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जनवरी, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

India's Biggest Secret

 11th January, 1966:  The Prime Minister of India, Lal  Bahadur Shastri dies in Tashkent. 24th January, 1966:  India’s top nuclear scientist, Homi Jehangir Baba vanishes. Same month, same mystery. Lal Bahadur Shastri. Homi Jehangir Bhabha. One poisoned in a Soviet villa. One swallowed by French snow. And a nation… too scared to ask why? What if India’s greatest minds were not lost… …but eliminated? Let me lay out some facts. No filters.  No fiction. And then, you decide. You carry the question home. Because some truths don’t scream. They whisper. And they wait. The year of 1964. China tests its first nuclear bomb. The world watches. India trembles. But one man stands tall. Dr. Homi Bhabha. A Scientist.  A Visionary. And may be... a threat. To whom? That is the question. Late 1964. He walks into the Prime Minister’s office. Shastri listens. No filters.  No committees. Just two patriots. And a decision that could change India forever. The year of1965. Sh...

सानिया मिर्जा ने लिया सन्यास Sania Mirza Retires

सन दो हजार के दशक में युवा हुए लड़कों में अधिकांश ऐसे हैं जिनके होठों पर सानिया मिर्जा का नाम आते ही एक रोमांटिक मुस्कान तैर उठती है। सब उनसे प्रेम करते थे। वे इकलौती गैर सिनेमाई लड़की थीं जिसकी तस्वीरें हीरोइनों से अधिक बिकीं और लड़कों के कमरों की दीवालों पर टँगी थी। क्षेत्रीय भाषाओं में सैकड़ों लोकगीत बने उनके नाम पर, और शायद ही कोई पत्रिका हो जिसकी कवर स्टोरी न रही हो सानिया पर।       सानिया मिर्जा पिछले दशक में नारीवाद की सबसे मजबूत प्रतीक रही हैं। एक दकियानूसी बैकग्राउंड से निकल कर कभी "छोटे कपड़ों" के के लिए तो कभी खेलने को लेकर जारी हुए फतवों से जूझते हुए सफलता के शिखर पर पहुँची सानिया छा गयी थीं। उनकी उपलब्धियों पर भारत झूमता था।       भारत में स्त्रीवाद जब असफल लेखिकाओं का प्रलाप भर रह गया था, तब सानिया ने बताया कि मजबूत स्त्री होने का अर्थ सुबह से शाम तक पुरुषों को गाली देना नहीं है, बल्कि पुरुषों के वर्चस्व वाले क्षेत्र में भी अपना सशक्त स्थान बना लेना है। उसने अपने जीवन के लिए अनेक निर्भीक निर्णय लिए। परिवार द्वारा तय की गई शादी से अ...

Bageshwar Baba Controversy

नालंदा! तात्कालिक विश्व का सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय! कहते हैं, संसार में तब जितना भी ज्ञान था, वहाँ सबकी शिक्षा दीक्षा होती थी। सारी दुनिया से लोग आते थे ज्ञान लेने... बौद्धिकता का स्तर वह कि बड़े बड़े विद्वान वहाँ द्वारपालों से पराजित हो जाते थे। पचास हजार के आसपास छात्र और दो हजार के आसपास गुरुजन! सन 1199 में मात्र दो हजार सैनिकों के साथ एक लुटेरा घुसा और दिन भर में ही सबको मार काट कर निकल गया। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शिक्षक और उनके बीस हजार छात्र मात्र दो सौ लुटेरों से भी नहीं जूझ सके। छह महीने तक नालंदा के पुस्तकालय की पुस्तकें जलती रहीं।      कुस्तुन्तुनिया! अपने युग के सबसे भव्य नगरों में एक, बौद्धिकों, वैज्ञानिकों, दार्शनिकों की भूमि! क्या नहीं था वहाँ, भव्य पुस्तकालय, मठ, चर्च महल... हर दृष्टि से श्रेष्ठ लोग निवास करते थे। 1455 में एक इक्कीस वर्ष का युवक घुसा और कुस्तुन्तुनिया की प्रतिष्ठा मिट्टी में मिल गयी। सबकुछ तहस नहस हो गया। बड़े बड़े विचारक उन लुटेरों के पैरों में गिर कर गिड़गिड़ाते रहे, और वह हँस हँस कर उनकी गर्दन उड़ाता रहा। कुस्तुन्तुनिया का पतन हो ग...

