सूरदास ने लिखी है। एक कवि को अपनी कविता दूसरे के नाम से लगी देखकर रोना नहीं आएगा ? इन दिनों बाबरी-रामभूमि की संवेदनशीलता चल रही है। तो क्या जानबूझकर रसखान को खान मानकर वल्लभी सूरदास का नाम लगा दिया है। मनसे की तर्ज पर..?’ खिलखिलाकर हंस पड़ी सजनी-‘ भारतीय राजनीति की मार मध्यकाल तक चली गई कविराज ?’ फिर उसने अपने आंचल से कवि रसखान की आंखों से आंसू पोंछे और ढांढस बंधाने लगी। दृष्य में अंतरंगता को बढ़ते देख मैं एक शरीफ आदमी की तरह आगे बढ़ गया। मेरे साथ रसखान का कौवा भी कांव कांव करता चला आ...
INDIA NEEDS PLANNING TO BEAT COVID-19 SECOND WAVE कोरोना से निपटने के लिए भारत को प्लानिंग की आवश्यकता ।। A Blogpost by Abiiinabu।।
INDIA NEEDS PLANNING TO BEAT COVID-19 SECOND WAVE कोरोना से निपटने के लिए भारत को प्लानिंग की आवश्यकता जब छोटा था तब से देखता आ रहा था, कभी अम्मा, कभी नानी, कभी बुआ तो कभी मम्मी को। घर में जितना भी दूध आता था वो कभी पूरा इस्तेमाल नहीं होता था। हमेशा एक चौथाई या तिहाई हिस्सा ही पीने या चाय या अन्य कामों में लिया जाता था। बाकि का दूध बचा कर रख दिया जाता था। बचपन में तो समझ नहीं आता था ये सब, वो इसलिए कि दूध बहुत ज़्यादा पसंद नहीं था मुझे। मिडिल क्लास घर के बच्चों को दूध को पीने लायक बनाने के लिए हॉर्लिक्स या बोर्नविटा की ज़रूरत नहीं पड़ती थी। उनके लिए बस मम्मी की मार या पापा की आँखें ही उस बेस्वाद दूध को पीने लायक बना देती थी। खैर ये पीने की प्रक्रिया की चर्चा फिर कभी। अभी फिलहाल, आगे की बात सुनो। हाँ तो एक बार मम्मी को काम करते देखा तो पाया कि जितना भी दूध आता है उसके ज़रूरत के हिसाब से हिस्से किये जाते हैं। एक पीने के लिए बोले तो रॉ कंसम्पशन, एक हिस्से का पनीर या छास बन जाता है, मतलब प्राइमरी कंसम्पशन। उसके बाद एक हिस्से में तोड़ डालकर उसका दही ज़माने रख ...