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Tyagpatra by Jainendra Book Review

 त्यागपत्र: एक अंतर्मुखी पीड़ा की कहानी जैनेंद्र कुमार का उपन्यास 'त्यागपत्र' भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह उपन्यास मृणाल की कहानी है, जो अपने पति प्रमोद के द्वारा त्याग दी जाती है। कहानी मृणाल के अंतर्मुखी पीड़ा, सामाजिक बंधनों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संघर्ष को दर्शाती है। जैनेंद्र कुमार की लेखन शैली सरल और गहरी है। उन्होंने मृणाल के मन की उलझनों और भावनात्मक जटिलताओं को बहुत ही संवेदनशील तरीके से चित्रित किया है। कहानी में सामाजिक रूढ़ियों और व्यक्तिगत इच्छाओं के बीच का द्वंद्व स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। मृणाल का त्यागपत्र केवल एक शारीरिक त्यागपत्र नहीं है, बल्कि यह उसके आंतरिक संघर्ष और मुक्ति की खोज का प्रतीक है। उपन्यास में प्रमोद का चरित्र भी जटिल है। वह एक ऐसे व्यक्ति के रूप में दिखाया गया है जो सामाजिक दबावों और अपनी कमजोरियों के कारण मृणाल को त्याग देता है। यह उपन्यास उस समय के समाज में महिलाओं की स्थिति और उनके संघर्षों पर प्रकाश डालता है। 'त्यागपत्र' एक ऐसा उपन्यास है जो पाठक को सोचने पर मजबूर करता है। यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता, सामाजि...
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Sachin Tendulkar the GOAT

 "हेलमेट के नीचे, उन बेतरतीब घुंघराले बालों के भीतर, खोपड़ी के अंदर, कुछ ऐसा है जिसे हम पूरी तरह से समझ नहीं पाए हैं—कुछ ऐसा जो वैज्ञानिक माप से परे है। यही वह चीज़ है जो उसे उड़ने, क्रिकेट के क्षेत्र में राज करने की शक्ति देती है, जिसे न सिर्फ हम, बल्कि वे भी, जो उसके साथ खेलने के लिए पर्याप्त प्रतिभाशाली हैं, समझने की कल्पना भी नहीं कर सकते। जब वह बल्लेबाजी के लिए उतरता है, तो लोग अपने टेलीविज़न सेट चालू कर देते हैं और पल भर के लिए अपनी ज़िंदगी बंद कर देते हैं।" - बीबीसी, सचिन तेंदुलकर पर। यह कितनी सच्ची बात है! 24 साल तक खेलना आसान नहीं होता। क्रिकेट एक पेशा है, और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए खुद को लगातार अपग्रेड करना पड़ता है। कई लोग कहते हैं कि सचिन के रिकॉर्ड उनके खेले गए मैचों की संख्या—200 से अधिक टेस्ट मैचों—का परिणाम हैं। लेकिन क्या यह आसान है? बिल्कुल नहीं। इसके लिए शीर्ष स्तर की फिटनेस, बेहतरीन बल्लेबाजी कौशल और असाधारण एकाग्रता की जरूरत होती है ताकि 600 से अधिक अंतरराष्ट्रीय मैचों तक टिके रह सकें। मैंने कभी नहीं सुना कि सचिन किसी भी तरह की गेंदबाजी के खिलाफ कमज...