नौजवानी vs अनुभव

प्रशांत महासागर के हज़ारों फीट की ऊंचाई पर एक एयरबस 380 सैकड़ों यात्रियों के साथ उड़ रही थी। अचानक दो फाइटर प्लेन आसमान में दिखाई दिए और इस जहाज़ की तरफ उड़ने लगे। जब रेडियो संपर्क हुआ तो लड़ाकू विमान के एक युवा पायलट ने एयरबस के बुजुर्ग पायलट से कहा, 'कितनी बोरिंग फ्लाइट है तुम्हारी। देखो, मैं आपकी इस उड़ान को दिलचस्प बना देता हूँ! यह कहने के बाद, उसने अचानक गति पकड़ ली और एयरबस के चारों ओर तब तक कलाबाज़ियाँ दिखाता रहा,जब तक समुद्र का स्तर निकट नहीं आया, वहां से यह ऊपर गया, साउंड बैरियर को तोड़ दिया, मुड़ गया और एयरबस की तरफ आ गया। उत्तेजित स्वर में उसने फिर पूछा कैसा लगा? एयरबस पायलट ने कहा कि यह कुछ भी नहीं है। अब आप देखिए मैं क्या दिखाता हूं। दोनों युद्धपोत देखने लगे। समय बीत रहा था लेकिन विमान सीधा उड़ रहा था। काफी समय बाद एयरबस के सीनियर पायलट का एक रेडियो संदेश आया जिसमें पूछा गया कि आपको कैसा लगा? युवा फाइटर पायलट ने कहा, "लेकिन बॉस, आपने क्या किया है?" ? एयरबस के पायलट ने कहा, मैं बाथरूम गया था। रास्ते में कुछ लोगों से बातचीत हुई। फिर मैंने शांति से खड़े...

अरामजद

ये हैं अरामज़द (Aramazd)...! अरामज़द को अर्मेनिया के प्री-क्रिश्चन (पारसी) गॉड माना जाता है. इन्हें सिर्फ... गॉड ही नहीं माना जाता है...  बल्कि, इन्हें फादर ऑफ गोड्स एंड गोडेज... अर्थात, सभी देवी देवताओं के पिता अथवा रचयिता माना जाता है.  आर्मेनिया में इनकी पूजा सर्वोच्च देवता के तौर पे की जाती थी. और, ऐसी मान्यता है कि इन्होंने ही स्वर्ग और पृथ्वी बनाई. साथ ही.... इन्होंने ही पृथ्वी की उर्वरा शक्ति बढ़ाई जिसके कारण पृथ्वी में पेड़-पौधे उगे और पृथ्वी फलवान हुई. अर्थात.... प्राचुर्य, वर्षा और उर्वरता के भगवान. लेकिन, मुझे आर्मेनिया फर्मेनिया में नहीं बल्कि उनके देवता के इस फोटो में रुचि है... क्योंकि, इस देवता के चित्र में स्वस्तिक और हाथों पर बैठा गरुड़ साफ साफ नजर आ रहा है. तो, क्या ये मान लिया जाए कि ये अरामज़द देवता और कोई नहीं बल्कि भगवान विष्णु ही थे... जिन्हें आर्मेनिया की अपनी भाषा अथवा उच्चारण में Aramazd पुकारा जाता था ? क्योंकि.... काल, मान्यता, देव के गुणों की समानता तो कुछ इसी तरफ इशारा कर रहे है...

The Bloodiest Revolution in India's Freedom Movement that you haven't heard of!!!

