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फ़रवरी, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

History of Chambal

 चम्बल का इतिहास क्या हैं? ये वो नदी है जो मध्य प्रदेश की मशहूर विंध्याचल पर्वतमाला से निकलकर युमना में मिलने तक अपने 1024 किलोमीटर लम्बे सफर में तीन राज्यों को जीवन देती है। महाभारत से रामायण तक हर महाकाव्य में दर्ज होने वाली चम्बल राजस्थान की सबसे लम्बी नदी है। श्रापित और दुनिया के सबसे खतरनाक बीहड़ के डाकुओं का घर माने जाने वाली चम्बल नदी मगरमच्छों और घड़ियालों का गढ़ भी मानी जाती है। तो आईये आज आपको लेकर चलते हैं चंबल नदी की सेर पर भारत की सबसे साफ़ और स्वच्छ नदियों में से एक चम्बल मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में महू छावनी के निकट स्थित विंध्य पर्वत श्रृंखला की जनापाव पहाड़ियों के भदकला जलप्रपात से निकलती है और इसे ही चम्बल नदी का उद्गम स्थान माना जाता है। चम्बल मध्य प्रदेश में अपने उद्गम स्थान से उत्तर तथा उत्तर-मध्य भाग में बहते हुए धार, उज्जैन, रतलाम, मन्दसौर, भिंड, मुरैना आदि जिलों से होकर राजस्थान में प्रवेश करती है। राजस्थान में चम्बल चित्तौड़गढ़ के चौरासीगढ से बहती हुई कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, करोली और धौलपुर जिलों से निकलती है। जिसके बाद ये राजस्थान के धौलपुर से दक्षिण की ओर

ANTONOV AN 225 MRIYA| Russia ने मार गिराया Ukraine का "The Dream"

#russiaukrainconflict के बीच हो रहे युद्ध के पांच दिन रूस ने दुनिया का सबसे बड़ा एयरक्राफ्ट मार गिराया है। यह यूक्रेन का अब तक का बनाया गया सबसे बड़ा हवाई जहाज था, जो दुनिया में भी सबसे बड़ा था।  इस विमान के आकार के साथ-साथ सबसे बड़ी खातिर लिए विशेषता यह भी थी कि इसको Buran Shuttle Orbiter और Energiya carrier rocket के पार्ट्स पहुंचने के लिए बनाया गया था। जी हां, एक हवाई जहाज जिससे रॉकेट को लॉन्च किया जा सके!!! है ना अद्भुत! आइए जानते हैं Antonov AN 225 से जुड़ी खास बातें- Antoov AN 225 Antonov AN 22 5 का नाम Mriya था, जिसका यूक्रेनी भाषा में मतलब होता है The Dream । यह अब तक का इकलौता एयरक्राफ्ट था जो 6 turbofan इंजन से लैस था। इसकी भार वहन क्षमता 250 टन से भी ज्यादा थी। इसने अपनी पहली उड़ान 1988 89 में भरी थी। जून 2010 में इसने सबसे बड़े कार्गो सामान को चीन से डेनमार्क पहुंचाया था जिसकी लंबाई ही 42.1 मीटर थी। यह एक पावर स्टेशन की टरबाइन का पंख था। नाटो ने इसका नाम Cossack तय किया था। कोविड 19 के समय इसने विभिन्न देशों में आपात समान पहुंचाया था जिसकी वजह से इसका एक नाम The Symbo

National Science Day| Sir C V RAMAN उस शख्श की दास्ताँ जिसने भारत को नया विज्ञान ही दे डाला

