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History of Chambal

 चम्बल का इतिहास क्या हैं? ये वो नदी है जो मध्य प्रदेश की मशहूर विंध्याचल पर्वतमाला से निकलकर युमना में मिलने तक अपने 1024 किलोमीटर लम्बे सफर में तीन राज्यों को जीवन देती है। महाभारत से रामायण तक हर महाकाव्य में दर्ज होने वाली चम्बल राजस्थान की सबसे लम्बी नदी है। श्रापित और दुनिया के सबसे खतरनाक बीहड़ के डाकुओं का घर माने जाने वाली चम्बल नदी मगरमच्छों और घड़ियालों का गढ़ भी मानी जाती है। तो आईये आज आपको लेकर चलते हैं चंबल नदी की सेर पर भारत की सबसे साफ़ और स्वच्छ नदियों में से एक चम्बल मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में महू छावनी के निकट स्थित विंध्य पर्वत श्रृंखला की जनापाव पहाड़ियों के भदकला जलप्रपात से निकलती है और इसे ही चम्बल नदी का उद्गम स्थान माना जाता है। चम्बल मध्य प्रदेश में अपने उद्गम स्थान से उत्तर तथा उत्तर-मध्य भाग में बहते हुए धार, उज्जैन, रतलाम, मन्दसौर, भिंड, मुरैना आदि जिलों से होकर राजस्थान में प्रवेश करती है। राजस्थान में चम्बल चित्तौड़गढ़ के चौरासीगढ से बहती हुई कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, करोली और धौलपुर जिलों से निकलती है। जिसके बाद ये राजस्थान के धौलपुर से दक्षिण की ओर

अर्थला पुस्तक समीक्षा Arthala by Vivek Kumar book review by Abiiinabu

अर्थला पुस्तक समीक्षा  Arthala by Vivek Kumar book review by Abiiinabu

    फिक्शन फैंटेसी श्रेणी में श्रेष्ठ उपन्यासों में से एक कहना जल्द बाजी होगी। अर्थला की किस्सागोई जबरदस्त है और वर्णन करते समय एक बार को तो ऐसा लगने लगता है कि आप स्वयं वहां मौजूद हों। विधान एक साधारण से घर में पला बढ़ा नवयुवक है। उसकी रुचि अपने मा के काम को ना करते हुए योद्धा बनने की है। जिसके लिए वे पिछले पांच वर्षों से लगातार अपने गुरु से कलाएं सीख रहा है। उसके अपने गुरु के बारे में कुछ भी नहीं मालूम है सिवाय इसके कि वे उसके गुरु हैं और उनमें गजब की प्रतिभा है। गुरुजी विधान को युद्धकला के साथ साथ जीवन के दर्शन भी समझाते रहते हैं। विधान गुरुजी के बारे में जानना चाहता है लेकिन गुरुजी गुरुदक्षिना वाले दिन बताने कि बात कह कर टालते रहते हैं। इंतजार करते करते गुरूदक्षीना वाला दिन भी आ जाता है और विधान की आंखों के सामने है उसके गुरु की हत्या कर दी जाती है। उसके गुरु की हत्या किसने की? उसके गुरु की हत्या क्यों की? उसके गुरु कौन थे? इन्हीं सब प्रश्नों के उत्तर पाने की तलाश में विधान व्याकुल रहता है। तभी अचानक उसे पता चलता है कि उसके गुरु ने जो कला उसको दिखाई है वह अत्यंत दुर्लभ है। विधान अचानक से अति साधारण से अति महत्वपूर्ण बन जाता है। कहानी को पढ़ते समय कई बार आपको ब्रिटिश उपन्यासकार JK Rowling द्वारा रचित Harry potter सीरीज की झलक भी मिलती है, लेकिन यह उससे बिल्कुल भी मेल नहीं खाती। बस अंदाज ऐसा है कि आपको ऐसा लगता है कि यह किरदार ये गुण, ये विशेषताएं पहले भी कहीं पढ़ी हैं देखी हैं। अर्थला के ध्वज का वर्णन आपको भारतीय पड़ोसी देश का लग सकता है। एक साधारण मनुष्य जिसकी दुनिया केवल उसकी मां और उसके छोटी सी दुनिया तक सीमित रहती है, जिसकी मुख्य समस्या कर समय पर ना चुका पाना रहती है; यकायक एक अति समृद्ध राज्य के लिए अति महत्वपूर्ण मनुष्य बन जाता है। और साधारण से असाधारण बनने के इस क्रम में विधान के चित्त पर क्या क्या और कौन कौन से प्रभाव पड़ते है, इनका भी स्पष्ट वर्णन मिलता है। बहुत रोचक, बांधे रखने वाली और सरल भाषा में है। मैंने केवल 2 बार में खत्म कर दी। विवेक कुमार असामान्य रूप से चमत्कार करते प्रतीत होते हैं। विधान का किरदार समय समय पर मदद भी प्राप्त करता रहता है जो कभी कभी अटपटा सा लग सकता है। कुल मिलाकर कहानी की भाषा सरल, बांधे रखने वाली और दमदार है। एक बार पढ़ना शुरू किए तो शायद पन्ने उलटते ही जाएं। हिंदी की सामान्य भाषा का सौंदर्य, सजीव वर्णन एवम् सामान्य से महत्त्वपूर्ण बनने के सफर में विधान के मन में चलने वाले द्वंद की हमारे जीवन में समानता को ध्यान में रखते हुए यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि अर्थला एक रुचिकर एवम् शानदार कृति है। भाषा अद्भुत रूप से पढ़नीय है। यदि आप हिंदी में फिक्शन पढ़ने के शौकीन नहीं हैं तो अर्थला निश्चित रूप से आपका भ्रम तोड़ने के लिए काफी है।

