सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Book Review: Chitralekha by Bhagwati Charan Verma

 चित्रलेखा – एक दार्शनिक कृति की समीक्षा लेखक: भगवती चरण वर्मा   प्रस्तावना   हिंदी साहित्य के इतिहास में *चित्रलेखा* एक ऐसी अनूठी रचना है जिसने पाठकों को न केवल प्रेम और सौंदर्य के मोह में बाँधा, बल्कि पाप और पुण्य की जटिल अवधारणाओं पर गहन चिंतन के लिए भी प्रेरित किया। भगवती चरण वर्मा का यह उपन्यास 1934 में प्रकाशित हुआ था और यह आज भी हिंदी गद्य की कालजयी कृतियों में गिना जाता है। इसमें दार्शनिक विमर्श, मनोवैज्ञानिक विश्लेषण और सामाजिक यथार्थ का ऐसा संलयन है जो हर युग में प्रासंगिक बना रहता है । मूल विषय और उद्देश्य   *चित्रलेखा* का केंद्रीय प्रश्न है — "पाप क्या है?"। यह उपन्यास इस अनुत्तरित प्रश्न को जीवन, प्रेम और मानव प्रवृत्तियों के परिप्रेक्ष्य में व्याख्यायित करता है। कथा की बुनियाद एक बौद्धिक प्रयोग पर टिकी है जिसमें महात्मा रत्नांबर दो शिष्यों — श्वेतांक और विशालदेव — को संसार में यह देखने भेजते हैं कि मनुष्य अपने व्यवहार में पाप और पुण्य का भेद कैसे करता है। इस प्रयोग का परिणाम यह दर्शाता है कि मनुष्य की दृष्टि ही उसके कर्मों को पाप या पुण्य बनाती है। लेखक...

The Comeback story of YO YO Honey Singh

 


Come Back


मैं यो यो हनी सिंह का कभी फैन नहीं रहा न उसके गाने कभी मुझे भाये। मेरी उम्र के लोगों को शायद उसके गाने पसंद भी नही आएंगे हां मुँह पर जरूर चढ़ सकते है लेकिन पसंद नही आएंगे। अंग्रेज़ी बीट दे, आज ब्लू है पानी पानी,  पार्टी आल नाईट , चार बोतल वोदका, लुंगी डांस लूंगी डांस  जैसे तमाम गाने हमारे कानों से 2011 से 2014 तक टकराये, हर शादी, पार्टी में सुनाई दिए। 


खैर 2010 से 2014 तक यो यो हनी सिंह अपनी पॉपुलैरिटी के चरम पर था।  उसने जो गाना बनाया वो चला, उसने मिट्टी में हाथ डाला तो वो भी सोना हुआ। लोग बुला बुलाकर उससे गाने लिखवा रहे थे, काम करवा रहे थे, उस टाइम बॉलीवुड का ऐसा कोई पॉपुलर स्टार नही था जिसने उस दौर में हनी सिंह के साथ काम न किया हो। शाहरुख खान बस किसी भी तरह उनका कोई गाना अपनी फिल्म में लेना चाहते थे और हनी सिंह ने एक दिन में लुंगी डान्स बना कर दे दिया। 


सफलता का नशा तो था ही, इसी दौरान हनी सिंह सूखे नशों की चपेट में आ गया, दारू तो बेतहाशा पीता ही था लेकिन चरस और गांजा इस कदर पीने लगा कि चौइस ही घंटे वो 'हाइ' ही रहता था, उसको चरस की सिगरेट बनाना नही आता था तो बाकायदा उसने एक लड़का सिर्फ इसी काम के लिए सेलरी पर रख लिया जो उसे चरस की सिगरेट बना के देता था। वो दिन में 12 -12 बार ये नशा करता था। 


कोई लाइव कंसर्ट हो या म्यूसिक क्रिएशन वो नशे में ही करता था।  उसने कोई नशा न छोड़ा। चार बोतल वोडका गाना असल मे उसने चार बोतल दारू पीने के बाद ही ऑस्ट्रलिया में लिखा था वो भी सिर्फ बदले की भावना से,  क्यों कि ऑस्ट्रलिया में उसके कंसर्ट से पहले कुछ लोगो ने उसका पुतला जलाया था। 