Why we celebrate Science day on 28th February इस देश में शायद बहुत कम लोग ही ऐसे होंगे जो फरवरी को वैलेंटाइन डे के अलावा किसी और कारण से भी जानते होंगे। मुझ जैसे लोगों को यह दिन काफी पसंद है। क्योंकि इस दिन भारत अपना राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि 28 फरवरी को ही भारतीय विज्ञान दिवस क्यों मनाया जाता है? वर्ष 1921 में भारत के वैज्ञानिक श्री चंद्रशेखर वेंकटरमन एक जहाज पर सवार हुए। लंदन से भारत आते समय उनके दिमाग में एक सवाल आया किस समुंदर का रंग असल में नीला क्यों होता है? वह यह बात भी मानने को तैयार नहीं थे कि आसमान का रंग भी नीला होता है। इसीलिए 1928 की मार्च में उन्होंने एक थ्योरी प्रकाशित की जिसे रमन स्कैटरिंग के नाम से जाना गया, मुझे आप और मैं आज रमन इफेक्ट   Raman Effect  के नाम से भी जानते हैं। रमन प्रभाव प्रकाश के तरंगदैर्ध्य के बदलने की कारण को बताता है। आपने सूर्य के प्रकाश में एक संतरे को नारंगी रंग का देखा। यह नारंगी रंग का है, लेकिन क्यों? वैसे सूर्य का प्रकाश साथ अलग-अलग रंगों से मिलकर बना है और हर रंग की एक अलग तरंगदैर्ध्य है। आप सूर्य से निक

India's Stand on Russia- Ukraine Conflict| Russia Ukraine Conflict में भारत किसका साथ दे रहा है

India's stand on Russia-Ukraine Conflict कहते हैं अगर किसी इंसान को अपने आने वाले वक्त के हालात जानने हूं तो उसे अपने अतीत में किए हुए कर्मों को याद करना चाहिए। आज जब रूस और यूक्रेन में भयंकर युद्ध चल रहा है उसी समय दुनिया के चौधरी बने अमेरिका को अचानक से विश्व शांति की चिंता सताने लगी है। चिंता इसीलिए क्योंकि यूक्रेन को अमेरिका अपने पाले में लेना चाहता है और रूस ऐसा होने नहीं देना चाहता। इसीलिए रूस को रोकने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका ने यूनाइटेड नेशंस के सिक्योरिटी काउंसिल में एक प्रस्ताव लेकर आया जिसके अंतर्गत रूस पर प्रतिबंध एवं युद्ध समाप्त करने की चेतावनी दी थी। प्रस्ताव को पारित करवाने के लिए उसे विभिन्न देशों का सहयोग चाहिए था जिसमें भारत भी एक था। लेकिन भारत ने अमेरिका की उम्मीदों को धता बताते हुए नाही अमेरिका के पक्ष में और ना ही रूस के पक्ष में मतदान किया। यानी कि भारत अब औपचारिक रूप से तटस्थ की भूमिका निभा रहा है। भारत के साथ-साथ चीन और यूएई ने भी तटस्थ की भूमिका को ही चुना है। आइए देखते हैं कि इन 3 देशों की रणनीति इस दो द्रव्य युद्ध पर क्या होने वाली है-   चीन Chin

What is Russia- Ukraine Conflict |यूक्रेन और रूस के बीच का सारा लफड़ा क्या है?

Russia-Ukraine Conflict History of Russia- Ukraine Conflict बवाल की जड़  - बात है सन 1991 की। उस समय दुनिया का क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे बड़ा देश हुआ करता था सोवियत संघ रूस, यानी कि यू एस एस आर यूनियन ऑफ सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक । जिसे 1922 की बेलचोविक क्रांति के बाद व्लादिमीर लेनिन ने दुनिया के सामने लाया था। लेकिन 1991 आते-आते दुनिया का सबसे बड़ा देश 15 अलग-अलग देशों में टूट गया। अब देश कौन-कौन से थे, एक बार जरा इन पर नजर डाल लेते हैं सबसे पहले और सबसे बड़ा भाग बना- रूस इस्टोनिया लातविया  लिथुआनिया  बेलारूस  यूक्रेन  माल्टोवा  जॉर्जिया  आर्मेनिया  अज़रबैजान  कजाकिस्तान  उज़्बेकिस्तान  तुर्कमेनिस्तान  किर्गिस्तान  और ताजिकिस्तान अगर आप मैप को समझ पा रहे हैं तो आप देखेंगे कि छठे नंबर का जो देश है वह है यूक्रेन। और यूक्रेन भौगोलिक दृष्टि से रूस से टूटकर बनने वाला वह देश है जो आधा यूरोप में आता है और आधा एशिया में आता है। यूरोप में आने वाले सभी देशों को यूरोपीय संघ एवं नाटो की सदस्यता प्राप्त करने के योग्य होते हैं। NATO क्या है Role of NATO in Russia- Ukraine Conflict - अब आप पूछेंगे क

