.. जब समोसा 50 पैसे का लिया करता था तो ग़ज़ब स्वाद होता था... आज समोसा 10 रुपए का हो गया, पर उसमे से स्वाद चला गया... अब शायद समोसे में कभी वो स्वाद नही मिल पाएगा.. बाहर के किसी भोजन में अब पहले जैसा स्वाद नही, क़्वालिटी नही, शुद्धता नही.. दुकानों में बड़े परातों में तमाम खाने का सामान पड़ा रहता है, पर वो बेस्वाद होता है.. पहले कोई एकाध समोसे वाला फेमस होता था तो वो अपनी समोसे बनाने की गुप्त विधा को औऱ उन्नत बनाने का प्रयास करता था... बड़े प्यार से समोसे खिलाता, औऱ कहता कि खाकर देखिए, ऐसे और कहीं न मिलेंगे !.. उसे अपने समोसों से प्यार होता.. वो समोसे नही, उसकी कलाकृति थे.. जिनकी प्रसंशा वो खाने वालों के मुंह से सुनना चाहता था, औऱ इसीलिए वो समोसे दिल से बनाता था, मन लगाकर... समोसे बनाते समय ये न सोंचता कि शाम तक इससे इत्ते पैसे की बिक्री हो जाएगी... वो सोंचता कि आज कितने लोग ये समोसे खाकर वाह कर उठेंगे... इस प्रकार बनाने से उसमे स्नेह-मिश्रण होता था, इसीलिए समोसे स्वादिष्ट बनते थे... प्रेमपूर्वक बनाए और यूँ ही बनाकर सामने डाल दिये गए भोजन में फर्क पता चल जाता है, ...
Is Indian Constitution Copied|क्या भारत का संविधान है कॉपी पेस्ट का पिटारा? Constitution Day of India वैसे तो भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। जिस वजह से इसकी एक अलग प्रसंगिकता है। एक अलग ओहदा है, एक अलग महत्त्व है। इस संविधान की प्रमुख विशेषता दुनिया के अलग अलग संविधान से ली गई कुछ चुनिंदा बातें हैं जो इसे दुनिया के बाकी संविधानों के जैसा लेकिन भीड़ से अलग बनाती हैं। भारतीय संविधान पर समय-समय पर यह आरोप लगते रहे हैं कि वह कॉपी पेस्ट का पिटारा है। भारत के संविधान में कुछ भी नया नहीं है और वह दुनिया के अन्य सभी मुल्कों की विशेषताओं को जोड़कर बनाया गया है। आइए आज की इस पोस्ट में कुछ विशेषताओं के ऊपर एवं कुछ समीक्षाओं के ऊपर विचार करते हैं। संविधान सभा का प्रत्यक्ष निर्वाचन नहीं हुआ था। इनका निर्वाचन प्रांतीय विधानमंडल के निम्न सदन के सदस्यों द्वारा किया गया था। इसीलिए संविधान सभा सही मायने में जनता की प्रतिनिधि नहीं थी तथा रियासतों के प्रतिनिधि तो अप्रत्यक्ष रूप से भी निर्वाचित नहीं थे। राजाओं के द्वारा उनका मनोनयन किया गया था। इसीलिए वह भी जनता के प्रतिनिधि नहीं थे। ...