चम्बल का इतिहास क्या हैं? ये वो नदी है जो मध्य प्रदेश की मशहूर विंध्याचल पर्वतमाला से निकलकर युमना में मिलने तक अपने 1024 किलोमीटर लम्बे सफर में तीन राज्यों को जीवन देती है। महाभारत से रामायण तक हर महाकाव्य में दर्ज होने वाली चम्बल राजस्थान की सबसे लम्बी नदी है। श्रापित और दुनिया के सबसे खतरनाक बीहड़ के डाकुओं का घर माने जाने वाली चम्बल नदी मगरमच्छों और घड़ियालों का गढ़ भी मानी जाती है। तो आईये आज आपको लेकर चलते हैं चंबल नदी की सेर पर भारत की सबसे साफ़ और स्वच्छ नदियों में से एक चम्बल मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में महू छावनी के निकट स्थित विंध्य पर्वत श्रृंखला की जनापाव पहाड़ियों के भदकला जलप्रपात से निकलती है और इसे ही चम्बल नदी का उद्गम स्थान माना जाता है। चम्बल मध्य प्रदेश में अपने उद्गम स्थान से उत्तर तथा उत्तर-मध्य भाग में बहते हुए धार, उज्जैन, रतलाम, मन्दसौर, भिंड, मुरैना आदि जिलों से होकर राजस्थान में प्रवेश करती है। राजस्थान में चम्बल चित्तौड़गढ़ के चौरासीगढ से बहती हुई कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, करोली और धौलपुर जिलों से निकलती है। जिसके बाद ये राजस्थान के धौलपुर से दक्षिण की ओर
Is Indian Constitution Copied|क्या भारत का संविधान है कॉपी पेस्ट का पिटारा? Constitution Day of India वैसे तो भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। जिस वजह से इसकी एक अलग प्रसंगिकता है। एक अलग ओहदा है, एक अलग महत्त्व है। इस संविधान की प्रमुख विशेषता दुनिया के अलग अलग संविधान से ली गई कुछ चुनिंदा बातें हैं जो इसे दुनिया के बाकी संविधानों के जैसा लेकिन भीड़ से अलग बनाती हैं। भारतीय संविधान पर समय-समय पर यह आरोप लगते रहे हैं कि वह कॉपी पेस्ट का पिटारा है। भारत के संविधान में कुछ भी नया नहीं है और वह दुनिया के अन्य सभी मुल्कों की विशेषताओं को जोड़कर बनाया गया है। आइए आज की इस पोस्ट में कुछ विशेषताओं के ऊपर एवं कुछ समीक्षाओं के ऊपर विचार करते हैं। संविधान सभा का प्रत्यक्ष निर्वाचन नहीं हुआ था। इनका निर्वाचन प्रांतीय विधानमंडल के निम्न सदन के सदस्यों द्वारा किया गया था। इसीलिए संविधान सभा सही मायने में जनता की प्रतिनिधि नहीं थी तथा रियासतों के प्रतिनिधि तो अप्रत्यक्ष रूप से भी निर्वाचित नहीं थे। राजाओं के द्वारा उनका मनोनयन किया गया था। इसीलिए वह भी जनता के प्रतिनिधि नहीं थे।