How Maratha Ended Mughal Empire

 क्या आप जानते हैं की धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज की मृत्यु का बदला कैसे लिया गया और किसने लिया ? छत्रपति संभाजी की हत्या के बाद औरंगजेब के सेनापति जुल्फिकार खान ने रायगढ़ पर कब्जा कर छत्रपति संभाजी की पत्नी येसु बाई और उनके पुत्र को भी कैद कर लिया जिसके बाद छत्रपति संभाजी महाराज के छोटे भाई  राजाराम जी महाराज छत्रपति के पद पर विभूषित हुए।  छत्रपति संभाजी महाराज को औरंगजेब ने 40 दिनों तक भयंकर यातनाएं देकर मारा था। इस हाहाकारी मृत्यु ने मराठों के सीनों में आग लगा दी। उनके सारे मतभेद खत्म हो गए और सिर्फ एक ही लक्ष्य रह गया राक्षस औरंगजेब का सर्वनाश। संगमेश्वर के किले में जब शूरवीर छत्रपति संभाजी अपने 200 साथियों के साथ औरंगजेब के सिपहसालार मुकर्रम खान के 10 हजार मुगल सिपाहियों के साथ जंग लड़ रहे थे, उस वक्त छत्रपति संभाजी के साथ एक और बहादुर योद्धा अपनी जान की बाजी लगा रहा था जिसका नाम था माल्होजी घोरपड़े। छत्रपति संभाजी के साथ लड़ते हुए माल्होजी घोरपड़े भी वीरगति को प्राप्त हो गए और माल्होजी घोरपड़े के पुत्र संताजी घोरपड़े ने ही अपने युद्ध अभियानों से औरंगजेब की नाक काट...

The Mystry of Bohemian Rhapsody song

 Why is the song called BOHEMIAN RHAPSODY? Why is it, exactly, 5 minutes and 55 seconds? What is this song, really, about? Why was the Queen movie released on October 31? The film was released on October 31 because the single was heard for the first time on October 31, 1975. It is titled like this because a "Rhapsody" is a free piece of music composed in different parts and themes where it seems that no part has any relation to the other. The word "Rhapsody" comes from Greek and means "assembled parts of a song." The word "bohemian" refers to a region of the Czech Republic called Bohemia, the place where Faust, the protagonist of the play that bears his name written by the playwright and novelist Goethe, was born. In Goethe's work, Faust was a very intelligent old man who knew everything except the mystery of life. Not understanding it, he decides to poison himself.Just at that moment the church bells ring and he goes out into the street. Bac...

Sachin Tendulkar the God of Cricket

 सचिन के 28, 90 प्लस स्कोर हैं। जिसमे एक बार ये नोट आउट गये बाक़ी 27 बार आउट हो गये। जिसमे से साल 2007 में ये 7 बार 90 प्लस स्कोर पर आउट हुए या यूँ कहिए नर्वस 90s का शिकार हुए। इसके बावजूद इनके तीनों फ़ॉर्मेट में कुल 100 शतक हैं। और जब जब इन्होंने शतक लगाया तो 33% मैचों में इंडिया की हार हुई है  वहीं सहवाग, विराट, धोनी, शिखर धवन के कुल 11, 90 प्लस स्कोर हैं लेकिन सहवाग विराट और धोनी को कभी कोई नर्वस नाइंटीज़ का शिकार नहीं बोल सकता क्योंकि कोहली या धोनी हमेशा 70 प्लस के बाद स्ट्राइक रेट तेज कर देते हैं 90 से 100 आने के लिए कभी इनलोगो ने ज़्यादा डॉट बॉल्स नहीं खेली हैं जबकि सचिन इन दस रनों के लिए 30 चालीस बाल आराम से पी जाते थे😂 इस बारे में वीरेंद्र सहवाग का कहना था कि जो काम आप दो तीन बॉल्स में कर सकते हो उसके लिए इतनी देर तक प्रेशर में क्यों जीना। बहरहाल सचिन के शतकों का योगदान भारत की जीत में मात्र 67% मैचों में ही रहा है जबकि विराट कोहली का शतकों का योगदान 87% मैच जीत में हैं। सचिन ने अपने शतकों के चक्कर में जो तीस तीस चालीस चालीस बॉल्स ख़राब की हैं उसकी वजह से कई मैच इंडिय...