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में आंदोलन का नाम एक ऐसे बदलाव के रूप में दर्ज है, जो आगे चलकर सामाजिक क्रांति का प्रतीक बन गया। पंजाब से शुरू हुए इस आंदोलन की नींव शालीन व्यक्ति के मालिक सतगुरु राम सिंह नामधारी ने रखी, जो एक धर्मगुरु, आंदोलन के नेतृत्वकर्ता और महिलाओं का उत्थान करने वाले शख्स के रूप में जाने जाते हैं। अपने बहुमुखी व्यक्तित्व के कारण ही वह ब्रिटिश शासन के खिलाफ बड़ा आंदोलन खड़ा करने में समाज की स्थापना की और महिलाओं, खासकर बालिकाओं के रक्षक बनकर उभरे। उन्होंने नारी उद्धार, अंतर्जातीय विवाह व सामूहिक विवाह के साथ- साथ गौरक्षा के लिए जीवन समर्पित कर दिया। नामधारी सिखों की कुर्बानी स्वतंत्रता संग्रम के इतिहास में कूका आंदोलन के नाम से दर्ज है, जिसकी कमान सतगुरु राम सिंह के हाथों में थी 12 अप्रैल, 1857 को लुधियाना के करीब भैणी साहिब में सफेद रंग का स्वतंत्रता का ध्वज फहराकर कूका आंदोलन की शुरुआत हुई। खास बात यह थी कि सतगुरु राम सिंह के अनुयायी सिमरन में लीन रहते हुए आंदोलन को आगे बढ़ाते थे। अंग्रेजों के खिलाफ हुंकार (कूक) करने के कारण उन्हें कूका के नाम से जाना जाने...

WHY DO MOST AIRLINES FLY AT AROUND 35,000 ft?

ज्यादातर एयरलाइंस 35,000 फीट की ऊंचाई पर ही क्यों उड़ान भरती हैं? ईंधन दक्षता: इसका एक कारण यह है कि उच्च ऊंचाई वाली हवा विमान पर कम खिंचाव पैदा करती है, जिसका अर्थ है कि गति बनाए रखने के लिए विमान कम ईंधन का उपयोग कर सकता है। कम हवा प्रतिरोध, अधिक शक्ति और पैसे की बचत। उसके ऊपर क्यों नहीं उड़ते? संक्षेप में, जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हमें दहन के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है, बहुत अधिक और इंजनों को ईंधन देने के लिए ऑक्सीजन बहुत कम हो जाती है। साथ ही, उस ऊंचाई पर चढ़ने के लिए यह पर्याप्त कुशल नहीं हो सकता है। क्योंकि हमें चढ़ाई करने के लिए अधिक ईंधन की आवश्यकता होती है और विमान की क्षमता के कारण अधिकांश व्यावसायिक जेट भी अधिक चढ़ाई करने के लिए सीमित होते हैं। तो लगभग 35-40 k की इष्टतम ऊंचाई बनाए रखी जाती है। ट्रैफिक और खतरों से बचना: ऊंची उड़ान भरने का मतलब है कि विमान पक्षियों, ड्रोन, हल्के विमानों और हेलीकॉप्टरों से बच सकते हैं। उथल-पुथल और खराब मौसम से बचाव: बेशक, अशांति अभी भी हवाई जहाजों पर होती है, लेकिन किसी को यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि कई वाणिज्यिक उड़ानों ...

Why Makar Sankranti is so important in Sanatan Dharma? मकर संक्रांति का महत्त्व

मकर संक्रांति का महत्व हिंदू धर्म ने माह को दो भागों में बाँटा है- कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष। इसी तरह वर्ष को भी दो भागों में बाँट रखा है। पहला उत्तरायण और दूसरा दक्षिणायन। उक्त दो अयन को मिलाकर एक वर्ष होता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य पृथ्वी की परिक्रमा करने की दिशा बदलते हुए थोड़ा उत्तर की ओर ढलता जाता है, इसलिए इस काल को उत्तरायण कहते हैं। सूर्य पर आधारित हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का बहुत महत्व माना गया है। वेद और पुराणों में भी इस दिन का विशेष उल्लेख मिलता है। होली, दीपावली, दुर्गोत्सव, शिवरात्रि और अन्य कई त्योहार जहाँ विशेष कथा पर आधारित हैं, वहीं मकर संक्रांति खगोलीय घटना है, जिससे जड़ और चेतन की दशा और दिशा तय होती है। मकर संक्रांति का महत्व हिंदू धर्मावलंबियों के लिए वैसा ही है जैसे वृक्षों में पीपल, हाथियों में ऐरावत और पहाड़ों में हिमालय। सूर्य के धनु से मकर राशि में प्रवेश को उत्तरायण माना जाता है। इस राशि परिवर्तन के समय को ही मकर संक्रांति कहते हैं। यही एकमात्र पर्व है जिसे समूचे भारत में मनाया जाता है, चाहे इसका नाम प्रत्येक प्रांत में अलग-अलग हो और इसे म...

