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Book Review: Chitralekha by Bhagwati Charan Verma

 चित्रलेखा – एक दार्शनिक कृति की समीक्षा लेखक: भगवती चरण वर्मा   प्रस्तावना   हिंदी साहित्य के इतिहास में *चित्रलेखा* एक ऐसी अनूठी रचना है जिसने पाठकों को न केवल प्रेम और सौंदर्य के मोह में बाँधा, बल्कि पाप और पुण्य की जटिल अवधारणाओं पर गहन चिंतन के लिए भी प्रेरित किया। भगवती चरण वर्मा का यह उपन्यास 1934 में प्रकाशित हुआ था और यह आज भी हिंदी गद्य की कालजयी कृतियों में गिना जाता है। इसमें दार्शनिक विमर्श, मनोवैज्ञानिक विश्लेषण और सामाजिक यथार्थ का ऐसा संलयन है जो हर युग में प्रासंगिक बना रहता है । मूल विषय और उद्देश्य   *चित्रलेखा* का केंद्रीय प्रश्न है — "पाप क्या है?"। यह उपन्यास इस अनुत्तरित प्रश्न को जीवन, प्रेम और मानव प्रवृत्तियों के परिप्रेक्ष्य में व्याख्यायित करता है। कथा की बुनियाद एक बौद्धिक प्रयोग पर टिकी है जिसमें महात्मा रत्नांबर दो शिष्यों — श्वेतांक और विशालदेव — को संसार में यह देखने भेजते हैं कि मनुष्य अपने व्यवहार में पाप और पुण्य का भेद कैसे करता है। इस प्रयोग का परिणाम यह दर्शाता है कि मनुष्य की दृष्टि ही उसके कर्मों को पाप या पुण्य बनाती है। लेखक...

ANTONOV AN 225 MRIYA| Russia ने मार गिराया Ukraine का "The Dream"

#russiaukrainconflict के बीच हो रहे युद्ध के पांच दिन रूस ने दुनिया का सबसे बड़ा एयरक्राफ्ट मार गिराया है। यह यूक्रेन का अब तक का बनाया गया सबसे बड़ा हवाई जहाज था, जो दुनिया में भी सबसे बड़ा था। 
इस विमान के आकार के साथ-साथ सबसे बड़ी खातिर लिए विशेषता यह भी थी कि इसको Buran Shuttle Orbiter और Energiya carrier rocket के पार्ट्स पहुंचने के लिए बनाया गया था। जी हां, एक हवाई जहाज जिससे रॉकेट को लॉन्च किया जा सके!!! है ना अद्भुत!
आइए जानते हैं Antonov AN 225 से जुड़ी खास बातें-
AN 225
Antoov AN 225

  • Antonov AN 225 का नाम Mriya था, जिसका यूक्रेनी भाषा में मतलब होता है The Dream
  • यह अब तक का इकलौता एयरक्राफ्ट था जो 6 turbofan इंजन से लैस था।
  • इसकी भार वहन क्षमता 250 टन से भी ज्यादा थी।
  • इसने अपनी पहली उड़ान 1988 89 में भरी थी।
  • जून 2010 में इसने सबसे बड़े कार्गो सामान को चीन से डेनमार्क पहुंचाया था जिसकी लंबाई ही 42.1 मीटर थी। यह एक पावर स्टेशन की टरबाइन का पंख था।
  • नाटो ने इसका नाम Cossack तय किया था।
  • कोविड 19 के समय इसने विभिन्न देशों में आपात समान पहुंचाया था जिसकी वजह से इसका एक नाम The Symbol of Hope पड़ गया।

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जिस 21 वर्षीय यशस्वी जयसवाल ने ताबड़तोड़ 98* रन बनाकर कोलकाता को IPL से बाहर कर दिया, उनका बचपन आंसुओं और संघर्षों से भरा था। यशस्‍वी जयसवाल मूलरूप से उत्‍तर प्रदेश के भदोही के रहने वाले हैं। वह IPL 2023 के 12 मुकाबलों में 575 रन बना चुके हैं और ऑरेंज कैप कब्जाने से सिर्फ 2 रन दूर हैं। यशस्वी का परिवार काफी गरीब था। पिता छोटी सी दुकान चलाते थे। ऐसे में अपने सपनों को पूरा करने के लिए सिर्फ 10 साल की उम्र में यशस्वी मुंबई चले आए। मुंबई में यशस्वी के पास रहने की जगह नहीं थी। यहां उनके चाचा का घर तो था, लेकिन इतना बड़ा नहीं कि यशस्वी यहां रह पाते। परेशानी में घिरे यशस्वी को एक डेयरी पर काम के साथ रहने की जगह भी मिल गई। नन्हे यशस्वी के सपनों को मानो पंख लग गए। पर कुछ महीनों बाद ही उनका सामान उठाकर फेंक दिया गया। यशस्वी ने इस बारे में खुद बताया कि मैं कल्बादेवी डेयरी में काम करता था। पूरा दिन क्रिकेट खेलने के बाद मैं थक जाता था और थोड़ी देर के लिए सो जाता था। एक दिन उन्होंने मुझे ये कहकर वहां से निकाल दिया कि मैं सिर्फ सोता हूं और काम में उनकी कोई मदद नहीं करता। नौकरी तो गई ही, रहने का ठिकान...

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