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History of Chambal

 चम्बल का इतिहास क्या हैं? ये वो नदी है जो मध्य प्रदेश की मशहूर विंध्याचल पर्वतमाला से निकलकर युमना में मिलने तक अपने 1024 किलोमीटर लम्बे सफर में तीन राज्यों को जीवन देती है। महाभारत से रामायण तक हर महाकाव्य में दर्ज होने वाली चम्बल राजस्थान की सबसे लम्बी नदी है। श्रापित और दुनिया के सबसे खतरनाक बीहड़ के डाकुओं का घर माने जाने वाली चम्बल नदी मगरमच्छों और घड़ियालों का गढ़ भी मानी जाती है। तो आईये आज आपको लेकर चलते हैं चंबल नदी की सेर पर भारत की सबसे साफ़ और स्वच्छ नदियों में से एक चम्बल मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में महू छावनी के निकट स्थित विंध्य पर्वत श्रृंखला की जनापाव पहाड़ियों के भदकला जलप्रपात से निकलती है और इसे ही चम्बल नदी का उद्गम स्थान माना जाता है। चम्बल मध्य प्रदेश में अपने उद्गम स्थान से उत्तर तथा उत्तर-मध्य भाग में बहते हुए धार, उज्जैन, रतलाम, मन्दसौर, भिंड, मुरैना आदि जिलों से होकर राजस्थान में प्रवेश करती है। राजस्थान में चम्बल चित्तौड़गढ़ के चौरासीगढ से बहती हुई कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, करोली और धौलपुर जिलों से निकलती है। जिसके बाद ये राजस्थान के धौलपुर से दक्षिण की ओर

जानिए क्या है भारत में कोरोना के वैक्सीन की असलियत?

भारत आबादी के हिसाब से बड़ा देश है। चीन के बाद हम आबादी में दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा मुल्क हैं। इतने बड़े स्तर पर कोई भी योजना को लागू करने के लिए मजबूत इच्छा शक्ति के साथ साथ, मजबूत प्रशासन की भी जरूरत पड़ती है।
भारत की आबादी लगभग 138 करोड़ की है। यानी अंकों में समझाएं तो 138 के आगे 7 शून्य लगा लीजिए।इतने बड़े पैमाने पर उतर कर कोई भी काम करने में समय की मांग होती है।
भारत की आबादी को अगर आयु वर्गों में बांटें तो उसको 3 मुख्य वर्गों में बांटा जा सकता है।
18 से 44 साल की आयु श्रेणी
45 से उपर, और
18 से नीचे
प्रत्येक श्रेणी में क्रमशः 62 करोड़, 44 करोड़ और 32 करोड़ के आसपास लोग हैं।
ये तो हुई आंकड़ों की बात, अब वैक्सीन के आंकड़ों की बात कर लेते हैं।
पहली आयु श्रेणी जो 18 से 44 साल के लोगो की है, इन 62 करोड़ लोगों को वैक्सीन के दो डोज लगाने के लिए लगभग 124 करोड़ लोगों की जरूरत पड़ेगी।
दूसरी आयु श्रेणी 45 से उपर वालो की है, इन 44 करोड़ लोगों को दो डोज लगवाने के क्रम में अभी 16 करोड़ डोज लग चुके हैं, और 72 करोड़ डोज की अभी और जरूरत है।

अगर 18 से कम आयु वर्ग को साथ ले लिया जाए तो हर दिन लगभग 54 करोड़ डोज की जरूरत होगी।
अगर हर दिन 40 लाख लोगों को भी डोज लगाई जाए तो जनसंख्या के आंकड़े बता रहे कि एक साल के बाद भी केवल 70% आबादी ही टीके लगवा चुकी होगी। बाकी 30% को लगभग 6 महीने और इंतजार करना पड़ेगा।
अभी के आंकड़े बताते हैं कि अभी केवल 20 से 25 लाख लोगों को ही रोज टीके लग पा रहे हैं, लेकिन शनिवार और रविवार को ये आंकड़े और भी कम हो जाते हैं।
अब सवाल ये है कि भारत में जिस हिसाब से टीके लग रहे हैं, उसी रफ्तार से ये काम कब तक पूरा होगा। और टीके मिल पाना एक अलग चुनौती बनती जा रही है।
ईश्वर इस बुरे वक्त में हम सबकी रक्षा करे।
तब तक आप घर में रहिए सुरक्षित रहिए
-abiiinabu






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The Story of Yashaswi Jaiswal

जिस 21 वर्षीय यशस्वी जयसवाल ने ताबड़तोड़ 98* रन बनाकर कोलकाता को IPL से बाहर कर दिया, उनका बचपन आंसुओं और संघर्षों से भरा था। यशस्‍वी जयसवाल मूलरूप से उत्‍तर प्रदेश के भदोही के रहने वाले हैं। वह IPL 2023 के 12 मुकाबलों में 575 रन बना चुके हैं और ऑरेंज कैप कब्जाने से सिर्फ 2 रन दूर हैं। यशस्वी का परिवार काफी गरीब था। पिता छोटी सी दुकान चलाते थे। ऐसे में अपने सपनों को पूरा करने के लिए सिर्फ 10 साल की उम्र में यशस्वी मुंबई चले आए। मुंबई में यशस्वी के पास रहने की जगह नहीं थी। यहां उनके चाचा का घर तो था, लेकिन इतना बड़ा नहीं कि यशस्वी यहां रह पाते। परेशानी में घिरे यशस्वी को एक डेयरी पर काम के साथ रहने की जगह भी मिल गई। नन्हे यशस्वी के सपनों को मानो पंख लग गए। पर कुछ महीनों बाद ही उनका सामान उठाकर फेंक दिया गया। यशस्वी ने इस बारे में खुद बताया कि मैं कल्बादेवी डेयरी में काम करता था। पूरा दिन क्रिकेट खेलने के बाद मैं थक जाता था और थोड़ी देर के लिए सो जाता था। एक दिन उन्होंने मुझे ये कहकर वहां से निकाल दिया कि मैं सिर्फ सोता हूं और काम में उनकी कोई मदद नहीं करता। नौकरी तो गई ही, रहने का ठिकान

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