एक नॉनसेंस बेस पर बनी सेंसिबल मूवी!
डॉयलोग्स तो बहुत ही गजब हैं।
सरकटा इंफ्लुएंसर है, अपने फॉलोवर्स बढ़ाना चाहता है।
लेकिन ये जो भी है वो सरकटा क्यों है? जब ज़रूरत हो सर धड़ पर लगा लेता है नहीं तो हाथ में लिए घूमता है। स्त्री के आधुनिक होने से उसे चिढ़ क्यों है? क्यों वो स्त्रियों का सर मुंडा कर उन्हें सफेद साड़ी में रखना चाहता है। वो चाहता है कि स्त्री बस घर में रहे और उसपर पुरुष का वर्चस्व हो।
हर वो पुरुष जो स्त्री स्वतंत्रता का विरोधी है वो सरकटा है। सरकटा वास्तव में एक बिम्ब है। ऐसे बहुत से बिम्बों का प्रयोग समाज के ढाँचे पर चोट करता है इस फ़िल्म में।
समाज की बहुत सारी घिसीपिटी धारणाओं पर भी सर्कास्टिक तरीके से प्रहार करती बढ़िया कॉमेडी है। साथ ही एनिमल मूवी को भी एक तमाचा जड़ दिया इस डायलॉग ने "'तू भेड़िया है, भेड़िया ही रह, एनिमल बनने की कोशिश मत कर।"
मतलब कुल मिला कर मज़ा आ गया।
मूवी के अंत से पता चलता है कि स्त्री 3 भी आएगी जिसमें वरुण धवन का लीड रोल हो सकता है और विलेन शायद अक्षय कुमार।
मूवी में पहले तो समझ नहीं आया कि भेड़िया कहाँ से आ गया और वो भी इच्छाधारी। लेकिन थोड़ी जानकारी जुटाई तो पता चला अमर कौशिक निर्देशित, मैडॉक फिल्म्स और जियो स्टूडियोज़ के बैनर तले बनी भेड़िया में वरुण धवल ने जिस किरदार को निभाया है उसे इस फ़िल्म में जोड़ा गया है। क्योंकि भेड़िया के वरुण धवल का दोस्त स्त्री 2 में राजकुमार राव का भी दोस्त है। इस तरह दोनों कहानियों को जोड़ा गया है। दोनों ही फिल्में हॉरर कॉमेडी हैं। इस कहानी के लिंक कुछ मुंज्या फ़िल्म से भी जुड़ते हैं। तीनों ही फिल्में हॉरर कॉमेडी हैं और तीनों में ही अभिषेक बैनर्जी ने हीरो के दोस्त का किरदार निभाया है। यह दोस्त तीनों फिल्मों को आपस में जोड़ता है। स्त्री 2 में वो दोस्त है जना। वो ही जना जिसे स्त्री 1 में स्त्री उठा कर ले जाती है।
तो देख आइये मस्त है!
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