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The Story of Yashaswi Jaiswal

जिस 21 वर्षीय यशस्वी जयसवाल ने ताबड़तोड़ 98* रन बनाकर कोलकाता को IPL से बाहर कर दिया, उनका बचपन आंसुओं और संघर्षों से भरा था। यशस्‍वी जयसवाल मूलरूप से उत्‍तर प्रदेश के भदोही के रहने वाले हैं। वह IPL 2023 के 12 मुकाबलों में 575 रन बना चुके हैं और ऑरेंज कैप कब्जाने से सिर्फ 2 रन दूर हैं। यशस्वी का परिवार काफी गरीब था। पिता छोटी सी दुकान चलाते थे। ऐसे में अपने सपनों को पूरा करने के लिए सिर्फ 10 साल की उम्र में यशस्वी मुंबई चले आए। मुंबई में यशस्वी के पास रहने की जगह नहीं थी। यहां उनके चाचा का घर तो था, लेकिन इतना बड़ा नहीं कि यशस्वी यहां रह पाते। परेशानी में घिरे यशस्वी को एक डेयरी पर काम के साथ रहने की जगह भी मिल गई। नन्हे यशस्वी के सपनों को मानो पंख लग गए। पर कुछ महीनों बाद ही उनका सामान उठाकर फेंक दिया गया। यशस्वी ने इस बारे में खुद बताया कि मैं कल्बादेवी डेयरी में काम करता था। पूरा दिन क्रिकेट खेलने के बाद मैं थक जाता था और थोड़ी देर के लिए सो जाता था। एक दिन उन्होंने मुझे ये कहकर वहां से निकाल दिया कि मैं सिर्फ सोता हूं और काम में उनकी कोई मदद नहीं करता। नौकरी तो गई ही, रहने का ठिकान

Superstar Rajni

 सुपरस्टार कर्नाटक के लोअर मिडल क्लास मराठी परिवार का काला बिलकुल आम कद काठी वाला लड़का सुपर स्टार बना इस का श्रेय निर्देशक बाल चंदर को जाता है।इस बस कंडक्टर में उन्हे कुछ स्पार्क दिखा। उस के बाद उन्होंने शिवाजी राव गायकवाड को एक्टिंग सीखने को कहा और कहे मुताबिक शिवाजीराव ने एक्टिंग सीखी। उस समय दक्षिण में शिवाजी गणेशन नाम के विख्यात स्टार थे। उन के नाम के साथ तुलना न हो इसलिए शिवाजीराव का फिल्मी नामकरण रजनी किया गया।किसी को भी नही लगा होगा की ये शिवाजी उस महान स्टार शिवाजी को रिप्लेस करेगा ! रजनी सर ने अपनी शुरुआत सेकंड लीड और खलनायक के तौर पर की।रजनी,कमला हासन और श्रीदेवी लगभग एकसाथ मेन स्ट्रीम सिनेमा में आए और तीनो अपनी अपनी जगह छा गए।स्क्रीन प्ले राइटिंग में ज्यादा रुचि रखने वाले कमला हासन ने वही पर ज्यादा ध्यान दिया और एक्सपेरिमेंटल मास फिल्मे की।रजनीकांत को पता था साउथ के लोगो को क्या देखना।साउथ के लोग जब थियेटर आते है तब वो दो ढाई घंटे सामने पर्दे पर जो हीरो दिख रहा उस में खुद को इमेजिन करते है ।रजनी जनता के दिलो में छा गए क्युकी वो उन के जैसे दिखते है और काम सुपर हीरो वाले करते

पद्म पुरस्कार 2021| पदम पुरस्कार का इतिहास All about Padam Awards

पद्म पुरस्कार 2021| पदम पुरस्कार का इतिहास All about PADAM AWARDS | 2021 पदम पुरस्कार भारत सरकार द्वारा हर वर्ष गणतंत्र दिवस यानी कि 26 जनवरी की पूर्व संध्या पर दिए जाते हैं। यह पुरस्कार भारत में तीन श्रेणियों में दिया जाता है पदम विभूषण, पदम भूषण और पद्मश्री । यह पुरस्कार देश में व्यक्ति विशेष द्वारा किए गए असाधारण और विशिष्ट सेवा उच्च क्रम की सेवा और प्रतिष्ठित सेवा में अतुलनीय योगदान देने के लिए दिया जाता है। Padam Awards किसके द्वारा दिया जाता है पदम पुरस्कार? पदम पुरस्कार हर साल पदम पुरस्कार समिति द्वारा की गई सिफारिश के आधार पर प्रदान किए जाते हैं। यह समिति हर साल प्रधानमंत्री द्वारा तैयार की जाती है। कोई भी व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को पदम पुरस्कार के लिए नामांकित कर सकता है साथ ही साथ वह खुद के लिए भी नामांकन दाखिल कर सकता है। पदम पुरस्कारों   का इतिहास पदम पुरस्कार जो 1954 में स्थापित किए गए थे, हर साल दिए जाते हैं। विशेष अवसरों जैसे 1978, 1979 और 1993 से 1997 को छोड़ दिया जाए तो पदम पुरस्कार लगभग हर साल प्रदान किए गए हैं। आजादी के बाद भारत सरकार ने समाज में उत्कृष्ट सेवा प