त्यागपत्र: एक अंतर्मुखी पीड़ा की कहानी जैनेंद्र कुमार का उपन्यास 'त्यागपत्र' भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह उपन्यास मृणाल की कहानी है, जो अपने पति प्रमोद के द्वारा त्याग दी जाती है। कहानी मृणाल के अंतर्मुखी पीड़ा, सामाजिक बंधनों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संघर्ष को दर्शाती है। जैनेंद्र कुमार की लेखन शैली सरल और गहरी है। उन्होंने मृणाल के मन की उलझनों और भावनात्मक जटिलताओं को बहुत ही संवेदनशील तरीके से चित्रित किया है। कहानी में सामाजिक रूढ़ियों और व्यक्तिगत इच्छाओं के बीच का द्वंद्व स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। मृणाल का त्यागपत्र केवल एक शारीरिक त्यागपत्र नहीं है, बल्कि यह उसके आंतरिक संघर्ष और मुक्ति की खोज का प्रतीक है। उपन्यास में प्रमोद का चरित्र भी जटिल है। वह एक ऐसे व्यक्ति के रूप में दिखाया गया है जो सामाजिक दबावों और अपनी कमजोरियों के कारण मृणाल को त्याग देता है। यह उपन्यास उस समय के समाज में महिलाओं की स्थिति और उनके संघर्षों पर प्रकाश डालता है। 'त्यागपत्र' एक ऐसा उपन्यास है जो पाठक को सोचने पर मजबूर करता है। यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता, सामाजि...
INDIA NEEDS PLANNING TO BEAT COVID-19 SECOND WAVE कोरोना से निपटने के लिए भारत को प्लानिंग की आवश्यकता ।। A Blogpost by Abiiinabu।।
INDIA NEEDS PLANNING TO BEAT COVID-19 SECOND WAVE कोरोना से निपटने के लिए भारत को प्लानिंग की आवश्यकता जब छोटा था तब से देखता आ रहा था, कभी अम्मा, कभी नानी, कभी बुआ तो कभी मम्मी को। घर में जितना भी दूध आता था वो कभी पूरा इस्तेमाल नहीं होता था। हमेशा एक चौथाई या तिहाई हिस्सा ही पीने या चाय या अन्य कामों में लिया जाता था। बाकि का दूध बचा कर रख दिया जाता था। बचपन में तो समझ नहीं आता था ये सब, वो इसलिए कि दूध बहुत ज़्यादा पसंद नहीं था मुझे। मिडिल क्लास घर के बच्चों को दूध को पीने लायक बनाने के लिए हॉर्लिक्स या बोर्नविटा की ज़रूरत नहीं पड़ती थी। उनके लिए बस मम्मी की मार या पापा की आँखें ही उस बेस्वाद दूध को पीने लायक बना देती थी। खैर ये पीने की प्रक्रिया की चर्चा फिर कभी। अभी फिलहाल, आगे की बात सुनो। हाँ तो एक बार मम्मी को काम करते देखा तो पाया कि जितना भी दूध आता है उसके ज़रूरत के हिसाब से हिस्से किये जाते हैं। एक पीने के लिए बोले तो रॉ कंसम्पशन, एक हिस्से का पनीर या छास बन जाता है, मतलब प्राइमरी कंसम्पशन। उसके बाद एक हिस्से में तोड़ डालकर उसका दही ज़माने रख ...