Agyatvaas अज्ञातवास

महाभारत में एक प्रसंग आता है जब धर्मराज युधिष्ठिर ने विराट के दरबार में पहुँचकर कहा, “हे राजन! मैं व्याघ्रपाद गोत्र में उत्पन्न हुआ हूँ तथा मेरा नाम 'कंक' है। मैं द्यूत विद्या में निपुण हूँ। आपके पास आपकी सेवा करने की कामना लेकर उपस्थित हुआ हूँ।” द्यूत... जुआ... यानि वह खेल जिसमें धर्मराज अपना सर्वस्व हार बैठे थे। कंक बन कर वही खेल वह राजा विराट को सिखाने लगे। जिस बाहुबली के लिये रसोइये दिन रात भोजन परोसते रहते थे वह भीम बल्लभ का भेष धारण कर स्वयं रसोइया बन गया। नकुल और सहदेव पशुओं की देखरेख करने लगे। दासियों सी घिरी रहने वाली महारानी द्रौपदी... स्वयं एक दासी सैरंध्री बन गयी।              और वह धनुर्धर। उस युग का सबसे आकर्षक युवक, वह महाबली योद्धा। वह द्रोण का सबसे प्रिय शिष्य। वह पुरूष जिसके धनुष की प्रत्यंचा पर बाण चढ़ते ही युद्ध का निर्णय हो जाता था।वह अर्जुन पौरुष का प्रतीक अर्जुन। नायकों का महानायक अर्जुन। एक नपुंसक बन गया। एक नपुंसक? उस युग में पौरुष को परिभाषित करने वाला अपना पौरुष त्याग कर होठों पर लाली लगा कर, आंखों में काजल लगा कर ...

Joshimath is sinking: Joshimath land subsidence जोशीमठ की व्यथा, जोशीमठ की जुबानी

Joshimath is sinking "मैं जोशीमठ हूँ!” भूधसांव की वजह से अपने भविष्य को लेकर बेहद चिंतित हूं, हो सके तो जमींदोज होने से बचा लीजिए.. “मैं जोशीमठ हूँ” आदिगुरु शंकराचार्य जी की तपस्थली ज्योतिर्मठ । सीमांत जनपद चमोली का सरहदी ब्लाँक। विश्व प्रसिद्ध हिम क्रीडा स्थल औली , आस्था का सर्वोच्च धाम श्री बदरीनाथ धाम , हेमकुंड साहिब और रंग बदलने वाली फूलों की घाटी का प्रवेश द्वार में ही हूं ।  देश की द्वितीय रक्षा पंक्ति नीती माणा घाटी मेरे ही नगर से होकर जाया जाता है। हर साल देश विदेश से लाखों-लाख तीर्थयात्री और पर्यटक यहां पहुंचते है। मैं चिपको आंदोलन की नेत्री गौरा देवी की थाती हूं। पंच प्रयाग में से प्रथम प्रयाग मेरे ही मुहाने पर धौली गंगा और अलकनंदा का संगम विष्णुप्रयाग स्थित है। एशिया का सबसे लम्बा रज्जू मार्ग( ropeway ) मेरे ही नगर के ऊपर से गुजरता है। मैं भगवान बदरीविशाल जी का शीतकालीन गद्दी स्थल हूं। मेरे पौराणिक नृसिंह मंदिर में 6 महीने भगवान बदरीविशाल जी की पूजा होती है। मंदिर के प्रांगण में प्रतिवर्ष बद्रीविशाल के कपाट खुलने से पहले पौराणिक तिमुंडिया कौथिग...

भारत का महान राजा अशोक, Ashoka The Great

अशोक, जिसे 'देवनामपिया पियादासी' या देवताओं के प्रिय के रूप में भी जाना जाता है, मौर्य वंश का अंतिम प्रमुख राजा था। उन्हें मुख्य रूप से उनके शासनकाल के दौरान भारत और विदेशों में बौद्ध धर्म के प्रसार में उनकी भूमिका के लिए याद किया जाता है। 1830 के दशक के मध्य तक, जब जेम्स प्रिंसेप ब्राह्मी लिपि में एक शिलालेख को समझने में सक्षम थे, उन्हें मौर्य राजाओं की सूची में कई शासकों में से एक माना जाता था। अंतिम पुष्टि कि शिलालेख में देवानामपिया पियादासी के रूप में दिखाई देने वाला नाम अशोक का था, 1915 में आया था। अशोक मौर्य राजा बिंदुसार के पुत्र थे। जबकि कुछ इतिहासकारों का मानना है कि वह अपने पिता की मृत्यु के तुरंत बाद सिंहासन पर चढ़ा, कई लोगों का तर्क है कि उनके कई भाइयों के बीच उत्तराधिकार के लिए संघर्ष में लगभग चार साल का अंतर था। एक प्रशासक के रूप में उनके करियर ने तब उड़ान भरी जब उन्होंने तक्षशिला में राज्यपाल के रूप में सेवा शुरू की। इसमें एक विद्रोह को दबाना और व्यावसायिक गतिविधियों को संभालना शामिल था। अशोक के शासन के दौरान विभिन्न घटनाओं में, कलिंग युद्ध को सबसे मह...

