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Tyagpatra by Jainendra Book Review

 त्यागपत्र: एक अंतर्मुखी पीड़ा की कहानी जैनेंद्र कुमार का उपन्यास 'त्यागपत्र' भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह उपन्यास मृणाल की कहानी है, जो अपने पति प्रमोद के द्वारा त्याग दी जाती है। कहानी मृणाल के अंतर्मुखी पीड़ा, सामाजिक बंधनों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संघर्ष को दर्शाती है। जैनेंद्र कुमार की लेखन शैली सरल और गहरी है। उन्होंने मृणाल के मन की उलझनों और भावनात्मक जटिलताओं को बहुत ही संवेदनशील तरीके से चित्रित किया है। कहानी में सामाजिक रूढ़ियों और व्यक्तिगत इच्छाओं के बीच का द्वंद्व स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। मृणाल का त्यागपत्र केवल एक शारीरिक त्यागपत्र नहीं है, बल्कि यह उसके आंतरिक संघर्ष और मुक्ति की खोज का प्रतीक है। उपन्यास में प्रमोद का चरित्र भी जटिल है। वह एक ऐसे व्यक्ति के रूप में दिखाया गया है जो सामाजिक दबावों और अपनी कमजोरियों के कारण मृणाल को त्याग देता है। यह उपन्यास उस समय के समाज में महिलाओं की स्थिति और उनके संघर्षों पर प्रकाश डालता है। 'त्यागपत्र' एक ऐसा उपन्यास है जो पाठक को सोचने पर मजबूर करता है। यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता, सामाजि...

Tyagpatra by Jainendra Book Review

 त्यागपत्र: एक अंतर्मुखी पीड़ा की कहानी जैनेंद्र कुमार का उपन्यास 'त्यागपत्र' भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह उपन्यास मृणाल की कहानी है, जो अपने पति प्रमोद के द्वारा त्याग दी जाती है। कहानी मृणाल के अंतर्मुखी पीड़ा, सामाजिक बंधनों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संघर्ष को दर्शाती है। जैनेंद्र कुमार की लेखन शैली सरल और गहरी है। उन्होंने मृणाल के मन की उलझनों और भावनात्मक जटिलताओं को बहुत ही संवेदनशील तरीके से चित्रित किया है। कहानी में सामाजिक रूढ़ियों और व्यक्तिगत इच्छाओं के बीच का द्वंद्व स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। मृणाल का त्यागपत्र केवल एक शारीरिक त्यागपत्र नहीं है, बल्कि यह उसके आंतरिक संघर्ष और मुक्ति की खोज का प्रतीक है। उपन्यास में प्रमोद का चरित्र भी जटिल है। वह एक ऐसे व्यक्ति के रूप में दिखाया गया है जो सामाजिक दबावों और अपनी कमजोरियों के कारण मृणाल को त्याग देता है। यह उपन्यास उस समय के समाज में महिलाओं की स्थिति और उनके संघर्षों पर प्रकाश डालता है। 'त्यागपत्र' एक ऐसा उपन्यास है जो पाठक को सोचने पर मजबूर करता है। यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता, सामाजि...

Sachin Tendulkar the GOAT

 "हेलमेट के नीचे, उन बेतरतीब घुंघराले बालों के भीतर, खोपड़ी के अंदर, कुछ ऐसा है जिसे हम पूरी तरह से समझ नहीं पाए हैं—कुछ ऐसा जो वैज्ञानिक माप से परे है। यही वह चीज़ है जो उसे उड़ने, क्रिकेट के क्षेत्र में राज करने की शक्ति देती है, जिसे न सिर्फ हम, बल्कि वे भी, जो उसके साथ खेलने के लिए पर्याप्त प्रतिभाशाली हैं, समझने की कल्पना भी नहीं कर सकते। जब वह बल्लेबाजी के लिए उतरता है, तो लोग अपने टेलीविज़न सेट चालू कर देते हैं और पल भर के लिए अपनी ज़िंदगी बंद कर देते हैं।" - बीबीसी, सचिन तेंदुलकर पर। यह कितनी सच्ची बात है! 24 साल तक खेलना आसान नहीं होता। क्रिकेट एक पेशा है, और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए खुद को लगातार अपग्रेड करना पड़ता है। कई लोग कहते हैं कि सचिन के रिकॉर्ड उनके खेले गए मैचों की संख्या—200 से अधिक टेस्ट मैचों—का परिणाम हैं। लेकिन क्या यह आसान है? बिल्कुल नहीं। इसके लिए शीर्ष स्तर की फिटनेस, बेहतरीन बल्लेबाजी कौशल और असाधारण एकाग्रता की जरूरत होती है ताकि 600 से अधिक अंतरराष्ट्रीय मैचों तक टिके रह सकें। मैंने कभी नहीं सुना कि सचिन किसी भी तरह की गेंदबाजी के खिलाफ कमज...