The Reality of Kumbh Snan

 फरवरी के अंत तक देश में दो ही तरह के लोग बचेंगे—एक वे, जिन्होंने कुंभ में स्नान कर लिया और दूसरा वे, जिन्होंने कुंभ में स्नान नहीं किया!यह विभाजन जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र से ऊपर उठकर नई पहचान गढ़ रहा है—"स्नानी" बनाम "अस्नानी"! कुंभ में स्नान कर चुके लोग खुद को शुद्धता का आखिरी प्रमाणपत्र मानेंगे! उनके चेहरे की चमक किसी फेशियल क्रीम से नहीं, बल्कि गंगा जल की बूंदों से उपजी होगी! वे किसी भी तर्क-वितर्क में यह कहकर जीत जाएंगे—"पहले स्नान कर आओ, फिर बात करना!" धर्म और आस्था की भावना से लबरेज, वे खुद को मोक्ष के एक कदम करीब मानेंगे और दूसरों को अधूरे जीवन का बोझ उठाने वाला समझेंगे! दूसरी तरफ वे होंगे, जो कुंभ में नहीं जा पाए—कारण चाहे जो भी रहा हो!ऑफिस की छुट्टी नहीं मिली, ट्रेन की टिकट नहीं मिली, या बस आलस कर गए!इन्हें जीवनभर इस ग्लानि से जूझना पड़ेगा कि वे 2025 के ऐतिहासिक स्नान युग का हिस्सा नहीं बन पाए!स्नानी मित्र उनसे मिलते ही ताने मारेंगे—"अरे, तुम तो अभी तक अपवित्र ही घूम रहे हो!" सरकार आगे चलकर स्नान करने वालों को प्रमाण पत्र दे सकती है, ज...

The Story of Delhi's Khuni Darwaja

 दिल्ली के खूनी दरवाजा पर खत्म हुआ था अकबर का वंश। 1857 के दौरान पूरे भारत देश में अंग्रेजो के विरूद्ध विद्रोह पनप रहा था। उस वक्त के मुगल शासक बहादुर शाह जफर ने भी अंग्रेजो के विरूद्ध विद्रोह का साथ दिया। शुरू में विद्रोह सफल रहा लेकिन बाद में अंग्रेज इस विद्रोह को दबाने में सफल रहे। मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर द्वितीय ने बचने के लिए अपने बेटों मिर्जा मुगल और खिजर सुलतान और पोतों के साथ हुमायू के मकबरे में छिप गए। जहां मेजर हडसन ने उनको पकड़ लिया। मेजर हडसन ने उनको बोला की अंग्रेज सरकार आपको मारना नहीं चाहती है अगर आप आत्मसमर्पण कर दे तो, यह सुनकर बहादुर शाह जफर ने आत्म समर्पण कर दिया और उनके बेटों को पकड़ लिया गया। लेकिन हडसन कुछ और ही चाह रहा था। जब वह बहादुर शाह जफर के बेटों और पोते को पकड़ के लिए जा रहा था तो बहुत बड़ी भीड़ पीछे चल रही थी। कुछ गडबड ना हो इसको देखते हुए हडसन ने बहादुर शाह जफर के लड़को के कपड़े और शरीर पर पड़े हुए सारे जेवर उतरवा लिए। उनको पूरी तरह नंगा करने के बाद दिल्ली के खूनी दरवाजे पर तीनों को गोली मार दी। उसके बाद मेजर हडसन वहीं से चिल्लाया की हिंदुओ मैंने ...