Famous Hindi Poet Suryakant Tripathi Nirala की दानवीरता का अद्भुत किस्सा। Abiiinabu ke kisse

Famous Hindi Poet Suryakant Tripathi Nirala की दानवीरता का अद्भुत किस्सा।  अगर आपने अपने जीवन में कभी भी हिंदी में कविताएं पढ़ी हैं तो आपको एक नाम कभी भूले से नहीं भूलेगा वह नाम है सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने अपनी कविताओं में करुण रस एवं वियोग श्रृंगार का ऐसा अद्भुत समागम किया है कि उनकी यह विशेषता उन्हें छायावादी युग के चार प्रमुख हस्ताक्षर ओं में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाती है। छायावाद के चार प्रमुख स्तंभ जयशंकर प्रसाद सुमित्रानंदन पंत महादेवी वर्मा और चौथे स्वयं सूर्यकांत त्रिपाठी निराला है। उनकी रचनाएं आम आदमी की पीड़ा एवं उसके संघर्ष को बहुत ही मार्मिकता के साथ प्रदर्शित करती हैं। उनकी कविताओं के मुख्य किरदार कोई महलों में रहने वाले या बड़ी बड़ी जमीन की जिम्मेदारी करने वाले विशेष रूप से संबंध कोई विशेष नवाब अथवा जमीदार नहीं होते थे। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला हिंदी की उस श्रृंखला के कवि थे जिन्होंने अपनी कविताओं का प्रमुख पात्र सड़क पर पत्थर तोड़ती लड़की, भीख मांगता हुआ भिखारी, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम में मनुष्यों जैसी भावनाओं का प्रदर्शन, अध

Statue of Equality: Who is Ramanuja| जानिए कौन थे श्री रामानुजाचार्य

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेलंगाना के हैदराबाद शहर में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी बैठी हुई मूर्ति जिसकी लंबाई 216 फुट है, का आज अनावरण किया। इसे स्टैचू आफ इक्वलिटी बोला जा रहा है इसका दूसरा नाम रामानुजा स्टैचू भी है। श्री रामानुजन को भक्ति आंदोलन में समाज के सभी वर्ग एवं सभी तबकों को एक साथ लेकर चलने के लिए प्रेरित करने का श्रेया जाता है। इसीलिए श्री रामानुज के स्टैचू को स्टैचू आफ इक्वलिटी कहा गया है। स्टैचू आफ इक्वलिटी पंच लोहा यानी कि सोना चांदी तांबा पीतल और जस्ता से मिलाकर बना है। जिसकी अनुमानित कीमत लगभग 1000 करोड़ रुपए है। यह सारा पैसा रामानुज को मानने वाले अलग-अलग देशों के अलग-अलग भक्तों ने चंदे के स्वरूप दिया है। पुतले को बनाने की संकल्पना श्री चिन्ना जियर स्वामी द्वारा दी गई थी। Statue of Equality 7 फरवरी को उसी जगह पर एक दूसरा स्टेचू भी भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद द्वारा अनावृत किया जाएगा जिसमें 120 किलो सोने का प्रयोग होगा। 120 किलो सोने का प्रयोग इसलिए किया जा रहा है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि श्री रामानुज इस धरती पर 120 वर्षों तक जीवित रहे थे। समाज के स