सूखे नशो की वजह से  उसकी ये हालत हो गई कि उसके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया। उसे "बाइपोलर डिसऔर्डर" नाम की बीमारी हुई और वो अजीब सी इमेजीनशन्स को सच मानने लगा। उसे बार बार पैनिक अटेक्स आते थे। उसका दिमाग जो असल में घट रहा है, उसे कल्पना मानता था और जो कल्पना है उसको हकीकत मानता था। हालात बहुत खराब हो गए। नशे की वजह से उसने अपने हाथों से सब बर्बाद कर दिया। 


2015 से करीब 2021 उसका इलाज चला वो 6-7 साल परिद्रश्य से बिल्कुल गायब हो गया। करीब डेढ़ साल तो एक ही कमरे में रहा बाहर नही निकला। वो इतना डरा हुआ रहता था कि नहाता भी बाथरूम का दरवाजा खोल के था। 


2022 के बाद वो लगभग ठीक हुआ, धीरे धीरे ज़िंदगी पटरी पर लौटने लगी। इस दौरान वो अध्यात्म की शरण मे भी आया। आज हर काम हर कंसर्ट से पहले " हर हर महादेव" "भोले का आशीर्वाद" बोलता है.


अभी 15 दिन पहले The Lallantop वाले सौरभ द्विवेदी ने हनी सिंह का विस्तृत इंटरव्यू लिया है करीब 2 घंटे जो लल्लनटॉप के यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध है। 


जिस बेबाकी से हनी सिंह ने अपनी गलतियों को स्वीकारा है, वो कैसे उस दौर से वो बाहर निकला है, वो अपनी एक एक गलती को कंसीडर कर रहा है, अपनी ऐरोगेन्स , अपनी नशेबाजी,  उसे हर चीज़ का रिग्रेट भी है वो स्वीकार भी कर रहा है, वो नशे से दूर है अब। मैंने परसो रात उसका इंटरव्यू पूरा देखा है। 


मैं कभी भी हनी सिंह का फैन नहीं था लेकिन उस इंटरव्यू के बाद हो गया हूँ। बहरहाल हनी सिंह का नया एलबम Glory आ गया है। उसके गाने मुझे आज भी नही पसंद लेकिन मैं हनी सिंह के इस नए व्यक्तित्व का फैन हो गया हूँ। 


Moral of The Story- ज़िंदगी मे सब कुछ कभी भी खतम नही होता एक तगड़े Come Back की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है।


हनी सिंह ने तगड़ा Come Back किया है। Welocme Back Honey Singh...आपको इस दूसरी पारी की शुभकामनाएं। 

◆◆◆

#viralpost #facebookviral

टिप्पणियाँ

Best From the Author

The Story of Yashaswi Jaiswal

जिस 21 वर्षीय यशस्वी जयसवाल ने ताबड़तोड़ 98* रन बनाकर कोलकाता को IPL से बाहर कर दिया, उनका बचपन आंसुओं और संघर्षों से भरा था। यशस्‍वी जयसवाल मूलरूप से उत्‍तर प्रदेश के भदोही के रहने वाले हैं। वह IPL 2023 के 12 मुकाबलों में 575 रन बना चुके हैं और ऑरेंज कैप कब्जाने से सिर्फ 2 रन दूर हैं। यशस्वी का परिवार काफी गरीब था। पिता छोटी सी दुकान चलाते थे। ऐसे में अपने सपनों को पूरा करने के लिए सिर्फ 10 साल की उम्र में यशस्वी मुंबई चले आए। मुंबई में यशस्वी के पास रहने की जगह नहीं थी। यहां उनके चाचा का घर तो था, लेकिन इतना बड़ा नहीं कि यशस्वी यहां रह पाते। परेशानी में घिरे यशस्वी को एक डेयरी पर काम के साथ रहने की जगह भी मिल गई। नन्हे यशस्वी के सपनों को मानो पंख लग गए। पर कुछ महीनों बाद ही उनका सामान उठाकर फेंक दिया गया। यशस्वी ने इस बारे में खुद बताया कि मैं कल्बादेवी डेयरी में काम करता था। पूरा दिन क्रिकेट खेलने के बाद मैं थक जाता था और थोड़ी देर के लिए सो जाता था। एक दिन उन्होंने मुझे ये कहकर वहां से निकाल दिया कि मैं सिर्फ सोता हूं और काम में उनकी कोई मदद नहीं करता। नौकरी तो गई ही, रहने का ठिकान...