The benefits of Sesame Oil

 तिल का तेल ... पृथ्वी का अमृत, यदि इस पृथ्वी पर उपलब्ध सर्वोत्तम खाद्य पदार्थों की बात की जाए तो तिल के तेल का नाम अवश्य आएगा और यही सर्वोत्तम पदार्थ बाजार में उपलब्ध नहीं है. और ना ही आने वाली पीढ़ियों को इसके गुण पता हैं. 🔹 क्योंकि नई पीढ़ी तो टी वी के इश्तिहार देख कर ही सारा सामान ख़रीदती है. और तिल के तेल का प्रचार कंपनियाँ इसलिए नहीं करती क्योंकि इसके गुण जान लेने के बाद आप उन द्वारा बेचा जाने वाला तरल चिकना पदार्थ जिसे वह तेल कहते हैं लेना बंद कर देंगे. 🔹तिल के तेल में इतनी ताकत होती है कि यह पत्थर को भी चीर देता है. प्रयोग करके देखें....  🔹आप पर्वत का पत्थर लिजिए और उसमे कटोरी के जैसा खडडा बना लिजिए, उसमे पानी, दुध, धी या तेजाब संसार में कोई सा भी कैमिकल, ऐसिड डाल दीजिए, पत्थर में वैसा की वैसा ही रहेगा, कही नहीं जायेगा...  🔹लेकिन... अगर आप ने उस कटोरी नुमा पत्थर में तिल का तेल डाल दीजिए, उस खड्डे में भर दिजिये.. 2 दिन बाद आप देखेंगे कि, तिल का तेल... पत्थर के अन्दर भी प्रवेश करके, पत्थर के नीचे आ जायेगा. यह होती है तेल की ताकत, इस तेल की मालिश करने से हड्डियों...

The Greatness of Russian Literature

 रूसी साहित्य को दुनिया का सबसे सच्चा साहित्य माना जाता है और यह वास्तविकता को सबसे अधिक व्यक्त करने वाला साहित्य है। यह एकमात्र ऐसा साहित्य है जो मनोविज्ञान को बहुत पीछे छोड़ चुका है और मानव आत्मा की सुंदरता को उजागर करता है।   यहां कुछ उद्धरण दिए गए हैं: 1. "यदि मैं उन सभी चीजों पर विजय पा भी लूं जो मुझे दुख देती हैं... तो भी मैं वह नहीं रहा जो पहले था।"   — दोस्तोव्स्की   2. "जो लोग एक साझा त्रासदी से जुड़े होते हैं, वे जब एक साथ इकट्ठा होते हैं तो एक प्रकार की राहत महसूस करते हैं।"   — एंटन चेखव   3. "जिसे हम भूलना चाहते हैं, वही स्मृति में बना रहता है।"   — दोस्तोव्स्की   4. "जब कोई आपके साथ विश्वासघात करता है, तो ऐसा लगता है जैसे उन्होंने आपकी बाहें काट दी हों—आप उन्हें माफ कर सकते हैं, लेकिन उन्हें गले नहीं लगा सकते।"   — टॉल्स्टॉय   5. "किसी व्यक्ति को उसके अतीत के पछतावे की स्मृति से अधिक कुछ नहीं सुधारता।"   — दोस्तोव्स्की   6. "सर्दियाँ उनके लिए ठंडी होती हैं जिनके पास गर्म यादें नहीं हैं, लेकिन मेरा मानना है कि यह उ...

Vajra in Buddism

 The Dorje (Vajra) is one of the most important ritual objects in Buddhism. It symbolizes indestructibility, power, and the thunderbolt of enlightenment. The term Dorje (རྡོ་རྗེ་, rdo rje) in budhisam corresponds to Vajra in Sanskrit, meaning "diamond" or "thunderbolt." 1. Symbolism of the Dorje Indestructibility: The Dorje represents the unbreakable nature of enlightenment and the power of wisdom. Thunderbolt: It symbolizes sudden realization, cutting through ignorance like a flash of lightning. Union of Wisdom and Compassion: It is often paired with a bell (Drilbu) in rituals, where the Dorje represents skillful means (compassion) and the bell represents wisdom. 2. Structure of the Dorje It typically has a central sphere with two sets of prongs extending outward. The prongs can be five-pronged or nine-pronged, symbolizing different aspects of Buddhist teachings. The central sphere represents the fundamental truth of emptiness (Shunyata). 3. Ritual Uses in Tibetan ...