Basant Panchmi Special: इस बसंत पंचमी जानिए वीर हकीकत राय का बलिदान

वीर हकीकत राय का जन्म 1719 में पंजाब के सियालकोट नगर में हुआ था। वे अपने पिता भागमल के इकलौते पुत्र थे। श्री भागवत व्यापारी थे पर उनकी इच्छा थी कि उनका पुत्र पढ़ लिखकर बड़ा अधिकारी बने। इसीलिए उन्होंने हकीकत राय को एक मदरसे में फारसी सीखने भेजा। वीर हकीकत राय इस मदरसे में पढ़ने वाले अधिकांश छात्र मुसलमान थे और पढ़ाने वाले मौलवी जी थे। अपनी प्रतिभा और कुशाग्र बुद्धि के कारण हकीकत राय ने मौलवी जी का मन जीत लिया। अतः वह उसकी पढ़ाई में विशेष ध्यान देने लगे जिस कारण इसके अन्य साथी उससे ईर्ष्या करने लगे। इनमें रशीद और अनवर प्रमुख थे। वह मौका मिलने पर हकीकत को तंग करते और जान से मारने की धमकी देते। एक दिन रशीद और अनवर ने मदरसे से लौटते समय हकीकत की पिटाई करनी चाही। उसके कपड़े फाड़ दिए। भागमल ने दूसरे दिन इस घटना की शिकायत मदरसे में जाकर मौलवी जी से की मौलवी जी ने अनवर तथा रशीद को सजा दी। दूसरे दिन फिर प्रतिशोध लेने की भावना से अनवर और रसीद ने मदरसे से लौटते समय रास्ते में हकीकत को छेड़ने की गरज से उसे कबड्डी खेलने का निमंत्रण दिया। हकीकत में खेलने के प्रति अपनी अनिच्छा प्रकट की। पर जब वे द

Ram Navmi Special: Why Lord Ram is so Great| श्री राम नवमी विशेष: जानिए आखिर क्यों पूजे जाते हैं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम

भारतीय काल गणना के अनुसार प्रत्येक मन्वंतर में चार युग होते हैं सतयुग त्रेता युग द्वापरयुग एवं कलयुग। वर्तमान मन्वंतर वैवस्वत मन्वंतर है। इसी मन्वंतर के त्रेता युग एवं द्वापर युग के संदीप के समय में कौशल राज्य के राजा दशरथ एवं महारानी कौशल्या की बड़े पुत्र का नाम राम था। उनका जन्म चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन मध्यान्ह सरयू नदी के तट पर स्थित अयोध्या नामक नगरी में हुआ था। श्री राम के पूर्वज सूर्यवंशी क्षत्रिय थे उनके पर पिता महा इक्ष्वाकु ने चक्रवर्ती सम्राट की उपाधि धारण की थी इसीलिए उनको इक्ष्वाकु वंश यह भी कहा जाता है। राजा दशरथ की तीन रानियां थी कौशल्या सुमित्रा और कैकई। इन तीन रानियों से महाराजा दशरथ को चार पुत्रों की प्राप्ति हुई थी श्री राम भरत लक्ष्मण और शत्रुघ्न। श्री राम इनमें सबसे बड़े थे श्री राम की माता कौशल्या दक्षिण कोशल अर्थात वर्तमान छत्तीसगढ़ की थीं। आखिर क्यों पूजे जाते हैं भगवान् श्री राम? श्री राम बचपन से ही वीर धीर एवं शांत स्वभाव के थे। उन दिनों समाज में दुष्टों का आतंक बढ़ रहा था। यह दुष्ट व्यक्ति ही राक्षस कहलाते थे। यह राक्षस समाज के निधि लोगों एवं वन