इतिहास जो भुला दिया गया: फारस में मुसलमानों द्वारा पारसियों का उत्पीड़न और भारत में उनका प्रवास The history forgotten: The persecution of Parsis by Muslims in Persia and their migration to India

इस्लामी कट्टरवाद के प्रसार के परिणामस्वरूप अतीत में कई मौकों पर देशी समुदायों का अपनी मातृभूमि से पलायन हुआ है। 7 वीं शताब्दी ईस्वी में इस्लाम के विस्तार के परिणामस्वरूप फारस से दुनिया के अन्य क्षेत्रों में पारसियों या पारसियों का प्रस्थान एक ऐसा ही उदाहरण है। हम धार्मिक उत्पीड़न की कुख्यात घटनाओं के संदर्भ में धर्म के पूरे इतिहास को कवर करेंगे क्योंकि हम इस्लामिक आक्रमणों और भारत में उनके प्रवास के परिणामस्वरूप पारसी लोगों के पलायन में गहराई से उतरेंगे। History of Zoroastrianism पारसी वर्तमान में भारतीय उपमहाद्वीप में रहने वाले एक जातीय-धार्मिक अल्पसंख्यक हैं। 7 वीं शताब्दी ईस्वी में रशीदून खलीफा के तहत अरब मुस्लिमों द्वारा ससानिद ईरान पर आक्रमण के बाद, उनके पूर्वज भारत चले गए। पारसी दुनिया के सबसे पुराने धर्मों में से एक, पारसी धर्म का पालन करते हैं, जिसे अपने मूल रूप में मजदायसना के रूप में भी जाना जाता है। सातवीं शताब्दी के मध्य तक, फारस (आधुनिक ईरान) पारसी बहुमत वाला एक राजनीतिक रूप से स्वतंत्र राज्य था। लगभग 1000 वर्षों तक, ससैनियन साम्राज्य तक, पारसी धर्म राज्य का मा...

Was Akbar really Great? भारत का सबसे महान मुगल सम्राट जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर

अकबर को अक्सर भारत के सबसे महान मुगल सम्राटों में से एक माना जाता है। 1556 से 1605 तक अपने शासनकाल के दौरान, उन्होंने अधिकांश भारतीय उपमहाद्वीप पर अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए विस्तार की नीति का पालन किया। उनके शासनकाल को कई सुधारों द्वारा भी चिह्नित किया गया था जिन्होंने उनके केंद्रीय प्रशासन और वित्तीय प्रणाली को मजबूत किया। उसने 'जजिया' को समाप्त कर दिया, एक चुनावी कर जिसे गैर-मुस्लिमों को इस्लामी शासकों को देना पड़ता था। अकबर सभी धर्मों के प्रति सहिष्णु था; उन्होंने सत्रों का आयोजन किया जिसके लिए विभिन्न धर्मों के लोगों को भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया। उन्होंने 'दीन-ए-इलाही' नामक एक नया धर्म या जीवन का एक तरीका विकसित किया। यद्यपि वह स्वयं अनपढ़ था, फिर भी उसने अपने राज्य के विद्वानों, कवियों, चित्रकारों और संगीतकारों का बहुत ध्यान रखा। अकबर का जन्म अबू अल-फत जलाल अल-दीन मुहम्मद के रूप में 1542 में उमरकोट (आधुनिक पाकिस्तान में) में हुआ था। उनका जन्म हुमायूं से हुआ था, जो शेर शाह सूरी द्वारा अपनी राजधानी दिल्ली से पराजित होने और बाहर निकालने के बाद सिंध में ...