Book Review: Chitralekha by Bhagwati Charan Verma

 चित्रलेखा – एक दार्शनिक कृति की समीक्षा लेखक: भगवती चरण वर्मा   प्रस्तावना   हिंदी साहित्य के इतिहास में *चित्रलेखा* एक ऐसी अनूठी रचना है जिसने पाठकों को न केवल प्रेम और सौंदर्य के मोह में बाँधा, बल्कि पाप और पुण्य की जटिल अवधारणाओं पर गहन चिंतन के लिए भी प्रेरित किया। भगवती चरण वर्मा का यह उपन्यास 1934 में प्रकाशित हुआ था और यह आज भी हिंदी गद्य की कालजयी कृतियों में गिना जाता है। इसमें दार्शनिक विमर्श, मनोवैज्ञानिक विश्लेषण और सामाजिक यथार्थ का ऐसा संलयन है जो हर युग में प्रासंगिक बना रहता है । मूल विषय और उद्देश्य   *चित्रलेखा* का केंद्रीय प्रश्न है — "पाप क्या है?"। यह उपन्यास इस अनुत्तरित प्रश्न को जीवन, प्रेम और मानव प्रवृत्तियों के परिप्रेक्ष्य में व्याख्यायित करता है। कथा की बुनियाद एक बौद्धिक प्रयोग पर टिकी है जिसमें महात्मा रत्नांबर दो शिष्यों — श्वेतांक और विशालदेव — को संसार में यह देखने भेजते हैं कि मनुष्य अपने व्यवहार में पाप और पुण्य का भेद कैसे करता है। इस प्रयोग का परिणाम यह दर्शाता है कि मनुष्य की दृष्टि ही उसके कर्मों को पाप या पुण्य बनाती है। लेखक...

The Protocol

 क्या आप जानते हैं भारत में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति राज्यपाल से भी ज्यादा प्रोटोकॉल जजों को हासिल है  केंद्र सरकार या राज्य सरकार इन्हें सस्पेंड या बर्खास्त नहीं कर सकती  उनके घर पुलिस सीबीआई ईडी बगैर चीफ जस्टिस के इजाजत के नहीं जा सकती  यह कितने भी भ्रष्ट हो इनकी निगरानी नहीं की जा सकती उनके फोन या तमाम गजट को सर्वेलेंस पर नहीं रखा जा सकता इसीलिए भारत का हर एक जज खुलकर भ्रष्टाचार करता है घर में नोटों की बोरे भर भरकर  रखता है  और कभी पकड़ में नहीं आता  जस्टिस वर्मा भी पकड  में नहीं आते अगर उनके घर पर आग नहीं लगी होती और एक ईमानदार फायर कर्मचारी ने वीडियो नहीं बनाया होता  सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत क्लीन चिट दे दिया की अफवाह फैलाई जा रही है  दिल्ली हाईकोर्ट ने तुरंत क्लीन चिट दे दिया कि अफवाह  फैलाई जा रही है  टीवी चैनलों पर वी के मनन अभिषेक मनु सिंघवी जैसे बड़े-बड़े वकील कह रहे थे आग तो जनरेटर में लगी थी अंदर कोई गया ही नहीं था तो नोट मिलने का सवाल कैसे उठाता  तरह-तरह की थ्योरी दी जा रही थी  मगर यह लोग भूल गए की आग बुझ...